उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती - uttar pradesh mein ganne kee khetee

गन्ना का वानस्पतिक नाम सैकेरम ऑफिसिनेरम है, यह ग्रैमीनी कुल से सम्बंधित है. गन्ना एक नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़, शराब आदि बनाया जाता हैं. गन्ने का उत्पादन सबसे ज्यादा ब्राजील देश में होता है और भारत का गन्ने की उत्पादकता में संपूर्ण विश्व में दूसरा स्थान पर है. गन्ने को मुख्यतः व्यावसायिक चीनी उत्पादन करने वाली फसल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

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जो कि विश्व में उत्पादित होने वाली चीनी के उत्पादन में तकरीबन 73 फीसदी योगदान करता है शेष में चुकन्दर ,मीठी ज्वार इत्यादि फसलों का योगदान है. गन्ना घास कुल का पौधा है इसका इस्तेमाल बहुउद्देशीय फसल के रूप में चीनी उत्पादन के साथ-साथ अन्य उत्पाद जैसे कि पेपर इथेनाल एल्कोहल, सेनेटाइजर बिजली उत्पादन केमिकल पशु खाद्यों एण्टीबायोटिक जैव उर्वरक के लिए कच्चे पदार्थों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

उत्तर प्रदेश में शरदकालीन गन्ने की बुवाई का सही समय (Right time for sowing of autumn sugarcane in Uttar Pradesh)

गन्ने के अच्छे जमाव के लिए 27-32 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम उपयुक्त होता है. प्रदेश में शरदकालीन गन्ने की बुवाई मुख्यतया पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में तथा नेपाल सीमा से सटे हुए जिलों के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में की जाती है। शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक का समय सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. शरदकालीन गन्ने की बुवाई जल्दी काटे गये धान के खेत में भी की जा सकता है.

शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए उपयुक्त मृदा (Soil suitable for sowing autumn sugarcane)

गन्ने की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, किन्तु भारी दोमट मिट्टी पर भी गन्ने की अच्छी फसल हो सकती है. क्षारीय अम्लीय भूमि व जिस भूमि पर पानी का जमाव होता हो वहाँ पर गन्ने की खेती उपयुक्त नहीं होती. 

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  • जानिए गन्ने की खेती करने का आसान तरीका

    भारत में गन्ना की खेती नगदी फसल के रूप में होती है. इसको कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है. गन्ने से चीनी, गुड़, शक्कर और शराब का निर्माण किया…

खेत को तैयार करने के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जोतकर दो से तीन बार हैरो चलाना चाहिएं. देशी हल की 3-4 जुताइयां उपयुक्त होती हैं. बुवाई के समय खेत में वांछित नमी होना आवश्यक है.

उन्नतिशील प्रजाति का चुनाव (Breeding species selection)

शरदकालीन बुवाई में प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र पकने वाली प्रजातियां को.शा-238, को.शा-0239, को.शा-0118, को.शा-8436,को.शा-91014, को.शा-88230, को.शा-96268, को.शा-98231, को.शा-8272 की बुवाई करें ताकि चीनी मिलों की पेराई शीघ्र सम्भव हो सके.

सामान्य प्रजातियों में को.शा-8432, को.शा-096275, को.शा-97261, यू0पी0 0097, को.शा-97264 की बुवाई को प्राथमिकता दें.

उन्नत गन्ने की खेती के लिए बीज की तैयारी (Seed preparation for improved sugarcane cultivation)

गन्ने के एक तिहाई ऊपरी भाग का जमाव अपेक्षाकृत अच्छा होता है. सर्वप्रथम गन्ने की बोने से पूर्व गन्ने के दो अथवा तीन आंख वाले टुकड़े काटकर कम से कम 15 मिनट तक टुकड़ो को 1000 लीटर पानी में 500ग्राम कार्बेन्डाजिम, 2000 मिली मैलाथियान और 5-7 किलो यूरिया के घोल में भिगोना चाहिए. ग्रसी सूट बीमारी के प्राथमिक संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एक घंटे के लिए 50 डिग्री सेल्सियस पर वातित भाप के साथ टुकड़ो का उपचार करें. गन्ने के तीन आंख वाले करीबन 35000-40000 और दो आँख के 50000-60000 टुकड़े प्रति हेक्टेयर के लिए पर्याप्त है.

शरदकालीन गन्ने की बुवाई की विधियॉं और खाद की मात्रा (Methods of sowing autumn sugarcane and amount of fertilizer)

उत्तर प्रदेश के किसान भाइयो द्वारा मुखयतः रेजर से बुवाई की जाती है लेकिन ट्रैंच विधि से बोये गए गन्ने की पैदावार अपेक्षाकृत अधिक होती है और शरदकालीन गन्ने की बुवाई में ट्रैंच विधि से बोये गन्ने में अन्तः फसली के रूप में सरसो आलू मूंग आदि की फसल लेकर अतिरिक्त लाभ पाया जा सकता है.

ट्रेंच की तकनीक से बुवाई करने के लिए खेत तैयार करने के बाद ट्रेंच ओपनर से एक फीट चैड़ी और लगभग 25-30 सेमी गहरी नाली बनाते हैं. एक नाली से दूसरी नाली के बीच की दूरी 120 सेमी की होती है. नाली बनाने के बाद सबसे नीचे खाद डालते हैं खाद की मात्रा एक हेक्टेयर में 280 किग्रा नाइट्रोजन, 80 किग्रा फास्फोरस, 180 किग्रा पोटास और 25 किग्रा जिंक सल्फेट. इसमें नाइट्रोजन की कुल मात्रा का बुवाई के समय एक तिहाई प्रयोग करे बाकी फासफोरस पोटास और जिंक सल्फेट डाल कर बुवाई करते हैं.

गन्ना जमाव  

सामान्यतः एक सप्ताह में जमाव शुरू हो जाता है तथा एक माह में जमाव प्रक्रिया पूरी  हो जाती है। जमाव 85-90 प्रतिशत तक होता है जबकि सामान्य विधि से से बुवाई करने पर 40-50 प्रतिशत तक ही होती है। जमाव अधिक व समान रूप से होने तथा गन्ने के टुकड़ों को क्षैतिज रखने से नाली में दोहरी पंक्ति की तरह जमाव दिखता है जिसके कारण कोई रिक्त स्थान नहीं होता और पेड़ी की पैदावार भी पौधा गन्ने के समान होती है.

खरपतवार नियंत्रण

गन्ना बोने के 25-30 दिनों के अंतरपर गुड़ाई करके खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है। गन्ना बोने के तुरंत बाद एट्राजिन तथा सेंकर का एक किग्रा सक्रिय पदार्थ एक हजार लीटर पानी में खरपतवार होने  दशा में छिडकाव करें। ग्रीष्म ऋतु में मृदा नमी के संरक्षण एवं खर-पतवार नियंत्रण के लिए गन्ने की पंक्तियों के मध्य गन्ने की सूखी पत्तियों की 8-10 से.मी. मोटी तह बिछाना लाभदायक होता है मिश्रित खेती की दशा में अन्य संवेदनशील फसलों को बचाने के उद्देश्य से खरपतवार नियंन्त्रक रसायनो का छिडकाव नहीं करना चाहिए. 

गन्ने की गुड़ाई

गन्ने में पौधों की जड़ों को नमी व वायु उपलब्ध कराने तथा खरपतवार नियंत्रण की दृष्टि  दृष्टिकोण से गुड़ाई अति आवश्यक है. सामान्यतरू प्रत्येक सिंचाई के पश्चात एक गुड़ाई की जानी चाहिए. गुड़ाई करने से उर्वरक भी मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाते है.

गन्ने के फसल की सिंचाई

गन्ने की फसल को 1200 से 1450 मिली० पानी की आवश्यकता होती है, गन्ने की फसल में 5-6 सिंचाई करना लाभप्रद पाया गया है. शरदकालीन गन्ने में ग्रीष्मकालीन से काम की जरुरत होती है. शरदकालीन गन्ने में 20 दिन तक वर्षा न होने पर एक सिंचाई करना उपयोगी पाया गया है.

शरदकालीन गन्ने के रोग वं कीटों का रोकथाम (Prevention of diseases and pests of autumn sugarcane)

1. गन्ने में रोग मुख्यत बीज जनित होते हैं. रोगों की रोकथाम के लिए निम्न तरीके अपनाए जा सकते हैं-

2. स्वस्थ और रोगमुक्त बीज लें.

3. बीज के टुकड़े काटते समय लाल, पीले रंग एवं गांठों की जड़ निकाल लें तथा सूखे टुकड़ों को अलग कर दें.

4. बीज को कार्बेन्डाजिम की 1-2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर गन्ने के टुकड़ो को उपचारित करके बोयें.

5. लालसड़न रोग से प्रभावित खेत में 2-3 साल तक गन्ने की खेती करने से बचना चाहिए.

6. दीमक की रोकथाम के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 1.5 लीटर प्रति हैक्टर की दर से 1200-1300 लीटर पानी में घोलकर कूंडों में बुआई के बाद छिड़काव करे.

7. तना भेदक की रोकथाम के लिए इंडोसल्पफॉस 1.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करे.

गन्ने को गिरने से बचाने के उपाय (Ways to save sugarcane from falling)

1. खेत में गन्ना के कतारों की दूरी आपस में बराबर हो जिससे गन्ने की बंधाई में सुलभता होती है.

2. गन्ना की उथली बुवाई करने बचे.

3. गन्ना के कतार के दोनों तरफ 15 से 30 सेमी मिट्टी दो बार चढ़ाये.

4. गन्ना की बंधाई करते समय तनों को एक साथ मिलाकर पत्तियों के सहारे बांध दें.

5. गन्ना की बंधाई दो बार तक करें. पहली बंधाई जुलाई में तथा दूसरी इसके एक माह बाद करें जब पौधा 3 से 3.5 मीटर का न हो जाए.

6. बंधाई का कार्य इस प्रकार करें कि हरी पत्तियों का समूहि एक जगह एकत्र न हो अन्यथा प्रकाश संलेषण क्रिया में अवरोध उत्पन्य होगा.

गन्ने की कटाई (sugarcane harvesting)

गन्ना एक नगदी फसल है जिससे उत्तर प्रदेश में मुख्यतः गन्ने को सीधे चीनी मिलो में आपूर्ति की जाती है. शरदकालीन गन्ने की कटाई के लिए लिए गन्ने की परिपक्यता जाँच हेंड रिप्रेफ्क्टोमीटर से कर लेना चहिये. हेंड रिप्रेफ्क्टोमीटर का बिंदु 18 तक पहुंचे, पर गन्ने की कटाई शुरू कर देनी चाहिए। हेंड रिप्रेफ्क्टोमीटर की उपलब्धता न होने पर जब नीचे की पत्तिया सुख कर लटक जाये तब गन्ने को परिपक्य मान लेना चाहिए। इसकी कटाई दिसम्बर के द्वतीय पछ तक हो जाना चाहिए.

गन्ने का उत्पादन (Sugarcane production)

शरदकालीन गन्ने में दोहरा उत्पादन होता है. एक अंतःफसली का और एक मुख्य फसल का समयतः अच्छी लगत और वैयानिक विधियों का उपयोग किया जाये तो 1200-1300 कुंतल प्रति हैक्टर उत्पादन मिलता है.

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा गन्ना कौन से जिले में होता है?

- पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना क्षेत्र में प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत गन्ने का उत्पादन किया जाता है। - इस क्षेत्र के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, और बुलन्दशहर जैसे जिलों में सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन होता है।

उत्तर प्रदेश में गन्ना कब बोया जाता है?

बुवाई का समय गन्ने के सर्वोत्तम जमाव के लिये 30-35 डिग्री से0 वातावरण तापक्रम उपयुक्त है। उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में तापक्रम वर्ष में दो बार ​सितम्बर-अक्टूबर एवं फरवरी, मार्च आता है।

प्रति एकड़ गन्ने की पैदावार कितनी होती है?

गन्ना उत्पादक चंद्रेश हिरवानी (मेड़की), छगन देशमुख (सुंदरा) ने बताया कि गन्ना के खेती में यदि एक एकड़ में 350 क्विंटल उत्पादन होता है। जिससे लगभग एक लाख रूपए की आमदनी होती है।

गन्ने की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?

17231 गन्ना किस्म के बारे में बताया कि इस नवीन किस्म का जमाव, व्यॉत एवं मिल योग्य गन्नों की संख्या अच्छी है तथा गन्ना मोटा एवं लम्बा होने के साथ-साथ पेड़ी उत्पादन क्षमता भी बेहतर है. इसी के साथ लाल सड़न के रोग से ग्राही हो जाने के कारण गन्ना किस्म को.पी. के. 05191 को फेज आउट करने का भी निर्णय लिया गया.