तुला राशि वाले पूर्व जन्म में क्या थे? - tula raashi vaale poorv janm mein kya the?

तुला राशि वाले लोगों के नाम का पहला अक्षर रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू या ते होता है। तुला राशि का स्वामी शुक्र होता है। तुला राशि वाले लोगों जन्म नक्षत्र, चित्रा, स्वाती या विशाखा हो सकता है। इसलिए इस राशि के लोगों पर मंगल, राहु, बृहस्पति और शुक्र का ज्यादा प्रभाव रहता है। इस वजह से तुला राशि वाले लोग सतर्क, आकर्षक और संतुलित तो रहते हैं लेकिन लापरवाह और स्वार्थी भी होते हैं। इसके साथ ही ये लोग जल्दबाजी में फैसले लेते है और दुविधा में भी फंसे रहते हैं। 12 राशियों में तुला सातवें नंबर की राशि है। तुला राशि का साइन यानी चिन्ह तराजू है।

  • तुला राशि वाले लोगों की खास बातें और अच्छी-बुरी आदतें
  1. तुला राशि वाले लोगों की आवाज में मिठास होती है और चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती है। साहित्य क्षेत्र से जुड़े रहते हैं।
  2. ये लोग व्यावहारिक होते हैं और इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं। नई-नई जगहों पर घूमना इन्हें अच्छा लगता है।
  3. तुला राशि के अधिकतर लोग सामान्य कद-काठी वाले होते हैं। जीवन में आगे बढ़ते रहना पसंद करते हैं।
  4. तुला राशि की स्त्रियों का स्वभाव खुशमिजाज होता है। बुद्धि वाले काम करने में इनकी अधिक रुचि होती है।
  5. तुला राशि के लोग सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। आंखों में चमक और चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है।
  6. इस राशि के लोग ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करना बहुत पसंद करते हैं। ये एक अच्छे जीवन साथी बनते हैं।
  7. ये लोग किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहन देना, सहारा देना इनका स्वभाव होता है।
  8. तुला राशि के बच्चे संस्कारी होते हैं और बड़ों का आदर-सम्मान करते हैं। खेलकूद और कला के क्षेत्र में इनकी ज्यादा रुचि रहती है।
  9. आमतौर पर इस राशि के लोगों को कफ से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
  10. इस राशि के लोगों को घर की साज-सज्जा करना पसंद होता है। खुद को सुंदर दिखाने का शौक रखते हैं। इन्हें बच्चों से विशेष लगाव रहता है।

धार्मिक शास्त्रों में माना जाता है कि मनुष्य योनि एक ऐसी योनि है जिसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है और साथ ही ये भी कहा जाता है कि मनुष्य रूप में जन्म लेकर ही इंसान खुद को जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर सकता है। खुद को ईश्वर को समर्पित करके वह मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है, लेकिन मोह-माया में फंसा मनुष्य अपने इस योनि में आने के मकसद को भूल जाता है। वहीं अगर हम परेशान रहते हैं तो सोचते हैं कि ये हमारे पिछले जन्म का फल है। ज्योतिषों के मुताबिक इस जन्म के सुख-दुख का संबंध पूर्वजन्म से भी होता है। ज्योतिषों के अनुसार आप चाहे तो खुद भी पता लगा सकते हैं कि आप पिछले जन्म में क्या थे। आज हम आपको राशि के अनुसार बताएंगे कि आप पिछले जन्‍म में क्‍या थें।

हम 'वेबदुनिया' के पाठकों के लिए क्रमश: समस्त 12 राशियों व उन राशियों में जन्मे जातकों के व्यक्तित्व के गुण-दोष की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। इसी क्रम में प्रस्तुत है तुला राशि में जन्मे जातकों का व्यक्तित्व-

जिन जातकों के जन्म के समय जन्म पत्रिका में चन्द्रमा तुला राशि में स्थित होता है, उनकी तुला राशि होती है। तुला राशि का स्वामी शुक्र है। शुक्र को नवग्रहों में रानी की उपाधि प्राप्त है।

शुक्र भोग-विलास एवं विलासिता नैसर्गिककारक होता है, इस कारण तुला राशि वाले जातक वैभव-विलासितापूर्ण जीवन-यापन करना बहुत पसंद करते हैं। यह फैशन से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। इन्हें गीत-संगीत, नृत्य व फिल्म से विशेष लगाव होता है। इन्हें अधिकतर सज-धजकर रहना, महंगी गाड़ियों में घूमना-फिरना व फैशन के अनुसार वस्त्र पहनना पसंद होता है।


तुला राशि वाले पूर्व जन्म में क्या थे? - tula raashi vaale poorv janm mein kya the?

तुला राशि वाले जातक निर्णय लेने में बहुत विलंब करते हैं, क्योंकि इनका स्वभाव 'पल में तोला, पल में मासा' जैसा होता है। ये अक्सर अपने लिए गए निर्णय परिवर्तित करते रहते हैं। तुला राशि वाले जातक न्यायप्रिय होते हैं। तुला के चर राशि होने के कारण ये थोड़े अस्थिर स्वभाव वाले होते हैं और अपना कर्मक्षेत्र व जीवनचर्या निरंतर बदलते रहते हैं। इनका बौद्धिक स्तर ऊंचा होता है। ये कल्पनाशील होते हैं।

तुला राशि के अधिपति शुक्र के कारण ये थोड़े कामुक व भोग-विलासप्रिय होते हैं। शुक्र राशि वाली महिलाएं अक्सर खूबसूरत होती हैं। यदि तुला राशि के जातकों की कुंडली में शुक्र पर अशुभ प्रभाव हो अथवा शुक्र नीचराशिस्थ हो तो ये व्यभिचार की ओर अग्रसर होकर लांछित होते हैं। इनका दांपत्य जीवन प्राय: सुखद होता है। तुला राशि वाले जातक धनाढ्य होते हैं। इनके पास चल-अचल संपत्ति होती है। ये उत्तम वाहन सुख प्राप्त करते हैं।

तुला राशि वाले जातक अक्सर रोमांटिक स्वभाव वाले होते हैं और अपने जीवनसाथी से अत्यधिक प्रेम करते हैं। तुला राशि वाले जातक अक्सर अभिनेता, जौहरी, सौन्दर्य प्रसाधन, प्रसिद्ध व्यापारी, नृत्य निर्देशक, गायक, संगीतकार, फिल्म इंडस्ट्री, सिविल इंजीनियर, फैशन डिजाइनर, मॉडलिंग इत्यादि क्षेत्रों में विशेष सफल होते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी कोई जातक पैदा होता है तो वह अपनी भुक्त और भोग्य दशाओं के साथ पिछले जन्म के भी कुछ सूत्र लेकर आता है। ऐसा कोई भी जातक नहीं होता है, जो अपनी भुक्त दशा और भोग्य दशा के शून्य में पैदा हुआ हो।

ज्योतिष धारणा के अनुसार मनुष्य के वर्तमान जीवन में जो कुछ भी अच्छा या बुरा अनायास घट रहा है, उसे पिछले जन्म का प्रारब्ध या भोग्य अंश माना जाता है। पिछले जन्म के अच्छे कर्म इस जन्म में सुख दे रहे हैं या पिछले जन्म के पाप इस जन्म में उदय हो रहे हैं, यह खुद का जीवन देखकर जाना जा सकता है। हो सकता है इस जन्म में हम जो भी अच्छा या बुरा कर रहे हैं, उसका खामियाजा या फल अगले जन्म में भोगेंगे या पाप के घड़े को तब तक संभाले रहेंगे, जब तक कि वह फूटता नहीं है। हो सकता है इस जन्म में किए गए अच्छे या बुरे कर्म अगले जन्म तक हमारा पीछा करें।

1. ज्योतिष के अनुसार जातक के लग्न में उच्च या स्वराशि का बुध या चंद्र स्थिति हो तो यह उसके पूर्व जन्म में सद्गुणी व्यापारी होने का सूचक है। लग्नस्थ बुध है तो वणिक पुत्र होकर विविध क्लेशों से ग्रस्त था।

2. किसी जातक की कुंडली के लग्न स्थान में मंगल उच्च राशि या स्वराशि में स्थित हो तो इसका अर्थ है कि वह पूर्व जन्म में योद्धा था। यदि मंगल षष्ठ, सप्तम या दशम भाव में है तो यह माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में बहुत क्रोधी स्वभाव का था।

3. यदि जातक की कुंडली में 4 या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के अथवा स्वराशि के हों तो यह माना जाता है कि जातक उत्तम योनि या जीवन भोगकर यहां जन्म लिया है।

4. यदि जातक की कुंडली में 4 या इससे अधिक ग्रह नीच राशि के हों तो ऐसा माना जाता है कि जातक ने पूर्वजन्म में निश्चय ही आत्महत्या की होगी।

5. यदि जातक की कुंडली में लग्नस्थ गुरु है तो माना जाता है कि जन्म लेने वाला जातक बहुत ज्यादा धार्मिक स्वाभाव का था। यदि जातक की कुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी एवं विवेकशील साधु अथवा तपस्वी था। गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो भी उसे संन्यासी माना जाता है।

6. यदि कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन जीकर जन्मा है।

7. यदि जातक की कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में शुक्र ग्रह हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में जीवन के सभी सुखों को भोगने वाला राजा अथवा सेठ था।

8. यदि जातक की कुंडली में लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि हो तो यह माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में पापपूर्ण कार्यों में लिप्त था।

9. यदि जातक की कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में राहु हो तो यह माना जाता है कि जातक की मृत्यु स्वभाविक रूप से नहीं हुई होगी।

10. यदि जातक की कुंडली में ग्यारहवें भाव में सूर्य, पांचवें में गुरु तथा बारहवें में शुक्र है तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का तथा लोगों की मदद करने वाला था।

Tula राशि वाले पिछले जन्म में क्या थे?

यदि कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन जीकर जन्मा है। 7. यदि जातक की कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में शुक्र ग्रह हो तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में जीवन के सभी सुखों को भोगने वाला राजा अथवा सेठ था।

तुला राशि में जन्म लेने वाले लोग कैसे होते हैं?

तुला राशि के जातक सबके लिए अच्छा करना चाहते हैं। ये विवादों को निपटाने में कुशल होते हैं और इनमें न्याय की गहरी भावना होती हैं। निष्पक्षता की यह लगन इनकी व्यक्तिगत जरूरत होती है संघर्ष और टकराव से बचने के लिए। चतुर रणनीतिकार और आयोजक, ये जानते हैं कि कैसे चीजों को अत्यंत शिष्टता के साथ किया जाता हैं

तुला राशि वालों के बच्चे कैसे होते हैं?

तुला राशि के बच्चे संस्कारी होते हैं और बड़ों का आदर-सम्मान करते हैं। खेलकूद और कला के क्षेत्र में इनकी ज्यादा रुचि रहती है। आमतौर पर इस राशि के लोगों को कफ से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इस राशि के लोगों को घर की साज-सज्जा करना पसंद होता है।

तुला राशि का भगवान कौन सा है?

तुला राशि तुला राशि के जातक शिव का दूसरा रूप कालभैरव या शनिदेव को अपना इष्टदेव मान सकते हैं