भारत का कौन सा अक्षांश मध्य? - bhaarat ka kaun sa akshaansh madhy?

कर्क रेखा पृथ्वी पर अक्षांश का सबसे उत्तरी वृत्त हिस्सा है जिसमें सूर्य सीधे ऊपर की ओर से होकर गुजरता है। कर्क रेखा कठोर जलवायु के लिए जिम्मेदार है जो मध्य प्रदेश का क्षेत्र गवाह है और जिसके लिए ये क्षेत्र जाना जाता है। यहाँ गर्मियां बेहद गर्म होती हैं। यह फरवरी में शुरू होती है और जुलाई के महीने तक चलती है। दक्षिण से उत्तर की ओर, भारतीय मुख्य भूमि 8°4'N और 37°6'N अक्षांशों के बीच स्थित है। भारत पश्चिम से पूर्व की ओर 68°7' पूर्व और 97°25' पूर्व देशांतरों के बीच स्थित है।

जब उत्तरी गोलार्द्ध पूरी तरह से सूर्य की ओर झुक जाता है तो इसे जून संक्रांति कहते हैं। जब उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर अपनी अधिकतम सीमा तक झुका होता है तब इसे जून संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है। वही, शीतकालीन संक्रांति हर साल 21 दिसंबर को दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा पर होती है। कर्क रेखा इन राज्यों से होकर गुजरती है:

  • गुजरात
  • राजस्थान
  • मध्य प्रदेश
  • छत्तीसगढ़
  • झारखंड
  • पश्चिम बंगाल
  • त्रिपुरा
  • मिजोरम

Summary:

भारत के मध्य से गुजरने वाला अक्षांश कौन सा है?

कर्क रेखा(Tropic of Cancer) भारत के मध्य से गुजरने वाला अक्षांश है। कर्क रेखा एक काल्पनिक रेखा की तरह है जो भूमध्य रेखा से 23.50 डिग्री उत्तर के कोण पर पाई जाती है और यह भारत के मध्य से होकर गुजरती है। इसे उत्तरी उष्णकटिबंधीय के रूप में भी जाना जाता है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य उष्ण कटिबंध पर सिर के ऊपर होता है। त्रिपुरा में उदयपुर कर्क रेखा का निकटतम शहर है।

भूगोल में किसी स्थान की स्थिति को बताने के लिए उस स्थान का अक्षांश (latitude) तथा देशांतर (longitude) बताया जाता है। किसी स्थान का अक्षांश, धरातल पर उस स्थान की 'उत्तर-दक्षिण स्थिति' को बताता है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों का अक्षांश क्रमशः ९० डिग्री उत्तर तथा ९० डिग्री दक्षिण होता है।

किसी स्थान के अक्षांश का मान = ९० - (उस स्थान को धरती के केन्द्र से मिलाने वाली रेखा तथा उसके रेखांश की रेखा विषुवत वृत्त को जहा मिलती है उस बिंदू से धरती के केन्द्र से मिलाने वाली रेखा के बीच बना कोण)

इस प्रकार, विषुवत वृत्त के सभी बिन्दुओं का अक्षांश शून्य होता है। अर्थात भूमध्य रेखा, शून्य डिग्री अक्षांश से होकर जाने वाली रेखा है। विषुवत वृत्त की उत्तरी एवं दक्षिणी दिशा में 1 डिग्री के अंतराल से खींचे जाने पर नंबर 90 अक्षांश वृत्त होते हैं यानी कि किसी भी स्थान का अक्षांश 90 डिग्री से अधिक नहीं हो सकता। विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है।

अक्षांश रेखाएँ काल्पनिक रेखाएँ है, इनकी संख्या अनन्त है। एक अंश (डिग्री) के अंतराल पर कल्पित किये जाने पर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या = ९० + ९० + १ = १८१ और यदि दोनों ध्रुवों को रेखा न माना जाय क्योंकि ये बिंदु हैं, तो 179 बतायी जाती है। 1° के अन्तराल पर खींचे जाने पर किन्हीं दो क्रमागत अक्षांश रेखाओं के बीच की लम्बाई 111 किलोमीटर होती है ।

विशिष्ट अक्षांश रेखायें[संपादित करें]

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दिसम्बर अयनान्त के समय पृथ्वी का झुकाव

धरती की कुछ अक्षांश रेखाएँ, जिनके विशेष नाम हैं, भूमध्य रेखा के अतिरिक्त ऐसी चार और अक्षांश रेखाएँ हैं जो विशेष हैं:

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इस चित्र में धरती को एक गोला मानते हुए दिखाया गया है कि किस प्रकार किसी स्थान के अक्षांश (ϕ{\displaystyle \phi }

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) और रेखांश (λ{\displaystyle \lambda }
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) परिभाषित किए जाते हैं।

अक्षांश, भूमध्यरेखा से किसी भी स्थान की उत्तरी अथवा दक्षिणी ध्रुव की ओर की कोणीय दूरी का नाम है। भूमध्यरेखा को 0°' की अक्षांश रेखा माना गया है। भूमध्यरेखा से उत्तरी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ उत्तरी अक्षांश और दक्षिणी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ दक्षिणी अक्षांश में मापी जाती है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्यरेखा से अक्षांश का मान बढ़ता जाता है और ध्रुवों का अक्षांश मान 90° है। सभी अक्षांश रेखाएँ परस्पर समानान्तर और पूर्ण वृत्त होती हैं। ध्रुवों की ओर जाने से वृत्त छोटे होने लगते हैं।

दो अक्षांश रेखाएँ के बीच में जो स्थान पाया जाता है उस स्थान को जोन कहते हैं।

पृथ्वी के किसी स्थान से सूर्य की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है। न्यून अक्षांशों पर दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है। पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर अलग अलग होती हैं। पृथ्वी के तल पर के किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशांतर के द्वारा ही किया जाता है।

किसी स्थान के अक्षांश को मापने के लिए अब तक खगोलकीय अथवा त्रिभुजीकरण नाम की दो विधियाँ प्रयोग में लाई जाती रही हैं।

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पृथ्वी का नक्शारेखांश (λ)रेखांश की रेखाएं इस प्रक्षेप में वक्रीय प्रतीत होती हैं, परंतु ध्रुववृत्तों की आधी होती हैं।अक्षांश (φ)अक्षांश की रेखाएं इस प्रक्षेप में क्षैतिज एवं सीधी प्रतीत होती हैं, परंतु वे भिन्न अर्धव्यासों सहित वृत्तीय होती हैं। एक अक्षांश पर दी गईं सभी स्थान एकसाथ जुड़कर अक्षांश का वृत्त बनाते हैं।भूमध्य रेखा पृथ्वी को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में बांटती है, और इसका अक्षांश शून्य अंश यानि 0° होता है।
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  • विषुवत् वृत्त (0°) (E)
  • उत्तर ध्रुव वृत्त (90°)
  • दक्षिण ध्रुव वृत्त (90°)

अक्षांश रेखाओं की विशेषताएँ[संपादित करें]

1.सभी अक्षांश रेखाऐं एक दूसरे के समाना्तर खाने हुए पूर्ण वृत के रूप में होती हैं। अत: इन्हें Parallels भी कहा जाता है।

भारत के मध्य से कौन सा अक्षांश गुजरता है?

सही उत्तर कर्क रेखा है।

सबसे बड़ा अक्षांश का नाम क्या है?

सही उत्तर विषुवत् वृत्त है। अक्षांश विषुवत् रेखा के उत्तर या दक्षिण में ग्लोब या स्थान के मानचित्र पर एक माप है। ग्लोब पर सबसे लंबा अक्षांश विषुवत् रेखा है।

अक्षांश रेखा भारत के कितने राज्यों से होकर गुजरती है?

— 8 राज्यों से (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पंश्चिम बंगाल, त्रिपुरा एवं मिजोरम।

भारत के मध्य से कौन सी महत्वपूर्ण रेखा गुजरती है?

कर्क रेखा, जिसे उत्तरी उष्णकटिबंधीय भी कहा जाता है, पृथ्वी पर अक्षांश का सबसे उत्तरी वृत्त है। यह भूमध्य रेखा से 23.50 डिग्री उत्तर के कोण पर एक काल्पनिक रेखा है, जो भारत के मध्य से होकर गुजरती है।