माता-पिता होने के नाते, आपकी सबसे बड़ी चिंता आपके बच्चे का स्वास्थ्य है। आप चाहते हैं कि बच्चे को जो भी खिलाया जाए वो उसके लिए स्वास्थ्यकारी हो। इसलिए पूरक आहार यानि सप्लीमेंट फ़ूड के बारे में भी पैरेंट्स के कुछ डाउट हो सकते हैं। बच्चे के लिए पूरक आहार शुरू करना करना एक रोमांचक क्षण है क्योंकि इसके जरिए आपके बच्चे का परिचय नए स्वाद से होता है। पूरक आहार शुरू करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है जो बच्चे को आने वाले वर्षों में स्वस्थ रखता है। जो लोग पहली बार माता-पिता बने हैं वो बच्चे के आहार के बारे में बहुत सी बातें नहीं जानते हैं, आइए चर्चा करें कि पूरक आहार( Purak aahar) अपने बच्चे को कब और कैसे खिलाना शुरू करें। Show
सबसे पहले जानते हैं कि पूरक आहार क्या होता है पूरक आहार क्या होता है? – Purak aahar kya haiशिशु पूरक आहार, माँ के दूध या फार्मूला मिल्क के अलावा नरम और आसानी से खाए जाने वाले भोजन को कहते हैं। छह महीने से दो साल के बीच के बच्चों के लिए ये आहार खास तौर पर तैयार किया जाता है। बाजार में कई कम्पनी के पूरक आहार मौजूद हैं जिन्हें आसान स्टेप अपना कर खाने के लिए तैयार किया जा सकता है। कई बार यह आम टेबल फूड भी हो सकता है जो बड़े लोग खाते हैं, उसे मैश करके बच्चो के खाने लायक बनाया जाता है। पूरक आहार कितने प्रकार का होता है? – Types of supplementary foodशिशु के दांत नहीं होते या कम होते हैं और उसका पाचन तंत्र कठोर चीज़ों को पचाने में सक्षम नहीं होता इसलिए उसे नरम पूरक आहार के जरिए सम्पूर्ण पोषण देने का प्रयास करना चाहिए। पूरक आहार में ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक चीज़ों का इस्तेमाल करने की सलाह भी इसीलिए दी जाती है। पूरक आहार के टेक्सचर के आधार पर इसे तीन प्रकार में बांटा जा सकता है –
ठोस पूरक आहार में मैश किए हुए आलू, चने या फल इत्यादि हो सकते हैं। बच्चे को ठोस आहार देने से पहले उसे अच्छी तरह मसल देना चाहिए ताकि उसके गले में यह भोजन न अटके।
दलिया और दूध में मिलाकर खाए जाने वाले बेबी फ़ूड अर्ध ठोस आहार कहे जा सकते हैं। बाजार में मिलने वाले सेरेल्स भी अर्ध ठोस पूरक आहार कहे जा सकते हैं। शिशु इनका सेवन आसानी से कर लेता है और ये उसके लिए सर्वोत्तम कहे जा सकते हैं।
इसके अलावा शिशु के लिए सूप और जूस जैसे पूरक आहार तरल होते हैं। इनके सेवन से शिशु के शरीर में पानी की कमी नहीं आती, साथ ही जरूरी तत्व भी मिलते हैं। पूरक आहार के लाभ – Purak Aahar ke laabhपूरक आहार शिशुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, यह शिशु की देखभाल का अहम हिस्सा है क्योंकि बढ़वार की ओर बढ़ते बच्चे को अतिरिक्त पोषक तत्वों की जरूरत होती है जो उसे केवल दूध के सेवन से नहीं मिल पाते हैं। आइए, जानते हैं कि पूरक आहार के लाभ क्या-क्या हैं?
पूरक आहार का सेवन करने से शिशु के विकास को गति मिलती है। छोटे बच्चों को खेलने और चलने में काफी ऊर्जा नष्ट कर देते हैं, ऐसे में पूरक आहार उनके लिए ऊर्जा का एक अच्छा माध्यम साबित होता है। सही ऊर्जा और पोषण देने में पूरक आहार मदद करते हैं इसलिए बच्चे की ग्रोथ सही प्रकार से होती रहती है। पोषक आहार का असर बच्चे की मानसिक क्षमता पर भी पड़ता है जिससे उसका बौद्धिक विकास ठीक तरह से चलता रहता है।
पूरक आहार से बच्चों की बीमारियों से लड़ने के क्षमता विकसित होती है। जब शिशु दूध के सेवन के साथ ठोस आहार लेना शुरू करते हैं तो उनकी पाचन शक्ति मजबूत होती है। बच्चे का पाचन ठीक रहता है तो वो बीमार भी कम पड़ते हैं। पूरक आहार में मौजूद पोषक तत्व जैसे विटामिन्स और मिनरल्स भी बच्चे को रोगों से बचाते हैं। बचपन से ही सही पोषण पाने के कारण भविष्य में शिशु का स्वास्थ्य उत्तम बनता है।
पूरक आहार का सेवन करने से बच्चे हेल्दी और समय पर भोजन की आदत विकसित कर लेते हैं। बच्चों की दूध की बोतल छुड़ाना चाहते हैं तो इसमें भी बेबी फ़ूड हेल्पफुल होता है। अधिकतर पूरक आहार स्वादिष्ट और संतुष्टिदायक होते हैं, जिन्हें बच्चे शौक से खा लेते हैं, और उनका भोजन लेने का एक शेड्यूल बन जाता है। आइए जानते हैं कि पूरक आहार कब से शुरू करना सही रहता है? शिशु को पूरक आहार कब से आरंभ किया जाए ?अगर आप एक नयी माँ हैं और सोच में हैं की बच्चे को पूरक आहार कब देना शुरू करें, तो ऐसा करने का सबसे अच्छा समय उनके छठवें महीने में है। छः महीने तक में बच्चा सुरक्षित रूप से निगलने और पचाने में सक्षम होता है। शुरुआत में आप एक बार खाद्य पदार्थ दे सकते हैं, विशेषत: दोपहर के समय जब अच्छे से खाना पच जाए। बाकी के समय आप स्तन पान करा सकते है। इसके अलावा, एक समय में केवल एक नया खाना दें। ऐसा करने से आपका बच्चा खाने के साथ अच्छे तरीके से परिचित हो पाएगा। आपके द्वारा दिए जाने वाले प्रत्येक खाने में २-३ दिनों का अंतर बनाये रखे। जब आप बच्चे को ठोस भोजन शुरू करे, सुनिश्चित करे की नरम( ब्लांड ) खाना ना दें, इससे बच्चे खाने को ले कर चुनिंदा हो सकते है। इसके बजाय घरो में उपयोग होने वाले मसाले दे सकते हैं जो उनके स्वाद कलिकाओ को बढ़ाएगा और वो विभिन्न स्वादों को स्वीकार करेंगे। बच्चे को पूरक आहार में खाने में क्या दें?६ से १२ महीने तक आप अपने बच्चे को जो भी खिलाते है , वो उनके भविष्य के लिए एक निश्चित ढाँचा तैयार करने में मदद करेगा। कई अनुसंधानों में ये निष्कर्ष निकला है की जो शिशु अधिक प्रकार के भोजन से परिचित हुए है वो बाद में भी विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थो को अच्छी तरीके से स्वीकार करते है। छवि स्त्रोत: freepik.com जब आप अपने बच्चे के लिए पूरक आहार की शुरुआत करेंगी तो आप देखेंगी की घर के पके खाने के काफी सारे विकल्प हैं। भारत में, परंपरागत रूप से, माताओं ने पके हुए दाल, घी, आलू, पके हुए सफेद चावल बच्चे के पहले पूरक आहार में शामिल किया है। भोजन को नरम रखा जाता है जिससे पचने में आसानी हो। चूंकि लौह और खनिज, विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं, पालक और गाजर जैसी सब्जियां, अंडे की जर्दी जैसे प्रोटीन को भी आहार में शामिल किया जा सकता है, जो आपके बच्चे के विकास की दिशा में काम करेंगे। तो इस लेख में आपने जाना कि पूरक आहार (Purak Aahar) कितना उपयोगी है। अगर आपका शिशु बचपन से सही तरीके से खाता है तो भविष्य में बीमारियों से बच सकता है क्योंकि सही आहार एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में मदद करता है। इसके अलावा, आपके बच्चे के लिए क्या सही है ये जानने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। Related Articles: जानिए क्यों होती है शिशु को नाक, मुंह और छाती से जुड़ी समस्याएं ? – शिशु को अक्सर खाना निगलने में और सांस लेने में तकलीफ होती है, जानिए इसके पीछे कोई गंभीर कारण तो नहीं ? अगर बच्चे को दूध पिलाती हैं तो भूलकर भी ना करें ये गलतियाँ – बच्चे को दूध पिलाना एक सुखद अहसास है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो यह समस्या का विषय भी हो सकता है, जानिए क्यों? अपने बच्चे की प्रोटीन की पूर्ति ऐसे करें – प्रोटीन बच्चे के बौद्धिक विकास को प्रभावित करता है इसलिए यह स्कूल में बच्चे के प्रदर्शन को बना या बिगाड़ सकता है, जाने कैसे दें उसे प्रोटीन की सही मात्रा बैनर इमेज: freepik.com #weaningfood #childnutrition पूरक आहार कौन कौन से हैं?भारत में, परंपरागत रूप से, माताओं ने पके हुए दाल, घी, आलू, पके हुए सफेद चावल बच्चे के पहले पूरक आहार में शामिल किया है। भोजन को नरम रखा जाता है जिससे पचने में आसानी हो।
पूरक आहार कितने प्रकार के होते है?अमीनो अम्ल. शरीरवर्धक पूरक. ऊर्जामय पेय. ऊर्जा बार. फैटी अम्ल. वनस्पतीय पूरक. प्रीबायोटिक. पूरक आहार का क्या अर्थ है?पूरक आहार का उद्देश्य मां के दूध की सम्पूर्ति करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि शिशु को पर्याप्त ऊर्जा, प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्व प्राप्त होते रहें, ताकि वह सामान्य रूप से विकसित हो सके।
बच्चों को पूरक आहार कितने माह में देना चाहिए?कैसा हो पूरक आहार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 6 से 8 माह के शिशु को दिन में 2-3 बार, 9-11 माह से लेकर 12-24 माह के शिशु को दिन में तीन से चार बार पूरक आहार देने के साथ-साथ एक से दो बार उसकी इच्छानुसार ठोस आहार भी देना चाहिए।
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