Eye Donation FAQ: आपने भी नेत्रदान के बारे में सुना होगा, लेकिन आज जान लीजिए आखिर ये कैसे होता है. इसे करने में कितना टाइम लगता है और किसी की मौत के बाद डॉक्टर क्या क्या करते हैं...ब्लड डोनेशन, आई डोनेशन को सबसे बड़ा दान माना जाता है. अगर आप किसी को अपनी आंखें दान देते हैं तो इससे एक ही नहीं दो लोगों को रोशनी मिलती है. यानी आप दो लोगों के जीवन में खुशियों की रोशनी दे देते हैं. आप भी नेत्रदान के बारे में काफी सुनते होंगे, लेकिन फिर भी आपके मन में कई सवाल होंगे कि आखिर किसी मरने के बाद नेत्रदान कैसे होता है. क्या इसके लिए पूरी सर्जरी होती है या फिर पूरी आंखें निकाल लेते हैं. इसके अलावा किसी के मरने के बाद नेत्रदान के लिए घर वालों को क्या क्या करना होता है? Show
अगर आपके मन में ऐसे ही सवाल हैं तो हम आपको नेत्रदान से जुड़े हर एक सवाल का जवाब दे रहे हैं, जिससे आपको नेत्रदान के बारे में पता चल सके. साथ ही लोग इसके लिए आगे आ सके. इसके लिए टीवी9 ने दिल्ली के शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स की सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सौम्या शर्मा से बात की, जिन्होंने नेत्रदान से जुड़े हर एक सवाल का जवाब दिया, जो आप लोगों को जानना आवश्यक है… क्या होता है नेत्रदान?डॉक्टर सौम्या ने बताया, ‘नेत्रदान का मतलब है मृत्यु के बाद किसी को आंखों की रोशनी देना. यह एक तरह से आंखों का दान होता है, जिससे मृत्यु के बाद किसी दूसरे नेत्रहीन व्यक्ति को देखने में मदद मिलती है. जैसा लोग मानते हैं कि यह आंखों का ट्रांसप्लांट होता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है. यह एक कोर्निया का दान होता है. इसमें पूरी आंख को नहीं निकाला जाता है यानी आंख की बॉल को नहीं निकाला जाता है, इसमें सिर्फ ट्रांसप्लांट टीश्यू ही लिए जाते हैं. यह किसी भी डोनर की मृत्यु के बाद ही होता है.’ कौन कर सकता है नेत्रदान?डॉक्टर का कहना है, ‘अधिकतर मामलों में हर कोई नेत्रदान कर सकता है. इसमें ब्लड ग्रुप, आंखों के रंग, आई साइट, साइज, उम्र, लिंग आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता है. डोनर की उम्र, लिंग, ब्लड ग्रुप को कॉर्नियल टीश्यू लेने वाले व्यक्ति से मैच करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. यहां तक कि डायबिटीज, अस्थमा के मरीज भी आंखें दान कर सकते हैं. इसके अलावा हाइपरटेंशन या नॉन कम्यूनिकेबल बीमारी का सामना कर रहे मरीज भी आंखें दे सकते हैं.’ कौन डॉनेट नहीं कर सकताहालांकि, डॉक्टर ने सौम्या ने बताया कि जिन लोगों की मृत्यु कम्यूनिकेबल बीमारी, एड्स, रेबिज, हेपेटाइटिस बी या सी, टिटनेस आदि से हुई है तो उन मरीजों की आंखें दान में नहीं दी जा सकती है. नेत्रदान से पहले और किसी की मृत्यु के बाद घर वालों को क्या करना चाहिए?किसी की मृत्यु के बाद जब तक आई डोनेशन नहीं हो जाता है, तब तक कुछ बातें उनके परिवारवालों को ध्यान रखनी चाहिए. अगर मृतक के परिवार जन कुछ बातों का ध्यान रख लें तो एक व्यक्ति से दो नेत्रहीन लोगों की भी मदद हो सकती है. इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए… – आंखें मृत्यु के 4-6 घंटे के बीच निकाल लेनी चाहिए और इसके लिए नजदीकी आई बैंक से संपर्क कर लेना चाहिए. – आंखे किसी ट्रेंड मेडिकल प्रोफेशनल की ओर से निकाली जा सकती है और इसकी प्रक्रिया घर या हॉस्पिटल दोनों में हो सकती है. – पूरी आई बॉल नहीं निकाली जाती है, जिससे कोई विकृति नहीं होती है. सिर्फ कॉर्नियल टीश्यू को ही निकाला जाता है, इसलिए इसमें घबराने या डरने की आवश्यकता नहीं है. इस पूरे प्रोसेस में सिर्फ 10 से 15 मिनट का टाइम लगता है. – मृतक के घर वालों को मृतक की आंखों पर रुई लगा देनी चाहिए . – साथ ही मृतक के सिर को 6 इंच तक ऊंचा कर देना चाहिए ताकि आंख से खून ना निकले. – सिर को साफ पॉलीथीन और बर्फ से कवर कर देना चाहिए. – इसके अलावा जब तक कोई मेडिकल घर नहीं पहुंचती है तब तक आंखों में एंटीबायोटिक ड्रॉप डाल देनी चाहिए और पंखें को बंद कर देना चाहिए. साथ ही ध्यान रखना चाहिए तब तक आंखें संक्रमित ना हो. – मृत्यु के बाद कौन मेडिकल टीम को बुला सकता है?मृत्यु के बाद कोई भी फैमिली मेंबर आई बैंक में संपर्क कर सकता है और डिटेल दे सकता है. वो आपके यहां मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम भेजें और कम्यूनिकेबल बीमारी की जांच के लिए ब्लड लेंगे और एक इंजेक्शन के बाद आंखे निकालने की प्रोसेस करेंगे. – इसके लिए किसी दस्तावेज की आवश्यकता है?इसके लिए आईबैंक की ओर से एक बेसिक फॉर्म भरवाया जाता है. इसके लिए कोई खास दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होता है, जिसके मृतक के परिवार को कोई दिक्कत हो. यह एक साधारण और फास्ट प्रोसेस है. – कितनी देर में होना चाहिए नेत्रदान?मृत्यु के 4 से 6 घंटे के बीच में नेत्रदान हो जाना चाहिए. खास बात ये है कि इससे अंतिम संस्कार की व्यवस्था में कोई देरी नहीं होती है और कोई विकृति नहीं होती है. – कितने दिन वापस आंख का हो जाता है इस्तेमाल?दरअसल, यह कोर्निया रखने पर निर्भर करता है और यह काम आई बैंक का होता है. लेकिन, आमतौर पर चार दिन के अंदर उन आंखों का इस्तेमाल कर लिया जाता है. – परिवार को देनी होती है कोई फीस?– अगर इस प्रावधान की पालना हो तो कानून के हिसाब से यह अंग खरीदने और बेचने जैसा है, जो कि गैर-कानूनी है. इससे कई अपराध भी हो सकते हैं, इसलिए किसी भी परिवार को न तो भुगतान करना होगा और न ही उन्हें इसके बदले में कोई पैसे मिलेंगे. दान का मतलब ही ये है कि यह किसी व्यावसायिक गतिविधि के लिए नहीं है. – कोई कैसे बन सकता है नेत्रदान का डोनर?नेत्रदान अपने निधन के बाद किसी को उपहार में रोशनी देने का अहम कार्य है. हर नेत्रदान से 2 कॉर्नियल नेत्रहीन लोगों को रोशनी मिल जाती है. आई डोनर बनने की प्रक्रिया काफी सरल है. आई डोनर बनने के लिए अपने नजदीकी आईबैंक में एक फॉर्म भरकर प्रतिज्ञा लेनी होती है. इसके बाद उन्हें नेत्रदान कार्ड भी दिया जाता है. बस, इतनी ही प्रोसेस होती है. किसी को भी आंखों की रोशनी देना एक अमूल्य उपहार है. आंख का कौन सा भाग दान में दिया जाता है?सही उत्तर कॉर्निया है।
नेत्र दान में क्या दान किया जाता है?परंपरागत रूप से प्रत्येक व्यक्ति जो नेत्रदान करता है वह दो अंधे लोगों को दृष्टि का उपहार प्रदान कर सकता है। कॉर्निया की कंपोनेंट सर्जरी के आने के साथ जिसमें एक विशिष्ट संकेत के लिए कॉर्निया की परत को ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसका मतलब है कि अस्वस्थ परत को स्वस्थ परत से बदल दिया जाता है, जिससे सामान्य दृष्टि होती है।
मानव नेत्र का कौन सा भाग नेत्रदान किया जाता है?Expert-Verified Answer. कॉर्निया आंख का वह हिस्सा है जिसे दान किया जाता है।
आंखें दान कैसे करते हैं?आई डोनर बनने के लिए अपने नजदीकी आईबैंक में एक फॉर्म भरकर प्रतिज्ञा लेनी होती है. इसके बाद उन्हें नेत्रदान कार्ड भी दिया जाता है. बस, इतनी ही प्रोसेस होती है. किसी को भी आंखों की रोशनी देना एक अमूल्य उपहार है.
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