हिन्दी के कविनागार्जुन(जन्म 1911 ई.) Show नागार्जुन का मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था। इनका जन्म दरभंगा जिले में तरौनी गांव में हुआ। संस्कृत की उच्च शिक्षा काशी में पाई। नागार्जुन ने सोवियत संघ, श्रीलंका तथा तिब्बत की यात्राएं कीं, किसान आंदोलन में भाग लिया और जेल गए। ये जनवादी कवि थे। इनके मुख्य कविता संग्रह हैं- 'सतरंगे पंखों वाली, 'प्यासी पथराई आंखें, 'खिचडी विप्लव देखा हमने, 'तुमने कहा था, 'हजार-हजार बांहों वालीं, 'आखिर ऐसा क्या कर दिया मैंने आदि। उपन्यास 'बाबा बटेसर नाथ पुरस्कृत हुआ। मैथिली काव्य-संग्रह 'पत्रहीन नग्न गाछ पर को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। कालिदास कालिदास! सच-सच बतलाना बहुत दिनों के बाद बहुत दिनों के
बाद- बहुत दिनों के बाद कविता व्याख्या सहित। नागार्जुन घुमक्कड़ कभी यात्री उपनाम गांव तरौनी।
व्याख्या – बहुत दिनों के बाद कविता की व्याख्या कवि घुमक्कड़ स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें एक जगह टिक कर रहना नहीं आता था। वह कभी इधर तो कभी उधर घूमा करते थे , और जब वह अपने गांव लौट कर आते थे तो अपने गांव की मिट्टी से उन्हें बहुत लगाव था। वह यहां जितने समय रहते उतना समय उस माटी से अनुपम प्रेम किया करते थे। यहां जी भर के जीवन जिया करते थे , लौट आने के बाद पांचों इंद्रियों से सुख की प्राप्ति किया करते थे। इस कविता में उन्हीं पांच इंद्रियों द्वारा प्राप्त किए गए सुख का वर्णन किया गया है। पहली पंक्ति में आंखों की अनुभूति है उन्होंने यहां लौटकर गांव में पक्की पक्की सुनहरी फसलों को उसकी मुस्कान को लहलहाते खेत को देखा , जो कहीं और दूसरे देश में दुर्लभ था और वह भी इस प्रकार की फसल कवि के गांव तरौनी का वर्णन वैसे भी प्राकृतिक सुंदरता के तौर पर किया जाता है। बहुत दिनों के बाद मुझे ग्रामीण प्रकृति का रमणीय एवं मोहक रूप देखकर आनंद का अनुभव हुआ। मैंने वहां की सुनहरी फसलों को मुस्कुराते पाया धान कूटती युवती किशोरियों को मस्त होकर कोमल कंठों से गीत गाते हुए देखा। बहुत दिनों के बाद मैंने गांव में ताजे – ताजे मौलसरी के फूलों की सुगंधित दिव्य सुगंध का अनुभव किया। बहुत दिनों के बाद मैंने पगडंडी पर बिखरी चंदन वर्णी धूल को छूकर अनुभव किया कवि उपर्युक्त पूरे काव्य में ग्रामीण वातावरण का वर्णन कर रहे हैं जो शहर में दुर्लभ है। बहुत दिनों के बाद जब कभी गांव जाते हैं तो वहां ताल मखाने जी भर कर खाते हैं। गन्ने को चूसते हैं उसका रस पीते हैं जो शहरी जिंदगी में उपलब्ध नहीं होता। गांव में ही कुछ समय तक रहकर जी भरकर रस , रूप , गंध , शब्द , शब्द , स्पर्श आदि अनेक प्रकार का अनुभव करते हैं। सभी इंद्रियों की अनुभूति करते हैं इसी का अनुभव वह इस काव्य में करते हैं। काव्य विशेष –
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कुछ दिनों बाद कवि ने क्या महसूस किया?Answer: कवि ने गांव लौटने पर जी भर मौलसरी के ताजे – ताजे फूलों की सुगंध को महसूस किया उसकी अनुभूति की। ... अर्थात कभी अपने गांव में वास्तविक जीवन को जीते हैं। बहुत दिनों के बाद मुझे ग्रामीण प्रकृति का रमणीय एवं मोहक रूप देखकर आनंद का अनुभव हुआ।
बहुत दिनों के बाद कविता में नागार्जुन ने किसका वर्णन किया है?अपनी मातृभूमि से प्रेम, उसके हर कण- कण से प्रेम कविता का विषय है।
बहुत दिन के बाद के रचयिता कौन है?स्रोत : पुस्तक : नागार्जुन रचना संचयन (पृष्ठ 31) संपादक : राजेश जोशी रचनाकार : नागार्जुन
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