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अनुकूलन किसी विशेष वातावरण में सुगमता पूर्वक जीवन व्यतीत करने एवं वंशवृद्धि के लिए जीवों के शरीर में रचनात्मक एवं क्रियात्मक स्थायी परिवर्तन उत्पन्न होने की प्रक्रिया है। यह शरीर का अंग या स्थिति नहीं बल्कि एक प्रक्रिया है[1] अनुकूलन द्वारा होने वाले स्थायी बदलावों को इस प्रक्रिया से भिन्न स्पष्ट करने के लिए उन्हें अनुकूलन जन्य लक्षण कहा जा सकता है।[2][3] सन्दर्भ[संपादित करें]
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Solution : अनुकूलन (Ecological adaptation) : अपने आवासीय भूमि कारक और वायुमण्डलीय कारक (धूप, हवा, वर्षा आदि) को सहन करते हुए जीवन की सभी क्रियाओं को सम्पन्न करना ही .अनुकूलन. कहलाता है । अनुकूलन वस्तुतः प्राकृतिक कारकों के साथ एक समझौता है । जो जन्तु या वनस्पति जहाँ उत्पन्न होता है. वहाँ मिट्टी, पानी, हवा. ताप आदि सभी भूमीय एवं वाह्य कारकों के अनुरूप अपने को बना लेना और उसी में वृद्धि करना, प्रजनन करना और अपना सम्पूर्ण जीवन चक्र पूरा करता है । यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें प्रकृति भी सहायता करती है। <br> जलीय पौधों में कुमुदिनी, कमल, हाइडिला, शैवाल आदि है। <br> (i) जड़ें बहुत कम तथा कोमल होती है या अनुपस्थित होती है । <br> (ii) तना कमजोर, पतला, लम्वा और पानी में तैरने वाला होता है, क्योंकि उनके अन्दर वायु-कोष्ठ बहुत होते हैं। <br> (iii) पत्तियाँ बड़ी-बड़ी, मोटी और स्पंजी ऊतकों से बनी रहती है, पत्ती की सतह पर मोम जैसी रासायनिक पदार्थ की परत रहती है जिससे पानी का असर न हो । <br> जन्तु में अनुकूलन : (i) मैदानी भागों में पाये जानेवाले जन्तुओं में छोटे या रोम की तरह के बाल सामान्य आकार के पैर, आँख, कान तथा नाक होती है । <br> (ii) पर्वतीय एवं मरुस्थली प्रदेश में पाये जानेवाले जन्तुओं में घने बाल, मोटी और फैटयुक्त चमड़ी होती है । कान, आँख, पैर आदि छोटे होते हैं । <br> (iii) जलीय जन्तुओं का शरीर स्ट्रीमलाइन्ड होता है । श्वसन के लिए विशेष अंग गिल होता है । जल संतुलन के लिए विशेष कार्यिक प्रविधियाँ होती है । तैरने हेतु विशेष शरीर संरचना पायी जाती है । जल दबाव सहने हेतु चर्म के नीचे चर्बी का मोटा स्तर पाया जाता है। Adaptation definition in hindi अनुकूलन की परिभाषा क्या है : जीव का ऐसा गुण जो उसे अपने आवेश में जीवित बने रहने जनन करने के योग्य बनाता है उसे अनुकूलन कहलाता है | अनुकूलन के उदाहरण (Adaptation examples) : सब्सक्राइब करे youtube चैनल
अनुकूलन क्या है उदाहरण?अनुकूलन किसी विशेष वातावरण में सुगमता पूर्वक जीवन व्यतीत करने एवं वंशवृद्धि के लिए जीवों के शरीर में रचनात्मक एवं क्रियात्मक स्थायी परिवर्तन उत्पन्न होने की प्रक्रिया है।
अनुकूलन क्या है इसका क्या महत्व है?अनुकूलन एक जीव की गुणवत्ता को संदर्भित करता है जो इसे अपने परिवेश में समायोजित करता है। अर्थ, यह किसी वातावरण के अनुकूल होने के लिए समायोजन या परिवर्तन की प्रक्रिया या अवस्था है। प्रत्येक प्रकार के जीव को जीवित रहने और ठीक से प्रजनन करने के लिए एक विशिष्ट स्थान की आवश्यकता होती है।
अनुकूलन किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?➲ अनुकूलन से तात्पर्य उस अवस्था से है, जब जीवो में होने वाली कोई भी शारीरिक, संरचनात्मक अथवा व्यवहारात्मक परिवर्तन के कारण जीव किसी विशेष आवासीय परिस्थिति में रहने के लिए विशेष लक्षण और विशेष दक्षता प्राप्त कर लेते हैं अर्थात में उस विशेष वातावरण एवं परिस्थिति में खुद को ढाल लेते हैं। ऐसी स्थिति को अनुकूलन कहा जाता है।
अनुकूलन की विधि क्या है?अनुकूलन जीवों के द्वारा की जाने वाली उस प्रक्रिया का नाम है, जिसमे सभी जीव अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए और अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करते है, अर्थात माहौल के अनुसार अपने को उस योग्य बनाते है। इस सम्पूर्ण प्रकिया को अनुकूलन कहा जाता है।
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