चलते पूरजे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं? - chalate pooraje log dharm ke naam par kya karate hain?

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Short Note

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों मेंलिखिए 
चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

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Solution

चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मुर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। साधारण लोग धर्म का सही अर्थ और उसके तत्वों को समझ नहीं पाते और उनकी इस अज्ञानता का लाभ चालाक लोग उठा लेते हैं। उन्हें आपस में ही लड़ाते रहते हैं।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 B)

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Chapter 5: गणेशशंकर विद्यार्थी - धर्म की आड़ - लिखित (क) [Page 52]

Q 1Q 5Q 2

APPEARS IN

NCERT Class 9 Hindi - Sparsh Part 1

Chapter 5 गणेशशंकर विद्यार्थी - धर्म की आड़
लिखित (क) | Q 1 | Page 52

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चलते पूरजे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं? - chalate pooraje log dharm ke naam par kya karate hain?

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Sparsh

  • 1 रामविलास शर्मा
  • 2 यशपाल
  • 3 बचेंद्री पाल
  • 4 शरद जोशी
  • 5 धीरंजन मालवे
  • 6 काका कालेलकर
  • 7 गणेशशंकर विद्यार्थी
  • 8 स्वामी आनंदगुप्त
  • 9 रैदास [कविता]
  • 10 रहीम [कविता]
  • 11 नज़ीर अकबराबादी [कगुप्तगुप्तगुप्तविता]
  • 12 सियारामशरण गुप्त [कविता]
  • 13 रामधारी सिंह दिनकर [कविता]
  • 14 हरिवंशराय बच्चन [कविता]
  • 15 a अरुण कमल – नए इलाके में [कविता]
  • 15 b अरुण कमल – खुशबू रचते हैं हाथ [कविता]

Sanchayan

  • 1 गिल्लू
  • 2 स्मृति
  • 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी
  • 4 मेरा छोटा -सा निजी पुस्तकालय
  • 5 हामिद खाँ
  • 6 दिये जल उठे

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?

उत्तर:- आज धर्म के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उन्हें ठगा जा रहा है और दंगे-फसाद किए जाते हैं और नाना प्रकार के उत्पात किए जाते हैं।


2. धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

उत्तर:- धर्म के नाम पर हो रहे व्यापार को रोकने के लिए दृढ़ विश्वास और विरोधियों के प्रति साहस से काम लेना चाहिए। कुछ लोग धूर्तता से काम लेते हैं, उनसे बचना चाहिए और बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।


3. लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन-सा दिन बुरा था?

उत्तर:- लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफत, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया। इस प्रकार स्वाधीनता आंदोलन ने एक कदम और पीछे कर लिया जिसका फल आज तक भुगतना पड़ रहा है।


4. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर:- साधारण आदमी धर्म के नाम पर उबल पड़ता है, चाहे उसे धर्म के तत्वों का पता न हो क्योंकि उनको यह पता है कि धर्म की रक्षा पर प्राण तक दे देना चाहिए।


5. धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

उत्तर:- धर्म के दो स्पष्ट चिह्न हैं – शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म।


प्रश्न-अभ्यास (लिखित)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
6. चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर:- चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। उन्हीं मूर्खों के आधार पर वे अपना बड़पन्न और नेतृत्व कायम रखना चाहते हैं। साधारण लोग धर्म का सही अर्थ और उसके तत्वों को समझ नहीं पाते और उनकी इस अज्ञानता का लाभ चालाक लोग उठा लेते हैं। उन्हें आपस में ही लड़ाते रहते हैं।


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7. चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर:- चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म के प्रति निष्ठा और अज्ञानता का लाभ उठाते हैं। साधारण आदमी उनके बहकावे में आ जाते हैं। चालाक आदमी उसे जिधर चाहे उसे मोड़ देता है और अपना काम निकाल लेता है। साथ ही उस पर अपना प्रभुत्व भी जमा लेता है। वे लोग उनकी अज्ञानता का लाभ उठाकर उसकी शक्तियों और उत्साहों का शोषण करते हैं।


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8. आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?

उत्तर:- नमाज पढ़ना, शंख बजाना, नाक दबाना यह धर्म नहीं है, शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के लक्षण हैं। पूजा के ढ़ोंग का धर्म आगे नहीं टिक पाएगा। ऐसी पूजा तो ईश्वर को रिश्वत की तरह होती है। बेईमानी करने और दूसरों को दुःख पहुँचाने की आजादी धर्म नहीं है। इस लिए आगे से कोई भ्रष्ट नेता लोगों की धार्मिक भावनाओं से नहीं खेल सकता। आने वाला समय दिखावे वाले धर्म को नहीं टिकने देगा।


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9. कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा?

उत्तर:- हमारा देश स्वाधीन है। इसमें अपने-अपने धर्म को अपने ढंग से मनाने की पूरी स्वतंत्रता है। यदि कोई इसमें रोड़ा बनता है या धर्म की आड़ लेकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश करते हैं तो वह कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा।


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10. पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर:- पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन के बीच गहरी खाई है। वहाँ धनी लोग निर्धन को चूसना चाहते हैं। उनसे पूरा काम लेकर ही वह धनी हुए हैं। वे धन का लोभ दिखाकर उन्हें अपने वश में कर लेते हैं और मनमाने तरीके से काम लेते हैं। धनियों के पास पूरी सुविधाएँ होती हैं। कठिन परिश्रम करने के बाद भी गरीबों को झोपड़ियों में जीवन बिताना पड़ता है। इसी के कारण साम्यवाद का जन्म हुआ।


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11. कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?

उत्तर:- जो लोग खुद को धार्मिक कहते हैं परन्तु उनका आचरण, व्यवहार अच्छा नहीं है। उनसे वे लोग अच्छे हैं जो नास्तिक हैं, धर्म को बहुत जटिलता से नहीं मानते परन्तु आचरण और व्यवहार में बहुत अच्छे हैं। दूसरों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं, मदद करते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए सीधे सज्जन या अज्ञान लोगों को मूर्ख नहीं बनाते हैं।


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
12. धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर:- चालाक लोग धर्म और ईमान के नाम पर सामान्य लोगों को बहला फुसला कर उनका शोषणकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। वे धर्म के नाम पर दंगे फसाद, लोगों को एक-दूसरे से लड़ाना, हिंसा फैलाना और लोगों की शक्ति का दुरूपयोग करना आदि कई सारे अमानवीय कार्य करते हैं। इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकना अतिआवश्यक है। इसके लिए लोगों को धर्म के अर्थ और तत्वों को सही तरह समझाना व उन्हें जागरूक करना आवश्यक है। लोगों को शिक्षित करके साहस और दृढ़ता से धर्म गुरूओं की पोल खोलनी चाहिए।


13. ‘बुद्धि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर:- बुद्धि पर मार’ का अर्थ है लोगों की बुद्धि में ऐसे विचार भरना जिससे वे गुमराह हो जाएँ। इससे उनके सोचने समझनी की शक्ति नष्ट हो जाए। लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। यहाँ बुद्धि को भ्रमित किया जाता है। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है, वह अपने लिए ले लिया जाता है। फिर इन्हीं नामों अर्थात् धर्म, ईश्वर,ईमान, आत्मा के नाम पर अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए सामान्य लोगों को आपस में लड़ाया जाता है।


14. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर:- हमारा देश स्वाधीन है। इसमें अपने-अपने धर्म को अपने ढंग से मनाने की पूरी स्वतंत्रता है। उसके अनुसार शंख, घंटा बजाना, ज़ोर-ज़ोर से नमाज़ पढ़ना ही केवल धर्म नहीं है। शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के लक्षण हैं।


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15. महात्मा गाँधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:- महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को सर्वोच्च स्थान देते थे। धर्म के बिना वे एक कदम भी चलने को तैयार नहीं थे। वे सर्वत्र धर्म का पालन करते थे। उनके धर्म के स्वरूप को समझना आवश्यक है। धर्म से महात्मा गांधी का मतलब, धर्म ऊँचे और उदार तत्वों का ही हुआ करता है। वे धर्म की कट्टरता के विरोधी थे। प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह धर्म के स्वरूप को भलि-भाँति समझ ले। वे सत्य और अहिंसा को ही परम धर्म मानते थे।


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16. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर:- जन कल्याण हेतु आचरण में शुद्धता अतिआवश्यक है। यदि हम धार्मिक बनेंगे अर्थात् अपना व्यवहार अच्छा, सदाचार पूर्ण रखेंगे तो दूसरों को समझाना भी आसान हो। सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब हम खुद को ही नहीं सुधारेंगे, दूसरों के साथ अपना व्यवहार सही नहीं रखेंगे तब तक दूसरों से क्या आशा रख सकते हैं।


निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
17. उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

उत्तर:- साधारण आदमी धर्म के नाम पर उबल पड़ता है, चाहे उसे धर्म के तत्वों का पता न हो क्योंकि उनको यह पता है कि धर्म की रक्षा पर प्राण तक दे देना चाहिए। धर्म के बारे में अंधविश्वास रखते हैं और इसका फायदा चालाक लोग, स्वार्थी लोग उठा लेते हैं। उनसे अपना स्वार्थ सिद्ध कराते हैं और वे भी उसमें बिना विचारे जुट जाते हैं।


18. यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।

उत्तर:- लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। भारत में धर्म के कुछ महान लोग साधारण लोगों को भ्रमित कर देते हैं। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है,वह अपने लिए ले लिया जाता है। फिर इन्हीं नामों अर्थात् धर्म, ईश्वर, ईमान, आत्मा के नाम पर अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए सामान्य दुरूपयोग कर शोषण करते हैं। साधारण लोगों को आपस में लड़ाया जाता है।


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19. अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।

उत्तर:- नमाज पढ़ना, शंख बजाना, नाक दबाना यह धर्म नहीं है, शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के लक्षण हैं। पूजा के ढ़ोंग का धर्म आगे नहीं टिक पाएगा। ऐसी पूजा तो ईश्वर को रिश्वत की तरह होती है। बेईमानी करने और दूसरों को दुःख पहुँचाने की आजादी धर्म नहीं है। इसलिए आने वाले समय में केवल पूजा-पाठ को ही महत्व नहीं दिया जाएगा बल्कि आपके अच्छे व्यवहार को परखा जाएगा और उसे महत्व दिया जाएगा। आने वाला समय दिखावे वाले धर्म को नहीं टिकने देगा।


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20. तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो !

उत्तर:- निम्न पंक्तियों का आशय यह है कि केवल मानने से ईश्वर का अस्तित्व नहीं रहेगा बल्कि यदि सही मायनों में हम उसका अस्तित्व कायम रखना चाहते हैं तो हमें हिंसा छोड़कर मानवता को अपनाना होगा।


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भाषा अध्ययन
21. उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए –
1. सुगम
2. धर्म
3. ईमान
4. साधारण
5. स्वार्थ
6. दुरूपयोग
7. नियंत्रित
8. स्वाधीनता

उत्तर:- 1. सुगम – दुर्गम
2. धर्म – अधर्म
3. ईमान – बेईमान
4. साधारण – असाधारण
5. स्वार्थ – निःस्वार्थ
6. दुरूपयोग – सदुपयोग
7. नियंत्रित – अनियंत्रित
8. स्वाधीनता – पराधीनता


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22. निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए –
ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर

उत्तर:-

ला लाइलाज, लापता
बिला बिलावजह, बिलानागा
बे बेहद, बेकसूर
बद बदनसीब, बदसूरत
ना नासमझ, नादानी
खुश खुशकिस्मत, खुशहाली
हर हररोज, हरदम
गैर गैरकानूनी, गैरहाजिर

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23. उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए –
उदाहरण : देव + त्व =देवत्व

उत्तर:- नारी + त्व = नारीत्व
प्रभु + त्व = प्रभुत्व
महत् + त्व = महत्त्व
मनुष्य + त्व = मनुष्यत्व
बंधु + त्व = बंधुत्व


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24. निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए –
उदाहरण – चलते-पुरज़े

उत्तर:- पढ़े – लिखे
लड़ाना – भिड़ाना
दिन – भर
सुख – दुःख
मन – माना
नित्य – प्रति
पूजा – पाठ
स्वार्थ – सिद्धि
भली – भाँति
देश – भर


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25. ‘भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए –
उदाहरण – आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है।

उत्तर:- 1. चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं।
2. गाँव के इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व न होने पर भी महत्वपूर्ण थी।
3. झूरी इन्हें फूल की छड़ी से भी न छूता था। उसकी टिटकार पर दोनों उड़ने लगते थे। यहाँ मार पड़ी।
4. कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर हैं, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ जाता हैं, किन्तु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना।
5. उसके चेहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता हैं। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में बदलते नहीं देखा।

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चलते लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं? उत्तर:- चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। उन्हीं मूर्खों के आधार पर वे अपना बड़पन्न और नेतृत्व कायम रखना चाहते हैं

चलते पुर्जे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं तथा साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर: चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर मूर्ख और सीधे लोगों के उत्साह और शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आसानी से अपना बड़प्पन और नेतृत्व कायम रख सकें। Question 2: चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं? उत्तर: साधारण आदमी को धर्म का मतलब लगता है लकीर पीटते रहना।

लेखक चलते पुरज़े लोगों को यथार्थ दोष क्यों मानता है धर्म की आड़ पाठ के आधार पर बताइए?

चालाक लोग उनके साहस और शक्ति का उपयोग अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए करते हैं। उनके इस दुराचार के लिए लेखक चलते-पुरज़े लोगों का यथार्थ दोष मानता है। देश में धर्म की धूम है-का आशय यह है कि देश में धर्म का प्रचार-प्रसार अत्यंत जोर-शोर से किया जा रहा है।

धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है class 9?

धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए दृढ़-निश्चय के साथ साहसपूर्ण कदम उठाना होगा। हमें साधारण और सीधे-साधे लोगों को उनकी असलियत बताना होगा जो धर्म के नाम पर दंगे-फसाद करवाते हैं। लोगों को धर्म के नाम पर उबल पड़ने के बजाए बुद्धि से काम लेने के लिए प्रेरित करना होगा।