आलो आंधारि का अर्थ क्या है - aalo aandhaari ka arth kya hai

विषयसूची

  • 1 आलो आधारी शब्द का क्या अर्थ होता है?
  • 2 सजने संवरने के बारे में बेबी की क्या राय थी?
  • 3 बेबी कितने कक्षा तक पढ़ी थी?
  • 4 तातुश लेखिका को देखकर क्या सोचते थे?
  • 5 सुनील कौन था उसने बेबी की सहायता किस प्रकार की?
  • 6 बेबी हवलदार ने ऐसा क्यों कहा मेरा इतना सुख अभी तक कहाँ था?
  • 7 2 अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन सी सच्चाईउजागर होती है?
  • 8 बेबी हालदार अपने मकान वाले को क्या कहकर पुकारती थी *?

आलो आधारी शब्द का क्या अर्थ होता है?

इसे सुनेंरोकेंआलो-आँधारि-लेखिका की आत्मकथा है-यह उन करोड़ों झुग्गियों की कहानी है जिसमें झाँकना भी भद्रता के तकाजे से बाहर है। यह साहित्य के उन पहरुओं के लिए चुनौती है जो साहित्य को साँचे में देखने के आदी हैं, जो समाज के कोने-अँतरे में पनपते साहित्य को हाशिए पर रखते हैं और भाषा एवं साहित्य को भी एक खास वर्ग की जागीर मानते हैं।

सजने संवरने के बारे में बेबी की क्या राय थी?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 3: सजने-सँवरने के बारे में बेबी की क्या राय थी? उत्तर – कोलकाता की शर्मिला दीदी ने लेखिका को अपने घर आने का निमंत्रण दिया तथा सजने-सँवरने आदि की बात कही। सजने-सँवरने की बात पर लेखिका को हैरानी होती है। बचपन से ही उसे सजने का शौक नहीं था।

तातुश का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकें➲ ‘तातुश’ का अर्थ होता है, पिता के समान व्यक्ति। बेबी हालदार उन सज्जन को ‘तातुश’ कहकर बुलाती थी, जिनके घर में वह घरेलू नौकरानी के रूप में काम करती थीं। घर के सभी सदस्य उनको ‘तातुश’ कहकर बुलाते थे।

आलो आंधारि पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंइस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस पर विचार करिए। इन लोगों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती।

बेबी कितने कक्षा तक पढ़ी थी?

इसे सुनेंरोकेंवह रुक-रुक कर स्कूल जाती थी और छठी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, जब १२ साल की उम्र में, उसके पिता ने उसकी शादी १४ साल के एक वरिष्ठ व्यक्ति और एक छोटे से डेकोरेटर से कर दी। 13 साल की उम्र में अपना पहला बच्चा हुआ था, साथ ही और दो बच्चे एक त्वरित उत्तराधिकार में हुआ था।

तातुश लेखिका को देखकर क्या सोचते थे?

इसे सुनेंरोकेंतातुश लेखिका को प्यार करते थे तथा उसकी हर संभव सहायता करते थे बेबी को अपनी बेटी जैसा मानते थे जिस कारण से तातुश लेखिका को देख कर पसंहो उठते थे।

बेबी को तातुश के घर काम कैसे मिला?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: तातुश जैसे सहृदय लोग सौभाग्य से ही मिलते हैं। उन्होंने बेबी को अपने घर में घरेलू काम के लिए रखा, पर सदा उसका ध्यान रखते हुए यह सोचा कि उसका भी मन है, उसकी भी इच्छाएँ हैं, उसे भी अच्छी तरह जीने का अवसर मिलना चाहिए।

प्रस्तुत पाठ से क्या संदेश मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत पाठ से हमें यह संदेश मिलता है कि भले दुनिया में कितने ही bad लोग क्यों न हो पर इसका मतलब यह नहीं है कि अच्छे लोग नहीं हैं इस दुनिया में। कई प्रकार से हम अच्छे लोगों से मिलते हैं अौर वह कई प्रकार से हमारी सहायता करते हैं।

सुनील कौन था उसने बेबी की सहायता किस प्रकार की?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 3: सुनील ने बेबी की सहायता कैसे की? उत्तर – सुनील तीस-बत्तीस साल का युवक था जो एक कोठी में ड्राइवर का काम करता था। बेबी ने उसे कहीं काम दिलवाने के लिए कह रखा था, जब सुनील को पता चला कि बेबी को डेढ़ सप्ताह से कोई काम नहीं मिला तो वह उसे तातुश के घर ले गया। उनसे बातचीत करके उसने बेबी को उनके घर का काम दिलवा दिया।

बेबी हवलदार ने ऐसा क्यों कहा मेरा इतना सुख अभी तक कहाँ था?

इसे सुनेंरोकेंइसका कारण यह था कि पहले घर-घर काम की तलाश या काम करती हुई घूमने वाली बेबी को अब अपने बच्चों के लिए समय मिलता था। बच्चों को भी अब अच्छा माहौल मिला था। वे स्कूल जाकर पढ़ाई करते और सभ्य लोगों को देखते और सुनते। प्रश्न.

तातुश का व्यक्तित्व हमें क्या सिखाता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: तातुश के परिवार में आने के बाद उसे आवास, वित्त, भोजन आदि समस्याओं से राहत मिली। यहाँ उसके बच्चों का पालन-पोषण ठीक ढंग से होने लगा। यदि उसकी जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन अंधकारमय होता।

कुंई कितने प्रकार की होती है?

इसे सुनेंरोकेंकुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी। उत्तर: पालरपानी-यह पानी का वह रूप है जो सीधे बरसात से मिलता है। यह धरातल पर बहता है और इसे नदी, तालाब आदि में रोका जाता है।

2 अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन सी सच्चाईउजागर होती है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की यह सच्चाई उजागर हुई कि कोई अपना रक्त के संबंधों से नहीं मनुष्य के हृदय से होता है। बेबी के परिवार में माता-पिता तथा भाई थे। इनके होते हुए भी उसे कठिन जीवन जीना पड़ा।

बेबी हालदार अपने मकान वाले को क्या कहकर पुकारती थी *?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: स्वयं को ‘तातुश’ कहकर पुकारने को कहा। वे उसे बेबी कहते थे तथा अपनी बेटी की तरह मानते थे। उनका सारा परिवार लेखिका का ख्याल रखता था।

बेबी हालदार की कितनी संताने थी?

इसे सुनेंरोकेंप्रारंभिक जीवन और विवाह 13 साल की उम्र में अपना पहला बच्चा हुआ था, साथ ही और दो बच्चे एक त्वरित उत्तराधिकार में हुआ था।

आलो आंधारि का हिंदी अर्थ क्या है?

आलो-आँधारि-लेखिका की आत्मकथा है-यह उन करोड़ों झुग्गियों की कहानी है जिसमें झाँकना भी भद्रता के तकाजे से बाहर है। यह साहित्य के उन पहरुओं के लिए चुनौती है जो साहित्य को साँचे में देखने के आदी हैं, जो समाज के कोने-अँतरे में पनपते साहित्य को हाशिए पर रखते हैं और भाषा एवं साहित्य को भी एक खास वर्ग की जागीर मानते हैं।

आलो आंधारि क्या संदेश देती है?

इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस पर विचार करिए। इन लोगों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती।

आलो आंधारि किसकी आत्मकथा है?

बेबी हलदर (या हलधर ) (जन्म 1973) एक भारतीय घरेलू कार्यकर्ता और लेखक हैं, जिनकी प्रशंसित आत्मकथा ऐलो अंधारी (ए लाइफ कम ऑर्डिनरी) (2006) में उनके कठोर जीवन के बारे में बताया गया है, जो एक घरेलू कार्यकर्ता के रूप में बड़ी हो रही हैं और बाद में 13 विदेशी भाषाओं सहित 21 भाषाओं में अनुवाद किया गया।

आलो आंधारि पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं के बारे में पता चलता है। घरेलू नौकरों को, और किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस पर विचार कीजिए। घरेलू नौकरी में वित्तीय सुरक्षा नहीं मिलती है।