६ आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है और क्यों? - 6 aapako chhuttiyon mein kisake ghar jaana sabase achchha lagata hai aur kyon?

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प्रश्न-अभ्यास

कविता से

प्रश्न 1.
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
उत्तर:
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से जाता था क्योंकि –

  • उसके मामा के गाँव में रहने वाला बदलू मनिहार उसे लाख की रंग-बिरंगी मनमोहक गोलियाँ बनाकर दिया करता था।
  • बदलू उसके लिए दूध की मलाई बचाकर रखता था और लेखक को दिया करता था।
  • लेखक को बदलू के घर पर स्वादिष्ट आम खाने को मिलते थे।
  • गर्मी की छुट्टियों में वहाँ जाने पर उसका मन बहल जाया करता था।

बदलू, लेखक के मामा के गाँव का रहने वाला था। इस तरह उसे बदलू को मामा कहना चाहिए था। गाँव के सारे बच्चे बदलू को ‘बदलू काका’ कहते थे। उन सबके मुँह से ऐसा कहते सुनकर वह भी ‘बदलू काका’ कहता था।

प्रश्न 2.
वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर:
वस्तु – विनिमय पद्धति – प्राचीन काल में न रुपए-पैसों का प्रचलन था और न उनका सर्वमान्य मानक रूप ही प्रचलित था। उस समय भी लोग अपनी आवश्यकता की पूर्ति एक-दूसरे से ले-देकर करते थे। उस समय लोग एक वस्तु को देकर दूसरी वस्तु ले लिया करते थे। “वस्तुओं लेनदेन की जिस प्रसे वस्तु-विनिमय हाथ काट वित के लेनदेन की जिस प्रथा में वस्तुएँ, वस्तुओं के बदले में दी अथवा ली जाती थी, उसे वस्तु-विनिमय पद्धति कहते थे।”

प्रश्न 3.
‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।’-इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं’-इस पंक्ति में लेखक ने मशीनीकरण से उत्पन्न कड़वी सच्चाई की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। यह कड़वी सच्चाई मात्र सच्चाई न रहकर समाज में एक बड़े वर्ग के लिए व्यथा बन गई है।

लोगों के काम-धंधे बंद होने से उन्हें रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। उनके पास कोई काम न होने से वे अशक्त, लाचार होकर समाज पर बोझ बन गए हैं। उनके हाथों में गुण होने पर . भी वे ‘बेकार की वस्तु’ बनकर रह गए हैं। लेखक ने इसी व्यथा की ओर संकेत किया है।

प्रश्न 4.
बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।
उत्तर:
बदलू के मन की व्यथा-बदलू चूड़ी बनाने वाला एक कुशल कारीगर था। उसकी बनाई लाख की चूड़ियाँ गाँव की सभी औरतें पहनती थीं। समय बीतने के साथ उसकी बनाई चूड़ियों की गाँव में पूछ कम हो गई। उसका काम बंद हो गया। इसके अलावा, शादी के समय जिस सुहाग के जोड़े की वह मुंहमांगी कीमत लिया करता था, उसे भी लोग शहर से लाने लगे। काँच की चूड़ियों को देखकर कुढ़ने वाला कुशल कारीगर अब गाँव में हर कलाई पर काँच की चूड़ियाँ देखकर अपने ही आप विवश होकर रह गया है। उसकी यह व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।

प्रश्न 5.
मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर:
मशीनी युग से बदलू के जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए –

  • मशीनी युग के कारण उसके गाँव की महिलाओं की कलाइयों पर काँच की चूड़ियाँ सुशोभित होने लगीं।
  • उसकी बनाई काँच की चूड़ियों की पूछ घट गई।
  • इस पेशे से होने वाली आय समाप्त हो गई।
  • शादी-व्याह जैसे पवित्र मौकों पर ‘सुहाग के जोड़े’ के रूप में उसकी बनाई चूड़ियों को विशेष महत्त्व दिया जाता था, किंतु उसका स्थान काँच की चूड़ियों ने ले लिया था।
  • अपने व्यवसाय की उपेक्षा होते देखकर बदलू लाचार, अशक्त और कुंठित हो गया था।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
आपने मेले-बाज़ार आदि में हाथ से बनी चीज़ों को बिकते देखा होगा। आपके मन में किसी चीज़ को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए।
उत्तर:
मैंने मेले – बाजार आदि में हाथ से बनी जिन चीज़ों को बिकते हुए देखा है, उनमें मिट्टी के बने खिलौने, बर्तन, हाथ के पंखे, टोकरियाँ, मूर्तियाँ मुख्य हैं। मुझे मिट्टी के बने खिलौने बहुत अच्छे लगते हैं। इन खिलौनों को देखकर मेरे मन में उन्हें सीखने की प्रबल इच्छा हुई। गर्मी की छुट्टियों में मैंने सोचा कि मुझे खिलौने बनाना सीखना चाहिए। मैंने एक कलाकार के पास नियमित रूप से जाना शुरू कर दिया।

अथवा – खिलौने बनाने के लिए कलाकार उपयुक्त मिट्टी लाते हैं। इस मिट्टी को सफाई से गीला करके गूंथते हैं। मिट्टी को पर्याप्त मुलायम बनाकर इन खिलौनों के विभिन्न अंगों को बनाकर जोड़ दिया जाता है। इनको धूप में सुखाया जाता है। फिर उपयुक्त रंगों से रंगकर उपले, कोयले आदि के चूरे के मेल से आवें में पका लिया जाता है। पुनः इनकी सफाई करके बेच दिया जाता है।

प्रश्न 2.
लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं ? ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में होता है। लाख से बच्चों के खिलौने, मूर्तियाँ, चूड़ियाँ, डाकघर में मुहर लगाने के
लिए सील तथा पैकिंग के लिए लगाई जाने वाली सील आदि बनाई जाती है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
घर में मेहमान आने पर आप उसका अतिथि-सत्कार कैसे करेंगे?
उत्तर:
घर में आए मेहमान को मैं सादर प्रणाम करूँगा। उनका यथोचित परिचय जानकर मैं उन्हें ड्रॉइंग रूम में बिठाऊँगा। उन्हें अख़बार देकर या टेलीविज़न चालू करूँगा। जब तक उनका ध्यान इसमें लगेगा, मैं उनको पानी लाकर दूँगा। उनको पिताजी के घर पर होने या न होने की बात बताऊँगा। उनके लिए चाय (नाश्ता) लेकर आऊँगा। इसके बाद मैं उनके आने का उद्देश्य पूरृगा। यदि मुझसे कोई मदद हो सकती है, तो मैं करूँगा अन्यथा मैं पिता जी के आने का इंतज़ार करने के लिए कहूँगा।

प्रश्न 2.
आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए।
उत्तर:
अपनी छुट्टियों में मुझे अपने मामा के घर जाना सबसे अच्छा लगता है। वहाँ की दिनचर्या-वहाँ प्रात:काल जल्दी उठकर बाग की तरफ घूमने जाना, वहाँ कुछ देर तक खेलना, आम के पेड़ से पके आम तोड़ना, घर आकर नहाना-धोना सुबह के काम होते हैं। दोपहर में घर का दूध, लस्सी, मलाई तथा उनसे बनी मिठाइयाँ खाना तथा शाम के समय खेतों या बाग की ओर जाकर पतंग उड़ाना या गाय-भैंसों को नहलाने तालाब की ओर ले जाना, आते हुए बाग से आम लाना आदि करते हुए दिनचर्या पूरी तरह से अलग हो जाती है।’

प्रश्न 3.
मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।
उत्तर:
मशीनी युग में अनेक परिवर्तन होते रहते हैं। इस परिवर्तन का एक अच्छा उदाहरण कृषि है। कुछ समय पहले तक कृषि का लगभग हर कार्य किसान हाथ से करता था। खेत जोतने, बुवाई करने, निराई करने, खरपतवार नष्ट करने, सिंचाई, उनकी कटाई-मड़ाई तथा भंडारण आदि सारा काम हाथ तथा बैलों की मदद से किया जाता था। आज जुताई ट्रैक्टर द्वारा, बुवाई ड्रिल मशीन द्वारा, निराई हैरो द्वारा, खरपतवार नष्ट करने के लिए खरपतवारनाशी एवं दवाओं का छिड़काव मशीनों द्वारा, कटाई हारवेस्टिंग मशीन से, मड़ाई थ्रेशर द्वारा तथा भंडारण का कार्य मशीनों द्वारा किया जाने लगा है। इससे आस-पास के मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई है और उन्हें आजीविका कमाने के लिए शहर की ओर जाने पर विवश होना पड़ा है।

प्रश्न 4.
बाजार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
बाजार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। इन डिजाइनों में परिवर्तन समाज की रुचि, सोच, फैशन आदि में आए परिवर्तन के कारण होता है।

प्रश्न 5.
हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र इस संबंध में बातचीत करें तथा लेख स्वयं तैयार करें।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
‘बबलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से’ और बदलू स्वयं कहता है-“जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?” ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।
उत्तर:
व्यंग्य वाक्य –
(i) शहर की बात और है, लला! वहाँ तो सभी कुछ होता है।
अर्थ – शहर और गाँव की परंपरा तथा रीतिरिवाजों में बहुत अंतर होता है। शहर जैसा खुलापन गाँवों में नहीं है। गाँव पिछड़े हुए हैं।

(ii) लाख की चूड़ियाँ पहने, तो मोच आ जाए।
अर्थ – लाख की बनी चूड़ियाँ मज़बूत तथा ठोस होती हैं। ये चूड़ियाँ हाथों में भारी प्रतीत होती हैं। काँच की चूड़ियाँ हल्की होती हैं। शायद शहर की औरतें लाख की चूड़ियों का भार न सह सकें। .

(iii) मशीनी युग है न यह, लला! आजकल सब काम मशीन से होता है।
अर्थ – इस मशीनी युग में लोग सब काम मशीन से करना और कराना पसंद करते हैं। इससे दूसरों का जीवन कितना प्रभावित होता है, इसकी चिंता किसी को नहीं होती है।

(iv) नाजुक तो फिर होता ही लला अर्थ-लोगों को कोमलता पसंद है, भले ही इस कोमलता के कारण उन्हें कभी-कभी क्यों न घायल होना पड़ जाए।

(v) गाय कहाँ है लला! दो साल हुए बेच दी। कहाँ से खिलाता?
अर्थ – काँच की चूड़ियों के सामने कोई भी लाख की चूड़ियाँ खरीदना पसंद नहीं करता है। इससे खुद ही खाने की समस्या हो गई है। ऐसे में गाय को कहाँ से और क्या खिलाता?

प्रश्न 2.
बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है
(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे-लला, रज्जो, आम काँच, गाय इत्यादि
(ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे-चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा।
(ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे-सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार, वजन। परंतु उसका अनुभव होता है पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आए कुछ संज्ञा शब्द (वर्गीकृत) व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा – बदलू, नीम, लाख, मामा, गाँव, आदमी, जिद, महत्त्व, आम, जनार्दन, बच्चे, गोलियाँ, पढ़ाई, मोच, रज्जो, दमा, काँच। मकान, सहन, वृक्ष, रुचि, शांति, चौखट, सलाख, सुंदरता, व्यथा, चूड़ियाँ, मचिया, प्रसन्नता, व्यक्तित्व। हुक्का, नव-वधू, कलाई, अनाज, घरवाली, वस्त्र, पगड़ी, मरद, सड़क, गाय, दूध, स्कूल, लड़की, चित्र, मशीन, लला, पेड़, जमींदार, साहब, शहर।

प्रश्न 3.
गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।
उत्तर:

६ आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है और क्यों? - 6 aapako chhuttiyon mein kisake ghar jaana sabase achchha lagata hai aur kyon?

छुट्टियों में किसके घर जाना अच्छा लगता है और क्यों?

Solution : छुट्टियों में मुझे अपने मामा के घर जाना सबसे अच्छा लगता है, क्योंकि मामा-मामी का सहज स्नेह जहाँ मुझे उस घर की ओर खींचने लगता है, वहीं उनके गाँव का वातावरण, हरे-भरे खेत, फसलें, फलों से लदे आम के पेड़, प्रात:कालीन वातावरण में कलरव करते हुए पक्षी, बहती हुई नदी, उसमें किल्लोल करते हुए पशु-पक्षी मेरे मन को सहज ही ...

लेखक को मामा के घर जाना क्यों अच्छा लगता था आपको छुट्टियों में किसके घर जाना अच्छा लगता है और क्यों?

बचपन में जब लेखक गरमी की छुट्टियों में अपने मामा के घर रहने जाता तो उस 'बदलू काका' से लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ लेने का चाव होता था। ये गोलियां इतनी सुंदर होती थी कि कोई भी बच्चा इनकी और आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था

2 आपके मनपसंद कविता की कोई चार पंक्तियां लिखिए 3 आपको छुट्टियों में किसके घर जाना अच्छा लगता है और क्यों?

कब छुट्टियाँ निकल गईं पता नहीं लगता था । और यह भी याद नहीं रहता था कि कितनी पुस्तकें पढ़ डालीं ।