त्रेता में कौन से भगवान थे? - treta mein kaun se bhagavaan the?

जैसा कि हम सभी जानते कि सनातन धर्म के अनुसार चार युग होते हैं जैसे कि सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग और अभी का जो युग चल रहा है वह कलयुग। युग का अर्थ होता है कालचक्र या काल अवधि। हिंदू धर्म के अनुसार 3 युग बीत चुके हैं और अभी चौथा युग यानी कि कल युग चल रहा है और समय चक्र के अनुसार जब कलयुग समाप्त हो जाएगा तब फिर सतयुग का आरंभ होगा इसी तरह चारों युग अपने कालचक्र के अनुसार चलते रहते हैं। किसी भी युग का अर्थ होता है कि उस युग में किस प्रकार व्यक्तिगत जीवन, आयु, और उसमे होने वाले मनुष्यों की ऊंचाई, और उस में होने वाले भगवान के अवतारों के बारे में जानना जो युग परिवर्तन के बाद बदल जाते हैं तो चलिए जानते हैं?

सतयुग – प्रथम युग

सनातन धर्म का सबसे प्रथम युग सतयुग है इस युग की बहुत सी विशेषताएं हैं इस युग में पाप की मात्रा 0% होती है यानि की सीधे शब्दों में कहे तो इस युग में पाप की मात्रा ना के बराबर होता है। इस युग यानि कि सतयुग में पुण्य की मात्रा धर्म का 4 भाग यानी कि 100% होती है। मतलब कि इस युग में पुण्य को अधिक महत्व दिया गया है। इस युग में भगवान विष्णु ने मत्स्य, वराह, नर्सिंग, कुर्म जैसे अवतार लिए है यह सभी अवतारों अमानवीय अवतार है। यह सभी अवतार धर्म की रक्षा के लिए राक्षसों का वध करने, वेदों का उद्धार करने और पृथ्वी की रक्षा करने के लिए किया है। इस युग की मुद्रा रत्न की होती थी जैसे- हीरे, मोती, पन्ना,नीलम,पुखराज। इस युग यानी कि सतयुग के बर्तन स्वर्ण धातु के बने होते थे और यह भी माना जाता है कि इस युग में मनुष्य की आयु 100000 वर्ष होती थी और उसकी लंबाई 40 से 45 फीट होते थे। इस युग की आयु 1728000 साल होती है इस युग में सत्य के चारों स्तंभ थे। जब सतयुग की आयु पूर्ण हुई तब आया त्रेता युग चलिए इस युग के बारे में जानते है।

 त्रेता युग – दूसरा युग

 जब सतयुग समाप्त हो गया तब त्रेता युग का आरंभ हुआ और यह युग सनातन धर्म का दूसरा युग माना जाता है। इस युग में धर्म की मात्रा 75% और पाप की मात्रा 25% होती है जो कि कालचक्र के अनुसार धर्म का 4 में से एक अस्थभ नष्ट हो जाता है इस युग में। इस युग में यानी कि त्रेता युग में भगवान विष्णु ने वामन, परशुराम, और अंतिम में श्री राम के अवतार लिए है। इन अवतारों को लेने का कारण था कि वामन के रूप में राजा बलि का उद्धार करना, परशुराम के रूप में धर्मपथ से भटके हुए दुष्ट क्षत्रियों का नाश करके सबको धर्म पथ पर लाना , श्री राम के रूप में रावण का संहार करके इस समस्त पृथ्वी पर से रावण का आतंक मुक्त करना। इस युग में मनुष्य की आयु 10000 वर्ष रह गई थी और मनुष्यों की लंबाई घटकर 21 फीट तक रह गई थी क्योंकि इस युग से पाप की मात्रा बढ़ने लगी थी। इस युग की मुद्रा स्वर्ण की होती थी और पात्र यानी कि बर्तन चांदी की होती थी और इस युग की आयु 1296000 वर्ष होती है जो समय अनुपात के अनुसार घट जाती है। इसके बाद आता है द्वापर युग

 द्वापर युग – तीसरा युग

 त्रेता युग की आयु पूर्ण होने पर द्वापर युग की शुरुआत होती है। द्वापर युग को सनातन धर्म का तीसरा युग माना गया है इस युग का तीर्थ स्थल कुरुक्षेत्र है। इस युग में पाप की मात्रा बढ़कर 50 प्रतिशत और पुण्य की मात्रा घटकर 50 प्रतिशत हो जाती है इस युग में धर्म का आधा भाग यानी कि 2 स्तंभ खत्म हो जाता है। इस युग में मनुष्य की आयु घटकर 1000 वर्ष रह गई थी और मनुष्य की लंबाई 10 से 11 फीट रह गई थी। इस युग की मुद्रा चांदी की होती थी और इसके पात्र तांबे के होते थे। इस युग की आयु 864000 वर्ष होती है। इस युग के अंत में भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप ने अवतार लिया था और इस पृथ्वी पर से अधर्म का साम्राज्य मिटाया था और फिर पुनः धर्म का साम्राज्य स्थापित किया। उसके कुछ वर्षों बाद कलयुग की शुरुआत हुई।

 कलयुग – चौथा युग

 द्वापर युग के समाप्त होने के बाद अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के शासनकाल में कलयुग की शुरुआत हुई। कलयुग सनातन धर्म का चौथा और अंतिम युग कहा गया है। कलयुग को मानव जाति के लिए सबसे श्रापित युग भी कहा गया है। इस युग में पाप की मात्रा 75% और पुण्य की मात्रा 25% ही रह जाएगा, इस युग में धर्म का 4  स्तंभ में से 3 स्तंभ खत्म हो जाएगा और धर्म का एक भाग ही रह जाएगा। इस युग यानि कि कलयुग की आयु 432000 साल है। इस युग में मनुष्य की आयु 100 वर्ष  और उसकी लंबाई 5 से 6 फीट तक बताई गई है जो कि कलयुग के अंत आते -आते मनुष्य की आयु 10 से 12 वर्ष और इसकी लंबाई 5 से 7 इंच तक ही रह जाएगी, जो कि अभी कलयुग का प्रथम चरण ही चल रहा है।

इस युग के तीर्थ स्थल गंगा नदी है और इस युग की मुद्रा लोहे और कागज की बनी होंगी और इस युग के पात्र मिट्टी का होगा। इस युग अंत में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का जन्म होगा जो कि इस संसार सा अधर्म का विनाश करके पुनः सतयुग की स्थापना करेगा। जैसा कि इस युग का अभी प्रथम चरण ही चल रहा है और कलयुग की शुरुआत द्वापर युग के बाद हुई है तो पुराणों और विशेषज्ञों की गणना के अनुसार कलयुग अभी 5000 वर्ष ही बीते है जो कि अभी कलयुग का अंत आने में 427000 वर्ष और बचे हुए है जो कि कलयुग का अंत आने में भी बहुत समय है तब भगवान विष्णु इस धरा पर अवतरित होंगे। आज के लिए इतना ही अगर आपको पोस्ट अच्छा लगे हो तो शेयर जरूर करें…..।

सतयुग के लिए माना जाता है कि इसयुग में भगवन राम ने रावण का वध करने लिए जन्म लिया था, क्योंकि जब-जब इस धरती पर पाप बढ़ा है तब -तब भगवन ने इस धरती को अपना विराट रूप दिखाया है। सतयुग में धरती पर आत्माओं का वास हुआ करता था जिसे वर्ल्ड ऑफ़ सोल भी कहा जाता है। जैसे हर शरीर का अंत होता है ठीक वैसे ही एक समय का अंत भी आता ही है। ऐसा माना जाता है कि सतयुग कि 1,728,000 बाद खत्म होती है, जिसमे एक सामान्य व्यक्ति 1 लाख साल तक जी सकता है जिनका कद 32 फुट लम्बा हुआ करता था।इस युग इंसान अपनी इच्छा अनुसार मर सकता था।

त्रेतायुग:-

हिन्दू धर्म में श्रीराम, श्रीविष्णु के 10 अवतारों में, सातवें अवतार हैं। लेकिन यह रहस्य बहुत कम लोगों को मालूम है कि श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई? दरअसल भगवान श्रीराम की मृत्यु एक रहस्य है जिसका उल्लेख सिर्फ पौराणिक धर्म ग्रंथो में ही मिलता है।पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्रीराम ने सरयु नदी में स्वयं की इच्छा से समाधि ली थी। इस बारे में विभिन्न धर्मग्रंथों में विस्तार से वर्ण मिलता है। श्रीराम द्वारा सरयु में समाधि लेने से पहले माता सीता धरती माता में समा गईं थी और इसके बाद ही उन्होंने पवित्र नदी सरयु में समाधि ली।

चरों युग हनुमान जी एक मात्र ऐसे भगवान हैं जो अमर हैं, त्रेतायुग में भी हनुमान जी ने भीम को चारों युग के बारे बताया था, किस युग में क्या होता ये भी बताया था। जानकारी के लिए बता दें त्रेतायुग 4 ,32 ,000 वर्षों का होता है, जिसमे एक सामान्य इंसान 10 ,000 साल तक जी सकता था। इस युग में भीम ने हनुमान जी को चारों युग के ज्ञानी के नाम से सम्बोधित किया था।

त्रेता में कौन से भगवान थे? - treta mein kaun se bhagavaan the?

जब द्वापर युग में गंधमादन पर्वत पर महाबली भीम सेन हनुमान जी से मिले तो हनुमान जी से कहा - की हे पवन कुमार आप तो युगों से प्रथ्वी पर निवास कर रहे हो आप महा ज्ञान के भण्डार हो बल बुधि में प्रवीण हो कृपया आप मेरे गुरु बनकर मुझे सिस्य रूप में स्वीकार कर के मुझे ज्ञान की भिक्षा दीजिये तो हनुमान जी ने कहा - हे भीम सेन सबसे पहले सतयुग आया उसमे जो कामना मन में आती थी वो कृत (पूरी )हो जाती थी इसलिए इसे क्रेता युग (सत युग )कहते थे इसमें धर्म को कभी हानि नहीं होती थी उसके बाद त्रेता युग आया इस युग में यग करने की परवर्ती बन गयी थी इसलिए इसे त्रेता युग कहते थे त्रेता युग में लोग कर्म करके कर्म फल प्राप्त करते थे, हे भीम सेन फिर द्वापर युग आया इस युग में विदों के 4 भाग हो गये और लूग सत भ्रष्ट हो गए धर्म के मार्ग से भटकने लगे है अधर्म बढऩे लगा, परन्तु हे भीम सेन अब जो युग आएगा वो है कलयूग इस युग में धर्म ख़त्म हो जायेगा मनुष्य को उसकी इच्छा के अनुसार फल नहीं मिलेगा चारो और अधर्म ही अधर्म का साम्राज्य ही दिखाई देगा।

त्रेता में कौन से भगवान थे? - treta mein kaun se bhagavaan the?

द्वापरयुग:-

यह युग 864 000 वर्षों का था, जिसमे एक पत्‍येक व्यक्ति 1000 साल तक जी सकता था, ऐसा माना जाता है जैसे- जैसे धरती पर पाप बढ़ेगा वैसे-वैसे इंसान की जीने की उम्र और उसकी इच्छा की पूर्ती कम होने लगेगी। हनुमान जी हा कहना था कि द्वापरयुग में लोग धर्म के मार्ग से भटकने लगेंगे और धरती पर पाप बढ़ने लगेगा। जैसे कि आप सभी जानते हा इस युग में विष्णु जी ने खुद श्री कृष्णा का अवतार लेकर कंस को मौत के घाट उतारा था।

कलयुग:-

त्रेता में कौन से भगवान थे? - treta mein kaun se bhagavaan the?

ऐसा माना जाता है कि कलयुग में एक आत्मा का जन्म 45 बार होता है और उसकी उम्र 100 साल तक की होगी । इस युग में इंसान पर्यावरण को तहस नहस कर देगा, और इस युग में इंसान की इच्छा पूर्ती कम हो जाएगी और वे पाप का भागीदार बन जाएगा। कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे। माना जाता है कि कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।

त्रेता युग का देवता कौन है?

सतयुग के बाद आया त्रेता युग। इस युग में भगवान श्रीराम ने जन्म लिया और वह स्वयं श्रीहरि विष्णु का अवतार थे।

त्रेता में किसका अवतार हुआ?

त्रेतायुग में भगवान विष्णु के पांचवें अवतार के रूप में वामन अवतार लिया गया था। पहले चार अवतार क्रमशः मत्स्य, कच्छप, वाराह और नृसिंह थे। वामन अवतार में उन्होंने राजा बलि से तीन पग जमीन मांग कर धरती की रक्षा की थी। छठवां अवतार भगवान ने परशुराम का लिया।

क्या त्रेता युग में राम थे?

त्रेता युग मानवकाल के द्वितीय युग को कहते हैं। इस युग में विष्णु के पाँचवे, छठे तथा सातवें अवतार प्रकट हुए थे। यह अवतार वामन, परशुराम और राम थे। इस युग में वामन, परशुराम और भगवान श्री राम अवतार हुए।

सतयुग में किसकी पूजा होती थी?

सतयुग में लोग सत्य अर्थात् प्रकृति की पूजा करते थे।