कोडरमा झारखंड के उन जिलों में से एक है, जो प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों और खनिज संपदा से समृद्ध है| पहले यह विश्व स्तर पर अभ्रक के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था और इसे भारत की माइका कैपिटल या अब्राह-नागरी के रूप में जाना जाता था।हजारीबाग के कोडरमा सब डिवीजन के भीतर, वर्तमान में कोडरमा जिले में हजारों एकड़ से अधिक मीका खनन के पट्टे हैं।वन संरक्षण अधिनियम 1980 के लागू होने के बाद ही सभी अभ्रक खानों को बंद कर दिया गया था क्योंकि सभी खनन पट्टे जंगल के अभयारण्य क्षेत्र में आते हैं। Show अभ्रक क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, टूमलाइन, आदि के साथ-साथ यहां पाए जाने वाले खनिज भी हैं, जैसे रेत, मोरम, साधारण पृथ्वी, भवन निर्माण सामग्री आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। खान और भूविज्ञान विभाग झारखंड सरकार के तहत महत्वपूर्ण विभागों में से एक है। जिला खनन कार्यालय के माध्यम से विभाग खनिज प्रशासन, खानों और खनिजों की रियायत, खनन राजस्व का आकलन और संग्रह, और जिले के भीतर अन्य प्रवर्तन उपायों को नियंत्रित करता है। विभाग वैज्ञानिक और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से खनिज संसाधनों के सतत विकास के लिए प्रयास करता है, ताकि राज्य में औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा सके। झारखंड खनिज उत्पादन की दृष्टि से संपूर्ण भारत में सर्वोच्च स्थान पर है । इसके कारण इसे रत्नगर्भ भी कहा जाता है ।मूल्य की दृष्टि से भारत के कुल खनिज उत्पादन का 26 प्रतिशत एवं उत्पादन की दृष्टि से देश के कुल खनिज उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा वर्तमान में अकेले झारखंड से निकला जाता है।
कोयला , अभ्रक , लोहा , तांबा , चीनी मिट्टी , फायार क्ले , कायनाइट ,ग्रेफाइट , बॉक्साइट तथा चुना पत्थर के उत्पादन में झारखंड अनेक राज्यों से आगे है । एस्बेस्टस ,क्वार्ट्ज तथा आण्विक खनिज के उत्पादन में भी झारखंड का महत्वपूर्ण स्थान है ।यहां अधिकांश खनिज धारवाड़ और विंध्य प्रणाली के चट्टानों से प्राप्त होता है।
झारखंड में सर्वप्रथम कोयला खनन प्रारंभ दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र के अन्तर्गत झरिया में हुआ ।झारखंड में कुल कोयले का 70 प्रतिशत उत्पाद झरिया क्षेत्र से होता है । यह क्षेत्र भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के अन्तर्गत है ।झरिया में सबसे उत्तम किस्म का कोयला पाया जाता है ।
दामोदर घाटी को क्षेत्र राज्य के कुल कोयला उत्पादन के लगभग 95 प्रतिशत उत्पादित करता है । इसके साथ साथ यह क्षेत्र कोकिंग कोयले का शतप्रतिशत उत्पादक क्षेत्र है ।झारखंड में कोयले का खनन दामोदर घाटी , सोन घाटी तथा राजमहल में क्षेत्रों में होता है ।
दामोदर घाटी में झरिया ,उत्तरी और दक्षिणी कर्णपुरा ,पूर्वी एवं पश्चिमी बोकारो तथा रामगढ़ कोयला खनन क्षेत्र है ।दामोदर घाटी कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक झरिया कोयला क्षेत्र है ।बोकारो कोयला क्षेत्र बोकारो नदी घाटी में स्थित है ।कर्णपुरा कोयला क्षेत्र का विस्तार ऊपरी दामोदर घाटी में पाया जाता है ।
उत्तरी कोयल घाटी क्षेत्र का कोयला पलामू ,लातेहार तथा गढ़वा में संचित है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 8.5 करोड़ टन कोयले का उत्पादन होता है। राजमहल के अतिरिक्त देवघर के निकटवर्ती खानों से भिकोयला निकला जाता है । यहां का कोयला बिटुमिनस प्रकार का होता है ।सिकनी कोयला परियोजना लातेहार में स्थित है ।
यहां लाख अयस्क का कुल भंडार 3,758मिलियन टन है जो देश के कुल भंडार का 37 प्रतिशत है । यहां से प्रत्येक वर्ष करीब 120 लाख टन लोहे का उत्पादन होता है ।
लोहे का मुख्य उत्पादन पश्चिमी सिंहभूम जिले में गुवा से लेकर उड़ीसा में गुनाई तक फैली एक पट्टी में होता है। जिसे बड़ा जामदा कॉम्प्लेक्स कहते हैं ।यह विश्व की सबसे घनी लोहे की पट्टी है ।
नोवामुंडी , पंचसेरा , बुरु , गुआ , जाम्दा , कमारपत , घटपुर ,किरीबुरू , आदि लोहे के प्रमुख खनन केंद्र हैं । नोवामुंडी की खान पूरे एशिया की सबसे बड़ी लोहे कि खान है ।
झारखण्ड में कुल खनिज उत्पादन क्रमानुसार इस प्रकार हैं :खनिजकुल भंडारकोयला76712 मिलियन टनक्वार्टज/सिलिका15476 मिलियन टनहेमेटाइट (लौह अयस्क)4036 मिलियन टनअभ्रक1665 मिलियन टनमैग्नेटइट (लौह अयस्क)1026 मिलियन टनचूना पत्थर746 मिलियन टनताम्र अयस्क226 मिलियन टनचाइनाक्ले190.14 मिलियन टनबाॅक्साइट118 मिलियन टनअग्नि मिट्टी66.8 मिलियन टनग्रेफाइट10.34 मिलियन टनकायनाइट5.7 मिलियन टन––––––
झारखण्ड के जिलों में खनिजों की लिस्ट :जिलाखनिजधनबादकोयला, अग्नि मिट्टी, बालु पत्थरबोकारोकोयला, चुना पत्थर, बालु पत्थरगिरिडीहकोयला, चुना पत्थर, सोपस्टोन, चुना पत्थर, बालु पत्थरहजारीबागकोयला, चुना पत्थर, फायरक्ले, किमती एवं अर्ध किमती पत्थरचतराकोयला, अर्ध किमती पत्थर,कोडरमाअभ्रक, बालु पत्थर, अर्ध किमती पत्थर,पलामूकोयला, चुना पत्थर, बालु पत्थर, चायनाक्ले, ग्रेफाइट, मैग्नेटाइट, सोपस्टोन, डोलोमाइट, फेल्सपार, क्वाटर्ज, ईट-पत्थर, मार्बल, ग्रेनाइट, मोरमलातेहारकोयला, फायरक्ले, फेल्सपार, क्वाटर्ज, मैग्नेटाइट, चुना पत्थर, बाॅक्साइड, ग्रेफाइट, बालु पत्थर, मार्बल,गढ़वाकोयला, डोलोमाइट, चुना पत्थर, ग्रेफाइट, बालु पत्थर, मोरमरांचीकोयला, चुना पत्थर, फायरक्ले, चायनाक्ले, ग्रेनाइटगुमलाबाॅक्साइट, लेटेराइट, बालु पत्थर,सिमडेगाबालु पत्थर,लोहरदगाबाॅक्साइट, लेटेराइट, बालु पत्थर,पश्चिमी सिंहभूमलौह अयस्क, मैंगनीज, एसवेस्टस, क्रोमाइट, चुना पत्थर, क्वाटर्ज, चायनाक्ले, कायनाईट, बेराइटस, पीली मिट्टी, सिलिकासैंड, बालू पत्थर,सरायकेला – खरसावांकायनाईट, क्वाटर्ज, बालु पत्थरपाकुड़कोयला, बालू पत्थरसाहेबगंजबालू पत्थर, चायना क्ले, सिलिका सेडजामताड़ाक्वाटर्ज, बालू पत्थर, ग्रेनाइटदुमकाकोयला, फायरक्ले, चाइनाक्ले, क्वाटर्ज, बालू पत्थर, ग्रेनाइटगोड्डाकोयला, क्वाटर्ज, बालू पत्थर, ग्रेनाइटदेवघरकोयला, क्वाटर्ज, बालू पत्थर, ग्रेनाइटपूर्वी सिंहभूमकाॅपर अयस्क, कायनाईट, क्ले, सोपस्टोन, यूरेनियम, सेना, चांदी, क्वाटर्ज, बालू पत्थर, मोंरमखूंटी इमारती पत्थर , चुना पत्थर रामगढ़कोयला, चुना पत्थर ,क्वाटर्ज , फायरक्ले ,फेल्सपारयह भी जानें :
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