केवलानन्द काण्डपाल [Hindi,PDF 188 KB] Show ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया क्या होगी? बच्चों से बातचीत के अवसर कक्षा-1 से कक्षा-5 तक के कुल 22 बच्चे कक्षा में मौजूद थे। बच्चों से आपसी परिचय के बाद माहौल थोड़ा अनौपचारिक हो चला था। मैं कक्षा को पूर्व निर्धारित नहीं करना चाहता था सो बच्चों से ही पूछ लिया कि आज हम क्या करेंगे। बच्चे चहक उठे कि ड्रॉइंग बनाएँगे। मैं गोल घेरे में बच्चों के बीच ही बैठ गया। एक बच्चे ने कॉपी, पेंसिल और रबर मुझे थमाते हुए कहा, “हम आपको बताएँगे कि क्या बनाना है।” “पहले आप बनाएँगे फिर हम अपनी-अपनी कॉपियों में बनाएँगे।” इस तरह से सभी बच्चे मेरे शिक्षक बन गए, और मैं कक्षा का विद्यार्थी। बच्चों संग चित्रकारी अनुमान लगाना अनुमान लगाने की प्रक्रिया यह साफ था कि अब बच्चों की रुचि हेलीकॉप्टर की ऊँचाई की ठीक-ठीक माप पता करने की बजाय अनुमान लगाने की प्रक्रिया में ज़्यादा थी। यह तय हुआ कि हेलीकॉप्टर का आकार विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के कक्ष के बराबर होगा। अब हमें करना यह था कि अपने चारों ओर दृष्टि डालकर दूर स्थित एक कमरे को खोजना था जिसका आकार आकाश में उड़ रहे हेलीकॉप्टर के आकार के बराबर हो। कुछ देर की जद्दोजेहद के बाद दूर स्थित 2-3 घरों को बच्चों ने चिन्हित कर लिया। संयोगवश हम विद्यालय की छत पर थे और अपने चारों ओर के परिवेश को बिना किसी बाधा के देख पा रहे थे। अपने स्थान से उन घरों की दूरी का अनुमान लगाना आसान था। बच्चों के अनुमान 2 कि.मी. से 3 कि.मी. के बीच आने लगे (वस्तुत: यह दूरी 1.5 से 2 कि.मी. रही होगी)। बच्चे जिस प्रकार से रचनाशील थे, मैं इस प्रक्रिया में बाधा नहीं बनना चाहता था। एक बच्चे ने ज़ोर देकर कहा कि हमारे विद्यालय से अमुक स्थान 2 कि.मी. से अधिक नहीं है। उसके गाँव का एक परिवार वहाँ रहता है, वह एक बार वहाँ गया भी है। कुछ बहस के बीच तय हुआ कि यह 2 कि.मी. की दूरी है। इसका मतलब है उक्त हेलीकॉप्टर हमारे ऊपर 2000 मीटर की ऊँचाई पर उड़ रहा होगा। यह अनुमान कितना सही था मैं दावे से नहीं कह सकता बल्कि यह मेरा निश्चित मत है कि अब बच्चे अनुमान लगाने से पहले खोजबीन की प्रक्रिया का ज़रूर पालन करेंगे। बच्चों का मानना था कि जब कोई वस्तु हमारे निकट होती है तो वह बड़े आकार में दिखाई देती है, ज्यों-ज्यों दूर होती जाती है छोटे आकार में दिखाई पड़ती है। यदि वातावरण में धूल, धुँआ, कोहरा न हो तो हम लगभग 1 कि.मी. तक मनुष्य एवं उसकी गतिविधियों को देख सकते हैं। यह सब बच्चों के अपने अनुमान थे। बच्चे अपने घर से विद्यालय, दुकान, पंचायत-घर, पड़ोस, पड़ोस के गाँव की दूरी आदि का अनुमान अपने नन्हे-नन्हे कदमों को गिनकर, उसे मीटर एवं किलोमीटर में बदलकर लगाने का प्रयास करेंगे। धीरे-धीरे जब उनके अनुमान लगाने की प्रक्रियाओं में सुधार होगा तो वे सटीकता के करीब पहुँचेंगे। और अन्त में केवलानन्द काण्डपाल: ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, बागेश्वर, उत्तराखण्ड में
कार्यरत। बच्चों की सीखने की प्रकृति का समाधान बच्चे कैसे सीखते हैं?सीखने/खेलने की सामग्री पर कहानी और कविता की रचना करना. बच्चों के पास बोलने वाले खिलौने होना | जैसे- गुड़िया आदि. बच्चों का विभिन्न प्रकार की सीखने/खेल सामग्री के साथ संलग्न (engage)होना. बच्चों का सीखने/खेलने की सामग्री खरीदना. सीखना क्या है और बच्चे कैसे सीखते हैं?वे जो कुछ भी देखते हैं उसे छूना चाहते हैं। इसी प्रक्रिया के माध्यम से वे सीखते हैं। विभिन्न प्रकार की गतिविधियों और सामग्री के माध्यम से बच्चे वस्तुओं में जोड़-तोड़ मेनुपुलेशन करके, प्रश्न पूछकर, पूर्वानुमान लगाकर भौतिक, सामाजिक और प्राकृतिक वातावरण के बारे में जागरूक होते हैं।
बच्चे बेहतर कब सीखते हैं?बचपन के पहले आठ साल बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर पहले तीन साल। यह समय भविष्य के स्वास्थ्य, बढ़त और विकास की बुनियाद होती है। दूसरे किसी भी समय के मुकाबले इस दौरान बच्चे तेजी से सीखते हैं।
सबसे अधिक सीखना कब होता है?प्रश्न (22) : सबसे अधिक सीखना कब होता है ?. जब कक्षा में सभी बच्चे उपस्थित होते हैं. जब सीखने में सभी इन्द्रियों का उपयोग या भागीदारी हो. जब बच्चे हँसते हैं. जब निर्धारित दिनचर्या का पालन होता है. |