इसे सुनेंरोकेंछोंकरा (उत्तर प्रदेश), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं। अंग्रेजी में यह प्रोसोपिस सिनेरेरिया नाम से जाना जाता है। Show शमी का पौधा कौन सा होता है?इसे सुनेंरोकेंये है शमी का पौधा, जी हां शास्त्रों के मुताबिक शमी के पौधे का विशेष महत्व है और इसे घर में लगाना बेहद ही शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि शमी का पौधा भगवान शिव का प्रिय है और भगवान शिव पर जल अर्पित करते समय जल में शमी का फूल या पत्ती डालने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. पढ़ना: तरंग गमन से आप क्या समझते हैं? शमी का पौधा कहाँ मिलेगा?इसे सुनेंरोकेंOjOrey पॉट के साथ शमी का पौधा, 7 इंच (हरा) : Amazon.in: बाग-बगीचा और आउटडोर स्टॉक में है. शमी के पौधे का क्या महत्व है? इसे सुनेंरोकेंधार्मिक मान्यता है कि शमी के वृक्ष की पूजा करने से शनि का दुष्प्रभाव कम हो जाता है. इससे शनि कि ग्रह को शांत किया जा सकता है. हिंदू धर्म में प्रचलित धर्म ग्रन्थों के मुताबिक़, जिस व्यक्ति के ऊपर शनि का कुप्रभाव है. उस व्यक्ति को अपने घर में शमी का पेड़ लगाना चाहिए और समय – समय पर उसका पूजन करना चाहिए. शमी के पत्ते को हिंदी में क्या कहते हैं? इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में शमी वृक्ष को ‘खेजड़ी’ के नाम से जाना जाता है। शमी के पौधे में फूल कब आता है?इसे सुनेंरोकेंभगवान शिव को अर्पित होता है शमी का फूल, फरवरी आते ही तैयार होने लगा शमी का पौधा शनिवार को सरसों के तेल का दीपक शमी के वृक्ष के नीचे जलाने की मान्यता के अलावा शमी वृक्ष के फूल और पत्तों के प्रयोग से शनि का कुप्रभाव शांत होता है। पढ़ना: प्रबलता परिभाषा क्या है? शमी के पेड़ की क्या पहचान है?इसे सुनेंरोकेंशमी का वृक्ष 9-18 मीटर ऊंचा, मध्यम आकार का और हमेशा हरा रहता है। इसके वृक्ष में कांटे होते हैं। इसकी शाखाएं पतली, झुकी हुई और भूरे रंग की होती हैं। इसकी छाल भूरे रंग की तथा खुरदरी होती है। शमी के पौधे की क्या पहचान है?इसे सुनेंरोकेंशमी के पौधे की पत्तियां मोटी होती हैं लेकिन छुईमुई पौधे की पत्तियां पतली होती है। शमी का पौधा 10 से 20 मीटर ऊंचा होता है तथा इसके फूल में तीन रंग पाए जाते हैं। पहला गुलाबी रंग इसके बाद हल्का पीला तथा गहरा पीला रंग इस तरह शमी के पौधे की पहचान उसके फूल से भी की जा सकती है। शमी का पौधा कैसे पहचाने? इसे सुनेंरोकेंशमी का वृक्ष 9-18 मीटर ऊंचा, मध्यमाकार और हमेशा हरा रहता है। इसके वृक्ष में कांटे होते हैं। इसकी शाखाएं पतली, झुकी हुई और भूरे रंग होती हैं। इसकी छाल भूरे रंग की, फटी हुई, तथा खुरदरी होती है। पढ़ना: पॉवरपॉइंट में कितने व्यू होते है? शमी के पेड़ में जल चढ़ाने से क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंअगर आप शमी के पेड़ की रोजाना पूजा करेंगे और जल चढ़ाएंगे तो आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी। शमी के पेड़ में जल देने से क्या होता है?इसे सुनेंरोकें-शमी के पौधे पर हर रोज नहाने के बाद जल चढ़ाना चाहिए -पूजा पाठ में भी इस पौधे के पत्तों का खास महत्व होता है -कहते हैं कि किसी अच्छे काम के लिए घर से जाने से पहले इस पौधे का दर्शन करके ही निकलना चाहिए. – इस पौधे की रोज पूजा करने से हर प्रकार की पीड़ा का नाश होता है. हर वृक्ष और हर पौधा अपने अंदर एक विशेष गुण रखता है. उसकी आकृति, रंग, सुगंध, फल और फूल अलग-अलग प्रभावों के कारण अलग-अलग ग्रहों से सम्बन्ध रखती है. अगर ग्रहों से सम्बंधित पौधे लगाकर उनका ध्यान रखें तथा पूजा उपासना की जाए, तो विशेष लाभ हो सकता है. शनि से सम्बन्ध रखने वाला पौधे का नाम शमी है. शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए और उसकी पीड़ा से मुक्ति के लिए शमी के पौधे का विशेष प्रयोग होता है. शमी का संबंध शनि से क्यों है और इसका धार्मिक महत्व क्या है- - माना जाता है कि श्रीराम ने लंका पर आक्रमण के पूर्व इस पौधे की पूजा की थी. - पांडवों ने अज्ञातवास में अपने सारे अस्त्र-शस्त्र इसी वृक्ष में छुपाए थे. इसलिए इस पौधे को अद्भुत शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है. - शमी का पौधा किसी भी स्थिति में जीवित रह सकता है. - अत्यंत शुष्क स्थितियां भी इसको नुकसान नहीं पहुंचा सकती है. - इसके अंदर छोटे-छोटे कांटे भी पाए जाते हैं, ताकि यह सुरक्षित रहे. - इसके कठोर गुणों और शांत स्वभाव के कारण इसका संबंध शनि देव से जोड़ा जाता है. शमी की स्थापना कैसे करें- - शमी का पौधा विजयादशमी को लगाना सबसे उत्तम होता है. - शमी को शनिवार के दिन लगा सकते हैं इसे गमले में या भूमि पर घर के मुख्य द्वार के निकट लगाएं, लेकिन इसे घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए. - प्रातःकाल इसमें जल डालें और प्रयास करें कि यह पौधा सूखने न पाएं. किस प्रकार शमी के पौधे की उपासना करें कि शनि की पीड़ा से मुक्ति मिले- - घर में लगाएं हुए शमी के पौधे के नीचे हर शनिवार को दीपक जलाएं. - यह दीपक सरसों के तेल का होना चाहिए. - नियमित रूप से इसकी उपासना से शनि की हर प्रकार की पीड़ा का नाश होता है. - शमी के पत्ते जितना ज्यादा घने होते हैं, उतनी ही घर में धन-संपत्ति और समृद्धि आएगी. - अगर शनि के कारण स्वास्थ्य या दुर्घटना की समस्या है, तो शमी की लकड़ी को काले धागे में लपेट कर धारण करें. शमी के पेड़ के कितने नाम है?छोंकरा (उत्तर प्रदेश), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं। अंग्रेजी में यह प्रोसोपिस सिनेरेरिया नाम से जाना जाता है।
शमी का दूसरा नाम क्या है?प्रश्न: शमी पत्र का दूसरा नाम क्या है? उत्तर: राजस्थान में शमी वृक्ष को खेजड़ी के नाम से जाना जाता है।
शमी के पौधे का हिंदी नाम क्या है?शमी के पेड़ को खेजड़ी का पेड़ भी कहा जाता है । अलग अलग स्थानों पर इस पेड़ को विभिन्न नामो से जाना जाता है जैसे राजस्थान में शमी के पेड़ को “सांगरी” के नाम से जाना जाता है , पंजाब में “जंड”, तमिल में “वण्णि” , गुजरती में “शमी सुमरी” इत्यादि । शमी के पेड़ का व्यापारिक नाम “कांडी” है।
शमी के पत्ते को और क्या बोलते हैं?सफेद कीकर । छिकुर । छोँकर । विशेष—शमी का वृक्ष पंजाब, सिंध, राजपूताना, गुजरात, और दक्षिण के प्रांतों में पाया जाता है ।
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