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Prem and Nisha meet and fall in love at the wedding of their elder siblings, but their plans to be together are put in jeopardy when Nisha's sister dies, leaving behind a baby.Prem and Nisha meet and fall in love at the wedding of their elder siblings, but their plans to be together are put in jeopardy when Nisha's sister dies, leaving behind a baby.Prem and Nisha meet and fall in love at the wedding of their elder siblings, but their plans to be together are put in jeopardy when Nisha's sister dies, leaving behind a baby. See production, box office & company info
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More like thisReview One of the best family films ever! At a time when action films were the norm of Indian Cinema came a family film called "Hum Aapke Hain Kaun". A film that broke all the records at the time. It was the turning point in Indian Cinema to move away from violent films and towards more romantic and creative efforts or as I like to call them "Films without Villains". Hum Aapke Hain Kaun started it all. The film is directed by Sooraj Barjatya, it is his second film after Maine Pyaar Kiya. HAHK stars Salman Khan as Prem and Madhuri Dixit as Pooja, its about how they fall in love and what they have to go through to finally end up together, throw in some family values and emotion and you have Hum Aapke Hain Kaun. Everyone should watch this film, but wait, I think they already have! Enjoy!
Related newsContribute to this pageSuggest an edit or add missing content By what name was Hum Aapke Hain Koun..! (1994) officially released in Canada in English? Answer
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हम आपके हैं कौन एक भारतीय हिन्दी फिल्म है, जिसका निर्माण सूरज बड़जात्या ने 1994 में किया था। इस फिल्म में सलमान खान और माधुरी दीक्षित मुख्य किरदार में हैं। इस फिल्म को 5 अगस्त 1994 में सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया था। इसके बाद यह उस समय की बहुत बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी। 5 अगस्त 2022 को इसने अपने 28 साल पूरे कर लिए हैं।[1] कहानी[संपादित करें]यह प्रेम नाम के युवक और निशा (माधुरी दीक्षित) नाम की युवती की कहानी है। दोनों चुलबुले, हंसमुख और शरारती हैं। प्रेम (सलमान ख़ान) के माता पिता का उसके बचपन में देहान्त हो चुका है। प्रेम और उसके बड़े भाई राजेश (मोहनीश बहल) को उनके चाचा कैलाशनाथ (आलोक नाथ) ने पाला है। कैलाशनाथ अपने भतीजों के उचित देखभाल करने के लिए कभी शादी नहीं करते हैं। राजेश अपने चाचा के व्यवसाय को कुशलता से चला रहा है। कैलाशनाथ को उसके लिये योग्य वधू की तलाश है। प्रेम और राजेश के मामा मिल कर इसके लिए निशा की दीदी, पूजा (रेणुका शहाणे) का नाम सुझाते हैं। राजेश और पूजा का रिश्ता तय हो जाता है। पहली मुलाकात से ही प्रेम और निशा के बीच नोक-झोंक, मजाक और शरारत का सिलसिला चलने लगता है। पूजा दुल्हन बन कर ससुराल आ जाती है। वह अपने सरल, निर्मल व स्नेहशील स्वभाव से सबका दिल जीत लेती है। कुछ समय बाद जब वह गर्भवती होती है तो उसकी गोदभराई के लिये एक भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है। निशा इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिये अपनी दीदी के ससुराल आती है और बच्चे के जन्म तक वहीं रहती है। इस बीच प्रेम और निशा एक दूसरे को चाहने लगते हैं। पूजा एक बेटे को जन्म देती है। दोनों परिवारों में खुशी छा जाती है। अपने घर वापस जाते समय निशा भारी मन के साथ प्रेम से विदा लेती है। प्रेम उसे विश्वास दिलाता है कि वह जल्द ही अपने परिवार वालों से कहकर उन दोनों का रिश्ता तय करा लेगा। कुछ दिनों बाद जब पूजा अपने बेटे को लेकर मायके जाना चाहती है तो प्रेम उसे वहाँ तक पहुंचाने जाता है। वहाँ जाकर वह अपनी भाभी को निशा और अपने संबंध में बतलाता है। पूजा बहुत खुश होती है और उन दोनों को विवाह के बन्धन में बांधने का संकल्प लेती है। प्रतीक स्वरूप वह निशा को अपने ससुराल का खानदानी हार भेंट करती है। तभी फोन की घंटी बजती है। राजेश से बात करने को उत्सुक पूजा फोन उठाने जाती है, पर तभी उसका पैर फिसल जाता है और वह सिर के बल गिर कर लहूलुहान हो जाती है। अस्पताल में डॉक्टर (सतीश शाह) उपचार के बहुत प्रयास करते हैं, किन्तु पूजा की मौत हो जाती है। इस त्रासदी से सभी हतप्रभ और शोक मग्न रह जाते हैं। पूजा की मृत्यु के बाद सबको राजेश और उसके नन्हे पुत्र की चिन्ता होती है। पत्नी के वियोग और बेटे के भविष्य की फिक्र के कारण राजेश का स्वास्थ्य गिरने लगता है। ऐसे में पूजा के पिता यह प्रस्ताव रखते हैं कि राजेश उनकी छोटी बेटी निशा से विवाह कर ले। इस बात से प्रेम कुछ पल के लिये दुविधा में घिर जाता है। किन्तु अपने भाई और भतीजे के लिये वह अपनी भावनाओं का बलिदान दे देता है और प्रस्ताव का समर्थन करता है। सबके बहुत समझाने पर बेटे के हित में राजेश इस विवाह के लिये तैयार हो जाता है। निशा के माता पिता उससे पूछते हैं कि क्या वह अपनी दीदी के ससुराल में बहू बन कर जायेगी। वह समझती है कि वे उसका विवाह प्रेम से तय कर रहे हैं और शर्माते हुए अपनी स्वीकृति दे देती है। विवाह के कुछ दिन पहले ही निशा को पता चलता है कि भ्रमवश उसने राजेश की पत्नी बनने के लिये हाँ कर दी है। परन्तु उसे यह बोध भी होता है कि उसका यह निर्णय उसके नन्हें भांजे और राजेश के जीवन में खुशियां ला सकता है। इसलिये वह अपनी भावनाओं की बलि देने को तैयार हो जाती है। विवाह का दिन आ जाता है। अपने दुख को भूल कर प्रेम अपने भैया की बारात के साथ निशा के घर पहुंचता है। दुल्हन बनी निशा को पूजा का भेंट किया हुआ खानदानी हार याद आता है। वह प्रेम को हार लौटाना चाहती है। निशा हार को लपेट कर एक पत्र के साथ प्रेम के पास भेज देती है। परन्तु वह पत्र और हार प्रेम के स्थान पर राजेश के हाथ लग जाते हैं। सब कुछ जान कर राजेश प्रेम और निशा से पूछता है कि उन्होंने उसे विश्वास में क्यों नहीं लिया। राजेश दोनों परिवारों को प्रेम और निशा के संबंध की जानकारी देता है और उनका विवाह कराने का प्रस्ताव रखता है। अन्ततः सबकी सहमति और आशीर्वाद के साथ प्रेम और निशा का विवाह हो जाता है। मुख्य कलाकार[संपादित करें]
संगीत[संपादित करें]इस फिल्म का संगीत रामलक्ष्मण ने दिया है।
नामांकन और पुरस्कार[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]हम आपके हैं कौन इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर
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