5 साल के बच्चों को गोरा कैसे करें? - 5 saal ke bachchon ko gora kaise karen?

5 साल के बच्चों को गोरा कैसे करें? - 5 saal ke bachchon ko gora kaise karen?

5 साल के बच्चों को गोरा कैसे करें? - 5 saal ke bachchon ko gora kaise karen?

Baby Skin Whitening Tips: नवजात शिशु की स्किन बहुत ही सेंसिटिव और कोमल होती है। ऐसे में केमिकलयुक्त प्रोडक्ट्स बच्चों की स्किन के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अक्सर बच्चों की स्किन टोन बहुत जल्दी बदलती रहती है। इसका कारण यही होता है कि शिशुओं की स्किन बहुत ज्यादा नाजुक होती है और गर्भ से बाहर आने के बाद बाहर के वातावरण के अनुसार ढल रही होती है। वैसे तो बच्चे की स्किन टोन काफी हद तक माता-पिता के जैसी होती है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनसे बच्चों की रंगत को निखारा जा सकता है। तो चलिए जानते हैं बच्चों की स्किन की देखभाल करने और उसे गोरा बनाने के आसान और सुरक्षित तरीकों के बारे में-

5 साल के बच्चों को गोरा कैसे करें? - 5 saal ke bachchon ko gora kaise karen?

बच्चे के त्वचा की रंगत साफ करने के घरेलू उपाय

1. दूध और हल्‍दी से त्वचा में आएगा निखार

शिशु की त्वचा को साफ कर रंगत निखारने के लिए दूध और हल्दी काफी फायदेमंद होती है। इसके लिए कच्चे दूध में हल्दी और बेसन मिलाकर पेस्ट बनाएं और फिर इस पेस्ट को पूरे शरीर पर लगा दें। पेस्ट को 10 मिनट लगा रहने के बाद किसी सूती मुलायम कपड़े से साफ कर दें। फिर दूसरे साफ कपड़े को पानी में डुबोकर निचाड़ लें और अब उस कपड़े से शिशु के शरीर को साफ करें। बात करें दूध और हल्दी के गुणों की तो दूध जहां विटामिन ए, बी12, डी, लैक्टिक एसिड और बायोटिन से भरपूर होता है, तो वहीं हल्दी एंटी-बैक्‍टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है। दूध और हल्दी का ये पेस्ट शिशु की स्किन के लिए नेचुरल क्लींजर का काम करता है। इससे त्वचा की गंदगी दूर होने के साथ वो हाइड्रेट होती है साथ ही रंग भी निखरता है।

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2. दही-टमाटर की मालिश से स्किन बनेगी ग्लोइंग

शिशु की स्किन को बेहतर बनाने के लिए दही और टमाटर की मालिश भी काफी फायदेमंद होती है। इसके लिए एक बाउल में टमाटर को अच्छे से स्मैश कर लें, फिर इसमें 2 चम्मच दही मिलाकर पेस्ट बनाएं। अब इस पेस्ट से शिशु की पूरी बॉडी पर हल्के हाथों से मालिश करें। दही और टमाटर की मालिश से त्वचा की मृत कोशिकाएं फिर से जीवित हो जाती हैं, जिससे स्किन में चमक आती है। दही जहां त्वचा को हाइड्रेट करने का काम करता है, वहीं टमाटर नेचुरल ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम करता है। इन दोनों के पेस्ट की मसाज से गंदगी दूर होकर स्किन ग्लोइंग बनती है।  

3. ओटमील स्‍क्रब से त्वचा होगी मॉइश्चराइज

बच्चे की स्किन कुछ सालों तक बहुत नाजुक और कोमल होती है, जो किसी भी साबुन या शैंपू से कठोर हो सकती है। कठोर त्वचा की इस समस्या को दूर करने के लिए ओटमील का स्क्रब बहुत फायदेमंद होता है। ओटमील के स्क्रब को तैयार करने के लिए थोड़ा सा ओट्स लेकर इसमें शहद मिलाएं। इस स्क्रब को थोड़ा पतला करने के लिए इसमें गुनगुना पानी मिला सकते हैं। अब इन तीनों को अच्छे से मिलाकर इसका एक स्क्रब बना लें और हल्के हाथों से बच्चे की स्किन पर स्क्रब करें। स्क्रब करने के तीन मिनट बाद बच्चे को नहला दें। इससे बच्चे की त्वचा में निखार आने के साथ-साथ शहद से स्किन मॉइश्चराइज भी होती है। 

5 साल के बच्चों को गोरा कैसे करें? - 5 saal ke bachchon ko gora kaise karen?

4. नारियल तेल भी है फायदेमंद

शिशु की स्किन को हाइड्रेट करने और उसे रूखेपन से बचाने के लिए नारियल के तेल की मालिश काफी फायदेमंद होती है। नारियल के तेल की मालिश से स्किन में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और साथ ही त्वचा की नमी बरकरार रहती है। इसके अलावा नारियल का तेल रंग निखारने में भी कारगर होता है। हर रोज बच्चे को नहलाने से 10 मिनट पहले नारियल के तेल से बच्चे की मालिश करें। नारियल के तेल की मालिश से दाग-धब्बे दूर होने के साथ ही त्वचा में निखार भी आता है।

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इन आसान तरीकों से आप बच्चे की स्किन को साफ कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपके बच्चों की स्किन पर किसी तरह की परेशानी है, तो एक्सपर्ट की सलाह पर ही किसी भी चीज को स्किन पर लगाएं।

आपके शिशु का रंग, गहरा या गोरा, गर्भाधान के समय उसके वंशाणुओं से निर्धारित होता है। गर्भावस्था के दौरान या शिशु के जन्म बाद कोई तरीका उसकी प्राकृतिक रंगत में बदलाव नहीं ला सकता।

वंशाणु आपके शिशु की त्वचा में मेलानिन की मात्रा को निर्धारित करते हैं। मेलानिन वह रंजकता (पिग्मेंटेशन) है जो त्वचा को रंग देती है। आपके शिशु की त्वचा में जितना अधिक मेलानिन होगा, उसकी रंगत उतनी ही गहरी होगी। मेलानिन सूरज की हानिकारक किरणों से त्वचा को सुरक्षित रखता है। ये किरणें धूप से झुलसने (सनबर्न) और त्वचा के कैंसर का कारण बनती हैं।

सूरज की किरणों के संपर्क में आने से त्वचा में मेलानिन का उत्पादन प्रभावित होता है। इसलिए, यदि आपका शिशु नियमित तौर पर धूप में रहता हो, तो उसकी त्वचा का रंग गहरा होगा। वहीं, अगर शिशु कभी-कभार ही लंबे समय के लिए धूप में रहता हो, तो उसकी त्वचा साफ दिख सकती है। मगर, शिशु अपनी त्वचा के प्राकृतिक रंग से अधिक गोरा नहीं हो सकता और यह प्राकृतिक रंगत जन्म के तुरंत बाद बन जाती है।

नवजात शिशु जन्म के समय अक्सर गोरे लगते हैं, और कभी-कभी त्वचा में गुलाबी रंगत भी होती है। यह गुलाबी रंगत लाल रक्त वाहिकाओं से मिलती है, जो कि शिशुओं की पतली त्वचा में से दिखाई देती हैं। अधिकांश माता-पिता इसे बच्चे की त्वचा का वास्तविक रंग मान लेते हैं। मगर नवजात की त्वचा का रंग थोड़ा गहरा होने लगता है, क्योंकि त्वचा को रंग देने वाला प्राकृतिक रंजक (पिग्मेंट)-मेलानिन- का उत्पादन शुरु हो जाता है। इसलिए शुरुआत में शिशु की रंगत में बदलाव आना सामान्य है।

नवजात शिशु की त्वचा दिखने में अलग-अलग होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे के जन्म के समय आप कितने सप्ताह की गर्भवती थी। समय से पहले जन्मे (प्रीमैच्योर) शिशुओं की त्वचा पतली और पारदर्शी होती है और हो सकता है यह गर्भलोम (लेनुगो) यानि कि पतले एवं रोमिल बालों से ढकी हो। ऐसे शिशु अभी तक वर्निक्स से भी ढके हो सकते हैं। यह चिपचिपा सफेद पदार्थ होता है, जो शिशु की त्वचा को एमनियोटिक द्रव से सुरक्षित रखता है।

पूर्ण अवधि पर और देर से जन्मे शिशुओं में केवल त्वचा की सिलवटों में ही वर्निक्स के कुछ अवशेष मिलते हैं। देर से हुए बच्चे थोड़े झुर्रीदार भी दिख सकते है, और उनमें थोड़ा बहुत लेनुगो लगा हो सकता है।

जिस तरह शिशु की रंगत को गोरा बनाने के लिए उसे धूप से दूर रखना स्वास्थ्यकर नहीं है, उसी तरह उसे बहुत ज्यादा समय तक धूप में रखना भी हानिकारक ही है।

यदि आपके नवजात शिशु को पीलिया है, तो डॉक्टर उसे सुबह 10 से 15 मिनट तक धूप में रखने की सलाह दे सकते हैं। यह पीलिया के उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और शिशु की रंगत की चिंता में ऐसा न करना सही नहीं है। धूप की वजह से शिशु की रंगत में आने वाला बदलाव अस्थाई होता है।

जब आपका शिशु बड़ा होता है, तो बाहर खेल-कूद करना उसकी विकसित हो रही दृष्टि और संपूर्ण स्वास्थ्य व शारीरिक विकास के लिए बहुत जरुरी है। आपके बच्चे को विटामिन डी के उत्पादन के लिए धूप में समय बिताना व खेल-कूद करना जरुरी है। स्वस्थ हड्डियों के लिए विटामिन डी महत्वपूर्ण है।

जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, समय के साथ उसकी त्वचा के रंग में भी बदलाव आता है। जब आपका बच्चा बाहर धूप में खेल-कूद में ज्यादा समय बिताता है, तो उसकी त्वचा हल्की सी गहरी हो जाती है। साल के जिन महीनों में बाहर खेलना संभव नहीं होता, तो उन दिनों उसकी त्वचा थोड़ी गोरी लग सकती है। मगर, चाहे शिशु की त्वचा का रंग कुछ भी हो, आपको और जो भी उसे प्यार करते हैं, वह उन्हें उतना ही प्यारा और आकर्षक लगेगा। इसलिए, शिशु की रंगत को लेकर चिंतित न हों, गोरी त्वचा का मतलब अधिक सुंदर त्वचा होना नहीं है।

कई माँएं घर में बने लेप, उबटन या क्रीम के इस्तेमाल से अपने शिशु का रंग बदलने की कोशिश करती हैं। इनका आपके बच्चे के रंग पर कोई असर नहीं होगा, और ये सब आपके शिशु के लिए हानिकारक भी साबित हो सकते है।

घर के बने लेप या उबटन
कच्चे दूध, ताजा मलाई, बेसन और हल्दी का लेप अक्सर मालिश के दौरान शिशु को लगाया जाता है। कच्चे दूध में ऐसे जीवाणु हो सकते हैं, जो दस्त (डायरिया) या फिर टी.बी. जैसे इनफेक्शन पैदा कर सकते हैं। ताजा मलाई त्वचा को चिकना बनाती है और गर्मी में इसके कारण शिशु की त्वचा में चकत्ते (रैश) हो सकते हैं। अगर इसे उचित ढंग से धोकर साफ न किया जाए, तो सर्दियों में भी चकत्ते हो सकते हैं। इसके अलावा, बेसन और हल्दी के खुरदरेपन से शिशु की नाजुक त्वचा पर मामूली खरोंच या चकत्ते भी हो सकते हैं।

टैल्कम पाउडर
कुछ माताएं अपने बच्चों को गोरा बनाने के लिए उन्हें बहुत सारा टैल्कम पाउडर लगाती हैं। इससे शिशु की रंगत पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि पाउडर को चेहरे पर न लगाने की सलाह दी जाती, क्योंकि शिशु पाउडर के छोटे कणों को सांस के जरिये अंदर ले सकता है। और अधिक पढ़ें कि टैल्कम पाउडर का सुरक्षित इस्तेमाल कैसे किया जाए।

गोरेपन की  क्रीम
शिशु की त्वचा पर गोरा बनाने वाली किसी भी क्रीम का इस्तेमाल उचित नहीं है। ऐसी क्रीम महंगी होती हैं, और ये शायद ही असर दिखाएं। यदि इनसे कुछ फर्क पड़ता भी है, तो भी शिशु की नाजुक त्वचा पर इनका इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है।

इनमें स्टेरॉयड और अन्य रसायन (कैमिकल) जैसे कि पारा (मर्क्यरी) और हाइड्रोक्विनॉन हो सकते हैं, जो सुरक्षित नहीं हैं। हो सकता है इन रसायनों का नाम पैक पर अंकित सामग्रियों की सूची में न दिया गया हो। स्टेरॉइड युक्त क्रीम का इस्तेमाल चेहरे पर कभी नहीं किया जाना चाहिए। गोरा बनाने वाली इन क्रीम के इस्तेमाल से शिशु की नाजुक त्वचा पर चकत्ते, एलर्जी हो सकती है और यहां तक कि त्वचा जल भी सकती है।

कुछ लोग त्वचा की रंगत को हल्का करने के लिए आयुर्वेदिक या प्राकृतिक क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, ये क्रीम कितनी सुरक्षित व प्रभावी हैं, इस बारे में पर्याप्त अध्ययन उपलब्ध नहीं हैं। इनमें से कुछ क्रीम में ऐसी सामग्रियां हो सकती हैं, जो कि अप्रिय साइड इफेक्ट पैदा कर सकती हैं।

भविष्य में शिशु के आत्म-सम्मान के लिए यह जरुरी है कि वह जैसा है, आप उसे वैसे ही स्वीकार करें। जब आप ऐसा करेंगी, तो महसूस करेंगी कि आपका लाडला शिशु कितना सुन्दर है, फिर चाहे उसका रंग कैसा भी है।

इन सबके अलावा शिशु की त्वचा या रंगत में बदलाव के अन्य कारणों को भी जानना अच्छा है। शिशु को तेज बुखार होने पर भी उसकी त्वचा लाल दिख सकती है। या फिर ठंड की वजह से उसके हाथों और पैरों में हल्की सी नीली रंगत आ सकती है। कुछ बच्चे अत्याधिक रोने के कारण भी लाल या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। रंग में ये सभी विविधताएं सामान्य और अस्थाई हैं।

वहीं दूसरी तरफ, त्वचा की रंगत में कुछ बदलाव किसी स्वास्थ्य समस्या की तरफ इशारा कर सकते हैं और ऐसे में चिकित्सकीय सहायता की जरुरत हो सकती है। रोने का दौर पूरा होने के बाद भी अगर नीला रंग नहीं जाता है, या शिशु की त्वचा, होंठ और नाखूनों पर भी नीली रंगत हो, तो यह सांस या रक्त परिसंचरण की समस्याओं का संकेत हो सकता है।

कुछ शिशुओं में हृदय विकार की वजह से त्वचा के रंग में बदलाव (साइनोसिस) हो सकता है। क्योंकि उनके रक्त् में आॅक्सीजन का स्तर सामान्य से कम होता है। हल्की त्वचा वाले शिशुओं में नीली रंगत विकसित हो जाती है। गहरी रंगत वाले शिशुओं में मुंह के आसपास स्लेटी या सफेद रंगत और माथे, नाक और होंठ पर नीले रंग का तिकोना आकार दिखाई दे सकता है।

यदि आपको शिशु की त्वचा में ऐसे कोई लक्षण दिखें या फिर त्वचा की रंगत में बदलाव का कारण आप समझ न पा रही हों, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: My baby's skin is getting darker. How can I change his complexion?

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5 साल के बच्चे का रंग गोरा कैसे करें?

ऐसे में कुछ घरेलू उपाय अपनाकर बच्चों की रंगत को निखारा जा सकता है। बच्चे की रंगत को निखारने के लिए आप दध और हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस उपाय को करने के लिए आप सबसे पहले कच्‍चे दूध में हल्‍दी या बेसन मिलाकर शिशु के शरीर पर 5 से 10 मिनट के लिए लगाएं। इसके बाद साफ सूती कपड़े से इस पेस्ट को शिशु के शरीर से हटा दें।

4 साल के बच्चे को गोरा कैसे करें?

शिशु की स्किन को नैचुरली गोरा और साफ करने के लिए, अपनाएं ये खास....
​दूध और हल्‍दी कच्‍चे दूध में हल्‍दी या बेसन मिलाकर शिशु के शरीर पर लगाएं और 5 से 10 मिनट के बाद इसे साफ और सूती कपड़े से हटा दें। ... .
​दही और टमाटर दही में टमाटर के गूदे को मिलाकर शिशु की स्किन की मालिश करें। ... .
​ओटमील स्‍क्रब ... .
​नारियल तेल ... .
​एलोवेरा जेल.

बच्चों का कालापन कैसे दूर करें?

बच्चे के त्वचा की रंगत साफ करने के घरेलू उपाय.
दूध और हल्‍दी से त्वचा में आएगा निखार शिशु की त्वचा को साफ कर रंगत निखारने के लिए दूध और हल्दी काफी फायदेमंद होती है। ... .
दही-टमाटर की मालिश से स्किन बनेगी ग्लोइंग ... .
ओटमील स्‍क्रब से त्वचा होगी मॉइश्चराइज ... .
नारियल तेल भी है फायदेमंद.

बच्चों को गोरा करने के लिए कौन सा तेल लगाएं?

अपने बच्चे की मालिश करते समय, घर्षण को रोकने में मदद के लिए आप अपने हाथों पर तेल की थोड़ी मात्रा का उपयोग कर सकते हैं। जिन बच्चों को एक्जिमा या अन्य संवेदनशील त्वचा की स्थिति है, उनके लिए भी बेबी को गोरा करने का आयल एक अच्छा विकल्प है। बेबी ऑयल उनकी त्वचा को शांत करने और उनकी रक्षा करने में मदद कर सकता है।