Show 2014 में आयोजित एशियाई खेलों का प्रतीक चिह्न एशियाई खेल प्रत्येक चार वर्ष बाद आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है जिसमें केवल एशिया के विभिन्न देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं। एशियाई खेलों को एशियाड के नाम से भी जाना जाता है। इन खेलों का नियामन एशियाई ओलम्पिक परिषद द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक परिषद के पर्यवेक्षण में किया जाता है। प्रत्येक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान के लिए स्वर्ण, दूसरे के लिए रजत और तीसरे के लिए कांस्य पदक दिए जाते हैं, जिस परम्परा का शुभारम्भ 1951 में हुआ था। खेल प्रतियोगिताएँएशियाई खेलों में निम्नलिखित खेल प्रतियोगिताएँ होती हैं-
एशियाई खेलों का इतिहासप्रथम एशियाई खेलों का आयोजन नई दिल्ली, भारत में किया गया था, जिसने 1982 में पुनः इन खेलों की मेज़बानी की। 16वें एशियाई खेलों का आयोजन 12 नवंबर से 27 नवंबर, 2010 के बीच किया गया, जिनकी मेज़बानी ग्वांगझोउ, चीन ने की। 17वें एशियाई खेलों का आयोजन 17 सितम्बर से 4 अक्तूबर 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में हुआ। एशियाई खेलों का आयोजन[1]
2014 एशियाई खेल17वें एशियाई खेल 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित हुए। इनका आयोजन 17 सितम्बर से 4 अक्टूबर 2014 के मध्य हुआ। 17वें एशियाई खेलों का शनिवार 4 अक्टूबर 2014 को भव्य समारोह के साथ समापन हो गया। इस दौरान जहां प्रतिभागियों के बीच हर पदक के लिए बेहद कड़ा संघर्ष देखने को मिला वहीं देश-विदेश से आए दर्शकों ने बेहद दोस्ताना माहौल में प्रतिस्पर्धाओं का लुत्फ उठाया। अंततः चीन एक बार फिर सर्वाधिक पदकों (कुल पदक- 342) के साथ एशियाई खेलों में अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब रहा, जबकि हमेशा की तरह साउथ कोरिया (कुल पदक- 234) दूसरे और जापान (कुल पदक- 200) ने तीसरे पायदान पर रहते हुए अभियान समाप्त किया। 17वें एशियाई खेलों में 439 स्वर्ण पदकों के लिए 45 देशों के 14,000 खिलाड़ियों ने 36 खेलों में हिस्सेदारी की। आर्चरी, वेटलिफ्टिंग और शूटिंग में जहां 14 नए वर्ल्ड रेकॉर्ड्स बने, वहीं बड़ी संख्या में गेम्स रेकॉर्ड भी टूटे। चीन 151 स्वर्ण पदक सहित कुल 342 पदक जीत एशिया में खेलों का सिरमौर बना रहा। मेजबान साउथ कोरिया ने 79 स्वर्ण सहित कुल 234 पदक हासिल किए, जबकि जापान ने 47 स्वर्ण पदक के साथ कुल 200 पदक अपनी झोली में डाले।[2] आठवें स्थान पर रहा भारतभारत ने इन खेलों में 11 स्वर्ण, 10 रजत और 36 कांस्य सहित कुल 57 पदक हासिल किए और आठवें स्थान पर रहा। भारत 2010 ग्वांग्झू खेलों के अपने 65 पदकों की संख्या में सुधार करने या इसकी बराबरी करने के इरादे से उतरा था। भारतीय दल हालांकि पिछली बार ही तुलना में कम ही पदक जीत पाया। भारत ने 11 स्वर्ण जीते, जो पिछली बार की तुलना में 3 कम हैं। इसके अलावा उसने 10 रजत और 36 कांस्य पदक सहित कुल 57 पदक जीते। भारत पदक तालिका में 8वें स्थान पर रहा, जो पिछली बार के चीन खेलों की तुलना में 2 स्थान नीचे है। ग्वांग्झू में भारत ने 14 स्वर्ण, 17 रजत और 34 कांस्य पदक जीतकर 6ठा स्थान हासिल किया था। भारत ने एथलेटिक्स और कबड्डी में 2-2 स्वर्ण पदक जीते जबकि तीरंदाजी, मुक्केबाजी, हॉकी, निशानेबाजी, स्क्वाश, टेनिस और कुश्ती में 1-1 स्वर्ण पदक मिला। भारत के पदकों की संख्या में यहां एशियाई खेलों के दौरान भले ही गिरावट आई हो लेकिन इसके बावजूद उसे जश्न मनाने के काफ़ी मौके मिले, जब पुरुष हॉकी टीम ने 16 वर्ष के बाद स्वर्ण पदक जीता जबकि महान् मुक्केबाज एम.सी. मैरीकॉम ने स्वर्ण पदक जीतकर अपने कद को और ऊँचा किया। देश के खिलाड़ियों का एशियाई खेलों में अभियान हालांकि मिश्रित सफलता वाला रहा।[3] कबड्डी एवं हॉकी में भारत का शानदार प्रदर्शननिशानेबाज जीतू राय और फ्रीस्टाइल पहलवान योगेश्वर दत्त इन खेलों के नायकों में शामिल रहे। वर्ष 2010 में भारत ने 609 प्रतिभागियों में मैदान में उतारा था जबकि इस दौरान 541 खिलाड़ियों ने चुनौती पेश की। भारत की ओर से पहला स्वर्ण पदक सेना के प्रतिभावना निशानेबाज जीतू राय ने पुरुष 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में प्रतियोगिताओं के पहले ही दिन जीता। भारत के लिए अंतिम स्वर्ण पदक कल महिला और पुरुष कबड्डी टीमों ने जीते। देश को कुछ स्वर्ण कबड्डी जैसे गैर ओलंपिक खेलों में मिले, जो एशियाई के अधिकांश हिस्सों में भी काफ़ी लोकप्रिय नहीं है। भारतीय मिशन प्रमुख आदिले सुमारिवाला ने भारतीय टीम के प्रदर्शन पर कहा कि पदकों की कुल संख्या उम्मीद के मुताबिक़ रही। उन्होंने कहा कि हमने 50 से 55 पदक की उम्मीद की थी और हमें 57 पदक मिले। वर्ष 2010 के बाद हम राह से भटक गए थे, नहीं तो और अधिक पदक जीतने में सफल रहते। इस बार भी भारत ग्लास्गो में राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद यहां था और एक बार फिर राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के स्तर में अंतर देखने को मिला। एशियाई खेलों में एक बार फिर चीन ने दबदबा बनाया। स्वर्ण पदकों की गिरती संख्या के बीच सरदार सिंह की अगुआई वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को पेनल्टी शूट आउट में हराकर देश को जश्न बनाने का मौका दिया। फाइनल मुकाबला 4 क्वार्टर के बाद 1-1 से बराबर रहने के बाद भारत ने पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से जीत दर्ज की थी। भारत ने पिछला स्वर्ण पदक 1998 बैंकॉक एशियाई खेलों के दौरान जीता था और टीम के लिए निश्चित तौर पर यह स्वर्ण काफ़ी महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके साथ ही भारत 1966 के बाद पाकिस्तान को पहली बार फाइनल में हराकर 2016 रियो ओलंपिक की पुरुष हॉकी स्पर्धा के लिए भी क्वालीफाई कर गया। इसके अलावा भारत के लिए पुरुष कंपाउंड तीरंदाजी टीम, मैरीकॉम, योगेश्वर दत्त, पुरुष स्क्वॉश टीम, सानिया मिर्जा और साकेत माइनेनी की टेनिस मिश्रित युगल जोड़ी, महिला चक्का फेंक खिलाड़ी सीमा पूनिया और 4 गुना 400 मीटर रिले टीम ने भी स्वर्ण पदक जीते। योगेश्वर यहां स्वर्ण पदक जीतने के इरादे से आए थे और उन्होंने कुश्ती में भारत के 28 साल के स्वर्ण पदक के सूखे का अंत किया।[3] पन्ने की प्रगति अवस्था
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
एशियाई खेलों के जनक कौन थे?प्रथम एशियाई खेल ४ मार्च से ११ मार्च, १९५१ में दिल्ली, भारत में हुए थे। मूल रूप से इन खेलों का आयोजन १९५० में होना तय किया गया था, लेकिन तैयारियों की देरी के चलते इन्हें १९५१ तक स्थगित करना पड़ा। महाराजाधिराज महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने इन खेलों के संगठन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रथम एशियाई खेलों का शुभंकर क्या था?शुभंकर पेश करने वाला पहला एशियाई खेल नई दिल्ली 1982 था। पहला शुभंकर अप्पू, एक हाथी है जिसे चुना गया था। पहली बार एशियाई खेल 1951 में नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे। एशियन गेम्स फेडरेशन द्वारा 1951 से 1978 तक एशियाई खेलों को विनियमित किया गया था।
एशियाई खेलों की शुरुआत सर्वप्रथम कहाँ हुई?पहले एशियाई खेल चार से 11 मार्च 1951 के बीच नई दिल्ली में आयोजित हुए थे.
2022 एशियाई खेलों की मेजबानी कौन करेगा?एशियाई ओलंपिक परिषद द्वारा चीनी शहर हांग्जाउ को 2022 एशियाई खेलों के मेजबान के रूप में पुष्टि की गई है। चीन इससे पहले दो बार एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है, 1990 में बीजिंग में और 2010 में ग्वांगझू में, और 2022 में पहले ही शीतकालीन ओलंपिक से सम्मानित किया जा चुका है।
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