Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 8 यह सबसे कठिन समय नहीं Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 8 Hindi Solutions Vasant Chapter 8 यह सबसे कठिन समय नहींRBSE Class 8 Hindi यह सबसे कठिन समय नहीं Textbook Questions and Answersपाठ से - प्रश्न 1.
इन सब तर्कों के माध्यम से कवयित्री यही कहना चाहती है कि अभी कठिन समय नहीं है, सभी कार्य हो रहे हैं। इसलिए अभीष्ट मार्ग पर बढ़ने हेतु समय का विचार मत करो, आगे बढ़ो और सफलता प्राप्त करो। प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
कविता से आगे - प्रश्न 1. एक पलड़े में कबूतर रखा गया और दूसरे पलड़े में राजा ने अपनी जाँघ का माँस काटकर रखा लेकिन कबूतर वाला पलड़ा भारी था। इस पर राजा ने दोनों जाँघों का माँस काटकर रख दिया लेकिन स्थिति वही रही। अन्त में राजा स्वयं पलड़े में बैठ गए। यह देखकर कबूतर और बाज की जगह इन्द्रदेव और अग्निदेव प्रकट हुए। उन दोनों ने प्रणाम करते हुए कहा कि "हम दोनों आपकी परीक्षा ले रहे थे। आप परीक्षा में खरे उतरे हो।" उन्होंने प्रसन्न होकर राजा को आशीर्वाद दिया और स्वर्ग को चले गए। इस प्रकार राजा शिवि ने अपने जीवन में आयी कठिन परिस्थिति को जीत कर अपनी दानशीलता और अपने नाम को अमर बना दिया। प्रश्न 2. RBSE Class 8 Hindi यह सबसे कठिन समय नहीं Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. लघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. निबन्धात्मक प्रश्न - प्रश्न
26. प्रश्न 27. यह सबसे कठिन समय नहीं Summary in Hindiसप्रसंग व्याख्याएँ - 1. नहीं, यह सबसे ........................................... हाथ एक। कठिन शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश जया जादवानी द्वारा रचित कविता 'यह सबसे कठिन समय नहीं' से लिया गया है। इसमें बताया गया है कि आगे बढ़ने से पहले मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि हम कोशिश करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। व्याख्या - कवयित्री कहती है कि हे मनुष्य, अभी तुम्हारे सामने कठिन समय नहीं है। तुम्हें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए मन में संकोच नहीं करना चाहिए। अभी एक चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए अपनी चोंच में तिनका दबाकर उड़ान भरने हेतु तैयार है। इसी प्रकार वृक्ष से अन्तिम पत्ती गिरते ही कोई हाथ उसे थामने के लिए तैयार है। आशय यह है कि तुम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ो। यदि तुम लक्ष्य से भटक भी जाओगे तो गिरती पत्ती की भाँति सहारा देने के लिए अनुभवी लोगों के हाथ तैयार हैं, जो तुम्हें सही रास्ते पर लाने का प्रयास करेंगे। 2. अभी भी भीड़ ................................................. वक्त हो गया। कठिन शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश 'यह सबसे कठिन समय नहीं' कविता से लिया गया है। इसकी रचयिता जया जादवानी है। यहाँ कवयित्री ने बतलाना चाहा है कि लक्ष्य की ओर बढ़ने में हमें अधिक सोचना नहीं चाहिए, क्योंकि आगे बढ़ने पर रास्ते अपने आप निकल आते हैं। व्याख्या - कवयित्री कहती है कि रेलगाड़ी निरन्तर अपने मार्ग पर चलकर यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुँचाती है। इस कारण अभी भी स्टेशन पर भीड़ है और एक रेलगाड़ी यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने को तैयार खड़ी है। इस रेलगाड़ी से जाने वालों का वहाँ कोई इन्तजार कर रहा है। अर्थात् अपने प्रियजन की प्रतीक्षा में कोई बेचैन है। वह कह रहा है कि सूर्य डूबने वाला है इसलिए जल्दी से आ जाओ। अर्थात् व्यक्ति के सुख-दुःख का ध्यान रखने वाले लोग अभी भी हैं। इसलिए इस वातावरण में निराश होने की आवश्यकता नहीं है। 3. अभी कहा जाता है ................................................. समय नहीं। कठिन शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश जया जादवानी द्वारा रचित कविता 'यह सबसे कठिन समय नहीं' से लिया गया है। कवयित्री ने। यहाँ बताया है कि यदि मनुष्य समय निकल जाने पर भी आशावान बनकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है तो उसे कभी निराशा नहीं होती है। व्याख्या - कवयित्री सन्देश रूप में कहना चाहती है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से पूर्व घबराना या अधिक विचार नहीं करना चाहिए बल्कि उस ओर बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए कवयित्री ने नानी की कहानी और अन्तरिक्ष के पार से आने वाली बस की कहानी के उदाहरण देकर बतलाया है कि नानी अपनी परम्परा को निभाती हुई सारी दुनिया के बच्चों को युगों से अपनी कहानियाँ सुनाती रही है, उसकी कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा अर्थात् आखिरी हिस्सा अभी शेष रहता है, अर्थात् अभी तुम कहानी सुन सकते हो, यानी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हो। कवयित्री कहती है कि अन्तरिक्ष की जानकारी प्राप्त करके अन्तरिक्ष के पार से एक बस अर्थात् यान उन बचे हुए यात्रियों का समाचार ला रही है, जो मुश्किलों से जूझते हुए भी सफलता प्राप्त कर आ रहे हैं। आशय यह है कि मनुष्य को आशावान बनकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। इसलिए मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए. क्योंकि अभी सबसे कठिन समय नहीं है। अंतरिक्ष के पार लोग क्यों और क्या करने गए थे?मेरी जानकारी के अनुसार इन अंतरिक्ष यानों में सिर्फ़ यंत्र हैं।
अंतरिक्ष के पर लोग क्यों गए थे?यदि झूठ है तो कविता में ऐसा क्यों लिखा गया? अनुमान लगाइए यदि सच लगता है तो किसी अंतरिक्ष संबंधी विज्ञान कथा के आधार पर कल्पना कीजिए वह बस कैसी होगी, वे बचे हुए लोग खतरों से क्यों घिर गए होंगे? इस संदर्भ को लेकर कोई कथा बना सकें तो बनाइए।
अंतरिक्ष के 5 लोग क्यों गए थे?अंतरिक्ष की सैर का सपना तो हम में से बहुत से लोग देखते हैं. लेकिन अंतरिक्ष यात्री बनना आसान नहीं है.
अंतरिक्ष के पार लोग क्यों गए थे * I घूमने II कुछ नए कार्य करने III नई जानकारियाँ प्राप्त करने IV इनमें से कोई नहीं?(i) अभी भी चिड़िया की चोंच में तिनका दबा है। (ii) एक हाथ झड़ती हुई पत्ती को थामने के लिए बैठा है। (iii) अभी भी एक रेलगाड़ी गंतव्य तक जाती है। (iv) कथा का अखिरी हिस्सा बूढ़ी नानी सुना रही है जिसमें अभी भी एक बस अंतरिक्ष के पार की दुनिया से बचे हुए लोगों की खबर लाएगी।
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