भारत में यूरोपीय आगमन का क्रम क्या है? - bhaarat mein yooropeey aagaman ka kram kya hai?

भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन (Bharat me European ka Aagman) का कालक्रम और महत्वपूर्ण घटनाएं, पुर्तगाली, ईस्ट इंडिया कंपनी, डच, फ्रांसीसी, डेनिश, आदि भारत में आए थे |

आधुनिक इतिहास के शुरुआत में हम पढ़ेंगे कि भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन कैसे हुआ ? कैसे हजारों किलोमीटर दूर ही रूप से विभिन्न कंपनियां भारत की तरफ आई और व्यापार के साथ यहां पर शासन में शामिल हो गई |

विभिन्न यूरोपीय शक्तियों का भारत और दक्षिण एशिया की तरफ आने का शुरुआती उद्देश्य मसालों का व्यापार था, जिसकी यूरोप में बहुत मांग थी |

महत्वपूर्ण बिंदु -

  • भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन का क्रम
  • पुर्तगालियों का आगमन
  • डचों का आगमन
  • ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन
  • डेनिश का भारत में आगमन
  • फ्रांसीसीयों का आगमन
  • महत्वपूर्ण प्रश्न

भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन का क्रम

क्रम संख्याकंपनी का नामआने का वर्ष1.पुर्तगाली14982.ईस्ट इंडिया कंपनी (UK)16003.डच (नीदरलैंड)16024.डेनिश (डेनमार्क)16165.फ्रांस1664भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन

भारत में यूरोपीय आगमन का क्रम क्या है? - bhaarat mein yooropeey aagaman ka kram kya hai?
भारत में यूरोपीय आगमन का क्रम क्या है? - bhaarat mein yooropeey aagaman ka kram kya hai?
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन


पुर्तगालियों का आगमन

15th शताब्दी के बाद से ही पुर्तगाली अफ्रीका के रास्ते से भारत का रास्ता ढूंढ रहे थे | पुर्तगाली भारत में सबसे पहले आने वाले यूरोपीय थे | पुर्तगाल का वास्कोडिगामा 1497 अफ्रीका के पश्चिमी तट से शुरुआत करते हुए भारत को ढूंढने निकला | वह दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप से होते हुए पूर्वी अफ्रीका में भारतीय गुजराती व्यापारियों की सहायता से अरब सागर होते हुए सर्वप्रथम 1498 भारत पहुंचा |

पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा सर्वप्रथम भारत 1498 केरल के कालीकट में पहुंचा | उस समय कालीकट की राजा जमोरिन हुआ करते थे | शुरुआत में पुर्तगालियों के प्रतिद्वंदी व्यापारी अरब थे, क्योंकि अरब पहले से ही भारत के साथ व्यापार करते थे | और ऑटोमन साम्राज्य के समय यूरोप में भारतीय मसाले अरब लोग ही पहुंचाते थे |

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जब शुरुआत में पुर्तगालियों ने भारत के साथ व्यापार शुरू किया तो उन्होंने अरब लोगों पर, उनके नावों पर बहुत सारे हमले किए | और भारत के साथ अरब के व्यापार को खत्म करवा के पुर्तगालियों ने कालीकट, कन्नूर और कोच्चि में अपनी फैक्ट्रियां खोली |

1505 में फ्रांसिस्को डी अल्मोड़ा भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर बन कर आया | अल्मोड़ा ने नीले पानी की नीति (Blue Water Policy) अपनाई जिसके तहत समुद्र से व्यापार करने के लिए पुर्तगालियों से आज्ञा (Permission) लेनी पड़ती थी | इसे कार्टाज सिस्टम भी कहा जाता था |

अल्मोड़ा के बाद भारत में अल्बूकर्क पुर्तगाली गवर्नर बना | अल्बुकर्क ने 1510 में बीजापुर के सुल्तान से गोवा को प्राप्त कर लिया | 1526 में पुर्तगालियों ने मंगलोर पर भी कब्जा कर लिया | अल्बूकर्क को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है |

1529 में नीनो डी कुन्हा भारत में पुर्तगाली गवर्नर बना और 1530 में पुर्तगालियों ने अपनी राजधानी कोच्चि से गोवा स्थानांतरित कर ली |

पुर्तगालियों ने 1538 में दीव पर कब्जा किया, जो 1961 तक रहा | गोवा में पुर्तगालियों ने ईसाई संत फ्रांसिस जेवियर के नेतृत्व में लोगों के धर्म परिवर्तन करना चाहा |

200 वर्षों के दौरान पुर्तगालियों ने लगभग पूरे भारत के समुद्र तट पर कब्जा कर लिया था, लेकिन फिर भी यह अंग्रेजों से ज्यादा ताकतवर नहीं बन पाए इसके प्रमुख कारण ही निम्न है –

  • पुर्तगालियों ने समुद्री तटों के अलावा जमीन पर या भारत के अंदर कभी ताकत हासिल नहीं की |
  • पुर्तगाली धार्मिक कट्टर थे, इस कारण से स्थानीय लोगों में यह लोकप्रिय नहीं बन पाए |
  • प्रशासन में भ्रष्टाचार के कारण कंपनी आगे नहीं बढ़ पाई |
  • पुर्तगाल के पास में संसाधनों की कमी थी तथा वह स्पेन के अधीन हो चुका था |

डचों का आगमन

सर्वप्रथम कॉर्नेलिस हाउटमेन 1596 में भारत आने वाला पहला डच व्यक्ति था | 1602 में “यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ नीदरलैंड” अस्तित्व में आई |

1605 में डचों ने सबसे पहले मसूलिपटनम (आंध्र प्रदेश) में फैक्ट्री स्थापित की उसके बाद इन्होंने कालीकट और सूरत में भी फैक्ट्री स्थापित की | अंग्रेज और फ्रांस से प्रतिस्पर्धा के कारण शुरुआत से ही डचों का ध्यान दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा |

1759 में वेदरा की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी से हारने के बाद भारत में सीमित हो गए और उनका व्यापार इंडोनेशिया की तरह ज्यादा हो गया |


ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन

1599 ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई जिसे 1600 में महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने रॉयल चार्टर के द्वारा पूर्व (भारत, दक्षिण-पूर्व एशियाई, पूर्वी अफ्रीका, आदि) से व्यापार करने का एकाधिकार दे दिया |

1608 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना राजदूत विलियम हॉकिंस को जहांगीर के दरबार में सूरत में फैक्ट्री खोलने की आज्ञा के लिए भेजा | 1612 में सुवाली के युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी ने पुर्तगालियों को हरा दिया और 1613 में जहांगीर की अनुमति से सूरत में अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित की |

ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1611 में मसूलीपट्टनम में अपनी पहली व्यापारिक कोठी (Trading Post) स्थापित की थी |

जेम्स प्रथम की राजदूत टॉमस रो को जहांगीर के दरबार में राजदूत के रूप में भेजा गया, जिसने अन्य जगह पर फैक्ट्रियों खोलने की अनुमति प्राप्त की | ईस्ट इंडिया कंपनी को 1668 में ब्रिटिश सरकार द्वारा, पुर्तगालियों से दहेज में प्राप्त मुंबई प्राप्त हुआ |

1690 में जॉब चरनॉक ने सुतानती में एक फैक्ट्री की स्थापना की और 1698 सुतानती, कालीकट और गोविंदपुर नामक तीन गांवों की जागीरदारी प्राप्त की, बाद में यही काम कोलकाता के रूप में विकसित हुए | 1700 में सुतानती की किलेबंदी की गई और इसका नाम फोर्ट विलियम रखा गया |

1717 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल सम्राट फर्रूखसियर से दस्तक व्यापार पत्र प्राप्त कर लिया, जिसकी सहायता से यह बिना किसी रोक-टोक के व्यापार कर सकते थे |

ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में प्लासी के युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला को हराया और मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया |

7 वर्ष बाद, 1764 में बक्सर के युद्ध में अंग्रेजो ने मुगल सेना, अवध के नवाब और बंगाल के नवाब मीर कासिम तीनों की सेना को हरा दिया और भारत में अपनी जड़ें मजबूत कर दी | बक्सर के युद्ध के बाद 1765 में इलाहाबाद की संधि के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल बिहार और उड़ीसा का शासन और व्यापार की छूट प्राप्त हो जाती है |

व्यापार के उद्देश्य से भारत में आई ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1947 तक भारत पर शासन किया, जिसके बारे में हम आने वाले कुछ पोस्ट में आपको पूरी जानकारी देने वाले हैं | आधुनिक इतिहास के भी टॉपिक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें |


डेनिश का भारत में आगमन

डेनमार्क की ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1616 में की गई थी | व्यापार के उद्देश्य से यह भी भारत में आए और उन्होंने 1620 में ट्रेंकुबार (तमिलनाडु) में सबसे पहले अपनी फैक्ट्री स्थापित की | 1676 में सेरामपुर (बंगाल) में मुख्यालय स्थापित किया |

अंग्रेजों के बढ़ते दबदबे के कारण 1845 में अपने व्यापार ईस्ट इंडिया कंपनी को बेच कर भारत छोड़कर चली गई |


फ्रांसीसीयों का आगमन

भारत में सबसे अंतिम यूरोपीय आने वाली शक्ति फ्रांसीसी थी | फ्रांस के सम्राट लुई 14वे के मंत्री कॉलबर्ट ने 1664 में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की थी |

फ्रांसीसी ने 1667 में सूरत में अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित की थी | फ्रांसिस मार्टिन ने 1673 में पांडिचेरी की स्थापना की थी |

1740 में डुप्ले फ्रांसीसी गवर्नर बन कर भारत में आया | परंतु उसे भी ईस्ट इंडिया कंपनी से हार का सामना करना पड़ा, जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे | 1760 में वांडीवाश की लड़ाई के बाद फ्रांसीसीयों का अस्तित्व सीमित हो गया |


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महत्वपूर्ण प्रश्न

भारत में सर्वप्रथम कौन सी यूरोपीय कंपनी आई थी ?

भारत में सर्वप्रथम पुर्तगाली व्यापार के उद्देश्य से आए थे |

वास्कोडिगामा भारत कब आया था ?

वास्कोडिगामा 1498 में भारत आया था | वास्कोडिगामा सर्वप्रथम केरल के कालीकट में आया था | 1502 में वास्कोडिगामा दोबारा भारत आया था |

ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली फैक्ट्री कहां पर स्थापित हुई ?

ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी पहली फैक्ट्री 1613 में सूरत में स्थापित की | उससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1611 में मसूलीपट्टनम में व्यापारिक कोठी की स्थापना की थी |

भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर कौन था ?

1505 में भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर फ्रांसिस्को डी अल्मोड़ा आया था |


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भारत में यूरोपियों का आगमन का क्रम क्या है?

भारत में यूरोपियों के आने के क्रम में सर्वप्रथम पुर्तगीज थे, इसके बाद डच, अंग्रेज, डेनिश और फ्रांसीसी आए। इन यूरोपियों में यद्यपि अंग्रेज डच के बाद आए थे, लेकिन इनकी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना से पहले ही हो चुकी थी।

भारत में सर्वप्रथम कौन सा यूरोपीय भारत आया?

यूरोपीय शक्तियों में पुर्तगाली कंपनी ने भारत में सबसे पहले प्रवेश किया। भारत के लिये नए समुद्री मार्ग की खोज पुर्तगाली व्यापारी वास्कोडिगामा ने 17 मई, 1498 को भारत के पश्चिमी तट पर अवस्थित बंदरगाह कालीकट पहुँचकर की। वास्कोडिगामा का स्वागत कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन (यह कालीकट के शासक की उपाधि थी ) द्वारा किया गया।

भारत में सर्वप्रथम यूरोपीय जाति का आगमन कब हुआ?

17 मई 1498 को पुर्तगाल का वास्को-डी-गामा भारत के तट पर आया जिसके बाद भारत आने का रास्ता तय हुआ। वास्को डी गामा की सहायता गुजराती व्यापारी अब्दुल मजीद ने की । उसने कालीकट के राजा जिसकी उपाधि 'जमोरिन'थी से व्यापार का अधिकार प्राप्त कर लिया पर वहाँ सालों से स्थापित अरबी व्यापारियों ने उसका विरोध किया।

भारत आने वाले पहले अंग्रेजों का क्या नाम है?

माना जाता है कि भारत पहुंचने वाला पहला ब्रिटिश व्यक्ति थॉमस स्टीफंस नाम का एक अंग्रेजी जेसुइट पुजारी और मिशनरी था, जो अक्टूबर, 1579 में गोवा पहुंचा था।