इस परिपेक्ष्य में सबसे आधुनिक विस्तृत और सर्वमान्य परिकल्पना रूसी जीव रसायन शास्त्री एआई ओपेरिन ने सन 1924 में भौतिकवाद या पदार्थवाद Materialistic Theory के के नाम से अपनी पुस्तक The Origin Of Life ओरिजन आफ लाइफमैं प्रस्तुत की।
इस परिकल्पना के अनुसार जीवन की उत्पत्ति कार्बनिक पदार्थों से रसायनिक उद्विविकास Chemical Evaluation के फलस्वरूप हुई है| सर्वप्रथम पृथ्वी का उद्भव अंतरिक्ष में एक ज्वलनशील एवं घूर्णनशील गैसीय पिंडसे हुआ। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पृथ्वी के प्रारंभिक वातावरण में गैसीयअवस्था में बहुत सारे तत्वों के अलावा उन सारे रसायनिक तत्वों के स्वतंत्र परमाणु थे,जो जीवद्रव्य का प्रमुख संघटक होता है.क्रमश: पृथ्वी ठंडी होती गई और इनके स्वतंत्र परमाणुओं नेपारस्परिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप तत्वों के साथ-साथ सरल अकार्बनिक यौगिकोंका भी निर्माण किया।
आदि वायुमंडल वर्तमान उपचायक या ऑक्सीकारक Oxidising वायुमंडल के विपरीत अपचायक Reducing था। क्योंकि इसमें हाइड्रोजन के परमाणु संख्या में में सबसे अधिक और सर्वाधिक क्रियाशील थे। हाइड्रोजन ने ऑक्सीजन के सारे परमाणु से मिलकर जल जल से से मिलकर जल बना लिया अतः ऑक्सीजन के स्वतंत्र परमाणु आदि वायुमंडल में नहीं थे वायुमंडल में नहीं थे।स्थलमंडल इस समय भी बहुत गर्म था। अतः सारा जल वाष्प के रूप में वायुमंडल में ही रहा। नाइट्रोजन के परमाणुओं ने अमोनिया NH3 भी बनाई।
ताप के और कम होने पर अणुओं के पारस्परिक आकर्षण एवं प्रतिक्रिया के फलस्वरूप कार्बनिक यौगिकों organic compound कानिर्माण हुआ। जैसे एमिनों एसिड , वसीय अम्ल,प्यूरिन्स, मिथेन और शुगर आदि।
इन सभीरासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए ऊर्जा कास्मिक किरणों और अल्ट्रावॉयलेट किरणों से प्राप्त हुई। इन सब कार्बनिक यौगिकों के निर्माण के फलस्वरूप जीवन की उत्पत्ति की संभव हुई, क्योंकि जीवद्रव्य के निर्माण में इन्ही घटकों की आवश्यकता होती है।
स्टैनले मिलर की ओपैरिन परिकल्पना
एक अमरीकीवैज्ञानिकस्टैनले मिलरने ओपैरिन की परिकल्पना की उर्जा की उपस्थिति में, मिथेन, हाइड्रोजन,जलवाष्प एवं अमोनिया के संयोजन से अमीनो अम्लों,शर्कराओं तथा अन्य कार्बनिक यौगिकों के निर्माण की संभावना को 1955 ईं. में सिद्ध कर दिखाया।
उन्होंने एक विशेष वातावरण में अमोनिया, मिथेन, हाइड्रोजन एवं जलवाष्प के गैसीय मिश्रण में विद्युत धाराप्रवाहित की। इस प्रयोग के फलस्वरूप एक गहरा लाल रंग का तरल पदार्थ मिला और उसके विश्लेषण के फलस्वरूप यह निष्कर्ष निकला कि यह अमीनो अम्ल,सरल शर्कराओं, कार्बनिक अम्लों तथा अन्य कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण था।
ओपेरिन के अनुसार, तत्पश्चात कार्बनिक यौगिकों की इकाइयों ने पारस्परिक संयोजन के जटिल कार्बनिक यौगिकों के बहुलक बनाएं, इस प्रकार शर्कराओं के अणुओँ में माँण्ड, ग्लाइकोजन एवं सैलुलोज आदि पोलीसैकराइड्स तथा वसीयअम्लों एवं ग्लिसराल के अणुओं से वसाओं का निर्माण हुआ।
इनमें प्रोटीन तथा न्यूक्लिक अम्लों की प्रतिक्रिया सेन्यूक्लिओं प्रोटींस बनी,जिसमेंस्वः द्विगुणन की क्षमता थी। न्यूक्लिओ प्रोटींस के कणों के बनने के बाद झिल्लीयुक्त कोशारूपी आदिजीव का निर्माण हुआ। वह आदिजीव आजकल के नीले -हरे शैवालों जैसी थी। इनके द्वारा प्रकाश संश्लेषण क्रिया से वायुमंडल में स्वतंत्र ऑक्सीजन मुक्त हुआ। ऑक्सीजन ने आदि वायुमंडल की मिथेन एवं अमोनिया को कार्बन डाइऑक्साइड नाइट्रोजन और जल में विघटित किया। अतः वायुमंडल का संयोजन हो गया जो आज कल वायुमंडल में उपस्थित है। सभी ऑक्सीजन का उत्पादन प्रकाश संश्लेषण करने वाले जीव करते हैं और ऑक्सीजनने पूरे वातावरण को अपचायक से ऑक्सीकारक बना दिया। इस महत्वपूर्ण परिवर्तनों के कारण इसे ऑक्सीजन क्रांति oxygen revolution कहा जाता है ।
इस प्रकार जीवन का उद्भव जटिल रासायनिक प्रतिक्रिया के फल स्वरुप हुआ। हुआ। इसलिए यह परिकल्पना 'जीवन का रसायनिक संशलेषणसिद्धांत' के रूप में भी जानी जाती है।
Important fact on Origin Of life in Earth
हमारा ब्रह्मांड पदार्थ एवं ऊर्जा से मिलकर बना है।
सजीव पदार्थ के संयोजन में 27 तत्व भाग लेते हैं।
सजीव पदार्थ के संयोजन में सिर्फ चार तत्व ऑक्सीजन 65% कार्बन 18.5% हाइड्रोजन 9.5% एवं नाइट्रोजन 3.3%की मात्रा में मिले होते हैं।
लघु तत्व कैल्शियम फास्फोरस सजीव पदार्थ के संयोजन में क्रमशः 1.5 एवं 1% का योगदान देते हैं।
सजीव पदार्थों में सोडियम पोटैशियम मैग्निशियम कैलशियम तथा क्लोरीन तत्व सदैव आयन के रूप में पाए के रूप के रूप में पाए जाते हैं।
आदि वायुमंडल अपचायक था अपचायक था।
सजीव पदार्थ कार्बनिक तथा अकार्बनिक नामक दो प्रकार के यौगिकों से बने होते हैं। इनमें कार्बनिक अर्थात प्रोटीन वसा और कार्बोहाइड्रेट का सजीव के निर्माण में औसतन
जीवन की उत्पत्ति से आप क्या समझते हैं?
आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रक्रिया बताते हैं इसमें पहले जैव कार्बनिक अणु बने फिर इनका समूह बना, यह प्रक्रिया निरंतर चलती रही और अंत में यह निर्जीव पदार्थ जीवित तत्त्वों में परिवर्तित हुआ। पृथ्वी पर जीवन के प्रमाण अलग अलग समय में जीवाश्मों के अवशेष के रूप में प्राप्त हुए हैं।
जीवन की उत्पत्ति कहाँ हुई?
जीवोत्पत्ति पृथ्वी पर अनुमानित ३.८ से ४ अरब वर्ष पूर्व हुई थी। इसका अध्ययन प्रयोगशाला में किए गए कुछ प्रयोगों के द्वारा, और आज के जीवों के जेनेटिक पदार्थों से जीवन पूर्व पृथ्वी पर हुए उन रासायनिक अभिक्रियाओं का अनुमान लगा कर किया गया है जिनसे संभवतः जीवन की उत्पत्ति हुई है।
पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई?
380 करोड़ साल पहले सागर के नीचे एक नई क्रांति हो रही थी। 6 मामूली तत्वों हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन, नाइट्रोजन आदि ने मिलकर जीवों की रचना शुरू कर दी। इस तरह धरती पर चुपचाप जल के भीतर जीवन की शुरुआत होने लगी। सर्वप्रथम बैक्टीरिया के रूप में जीवन शुरू हुआ।
पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म कब हुआ था?
पृथ्वी पर मानव की वर्तमान प्रजाति 3.5 लाख वर्ष पूर्व आई थी। इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने 2300 से 300 वर्ष के बीच दक्षिणी अफ्रीका में रहने वाले सात लोगों के जीनोम (जीवों के जीन का समूह) का अध्ययन किया ।