बैलोंकी देखभाल क्यों हो रही थी? - bailonkee dekhabhaal kyon ho rahee thee?

  Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | दो बैलों की कथा ― प्रेमचंद  

  JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Prose Chapter 1 

                    1. दो बैलों की कथा ― प्रेमचंद


जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब

किसी आदमी को परले दरजे का येवकूफ कहना चाहते हैं, तो उसे

गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ है, या उसके सीधेपन, उसकी

निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं

किया जा सकता। गायें सींग मारती है, व्याही हुई गाय तो अनायास ही

सिंहनी का रूप धारण कर लेती हैं। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है,

लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है। किन्तु गधे को कभी

क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मसरो, चाहे

जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी

असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी।

(क) लेखक ने जानवरों में गधे को बुद्धिमान क्यों कहा है?

उत्तर― समझादारी, बुद्धिमानी मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों में मिलती है, लेकिन

जानवरों में भी गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान होता है, क्योंकि वह सीधा और

कर्मठ होता है. उसे ज्ञान है, कि जानवर होने के कारण कर्म करना ही

उसकी नियति और इसे नकारना बेवकूफी ही है।


(ख) मूर्ख आदमी को 'गधा' क्यों कहा जाता है?

उत्तर― आजकल 'गधा शब्द मूर्ख व्यक्ति का प्रतीक है, क्योंकि जो व्यक्ति समय,

परिस्थिति के अनुसार नहीं चलता, नहीं बदलता है. उसे लोग मूर्ख कहते

हैं। गधा भी हर स्थिति में मूक बना काम करता रहता है, पिटता है, लेकिन

बदलता नहीं है।


(ग) लेखक की दृष्टि में गधा क्या सचमुच मूर्ख है?

उत्तर― लेखक गधे को मूर्ख नहीं मानता है। उसका मानना है कि गधे के सीधेपन

को मूर्खता का यथार्थ समझा जा रहा है वस्तुत: गधा सीधा है। मूर्ख नहीं।


2. देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है? क्यों

अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता? बेचारे शराब नहीं पीते, चार

पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जीतोड़कर काम करते हैं,

किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं

फिर भी बदनाम हैं। कहा जाता है, वे जीवन के आदर्श को नीचा करते

हैं। अगर वे भी ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते, तो शायद

सभ्य कहलाने लगते। जापान की मिशाल सामने है। एक ही विजय ने

उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।

(क) लेखक ने प्रवासी भारतीयों की किस दशा का वर्णन किया है?

उत्तर― लेखक ने प्रवासी भारनतीयों के सीधेपन, भोलेपन को उजागर किया है।

जो कमाने के लिए विदेशों में अपने सीधेपन से काम करते रहते हैं, पैसे

जोड़ते हैं, दु:ख उठाते हैं लेकिन फिर भी उपेक्षित होते हैं, शोषण का

शिकार होते हैं।


(ख) प्रवासी भारतीयों की दुर्दशा का मूल कारण क्या है?

उत्तर― प्रवासी भारतीयों की दुर्दशा का मूल कारण है उनका सीधापन, उनकी

सरलता, उनकी संवेदनशीलता। इसी कारण वे कभी व्यावहारिक नहीं बन

पाते हैं। उन देशों की संस्कृति के अनुकूल नहीं बन पाते हैं और कष्ट भोगते

हैं।


(ग) प्रवासी भारतीय कब सभ्य कहलाने लगते हैं ?

उत्तर― प्रवासी भारतीय तब सभ्य कहलाने लगते हैं, जब वे ईंट का जवाब पत्थर

से देना सीख जाते हैं। व्यावहारिक बन कर ही सभ्य कहलाते हैं।


3. लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा

है, और वह है 'बैल'। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ

उसी से मिलते-जुलते अर्थ मे 'बछिया के ताऊ' का भी प्रयोग करते

हैं। कुछ लोग बैल को शायद येवकूफों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे; मगर हमारा

विचार ऐसा नहीं हैं बैल कभी-कभी मारता भी है, कभी-कभी

अड़ियल बैल भी देखने में आता है और भी कई रीतियों से अपना

असंतोष प्रकट कर देता है। अतएव उसका स्थान गधे से नीचा है।

(क) गधे का छोटा भाई किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर― गधे का छोटा भाई 'बैल' को कहा गया है। बैल को जय हम 'बछिया का

ताऊ' कहते हैं तब उसे मूर्ख के अर्थ में ही प्रयोग करते हैं।


(ख) कुछ लोग बैल को किनमें गिनते है? लेकिन लेखक क्या मानता है?

उत्तर― कुछ लोग बैल को बेवकूफों में सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। पर लेखक ऐसा नहीं

मानता।


(ग) लेखक के अनुसार बैल का स्थान कहा है?

उत्तर― लेखक के अनुसार बैल का स्थान गधे से नोचा है क्योंकि वह गधे जितना

सहनशील नहीं है और अपना विरोध दिखा देता है।


4. 'झूरी काछी के दोनों बैलों के नाम थे हीरा और मोती। दोनों पछाई

जाति के थे-देखने में सुंदर, काम में चौकस, डी ल में ऊँचे। बहुत दिनों

साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था। दोनों आमने-सामने या

आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक भाषा में विचार-विनिमय करते

थे। एक दूसरे के मन की बात कसे समझ जाता था, हम नहीं कह

सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में

श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को

चाटकर और संघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग

भी मिला लिया करते थे-विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव

से, आत्मीयता के भव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल-धप्पा

होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हल्की-सी रहती

है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।

(क) झूरी के दो बैलों के नाम क्या थे? उनका रूप-रंग, आकार कैसा था ?

उत्तर― झूरी के पास दो बैल थे। उनके नाम थे-हीरा और मोती। वे पछाई जाति

के थे। वे देखने में सुंदर थे, डील-डौल में वे बहुत ऊँचे थे। वे काम में

चौकस थे।


(ख) मनुष्य किस बात से वंचित है?

उत्तर― मनुष्य जिस श्रेष्ठता का दावा करता है, वास्तव में वह उससे वंचित है।

दोनों बैलों में जो गुप्त शक्ति थी, वह मनुष्य के पास नहीं है।


(ग) दोनों बैलों की आपसी मित्रता कैसी थी?

उत्तर― दोनों बैलों में भाईचारा था। दोनों एक-दूसरे के मन की बात समझ जाते

थे। दोनों एक दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते। और

कभी-कभी आत्मीयता और विनोद से सींग मिला लिया करते थे।


5. संध्या समय दोनों बैल अपने नये स्थान पर पहुँचे। दिन-भर के भूखे

थे, लेकिन जब नौद में लगाए गए तो एक ने भी उसमें मुँह न डाला।

दिल भारी हो रहा था। जिसे उन्होंने अपना घर समझ रखा था, वजह

आज उनसे छूट गया था। यह नया घर, नया गाँव, नये आदमी, उन्हें

बेगानों-से लगते थे।

दोनों ने अपनी मूक भाषा में सलाह दी, एक-दूसरे को कनखियों से

देखा और लेट गए। जब गाँव में सोता पड़ गया, तो दोनों ने जोर

मारकर पगहे तुड़ा डाले और घर की तरफ चले । पगहे बहुत मजबूत

थे। अनुमान न हो सकता था कि कोई बैल उन्हें तोड़ सकेगा; पर इन

दोनों में इस समय दूनी शक्ति आ गई थी। एक-एक झटके में रस्सियाँ

टूट गई।


(क) बैल कब, कहाँ पहुँच गए?

उत्तर― हीरा और मोती दोनों बैल संध्या के समय गया के घर पहुँच गए। उन्हें

झूरी ने गया को सौंप दिया था।


(ख) थैलों को क्या अनुभव हो रहा था।

उत्तर― बैलों को गया के घर बगाना-सा लग रहा था। यद्यपि ये दिन भर के भूखं

थे फिर भी उन्होंने नौद में मुँह तक नहीं डाला। उनका दिल भारी हो रहा

था। उनका अपना घर टूट गया था।


(ग) रात के समय उन बैलों ने क्या किया?

उत्तर― रात के समय जब गाँव के लोग सौ गए तब दोनों बैलों ने अपनी-अपनी

रस्सियों को तोड़ डाला। यद्यपि पैर में बंधी रस्सियाँ मजबूत थी; पर उस

समय उनमें दुगनी शक्ति आ गई थी। एक झटके में रस्सियों टूट गई।


6. झूरी प्रात:काल सोकर उठा, तो देखा कि दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं।

दोनों की गरदनों में आधा-आधा गराँव लटक रहा है। घुटने तक पाँव

कीचड़ से भरे हैं और दोनों की आँखों में विद्रोहमय स्नेह झलक रहा

है।

झूरी बैलों को देखकर स्नेह से गदगद हो गया। दौड़कर उन्हें गले लगा

लिया। प्रमालिंगन और चुबन का यह दृश्य बड़ा ही मनोहर था।

घर और गाँव के लड़के जमा हो गए और तालियाँ बजा-बजाकर उनका

स्वागत करने लगे। गाँव के इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व न होने पर

भी महत्वपूर्ण थी। बाल-सभा ने निश्चय किया, दोनों पशु-वीरों को

अभिनंदन पत्र देना चाहिए। कोई अपने घर से रोटियाँ लाया, कोई गुड़,

कोई चोकर, कोई भूसी।


(क) झूरी ने कब, क्या देखा?

उत्तर― झूरी जब प्रात:काल सोकर उठा तब उसने देखा कि दोनों बैल (हीरा और

मोती) चरनी पर खड़े हैं।


(ख) झूरी ने वहाँ क्या दृश्य देखा?

उत्तर― झूरी ने देखा कि दोनों बैलों की गरदनों में आधी-आधी रस्सी के टुकड़े

लटक रहे हैं। उनके पैर कीचड़ से सने हैं और उन दोनों की आँखों में

विद्रोह और स्नेह का मिला-जुला रूप झलक रहा है।


(ग) झूरी ने बैलों को देखकर क्या प्रतिक्रिया प्रकट की?

उत्तर― जब झूरी ने अपने दोनों बैलों को वापस आया देखा तो वह स्नेह से गदगद

हो गया। उसने दौड़कर उन्हें गले से लगा लिया। प्रमालिंगन और चुबन का

यह दृश्य बड़ा अच्छा लग रहा था।


7. दोनों बैलों का ऐसा अपमान कभी न हुआ था। झूरी इन्हें फूल की छड़ी

से भी न छूता था। उसकी टिटकार पर दोनों उड़ने लगते थे। यहाँ मार

पड़ी। आहत-सम्मान की व्यथा तो थी ही, उस पर मिला सूखा भूसा !

नाँद की तरफ आँखें तक न उठाई।

दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता, पर इन दोनों ने जैसे पाँव

न उठाने की कसम खा ली थी। वह मारते-मारते थक गया; पर दोनों

ने पाँव न उठाया। एक बार जब उस निर्दयी ने हीरा के नाम पर खूब

डंडे जमाए, तो मोती का गुस्सा काबू के बाहर हो गया। हल लेकर

भागा। हल, रस्सी, जुआ, जोत, सब टूट-टाट कर बराबर हो गया। गले

में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ न होतीं, तो दोनों पकड़ाई में न आते।


(क) दोनों बैलों का अपमान क्यों और कैसे हुआ?

उत्तर― गयाने दोनों बैलों को बहुत मोटी और मजबूत रस्सियों से बाँध दिया। उसने

बैलों को शरारत का मजा चखाने के लिए उनके सामने सूखा भूसा डाल

दिया। साथ ही अपने बैलों के सामने खली, चूनी सब डाल दी। इससे हीरा

और मोती ने अपमान अनुभव किया।


(ख) दोनों बैल किस भाषा को जानते थे?

उत्तर― हीरा और मोती दोनों बैल प्रेम की भाषा समझते थे। वे अपने मालिक की

टिटकार सुनकर ही उड़ने लगते थे। उनके पाँवों में चुस्ती-फुर्ती आ जाती

थी।


(ग) दूसरे दिन बैलों को हल में क्यों जोता गया था?

उत्तर― पहले दिन बैलों में बंधन और उपेक्षा अस्वीकारते हुए भागने का प्रयास

किया था, अतः सजा रूप में दूसरे दिन उन्हें हल में जोता गया।


8. आज दोनों के सामने फिर वही सूखा भूसा लाया गया। दोनों चुपचाप

खड़े रहे। घर के लोग भोजन करने लगे। उस वक्त छोटी-सी लड़की

दो रोटियाँ लिए निकली, और दोनों के मुंह में देकर चली गई। उस

एक रोटी से इनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को

मानो भोजन मिल गया। यहाँ भी किसी सज्जन का वास है। लड़की भैरो

की थी। उसकी माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी,

इसलिए इन बैलों से उसे एक प्रकार का आत्मीयता हो गई थी।

दोनों दिन-भर जोते जाते, डंडे खाते, अड़ते। शाम को थान पर बाँध

दिए जाते और रात को वही बालिका उन्हें दो रोटियाँ खिला जाती

प्रेम के इस प्रसाद की यह बरकत थी कि दो-दो गाल सूखा भूसा

खाकर भी दोनों दुर्बल न होते थे, मगर दोनों की आँखों में, रोम-रोम

में विद्रोह भरा हुआ था।

(क) दोनों के सामने सूखा भूसा क्यों लाया गया ?

उत्तर― गया दोनों बैलों को मजा चखाना चाहता था इसीलिए उसने जान-बूझकर

दोनों के सामने सूखा-भूसा डाल दिया।


(ख) छोटी लड़की उन्हें दो रोटियाँ क्यों देकर चली गई?

उत्तर― छोटी लड़की को उसकी सौतेली माँ मारती रहती थी। इन बैलों पर

अत्याचार होते देख उसे इनसे एक प्रकार की आत्मीयता हो गई थी। अतः

जब घर के लोग भोजन कर रहे थे, तब वह इन्हें दो रोटियाँ देकर चली

गई।


(ग) दोनों बैलों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा था?

उत्तर― गया के घर में दोनों बैलों के साथ बहुत बुरा व्यवहार हो रहा था। दिन

भर उनसे काम लिया जाता फिर भी उन पर डंडे पड़ते थें शाम को थान

पर बाँध दिया जाता था। उन्हें खाने को सूखा-भूसा दिया जाता था। दोनों

बैलों की आँखों में विद्रोह झलकता था।


9. दोनों मित्रों को जीवन में पहली बार ऐसा साबिका पड़ा कि सारा दिन

बीत गया और खाने को एक तिनका भी न मिला। समझ ही में न आता

था, यह कैसा स्वामी है। इससे तो गया फिर भी अच्छा था। कई

भैंसे थीं, कई बकरियाँ, कई घोड़े, कई गधे; पर किसी के सामने चारा

न था, सब जमीन पर मुरदों की तरह पड़े थे। कई तो इतने कमजोर

हो गए थे कि खड़े भी न हो सकते थे। सारा दिन दोनों मित्र फाटक

की ओर टकटकी लगाए ताकते रहे; पर कोई चारा लेकर आता न

दिखाई दिया। तब दोनों ने दीवार की नमकीन मिट्टी चाटनी शुरू की,

पर इससे क्या तृप्ति होती।

(क) इससे पहले हीरा-मोती किस-किसके आश्रय में रहे थे? यहाँ उन्हें कैसा

व्यवहार मिला?

उत्तर― कांजीहौस से पहले हीरा-मोती झूरी और गया के आश्रय में रहे थे। झूरी

के घर में उन्हें पूरा मान-सम्मान और अपनापन मिला। गया के घर में उन्हें

अपनापन तो नहीं मिला, परन्तु पेट भरने के लिए अन्न जरूर मिला। वे

दोनों आश्रयदाता कांजी हौस के मालिक से अच्छे थे।


(ख) काजीहौस में पशुओं की जो दुर्दशा थी, उसका वर्णन करें।

उत्तर― कांजीहौस में पशुओं की हालत बहुत शोचनीय थी। सबके सब भूखे-प्यासे

थें उन्हें कई दिनों से खाने को कुछ नहीं मिला था। इस कारण वे मुरदों

की तरह जमीन पर पड़े थे। कमजोरी के कारण वे खडे भी नहीं हो पाते

थे।


(ग) आप कैसे कह सकते हैं कि यह चित्रपण अंग्रेजों की जेलों की ओर

संकेत करता है?

उत्तर― यह कहानी परतंत्र भारत की दुर्दशा दिखाने के लिए लिखी गई है।

कांजीहौस वह जगह है जहाँ आवारा पशु बाँधे जाते थे। इसके मालिक

पशुओं के साथ ऐसी क्रूरता दिखाते थे जो कि विदेशी शासकों की मूरता

की याद दिलाती है। अंग्रेज शासक भी भारतीय विद्रोहियों के साथ ऐसी

हो क्रूरता से पेश आते थे। इसलिए हम कह सकते हैं कि यह चित्रण

अंग्रेजों की जेल को याद कराता है।


10. एक सप्ताह तक दोनों मित्र वहाँ बंधे पड़े रहे। किसी ने चारे का एक

तृण भी न डाला। हाँ, एक बार पानी दिखा दिया जाता था। यही उनका

आधार था। दोनों इतने दुर्थल हो गए थे कि उठा तक न जाता था,

ठठरियाँ निकल आई थीं।

एक दिन बाड़े के सामने डुग्गी बजने लगी और दोपहर होते-होते

पचास-साठ आदमी जमा हो गए। तब दोनों मित्र निकाले गए और

उनकी देखभाल होने लगी। लोग आ-आकर उनकी सूरत देखते और

मन फीका करके चले जाते। ऐसे मृतक बैलों का कौन खरीदार होता?

सहसा एक दड़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत

कठोर, आया और दोनों मित्रों के कूल्हों में उँगली गोदकर मुंशी जी से

बातें करने लगा। उसका चेहरा देखकर अंतर्ज्ञान से दोनों मित्रों के दिल

काँप उठे। वह कौन है और उन्हें क्यों टटोल रहा है, इस विषय में उन्हें

कोई संदेह न हुआ। दोनों ने एक-दूसरे को भीत नेत्रों से देखा और सिर

झुका लिया।


(क) कौन दोनों मित्र कहाँ बंधे पड़े रहे?

उत्तर― हीरा और मोती दोनों मित्र एक सप्ताह तक काँजीहौस में बंधे पड़े रहे।


(ख) वहाँ उनके साथ कैसा व्यवहार होता?

उत्तर― वहाँ उनको चारे का एक तिनाक भी न दिया जाता। केवल एक बार पानी

दिखा दिया जाता था।


(ग) एक दिन बाड़े के सामने क्या हुआ?

उत्तर― एक दिन बाड़े के सामने डुग्गी बजने लगी पचास-साठ लोग वहाँ जमा

हो गए। दोनों मित्रों को बाहर निकाला गया। लोग उनको देखते और मन

फीका करके चले जाते।


                          लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 


1. कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?

उत्तर― कांजीहौस वह स्थान है जहाँ लावारिस पशुओं को जो फसलों को नष्ट

करते हों या फिर लोगों को परेशान करते हों, उन्हें कैद किया जाता है।

वहाँ भैंस, बकरियाँ, घोड़े, गधे आदि मवेशी कैद किए गए थे। वहाँ कैद

किए गए पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती थी, जससे यह पता चल

सके कि सभी पशु मवेशीखाने में उपस्थित हैं। हाजिरी लेकर यह पता

लगाया जाता था कि कहीं कोई पशु भाग तो नहीं गया।


2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?

उत्तर― छोटी बच्ची का हीरा और मोती के प्रति प्रेम एवं आत्मीयता का संबंध होना

बहुत ही स्वाभाविक था, क्योंकि उस बच्ची की सौतेली माँ उस पर खूब

अत्याचार किया करती थी। मानसिक यातनाएँ देती थी। वह प्रेम व स्नेह

की भूखी थी। बच्ची दोनों बैलों की व्यथा एवं आंतरिक पीड़ा को

भावात्मक धरातल पर समझती थी। अतः अपना प्रेम प्रकट करने के लिए

वह प्रतिदिन दोनों बैलों को एक-एक सूखी रोटी खिला दिया करती थी।


3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति विषयक मूल्य

उभरकर आए हैं?

उत्तर― प्रस्तुत कहानी में हीरा व मोती नामक दो बैलों के माध्यम से प्रेमचंद ने कई

नीति विषयक मूल्यों को उभारा है, जैसे-

(क) हीरा और मोती की मित्रता के माध्यम से लेखक ने बताना चाहा

है कि सच्चा मित्र वही है जो संकट आने पर एक दूसरे का साथ दे। हीरा

और मोती भी विपत्ति आने पर एक होकर उसका सामना करते हैं।


(ख) मोती जब बच्ची की माँ को मारना चाहता है तब हीरा के कथन

द्वारा समाज में नारी-जाति के प्रति आदर व सम्मान का भाव दृष्टिगत होता

है।


(ग) हीरा और मोती के दो बार गया के पास से भाग कर अपने स्वामी

के पास आने में स्वामी-भक्ति की भावना का आभास मिलता है।


(घ) काँजीहौस में कैद अन्य पशुओं को आजाद कराने में तथा सींग

मारकर गधों को बाहर करने में परोपकार की भावना दिखाई पड़ती है।


(ङ) हीरा और मोती के इस कथन में कि जिन पशुओं को हमने स्वतंत्र

कराया है, वह भी हमें आशीर्वाद देंगे-इस कथन द्वारा ईश्वर के प्रति आस्था

व विश्वास का भाव उमड़ता है।


4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद के गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के

आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' का प्रयोग न कर किस नए

अर्थ की ओर संकेत किया है?

उत्तर― प्रायः लोग गधे को रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' के संदर्भ में प्रयुक्त करते हैं, पर

लेखक ने गधे की स्वभावगत विशेषताएँ बताते हुए उसे सीधा और सहिष्णु

की वजह से उसे यह पदवी दी गई है। गधे में तो वे सभी गुण पराकाष्ठा

को पहुँच गए हैं, जो ऋषि-मुनियों में अपेक्षित माने जाते हैं।


5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती

थी?

उत्तर― निम्नांकित घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी मित्रता

थी-

(क) दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते,

कभी-कभी दोनों सींग मिला लिया करते थे।


(ख) दोनों बैल हल या गाड़ी में जोते जाने पर यही चेष्टा करते थे कि

ज्यादा-से-ज्यादा बोझ उसी के गर्दन पर रहे।


(ग) दोनों बैल अपनी मूक भाषा में सलाह करके गया के यहाँ से

रस्सियाँ तुड़ाकर वापस झूरी के यहाँ आ पहुँचे।


(घ) विरोधस्वरूप दोनों बैलों ने गया के हल में जोते जाने पर पाँव भी

न उठाया था।


(ङ) दोनों बैलों ने मिलकर खेत में मटर चरी।


(च) दोनों बैलों ने मिलकर साँड को मार गिराया।


(छ) मोती हीरा को काँजीहौस में अकेला छोड़कर नहीं भागा जबकि

उसके सामने ऐसा करने का अवसर था।


(ज) दोनों बैल दढ़ियाल आदमी से जान छुड़कार इकट्ठे भागे थे।


6. "लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।"

लेखक ने हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति किस सामाजिक

विडंबना को इंगित किया है?

उत्तर― हीरा के उपरोक्त कथन के माध्यम से हमें ज्ञात होता है कि प्रेमचंद नारी

को सम्मान की दृष्टि से देखते थे। नारी स्वयं को अनेक रूपों में ढाल कर

अपने उत्तरदायित्वों का पूरी निष्ठा से निर्वाह करने वाली हैं। वह अलग

बात है कि परिस्थितिवश उसके स्वभाव में थोड़ा-बहुत परिवर्तन आ जाए

तो उसे हीन दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। माना क हमारा समाज पुरुष प्रध

न समाज है। फिर भी प्रेमचंद ने नारी के त्याग, श्रद्धा और प्रेम की साकार

मूर्ति के रूप में स्वीकार किया है।


7. किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को

कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है ?

उत्तर― किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य का घनिष्ठ संबंध होता है।

आपसी लगाव के कारण दोनों का एक-दूसरे के बिना रहना दुखदायी

हो जाता है। झूरी जब अपने दोनों बैलों हीरा और मोती को अपने से

अलग करता है तो वह बड़ा बेचैन होता है और हीरा-मोती भी उसके

विषय में उल्टा ही सोचते हैं। लेकिन जब हीरा और मोती भागकर वापस

उसके पास आ जाते हैं तो वह बड़ा प्रसन्न होता है। तरह-तरह के दुःख

उठाने और बिकने के बाद भी हीरा और मोती अपने पहले मालिक झूरी

को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते हैं। किसान अपने पशुओं को परिवार

के सदस्यों के समान स्नेह देता है और देखभाल करता है तो पशु भी

उसके आत्मीयता युक्त भाव से स्नेह के बंधन में बंधकर सदैव उसके

साथ रहना चाहते हैं।


8. 'इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब

तो आशीर्वाद देंगे-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ

बताइए।

उत्तर― हीरा तो रस्सी में बँधा था और मोती ने सोंग मार-मार कर काजीहौस की

आधी दीवार को गिरा दिया था। दीवार के टूटते ही वहाँ बंद नौ-दस प्राणी

(जानवर) भाग गए। मोती हीरा की वजह से नहीं भागा। मोती को इस

बात पर गर्व है कि उसके प्रयास से नौ-दस प्राणियों की जान बच गई।

इस घटना से मोती की यह विशेषता पता चलती है क वह परोपकारी है।

वह सच्चा मित्र भी है क्योंकि वह अपने स्वार्थ के लिए हीरा को अकेला

छोड़कर नहीं भागा, जबकि वह चाहता तो भाग सकता था। मोती साहसी

भी है।


9. मटर के खेत में घुसने की क्या सजा दोनों बैलों को मिली?

उत्तर― दोनों बैलों के सामने मटर का खेत ही था। मोती उसमें घुस गया। हीरा

मना करता रहा, पर उसने एक न सुनी। अभी दो चार ग्रास ही खाए थे

कि दो आदमी लाठियाँ लिए दौड़ पड़े और दोनों मित्रों को घेर लिया। हीरा

तो मेड़ पर था, निकल गया। मोती सींचे हुए खेत में था। उसके खुर कीचड़

में धंसने लगे। न भाग सका। पकड़ लिया। हीरा ने देखा संगी संकट में

है तो लौट पड़ा। फंसेंगे तो दोनों फंसेंगे। रखवालों ने उसे भी पकड़ लिया।


10. दढ़ियल व्यक्ति कौन था? वह क्या चाहता था? बैलों को वह कैसा

आदमी लगा?

उत्तर―दढ़ियल व्यक्ति नीलामी में बैलों को खरीदने आया था। वह बैलों की दशा

भाँप लेना चाहता था। उस दढ़ियल आदमी ने जिसकी आँखें लाल थीं और

मुद्रा अत्यंत कठोर थी, दोनों मिों के कूल्हों में उँगली गोदकर मुंशी जी

से बात करने लगा। उसका चेहरा देखकर अन्तर्ज्ञान से दोनों मित्र के दिल

काँप उठे। वह कौन है और उन्हें क्यों टटोल रहा है, इस विषय में उन्हें

कोई संदेह न हुआ। दोनों ने एक-दूसरे को भीत नेत्रों से देखा और सिर

झुका लिया।


11. 'अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता

का दावा करने वाला मनुष्य भी वंचित है।" आशय स्पष्ट करें।

उत्तर― यहाँ प्रेमचंद ने बताया कि हीरा और मोती मूक-भाषा में विचारों का

आदान-प्रदान करते थे। वे बिना कुछ कहे एक-दूसरे के भाव और विचार

समझ लेते थे। हमेशा साथ-साथ रहने के कारण दोनों में गहरी दोस्ती हो

गई थी और दोनों ने ही एक-दूसरे को अच्छी तरह से जान और समझ

लिया था। प्रेम, आत्मीयता और घनिष्ठता के गुणों के बल पर ही वे

एक-दूसरे के मन की बात जान लेते थे। यही उनकी शक्ति थी जिसके

कारण श्रेष्ठ जीव मनुष्य भी उनसे पिछड़ गया।


12. 'उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय

को मानों भोजन मिल गया।' आशय स्पष्ट करें।

उत्तर― प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि प्रेम और सहानुभूति का सहारा मिलने पर

प्राणी बड़ा से बड़ा दुःख भी भूल जाता है। जब भैरों की बेटी भूख से

व्याकुल हीरा और मोती को एक-एक रोटी खिलाती है तो इस सहानुभूति

को पाकर उनकी आत्मा प्रसन्न हो जाती है और आनन्दनुभूति के बल पर

स्वयं को तृप्त अनुभव करते हैं।


13. 'दो बैलों की कथा' में लेखक ने दुर्दशा के किन कारणों का चित्रण

किया है?

उत्तर― 'दो बैलों की कथा' में मुंशी प्रेमचंद ने बताया है कि आज के इस संसार

में सरलता, सीधापन, सहनशीलता आदि गुणों का कोई मूल्य नहीं है। इनके

कारण मनुष्य का शोषण ही होता हैं आज का मनुष्य शक्तिशाली को

सम्मान देता है, संघर्षशील को सभ्य मानता है। लेखक ने स्वयं प्रश्न

उठाया है कि अफ्रीका और अमरीका में भारतीयों का सम्मान क्यों नहीं

है? क्योंकि वे सीधे-सादे परिश्रमी हैं। इसके विपरीत जापान ने युद्ध में

अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके दुनिया भर में सम्मान अर्जित कर लिया।

कहानी में हीरा-मोती अपनी सरलता और सहनशीलता के कारण शोषण

के शिकार होते हैं। जैसे ही वे सींग चलाते हैं या विद्रोह करते हैं, उन पर

अत्याचार होने कम हो जाते हैं।


14. सच्चे मित्रों की क्या पहचान होती है? क्या हीरा-मोती अच्छे मित्र हैं?

उत्तर― सच्चे मित्र आपस में खूब घूल-मिलकर रहते हैं। वे कभी-कभी आपस

में धौल-धप्पा, शरारत या कुलेल-क्रीड़ा भी करते है। इससे उनका प्रेम

बढ़ता है। वे गहरे मित्र बनते हैं। प्रेमचंद के शब्दों में -' इसके बिना दोस्ती

कुछ फुसफुसी, कुछ हल्की-सी रहती है जिस पर कुछ विश्वास नहीं किया

जा सकता।'


                                                  ◆◆

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दो बैल कहानी का मूल उद्देश्य क्या है समझाइए?

दो बैलों की कथा में बैलों के माध्यम से लेखक अपने विचार समाज के समक्ष रखता है। इस कहानी में दो मित्र बैल अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं। यह कहानी दो बैलों के बीच में घनिष्ठ भावात्मक संबंध को दर्शाती है। यह कहानी मनुष्य और जानवर के बीच में उत्पन्न परस्पर संबंध का सुंदर चित्र भी प्रस्तुत करती है।

दो बैलों की कथा पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। जैसे हीरा और मोती ने अपनी आज़ादी को पाने के लिए हर कष्ट सहे।

बैलों को देखकर झूरी ने क्या किया?

झूरी बैलों को देखकर स्नेह से गद्गद हो गया। दौड़कर उन्हें गले लगा लिर प्रेमालिंगन और चुंबन का वह दृश्य बड़ा ही मनोहर था। घर और गाँव के लड़के जमा हो गए और तालियाँ बजा बजाकर उनका स्वार करने लगे। गाँव के इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व न होने पर भी महत्वपूर्ण छ

दो बैलों की कथा पाठ का मूल भाव क्या है?

उत्तर- दो बैलों की कथा कहानी में प्रेमचंद ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार पशु और मानव में परस्पर प्रेम होता है इस प्रकार इस कहानी का मूल संदेश पशु और मानव के भावात्मक संबंधों को उजागर करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है ।