भारत में ज्यादातर प्रॉपर्टीज़ के कई मालिक होते हैं, जिसकी वजह से उनके बीच विवाद हो जाते हैं। विवाद से निपटने के लिए, आप विभाजन विलेख (Partition Deed) - ऐसा दस्तावेज जिसपर प्रत्येक मालिक का हिस्सा और अधिकार को अलग-अलग दर्ज किया जाता है, बनवा सकते हैं। हालांकि, विलेख मौखिक भी हो सकता है, लेकिन जब तक कि यह लिखित दस्तावेज न हो, इसका महत्व नहीं होता है। अगर आप विलेख से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप मुकदमा कर सकते हैं। इस ब्लॉग में, हमने विभाजन विलेख (Partition Deed) क्यों आवश्यक है, विभाजन विलेख का फॉर्मेट (Partition Deed Format), विलेख को पंजीकृत करने की प्रक्रिया तथा विभाजन विलेख के लिए आवश्यक दस्तावेज (Partition Deed Documents) के बारे में बताया है। Show
विभाजन विलेख (Partition Deed) क्या है?Partition Deed या विभाजन विलेख एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें किसी प्रॉपर्टी के मालिक का हिस्सा और अधिकार वर्गीकृत होता है। विलेख बन जाने के पश्चात्, प्रॉपर्टी मालिक को किसी अन्य व्यक्ति को प्रॉपर्टी बेचने, गिफ्ट में देने या ट्रॉन्स्फर करने का हक होता है। विभाजन विलेख या Partition Deed अक्सर तब किया जाता है जब किसी प्रॉपर्टी का बंटवारा किया जा रहा हो और इसपर कई लोगों का स्वामित्व हो। प्रॉपर्टी का बंटवारा करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जा सकता हैः
हिंदू कानून के अंतर्गत प्रॉपर्टी का विभाजन क्या है?हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, प्रॉपर्टी के विभाजन का मतलब है कि जब प्रॉपर्टी के मालिक की मृत्यु हो जाती है, तो प्रॉपर्टी को उनके बच्चों के बीच समान रूप से बांटा जाएगा या अगर वसीयत लिखी गई है तो उसके अनुसार विभाजन किया जाएगा। साथ ही, वे सभी प्रॉपर्टी के वारिस होने का समान अधिकार रखते हैं।
यह भी पढ़ें: अचल प्रॉपर्टी क्या है? इसके प्रकार और कानूनी अधिकार प्रॉपर्टी के विभाजन विलेख की आवश्यकता क्यों है?प्रॉपर्टी के कई मालिकों के बीच विवादों से बचने के लिए प्रॉपर्टी के विभाजन विलेख की आवश्यकता होती है। विभाजन विलेख (Partition Deed) को पंजीकृत करवाना अच्छा रहता है ताकि सभी को अपने हिस्से तथा अधिकारों के बारे में पता हो। जब सभी मालिक विभाजन विलेख (Partition Deed) पर सहमति देते हैं, तो आपको विभाजन विलेख (Partition Deed) का पंजीकरण करना होगा। ऐसा हो जाने के बाद, सभी मालिक अपने हिस्सा के संबंध पर निर्णय ले सकते हैं। अगर आपसी सहमति नहीं है तो आप कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकते हैं। विभाजन विलेख पंजीकृत (Partition Deed Register) करते समय ध्यान रखने योग्य बातें?Partition Deed या विभाजन विलेख को पंजीकृत करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें: -
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तेलुगू में प्रॉपर्टी विभाजन विलेख का फॉर्मेट (Partition Deed Format)विभाजन विलेख के लिए आवश्यक दस्तावेज (Partition Deed Documents)Partition Deed या विभाजन विलेख के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी: -
विभाजन विलेख और विभाजन मुकदमा के बीच अंतरकानून के अनुसार, प्रॉपर्टी को विभाजन विलेख (Partition Deed) के माध्यम से विभाजित किया जाना है। अगर आप और प्रॉपर्टी के अन्य मालिक आपस में विभाजन का निर्णय लेते हैं, तो आपको विभाजन विलेख (Partition Deed) पंजीकृत करना चाहिए। अगर नहीं, तो आपको मुकदमा दायर करना होगा और अपने अन्य सह-मालिकों को विभाजन का अनुरोध करना होगा। विभाजन का मुकदमा तब दायर किया जाता है जब आप आपसी सहमति से विभाजन करने में असमर्थ होते हैं। अदालतों से विभाजन विलेख (Partition Deed) पाने के लिए विभाजन मुकदमा दायर किया जाता है। विभाजन के लिए मुकदमा दायर होने के पश्चात् पीड़ित पक्ष, यदि वे मुकदमा लड़ना चाहते हैं, तो विभाजन का मुकदमा दायर होने की तारीख से तीन साल के भीतर अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए। विभाजन विलेख (Partition Deed) पर आयकरविभाजन विलेख या Partition Deed पर कोई कर नहीं देना होता है। प्रॉपर्टी के विभाजन के बाद, लाभार्थी को विलेख पर कर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन पूंजीगत लाभ कर प्रॉपर्टी के प्रकार के अनुसार अर्जित होगा।
यह भी पढ़ें: भारत में प्रॉपर्टी पर पूंजीगत लाभ कर की गणना कैसे करें क्या हमें विभाजन विलेख (Partition Deed) पंजीकृत करना चाहिए?भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 के अनुसार, विभाजन विलेख (Partition Deed) को पंजीकृत करना अनिवार्य है। विलेख को 1000 रुपये की स्टांप ड्यूटी देकर पंजीकृत कराया जा सकता है। याद रखें कि पंजीकृत न कराने पर विलेख को किसी भी उद्देश्य हेतु सबूत के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
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