अरब में लर्कर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं? - arab mein larkar ko nooh ke naam se kyon yaad karate hain?

अरब में नूह नाम के एक पैगंबर थे जिनका असली नाम लशकर था। वे अत्यंत दयालु और संवेदनशील थे। एक बार एक कुत्ते को उन्होंने दुत्कार दिया। उस कुत्ते का जवाब सुनकर वे बहुत दुखी हुए और उम्र भर पश्चाताप करते रहे। अपने करुणा भाव के कारण ही वे ‘नूह’ के नाम से याद किए जाते हैं।

अरब में लशकर को नूह नाम से याद करने का कारण यह है क्योंकि वे हमेशा दूसरों के दुःख में दुखी रहते थे। एक बार उन्होंने एक जख्मी कुत्ते को दुत्कार दिया था और इसी कारण वे उम्र-भर रोते रहे थे। नूह को पैगम्बर या ईश्वर का दूत भी कहा गया है। उनके मन में करूणा होती थी।


पैगम्बर होने के कारणउनसे धार्मिक भावनाएँ जुड़ी होने के कारणएक पौराणिक कथा के कारण उनके द्वारा सारी उम्र रोते रहने के कारण

Solution : पैगम्बर लश्कर को अरब में नूह के नाम से याद किया जाता है, क्योंकि वह सारी उम्र रोते रहे। एक बार एक जख्मी कुत्ते को दुत्कारते हुए कहा था, "दूर हो जा गन्दे, कुत्ते। कुत्ते ने जवाब दिया. न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ, न तुम अपनी पसन्द से इंसान हो। दोनों को बनाने वाला तो वही एक है।" इस बात को सुनकर वे मुद्दत तक रोते रहे।

अरब में किसे नूह के लकब से याद किया जाता है?

लशकर को अरब वासी नूह की उपाधी के रूप में याद करते हैं। नूह को पैगम्बर या ईश्वर का दूत भी कहा गया है। इसलिए लशकर को नूह के नाम से याद किया जाता है। उसके मन में करूणा होती थी।

अरब में लर्कर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?

Solution : अरब में लश्कर को नूह के नाम से इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वे सारे उम्र रोते रहे। उनके रोने का कारण एक जख्मी कुत्ता था जिसे उन्होंने दुत्कार दिया था।