1. यदि कोई महिला प्रेग्नेंट है, तब उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे कई बार पीरियड अनियमित हो जाते है और फिर आना बंद हो जाते है। Show
2. यदि कोई महिला अधित तनाव में हो, तब भी इसका सीधा मासिक चक्र पर पड़ता है। तनाव की वजह से खून में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है और इस कारण या तो पीरियड बहुत लंबे या बहुत छोटे हो सकते है। 3. यदि कोई महिला बर्थ कंट्रोल पिल्स ले रही हैं, तब ये भी पीरियड्स अनियमित हो सकते है। 4. जब किसी महिला के शरीर में हार्मोन असंतुलन हो गए हो, तब भी ऐसा हो सकता है। 5. कई बार बीमारी के दौरान ली गई दवाइयां भी हार्मोनस पर प्रभाव डालती है जिस कारण पीरियड देरी से या जल्दि आ सकते है। इन दिनों में महिलाओं को पेट में दर्द, कमर में दर्द और क्रैम्प्स आदि का सामना करना पड़ता है. कई बार ये परेशानियां इतनी होती हैं कि खड़ा होना तक मुश्किलों से भरा हो जाता है.पीरियड्स महिलाओं को हमेशा ही 25 से 28 दिन के अंतराल में होता है. इसके साथ ही 35 दिनों तक के अंतर्गत होने वाले पीरियड को सामान्य ही माना जाता है. हर एक महिला के अपने हॉर्मेंस और बॉडी होती है जिस पर पीरियड्स डिपेंड करते हैं.कई बार होता है कि अचानक से महिलाओं के पीरियड्स स्किप हो जाते हैं. या फिर कभी कभी एक महीने में दो बार तक पीरियड्स हो जाते हैं. हालांकि जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स होने लगें या फिर एक महीने में दो-तीन बार हों, तो उसे इररेगुलर पीरियड कहा जाता है. अगर यह सीरियस समस्या हो रही है, तो इसके लिए सतर्क होना आवश्यक है, क्योंकि शादीशुदा लड़कियां आसानी से मां नहीं बन पाती. इसके साथ ही और भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सामने आ सकती हैं. इसलिए वक्त रहते इररेगुलर पीरियड्स की परेशानी से बाहर आ जाना चाहिए. कुछ महिलाओं में नियमित रूप से दो सप्ताह का मासिक चक्र होता है. जबकि कुछ महिलाओं के लिए ये एक अस्थाई समस्या है. अगर ये आपके साथ बार बार हो रहा है तो अपनी गाइनोलॉजिस्ट से जरूर संपर्क करें. जानिए इसके कुछ कारण- महीने में 2 बार पीरियड्स आने के कारणअगर आपके परिवार में किसी को फाइब्रॉएड, अल्सर या जल्द मेनोपॉज हुआ है, तो फिर आपको महीने में दो बार पीरियड्स होने के चांस हैं. जिनकी महिलाओं की मां का पीरियड्स अनियमित ब्लीडिंग का इतिहास है तो उसके पीरियड्स को ट्रैक करने से किसी अन्य समस्या को अधिक तेजी से पहचानने में मदद मिल सकती है. अधिक ब्लीडिंग होने से इसका एक स्वास्थ्य प्रभाव एनीमिया के रूप में देखने को भी मिलता है जो उसके ब्लड में आयरन की कमी के कारण होता है. अल्सर भी हो सकता है कारणपीरियड्स के दौरान अल्सर की समस्या भारी पड़ जाती है. इस कारण से ब्लीडिंग का कारण ज्यादा होता है. कई बार अल्सर को भी मासिक चक्र की ब्लीडिंग समझा जाता है क्योंकि ये एक नियमित अवधि तक हो सकती है. प्रेगनेंट तो नहीं हैंहमें लगता है प्रेगनेंसी का अर्थ है पीरियड का रुक जाना. हालांकि आपको बता दें कि बार प्रेगनेंट होने के बाद बीच-बीच में ब्लीडिंग होती रहती है. खासकर शुरुआत के तीन महीनों में. ये सेक्स या वर्कआउट करने के बाद भी हो जाता है. मिसकैरेज तो नहीं हो गयाकई बार महिलाओं का खुद से मिसकैरेज हो जाता है. लगभग 15 से 18 प्रतिशत गर्भावस्था गर्भपात में समाप्त होता है. प्रेग्नेंसी के शुरू के तीन महीने में वैजाइनल ब्लीडिंग का अनुभव होना आम बात होती है. लेकिन ये गर्भपात का एक संकेत भी हो सकता है. ऐसे में इसके लिए डॉक्टर के संपर्क में भी रहना चाहिए. ज्यादा स्ट्रेस लेनायदि कोई महिला अधिक तनाव में हो, तब भी इसका सीधा पीरियड पर पड़ता है. दरअसल तनाव के कारण से खून में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है. तनाव के कारण से पीरियड्स बहुत लंबे या बहुत छोटे हो सकते हैं. अक्सर वर्क प्रेशर में या फिर मानसिक परेशानी होने पर पीरियड्स पर असर पड़ता है. यदि आप स्टेस में हैं, तो आपको हेवी ब्लीडिंग हो सकती है, आप अपने पीरियड्स मिस कर सकती हैं या फिर महीने में दो बार पीरियड्स भी सकते हैं. यह भी पढ़ें-Travel Special: झारखंड के इन हिल स्टेशन पर मिलेगा शांति और सुकून, एक बार जरूर घूमने का बनाएं प्लान महिलाओं को हर महीने पीरियड्स दर्द से गुजरना पड़ता है। दो पीरियड्स के बीच की अवधि करीब 21 से 35 दिन की होती है। हालांकि हर लड़की के पीरियड्स साइकल में फर्क होता है। मगर, कई बार महिलाओं को एक ही महीने में 2-3 बार पीरियड्स हो जाते हैं, जिसे इररेगुलर पीरियड कहा जाता है। चलिए आपको बताते हैं कि यह समस्या क्यों होती है और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सके। ऐसी महिलाएं मामले को लें गंभीरकुवांरी लड़कियों के लिए यह बहुत ही सीरियस प्राब्लम है क्योंकि इससे कारण शादी के बाद मां बनने में दिक्कतें आती हैं। वहीं, कई मामलों में तो लड़कियां मां नहीं पाती। अगर आप भी अचानक पीरियड्स साइकल में बदलाव महसूस कर रही हैं तो गायनोलॉजिस्ट से सलाह लें। इसके अलावा महीने में 2 बार पीरियड्स आना किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है जैसे . गर्भाश्य में फाइब्रॉएड, ट्यूमर या रसौली होना ज्यादा स्ट्रेस लेनाहद से ज्यादा तनाव लेने का असर भी पीरियड्स साइकल पर पड़ता है। दरअसल, तनाव के कारण खून में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है, जिससे पीरियड्स ज्यादा या कम हो जाते हैं। यही नहीं, हाई स्ट्रेस हेवी या लाइट ब्लीडिंग का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा इससे पीरियड्स मिस भी हो सकते हैं। कहीं ये मिसकैरेज तो नहीं...कई बार गर्भपात के कारण भी महीने में दो बार पीरियड्स आने की समस्या हो सकती है। गर्भावस्था के पहले 3 महीने में वैजाइनल ब्लीडिंग होना आम है लेकिन कई बार यह मिसकैरेज का संकेत होता है। अगर प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं। 1 महीने में दो बार पीरियड होने का क्या मतलब है?इस समस्या के कारण आपको महीने में दो बार पीरियड्स जैसा अनुभव हो सकता है. जब गर्भाशय के अंदर ट्यूमर (बिनाइन ट्यूमर) विकसित हो जाता है, तो उसे यूटेराइन फाइब्रॉयड की समस्या कहा जाता है. आमतौर पर यह समस्या उन महिलाओं को होती है, जिनकी उम्र गर्भवती होने के लायक होती है. इन बिनाइन ट्यूमर के कारण वजायनल ब्लीडिंग हो सकती है.
मुझे इस महीने में दो बार मेरा पीरियड आया है क्या मैं गर्भवती हूं?यदि आपकी माहवारी आमतौर पर नियमित रहती है, और इस बार इसमें देरी हुई है, तो हो सकता है कि आप गर्भवती हों। शुरुआती गर्भावस्था में हल्का रक्तस्त्राव या खून के धब्बे होना सामान्य है। ऐसा तब होता है जब अपरा (प्लेसेंटा) विकसित होती है और शिशु के लिए जरुरी पोषण प्रदान करना शुरु करती है।
15 दिन तक पीरियड आए तो क्या करें?अगर आपको ऐसा महसूस होता है कि आपका पीरियड सामान्य से ज्यादा हो रहा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपके डॉक्टर समस्या की जांच करेंगे और इसके बाद इलाज करेंगे।
10 दिन में पीरियड आने का क्या कारण है?आपके वजन में परिवर्तन आपके पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। यदि आप अधिक वजन वाले या मोटे हैं, तो वजन कम करने से आपकी अवधि को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है । वैकल्पिक रूप से, अत्यधिक वजन घटाने या कम वजन के कारण अनियमित माहवारी हो सकती है ।
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