Prithvi Ke Uttari Dhruv Aivam Dakshinni Dhruv Ko Milane Wali Rekha Kya Kehlati Hai - Show
सम्बन्धित प्रश्नComments Priyanka raj on 18-02-2022 Ke uttari vah dakshini Dhruv ko milane wali rekha kya kahlati hai Ram bhaiya on 22-01-2022 karne se kya hota he Dharmendar gurjar Bhopal on 18-01-2022 उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा को कहते हैं Annu on 11-11-2021 Hahhhs Shikha on 07-04-2021 ध्रुव को मिलाने वाले अर्धवृत्त Anchal on 12-02-2020 Decanter rekha Anjali on 18-11-2019 Utri or daksini druv ko jodne wali rekha kya kahlati hai Q.35875: पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा क्या कहलाती है - More quiz in Hindiपृथ्वी के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा क्या कहलाती है - - What is the line joining the Earth's North Pole and South Pole called? - Prithvi Ke Uttari Dhruv Aivam Dakshinni Dhruv Ko Milane Wali Rekha Kya Kehlati Hai - World Geography विश्व का भूगोल in hindi, Deshantar Rekha question answers in hindi pdf International Rekha questions in hindi, Know About Akshansh Rekha World Geography विश्व का भूगोल online test World Geography विश्व का भूगोल MCQS Online Coaching in hindi quiz book Milan Rekha सपनॉ on 02-08-2021 Prithvi ke Uttari Dhruv induction Dhruv ko milane wali rekha kya kahlati hai option akshansh Sikha Dishant Rekha antrashtriy Rekha Milan Rekha भूगोल में किसी स्थान की स्थिति को बताने के लिए उस स्थान का अक्षांश (latitude) तथा देशांतर (longitude) बताया जाता है। किसी स्थान का अक्षांश, धरातल पर उस स्थान की 'उत्तर-दक्षिण स्थिति' को बताता है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों का अक्षांश क्रमशः ९० डिग्री उत्तर तथा ९० डिग्री दक्षिण होता है। किसी स्थान के अक्षांश का मान = ९० - (उस स्थान को धरती के केन्द्र से मिलाने वाली रेखा तथा उसके रेखांश की रेखा विषुवत वृत्त को जहा मिलती है उस बिंदू से धरती के केन्द्र से मिलाने वाली रेखा के बीच बना कोण)इस प्रकार, विषुवत वृत्त के सभी बिन्दुओं का अक्षांश शून्य होता है। अर्थात भूमध्य रेखा, शून्य डिग्री अक्षांश से होकर जाने वाली रेखा है। विषुवत वृत्त की उत्तरी एवं दक्षिणी दिशा में 1 डिग्री के अंतराल से खींचे जाने पर नंबर 90 अक्षांश वृत्त होते हैं यानी कि किसी भी स्थान का अक्षांश 90 डिग्री से अधिक नहीं हो सकता। विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है। अक्षांश रेखाएँ काल्पनिक रेखाएँ है, इनकी संख्या अनन्त है। एक अंश (डिग्री) के अंतराल पर कल्पित किये जाने पर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या = ९० + ९० + १ = १८१ और यदि दोनों ध्रुवों को रेखा न माना जाय क्योंकि ये बिंदु हैं, तो 179 बतायी जाती है। 1° के अन्तराल पर खींचे जाने पर किन्हीं दो क्रमागत अक्षांश रेखाओं के बीच की लम्बाई 111 किलोमीटर होती है । विशिष्ट अक्षांश रेखायें[संपादित करें]दिसम्बर अयनान्त के समय पृथ्वी का झुकाव धरती की कुछ अक्षांश रेखाएँ, जिनके विशेष नाम हैं, भूमध्य रेखा के अतिरिक्त ऐसी चार और अक्षांश रेखाएँ हैं जो विशेष हैं: अक्षांश[संपादित करें]इस चित्र में धरती को एक गोला मानते हुए दिखाया गया है कि किस प्रकार किसी स्थान के अक्षांश () और रेखांश () परिभाषित किए जाते हैं। अक्षांश, भूमध्यरेखा से किसी भी स्थान की उत्तरी अथवा दक्षिणी ध्रुव की ओर की कोणीय दूरी का नाम है। भूमध्यरेखा को 0°' की अक्षांश रेखा माना गया है। भूमध्यरेखा से उत्तरी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ उत्तरी अक्षांश और दक्षिणी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ दक्षिणी अक्षांश में मापी जाती है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्यरेखा से अक्षांश का मान बढ़ता जाता है और ध्रुवों का अक्षांश मान 90° है। सभी अक्षांश रेखाएँ परस्पर समानान्तर और पूर्ण वृत्त होती हैं। ध्रुवों की ओर जाने से वृत्त छोटे होने लगते हैं। दो अक्षांश रेखाएँ के बीच में जो स्थान पाया जाता है उस स्थान को जोन कहते हैं। पृथ्वी के किसी स्थान से सूर्य की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है। न्यून अक्षांशों पर दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है। पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर अलग अलग होती हैं। पृथ्वी के तल पर के किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशांतर के द्वारा ही किया जाता है। किसी स्थान के अक्षांश को मापने के लिए अब तक खगोलकीय अथवा त्रिभुजीकरण नाम की दो विधियाँ प्रयोग में लाई जाती रही हैं। अक्षांश के वृत्त[संपादित करें]
अक्षांश रेखाओं की विशेषताएँ[संपादित करें]1.सभी अक्षांश रेखाऐं एक दूसरे के समाना्तर खाने हुए पूर्ण वृत के रूप में होती हैं। अत: इन्हें Parallels भी कहा जाता है। 2.सभी अक्षांश रेखाऐं ग्लोब पर शुद्ध पूर्व-पश्चिम दिशा में खींची हुई होती हैं। 3.सभी अक्षांश रेखाओं में केवल भूमध्य रेखा ही वृहत वृत (Great Circle) होती है। 4.भूमध्य रेखा एवं ध्रुवों को छोड़कर शेष सभी अक्षांश रेखाएं लघु वृत होती हैं।
5.भूमध्य रेखा के दोनों ओर अक्षांशीय वृत्त छोटे होते जाते हैं। 6.उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव बिन्दु मात्र होते हैं। 7.अक्षांश रेखाओं का अधिकतम मान 90° उत्तर अथवा 90° दक्षिण तक होता है। 8.सभी अक्षांश रेखाऐं समान दूरी (1° के अन्तराल पर लगभग 111 कि.मी.) पर खींची जाती हैं । 9.1° के अन्तराल पर कुल 181 अक्षांश (90+90= 180 + भूमध्य रेखा =181) होते हैं। [2] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
संदर्भ[संपादित करें]
उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा को क्या कहते हैं?उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली 360 रेखाओं को देशांतर रेखाएं कहा जाता है.
कौन सी काल्पनिक रेखा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जाती है?भूमध्य रेखा पृथ्वी की सतह पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव से सामान दूरी पर स्थित एक काल्पनिक रेखा है। यह पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित करती है।
उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच में इमेजिनरी लाइन को क्या कहा जाता है?उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को Longitude Lines कहते है।
ध्रुव को मिलाने वाले अर्धवृत्त को क्या कहते हैं?इसे विषुवत् वृत्त कहा जाता है।
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