Kushinagar Updated Fri, 18 Oct 2013 05:38 AM IST पडरौना (कुशीनगर)। यदि हम अब भी नहीं संभले तो मिट्टी से पोषक तत्वों की कमी कई मुश्किलें खड़ी कर सकती है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी मृदा परीक्षण के दौरान मिट्टी की जांच में सामने आई है। मिट्टी से जैविक कार्बन ही नहीं द्वितीयक पोषक तत्व जिंक और सल्फर की मात्रा में भी कमी दर्ज की
जा रही है। माना जा रहा है कि इससे धरती की उर्वरा शक्ति तो प्रभावित होगी ही, फसलों की उत्पादकता भी काफी असर पड़ेगा। इसकी गंभीरता को देखते हुए कृषि विभाग ने मृदा परीक्षण के लिए चरणबद्ध अभियान शुरू कर दिया है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मिट्टी की अच्छी सेहत के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन वातावरण और जल से मिलते हैं, जबकि नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगभनीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, बोरान, मैगभनीज, कापर, मालीबेडनम और क्लोरीन अन्य स्रोतों से पूरा किया
जाता है। इनमें से किसी भी तत्व की कमी से फसल एवं पौधों को नुकसान पहुंचता है। मसलन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की कमी होने पर इनकी वृद्धि रुक जाती है। कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर द्वितीयक पोषक तत्व होते हैं, यह भी फसल की पैदावार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। जिंक, आयरन, कापर, मैग्नीज, बोरान, मालीबेडनम, क्लोरीन की फसल और पौधों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बोरान की कमी होने पर धान और गेहूं की फसल में बालियां तो लग जाती हैं लेकिन दाने नहीं पड़ते हैं। मृदा परीक्षण के लिए जिले में
वर्ष 2008 में प्रयोगशाला स्थापित हुई। जिले के सभी हिस्सों में कराए गए मृदा परीक्षण में साल दर साल पोषक तत्वों की कमी दर्ज की जा रही है। यह कमी जीवांश कार्बन, सल्फर और जिंक सूक्ष्म पोषक तत्व में पाई जा रही है। जिंक की कमी से धान, गेहूं, आलू, मक्का आदि फसलों को झुलसा और खैरा रोग लगने का अंदेशा रहता है जबकि सल्फर के अभाव में पौधे पीले पड़ जाते हैं। यह अधिकतर धान, गेहूं की फसलों में देखने को मिलता है। इसी तरह जीवांश कार्बन भी बहुत उपयोगी है। जांच में जो बात सामने आई है, उसमें जीवांश कार्बन
(नाइट्रोजन) .20 से घटकर .21-.50 के बीच पहुंच गया है, जबकि फास्फोरस 21-50 की बजाय 10.1-20 के बीच पाया जा रहा है। इसी तरह सल्फर की मात्रा 15 पीपीएम से घटकर 10, जिंक की मात्रा 1.2 पीपीएम से 0.60 पीपीएम पर पहुंच गया है। इसकी गंभीरता को देखते हुए कृषि विभाग भी सक्रिय हो गया है। इन कारणों से हो रही पोषक तत्वों की कमी
विभाग ने दिखाई तत्परता कोट डॉ. त्रिलोकनाथ राय, मृदा वैज्ञानिक, रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App,
iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| कृषि में मृदा परीक्षण या "भूमि की जाँच" एक मृदा के किसी नमूने की रासायनिक जांच है जिससे भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा के बारे में जानकारी मिलती है। इस परीक्षण का उद्देश्य भूमि की उर्वरकता मापना तथा यह पता करना है कि उस भूमि में कौन से तत्वों की कमी है। मृदा परिक्षण क्यों?[संपादित करें]मृदा पोषक तत्वों का भंडार है तथा पौधों को सीधे खडा रहने के लिए सहारा देती है। पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ये तत्व है : मुख्य तत्वकार्बन, हाइडोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोठाश, कैल्सिशयम, मैग्नीशियम। जस्ता, मैग्नीज, ताँबा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम व क्लोरीन। इन सभी तत्वों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने से ही उपयुक्त पैदावार ली जा सकती है। यदि किसी भंडार से केवल निष्कासन ही होता रहे और उसमें निष्कासित मात्रा की पूर्ति न की जाय जो कुछ समय बाद वह भंडार खाली हो जाता है। ठीक यही दशा हमारे मृदा की है। लगातार फसल उत्पादन में वृद्वि एवं बडती सघन खेती के परिणाम स्वरूप पोषक तत्वों का ह्रास भी बड रहा है। परंतु उर्वरकों एवं रासायनिक खादों द्वारा उनकी पूर्ति पूरी तरह से नहीं हो पा रही है। जिससे हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। मृदा परिक्षण के उद्देश्य[संपादित करें]
प्रयोगशाला में मृदा की जांच[संपादित करें]मृदा परिक्षण के लिए सबसे पहले मृदा का नमूना लिया जाता है। इसके लिए जरूरी है की मृदा का नमूना पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करे। यदि मृदा का नमूना ठीक डंग से नहीं लिया गया हो और वह मृदा का सही प्रतिनिधित्व न कर रहा हो तो भले ही मृदा परिक्षण में कितनी ही सावधानियां क्यों न बरती जाएं, उसकी सिफारिश सही नहीं हो सकती। अतः खेत की मृदा का नमूना पूरी सावधानी से लेना चाहिए। आवश्यक सामग्री[संपादित करें]नमूना लेने के लिए निम्न सामान की आवश्यकता होती है जो किसी भी किसान के पास उपलब्ध होता है। नमूना लेने के लिए सभी सामान साफ होने चाहिए जिससे मृदा दूषित न हो।
मृदा का नमूना लेने की विधि[संपादित करें]
सावधानियां[संपादित करें]
मृदा के नमूने के साथ सूचना पत्र अवश्य डालें जिस पर साफ अक्षरों में नमूना संबधित सूचना एवं किसान का पूरा पता लिखा हो। सूक्ष्म तत्वों की जांच के लिए नमूना लेते समय अतिरिक्त सावधानियां धातु से बने औजारों या बर्तनों को काम में नहीं लाएं क्योंकि इनमें लौह, जस्ता व तांबा होता है। जहां तक संभव हो, प्लास्टिक या लकडी के औजार काम में लें। यदि मृदा खोदने के लिए फावडा या खुरपी ही काम में लेनी पडे तो वे साफ होनी चाहिए। इसके लिए गडडा बना लें व एक तरफ की परत लकडी के चौडे फट्टे या प्लास्टिक की फट्टी से खुरचकर मृदा बाहर निकाल दें। फिर इस प्लास्टिक या लकडी के फट्टे से 2-3 सेमी मोटी परत उपर से नीचे तक 15 सेमी और पूर्व बताई गई विधि के अनुसार 10-15 जगहों से मृदा एकत्र करके मृदा का नमूना तैयार कर सूचना पत्रक सहित कृषि विकास प्रयोगशाला में भेज दें। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति कैसे होती है?इसलिए मृदा को इन पोषक तत्त्वों से समृद्ध करने के लिए भूमि में उर्वरक तथा खाद मिलाने की आवश्यकता होती है। उर्वरक एवं खाद्य में नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस जैसे पादप पोषक होते हैं। इस प्रकार उर्वरक एवं खाद को मृदा में मिलाकर मृदा में पोषकों की पुन: पूर्ति कर ली जाती है।
भूमि में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए कौन कौन से उपाय किए जा सकते हैं?1 Answer. भूमि में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-. भूमि को जोतकर कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाए, जिससे पोषक तत्वों की पूर्ति पर्यावरण से स्वतः होती रहे।. फसल चक्र के नियमों का पालन किया जाए।. भूमि में पोषक तत्वों की तत्काल पूर्ति के लिए विभिन्न रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाए।. मिट्टी में कितने तत्व पाए जाते हैं?क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, चियांकी के मृदा वैज्ञानिक डॉ कुमार शैलेंद्र मोहन ने किसानों को बताया कि मिट्टी में कुल 16 पोषक तत्व होते है, जो कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्सियम, मैग्नीशियम,सल्फर, जिंक, आयरन, कॉपर, बोरान, मैगनीज, मोलिबडनम, क्लोरीन है।
मिट्टी में कौन सा पोषक तत्व?कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मिट्टी की अच्छी सेहत के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन वातावरण और जल से मिलते हैं, जबकि नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगभनीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, बोरान, मैगभनीज, कापर, मालीबेडनम और क्लोरीन अन्य स्रोतों से पूरा किया जाता है।
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