1857 का विद्रोह क्यों विफल हुआ कारण बताएं? - 1857 ka vidroh kyon viphal hua kaaran bataen?

भले ही 1857 का विद्रोह असफल रहा, किंतु भारत में अंग्रेजी शासन के लिए यह पहली बार एक प्रबल और प्रत्यक्ष संकट के रूप में प्रकट हुआ। विद्रोह के दमन के दौरान एवं बाद में विद्रोही भारतीय सैनिकों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। दंडस्वरूप उनकी स्वतंत्रता और संपत्ति छीन ली गई। विजेता अंग्रेजी सेनाओं ने भारतीय लोगों पर अमानवीय उत्पीड़न किए। छद्म मुकदमा चलाने के बाद कई विद्रोहियों को मनमाने तरीके से फाँसी दे दी गई। दंड देते समय उन्हें अपमानित एवं प्रताड़ित किया गया। अनेक गाँव नष्ट कर दिए गए। भारतीय लोग अब अपने अंग्रेज शासकों से पहले से कहीं अधिक दूर हो गए। दूसरी ओर, 1857 के क्रांति से सबक लेते हुए अंग्रेजों ने अपने प्रशासनिक ढाँचे में आमूलचूल परिवर्तन किए जो कि इस प्रकार हैं-

  • विद्रोह के सबसे महत्वपूर्ण परिणाम के रूप में महारानी की उद्घोषणा 1 नवंबर, 1858 को लाॅर्ड कैनिंग द्वारा उद्घोषित की गयी। उद्घोषणा में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की समाप्ति और भारत के शासन को सीधे ब्रिटिश ताज ;ठतपजपेी ब्तवूदद्ध के अंतर्गत लाए जाने की घोषणा की गई।
  • 1858 ई0 के अधिनियम के तहत ब्रिटेन में एक ’भारतीय राज्य सचिव’ का पद सृजित किया गया। इसकी सहायता के लिए 15 सदस्यों की एक ’मंत्रणा परिषद्’ बनाई गयी। इन 15 सदस्यों में 8 की नियुक्ति सरकार द्वारा करने तथा 7 की कोर्ट आॅफ डायरेक्टर्स द्वारा चुनने की व्यवस्था की गई।
  • सैन्य पुनर्गठन के तहत यूरोपीय सैनिकों की संख्या को बढ़ा दिया गया। उच्च सैन्य पदों पर भारतीय सेनिकों की नियुक्ति को बंद कर दिया गया। तोपखाने पर पूर्णतः अंग्रेजी सेना का अधिकार हो गया। अब सेना में भारतीयों एवं अंग्रेजों का अनुपात 2:1 का हो गया। विदा्रेह के पूर्व यह अनुपात 5ः1 था। बम्बई और मद्रास में सेना 2ः5 के अनुपात में रखी गई। उच्च जाति के लोगों का सेना में भर्ती किया जाना बंद कर दिया गया।
  • सन् 1858 के अधिनियम के अंतर्गत भारत के गर्वनर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। इसके अनुसार लाॅर्ड कैनिंग ब्रिटिश भारत के प्रथम वायसराय बने। विद्रोह के फलस्वरूप सामंतवादी व्यवस्था चरमरा गयी। आम भारतीयों के बीच सामंतवादिता की छवि देशद्रोहियों की हो गई क्योंकि सामंतों ने विदोह को दबाने में अंग्रेजों को सहयोग दिया था।
  • 857 के विदोह के पश्चात् अंग्रेजों की साम्राज्य विस्तार की नीति का तो अंत हो गया, परंतु इसके स्थान पर उनकी आर्थिक शोषण की नीति आरंभ हो गयी।
  • भारतीयों के प्रशासन में प्रतिनिधित्व के लिए अल्प प्रयास के तहत 1861 ई0 में भारतीय परिषद अधिनियम पारित किया गया। इसके अतिरिक्त ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में कमी आई, श्वेत जाति की उच्चता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया तथा मुगल साम्राज्य के अस्तित्व को सदा े लिए समाप्त कर दिया गया।
  • स्थानीय लोगों को उनके सम्मान एवं अधिकारों को पुनः वापस दिलाने की बात कही गयी। भारतीय नरेशों को महारानी विक्टोरिया ने अपनी ओर से समस्त संधियों के पालन किए जाने का भरोसा दिलाया, लेकिन साथ ही, नरेशों से भी उसी प्रकार के पालन की इच्छा व्यक्त की। अपने राज्यक्षेत्र के विस्तार की अनिच्छा जताने के साथ-साथ उन्होंने अपने राज्यक्षेत्र अथवा अधिकारों का अतिक्रमण बर्दास्त न करने तथा दूसरों पर अतिक्रमण न करने के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त की ओर साथ ही धार्मिक शोषण समाप्त करने एवं नौकरियों में भेदभावरहित नियुक्ति की बात कही।
  • सन् 1861 में भारतीय नागरिक सेवा अधिनियम (Indian Civil Services Act, 1861) पास हुआ। इसके अंतर्गत लंदन में प्रत्येक वर्ष एक प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई।
    दूसरी ओर भारत के संदर्भ में, विद्रोह के परिणामस्वरूप भारतीयों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास हुआ और हिन्दू-मुस्लिम एकता नये रूप में दृष्टिगत हुई, जिसका आगे चलकर राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
विद्रोह का महत्व (Importance of the Revolt):

सन् 1857 के विद्रोह का योगदान इस रूप में है कि इसने भारत को एक राष्ट्र के रूप में संगठित करने तथा राष्ट्रीय भावना विकसित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस विद्रोह ने भारतीयों को एकता और संगठन का पाठ पढ़ाया जो कि भविष्य में उनका प्रेरणा-सा्रेत बना। विद्रोह के पश्चात ब्रिटिश शासन ने भारत के प्रति अपने उत्तरदायित्व को महसूस किया तथा वह भारत की स्थिति सुधारने की ओर अग्रसर हुआ। यह विद्रोह ही भारत के संवैधानिक विकास का उद्गम बिंदु बना जिसने भारतीयों को शासन में भागीदारी का प्रशिक्षण दिया।

Indian Independence Day 2021: 1857 का विद्रोह उत्तरी और मध्य भारत में ब्रिटिश अधिग्रहण के विरुद्ध उभरे सैन्य असंतोष व जन-विद्रोह का परिणाम था| आइये इस लेख के माध्यम से 1857 के विद्रोह के बारे में अध्ययन करते हैं.

1857 का विद्रोह क्यों विफल हुआ कारण बताएं? - 1857 ka vidroh kyon viphal hua kaaran bataen?

Indian Independence Day 2021: इस विद्रोह के – सामाजिक और धार्मिक, आर्थिक,सैन्य और राजनीतिक –चार मुख्य कारण थे| 

सन1857 का विद्रोह उत्तरी और मध्य भारत में ब्रिटिश अधिग्रहण के विरुद्ध उभरे सैन्य असंतोष व जन-विद्रोह का परिणाम था| सैन्य असंतोष की घटनाएँ जैसे- छावनी क्षेत्र में आगजनी आदि जनवरी से ही प्रारंभ हो गयी थीं लेकिन बाद में मई में इन छिटपुट घटनाओं ने सम्बंधित क्षेत्र में एक व्यापक आन्दोलन या विद्रोह का रूप ले लिया|

इस विद्रोह ने भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के शासन को समाप्त कर दिया और अगले 90 वर्षों के लिए भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को ब्रिटिश सरकार (ब्रिटिश राज) के प्रत्यक्ष शासन के अधीन लाने का रास्ता तैयार कर दिया|

विद्रोह के कारण

चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग और सैनिकों से सम्बंधित मुद्दों को इस विद्रोह का मुख्य कारण माना गया लेकिन वर्त्तमान शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि कारतूसों का प्रयोग न तो विद्रोह का एकमात्र कारण था और न ही मुख्य कारण | वास्तव में यह विद्रोह सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक आदि अनेक कारणों का सम्मिलित परिणाम था|

• सामजिक और धार्मिक कारण: ब्रिटिशों ने भारतीयों के सामजिक-धार्मिक जीवन में दखल न देने की नीति से हटकर सती-प्रथा उन्मूलन (1829) और हिन्दू-विधवा पुनर्विवाह(1856) जैसे अधिनियम पारित किये | ईसाई मिशनरियों को भारत में प्रवेश करने और धर्म प्रचार करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी|1950 ई. के धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम के द्वारा हिन्दुओं के परंपरागत कानूनों में संशोधन किया गया |इस अधिनियम के अनुसार धर्म परिवर्तन करने के कारण किसी भी पुत्र को उसके पिता की संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकेगा|

• आर्थिक कारण: ब्रिटिश शासन ने ग्रामीण आत्मनिर्भरता को समाप्त कर दिया | कृषि के वाणिज्यीकरण ने कृषक-वर्ग पर बोझ को बढ़ा दिया| इसके अलावा मुक्त व्यापार नीति को अपनाने,उद्योगों की स्थापना को हतोत्साहित करने और धन के बहिर्गमन आदि कारकों ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट कर दिया|

• सैन्य कारण: भारत में ब्रिटिश उपनिवेश के विस्तार ने सिपाहियों की नौकरी की परिस्थितियों को बुरी तरह से प्रभावित किया |उन्हें बगैर किसी अतिरिक्त भत्ते के भुगतान के अपने घरों से दूर नियुक्तियां प्रदान की जाती थीं|सैन्य असंतोष का महत्वपूर्ण कारण जनरल सर्विस एन्लिस्टमेंट एक्ट ,1856 था,जिसके द्वारा सिपाहियों को आवश्यकता पड़ने पर समुद्र पार करने को अनिवार्य बना दिया गया | 1954 के डाक कार्यालय अधिनियम द्वारा सिपाहियों को मिलने वाली मुफ्त डाक सुविधा भी वापस ले ली गयी|

• राजनीतिक कारण: भारत में ब्रिटिश क्षेत्र का अंतिम रूप से विस्तार डलहौजी के शासन काल में हुआ था| डलहौजी ने 1849 ई. में घोषणा की कि बहादुरशाह द्वितीय के उत्तराधिकारियों को लाल किला छोड़ना होगा| बाघट और उदयपुर के सम्मिलन को किसी भी तरह से रद्द कर दिया गया और वे अपने शासक-घरानों के अधीन बने रहे| जब डलहौजी ने करौली (राजस्थान) पर व्यपगत के सिद्धांत को लागू करने की कोशिश की तो उसके निर्णय को कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स द्वारा निरस्त कर दिया गया|

भारत में 15 अगस्त को ही क्यों स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है?

1857 के विद्रोह से जुड़े विभिन्न नेता

बैरकपुर

मंगल पांडे

दिल्ली

बहादुरशाह द्वितीय ,जनरल बख्त खां

दिल्ली

हाकिम अहसानुल्लाह(बहादुरशाह द्वितीय का मुख्या सलाहकार)

लखनऊ

बेगम हजरत महल,बिजरिस कादिर,अहमदुल्लाह(अवध के पूर्व नवाब के

सलाहकार)

कानपुर

नाना साहिब ,राव साहिब(नाना साहिब के भतीजे),तांत्या

टोपे,अज़ीमुल्लाह खान (नाना साहिब के सलाहकार)

झाँसी

रानी लक्ष्मीबाई

बिहार(जगदीशपुर)

कुंवर सिंह ,अमर सिंह

इलाहाबाद और

बनारस

मौलवी लियाकत अली

फैजाबाद

मौलवी अहमदुल्लाह (इन्होनें विद्रोह को अंग्रजों के विरुद्ध जिहाद के   

रूप में घोषित किया) 

फर्रूखाबाद

तुफजल हसन खान

बिजनौर

मोहम्मद खान

मुरादाबाद

अब्दुल अली खान

बरेली

खान बहादुर खान

मंदसौर

फिरोजशाह

ग्वालियर/कानपुर

तांत्या टोपे

असम

कंदपरेश्वर सिंह ,मनीराम दत्ता

उड़ीसा

सुरेन्द्र शाही ,उज्जवल शाही

कुल्लू

राजा प्रताप सिंह

राजस्थान

जयदयाल सिंह ,हरदयाल सिंह

गोरखपुर

गजधर सिंह

मथुरा

सेवी सिंह ,कदम सिंह      

विद्रोह से सम्बंधित ब्रिटिश अधिकारी

जनरल जॉन निकोल्सन

20 सितम्बर,1857 को दिल्ली पर अधिकार किया( जल्द ही

लड़ाई में मिले घाव के कारण निकोल्सन की मृत्यु हो गयी|)

मेजर हडसन

दिल्ली में बहादुरशाह के पुत्रों व पोतों की हत्या कर दी|

सर ह्यूग व्हीलर

26 जून 1857 तक नाना साहिब की सेना का सामना किया

|27 तारीख को ब्रिटिश सेना ने इलाहाबाद से सुरक्षित

निकलने का आश्वासन प्राप्त करने के बाद आत्मसमर्पण कर

दिया|

जनरल नील

जून 1857 में बनारस और इलाहाबाद को पुनः अपने कब्जे

में लिया |नाना साहिब की सेना द्वारा अंग्रेजों की हत्या के

प्रतिशोधस्वरुप उसने कानपुर में भारतीयों की हत्या

की|विद्रोहियों से संघर्ष के दौरान लखनऊ में उसकी मृत्यु हो

गयी|

सर कॉलिन काम्पबेल

इन्होनें 6 दिसंबर 1857 को अंतिम रूप से कानपुर पर

कब्ज़ा किया | 21 मार्च 1858 को अंतिम रूप से लखनऊ

पर कब्ज़ा कर लिया |5 मई 1858 को बरेली को पुनः प्राप्त

किया|

हेनरी लॉरेंस

अवध के मुख्य प्रशासक, जिनकी हत्या विद्रोहियों द्वारा 2

जुलाई 1857 को लखनऊ रेजीडेंसी पर कब्जे के दौरान कर

दी गयी थी |

मेजर जनरल हैवलॉक

17 जुलाई 1857 को नाना साहिब की सेना को हराया

|दिसंबर 1857 को लखनऊ में इनकी मृत्यु हो गयी|

विलियम टेलर और आयर

अगस्त 1857 में आरा में विद्रोह का दमन किया|

ह्यूग रोज

झाँसी में विद्रोह का दमन किया और 20 जून 1858 को 

ग्वालियर पर पुनः कब्ज़ा किया |उन्होंने संपूर्ण मध्य भारत

और बुंदेलखंड को पुनः ब्रिटिश शासन के अधीन ला दिया|

कर्नल ओंसेल

बनारस पर कब्ज़ा किया|

निष्कर्ष:

1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी |हालाँकि इसका आरम्भ सैनिको के विद्रोह द्वारा हुआ था लेकिन यह कम्पनी के प्रशासन से असंतुष्ट और विदेशी शासन को नापसंद करने वालों की शिकायतों व समस्याओं की सम्मिलित अभिव्यक्ति थी|

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 7 महानायक जिन्होंने आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई

FAQ

1857 के विद्रोह का मुख्य कारण क्या था?

चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग और सैनिकों से सम्बंधित मुद्दों को इस विद्रोह का मुख्य कारण माना गया लेकिन वर्त्तमान शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि कारतूसों का प्रयोग न तो विद्रोह का एकमात्र कारण था और न ही मुख्य कारण | वास्तव में यह विद्रोह सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक आदि अनेक कारणों का सम्मिलित परिणाम था.

1857 के विद्रोह का क्या प्रभाव था?

प्रमुख प्रभाव भारत सरकार अधिनियम की शुरूआत थी जिसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया और ब्रिटिश राज की शुरुआत को चिह्नित किया।

1857 के विद्रोह की विफलता के कारण क्या हैं?

1857 की क्रांति में आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण क्रांतिकारी आधुनिक शस्त्रों के उपयोग से वंचित रह गए थे जो उनकी असफलता का कारण था। इस क्रांति में क्रांतिकारियों ने तलवारों एवं भालों का उपयोग किया था इसके विपरीत विरोधी ब्रिटिश सेना ने आधुनिक तोपों एवं बंदूकों का इस्तेमाल किया जिससे क्रांतिकारी कमजोर पड़ गए।

सन् 1857 की क्रांति असफल क्यों हो गई?

1857 की क्रांति में क्रन्तिकारी आर्थिक रूप से कमजोर थे अतः वह आधुनिक शस्त्रास्त्रों का प्रबंध करने में असफल रहे। ब्रिटिश सेना ने आधुनिक बंदूकों तथा तोपों का इस्तेमाल किया जबकि क्रांतिकारियों ने तलवारों और भालों का।

1857 के विद्रोह के कारण और परिणाम क्या थे?

1857 के विद्रोह का प्रमुख परिणाम यह रहा कि 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने एक अधिनियम पारित किया जिसमें भारत में कंपनी के शासन का अंत कर दिया गया और ब्रिटिश भारत का प्रशासन ब्रिटिश ताज (क्राउन) ने ग्रहण कर लिया था।

Q 3 Why did the revolt of 1857 fail Give reason 1857 के विद्रोह असफल क्यों हो गया कारण बताइए?

चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग और सैनिकों से सम्बंधित मुद्दों को इस विद्रोह का मुख्य कारण माना गया लेकिन वर्त्तमान शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि कारतूसों का प्रयोग न तो विद्रोह का एकमात्र कारण था और न ही मुख्य कारण | वास्तव में यह विद्रोह सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक आदि अनेक कारणों का सम्मिलित परिणाम था.