प्रिय दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप ‘कैमरे में बंद अपाहिज‘ कविता के बारे में पढ़ने जा रहें है। यहाँ पर हमने इस कविता की सम्पूर्ण व्याख्या, भावार्थ एवं विशेष को अच्छे से प्रस्तुत किया गया है। यह कविता बाहरवीं कक्षा के बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है क्योकिं हिंदी के पेपर में इस कविता से हर बार सवाल पूछे जाते है। इसलिए आप ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ को उचित रूप से पढ़ ले ताकि आपका रिजल्ट अच्छा आ सकें। Show
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कैमरे में बंद अपाहिज सप्रसंग व्याख्याहम दूरदर्शन पर बोलेंगे प्रसंग :- प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक’ आरोह भाग-2 में संकलित ‘रघुवीर सहाय‘ द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसमें कवि ने चित्रण किया है कि शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति से टेलीविजन-कैमरे के सामने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए किस प्रकार से सवाल पूछे जाते हैं। व्याख्या :- कवि का कथन है कि हम टेलीविजन पर अपने को समर्थ शक्तिवान बताएँगे तथा अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दूरदर्शन कैमरे के सामने एक शारीरिक कमजोर व्यक्ति को लाएंगे। उसे एक बंद कमरे में बिठाकर उससे अनेक प्रकार के संवेदनहीन प्रश्न पूछेंगे। हम उस से पूछेंगे कि क्या आप अपाहिज हैं ? यदि है तो क्यों है ? आपकी सारी कमजोरी आपको कष्ट देती होगी ? तो आपको यह कमजोरी दु:ख देती है ? फिर उसके समक्ष अपने कैमरे को बड़ा करके दिखाते हैं ताकि उसे बड़ा दिखाया जा सके। इसी तरह उसमें पूछेंगे कि आप हमें अपना दु:ख बताएँ, जल्दी बताएँ। कवि कहता है कि इस प्रकार टेलीविजन कैमरे के सामने शारीरिक दुर्बलता से युक्त व्यक्ति से अनेक प्रश्न पूछे जाएंगे लेकिन वह अपने दु:खों को बता नहीं पाएगा। वह अपनी संवेदना को इनके समक्ष नहीं रख पाएगा। इसे भी पढ़ें – बात सीधी थी पर Camere Me Band Apahij Vyakhyaसोचिए व्याख्या :- कवि कहता है कि टेलीविजन कैमरे के सामने शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति से पूछेंगे कि जरा सोच कर बताइए कि आपको एक अपाहिज होकर कैसा लगता है, आप कैसा महसूस करते हैं ? बार-बार पूछकर कैमरे वाले इशारे करके उसको अपाहिज होकर बताते हैं कि उसे ऐसा लगता है। बार-बार उस अपाहिज से ऐसे ही सवाल करते हैं। बार-बार कोशिश करने की सिफारिश करते हैं कि वह हमें सोच कर बताएं कि उसे अपाहिज या शारीरिक रूप से दुर्लब होकर कैसा लगता है या वह कैसा महसूस करता है। कवि दूरदर्शन वालों पर कटाक्ष करते हुए कहता है कि टेलीविजन-कैमरे वाले ऐसे अपाहिज की भावनाओं को नहीं समझते और अपने कार्यक्रम को अत्यधिक मनोरंजनपूर्ण या चुटिला बनाने के लिए बार-बार अपाहिज व्यक्ति से प्रश्न पूछ-पूछ कर उसे रुला देते हैं और फिर दर्शकगण भी मनोरंजन करने के लिए उस अपाहिज व्यक्ति के रोने की प्रतीक्षा करते हैं। कवि कहता है कि आपसे यह सवाल सीधे तौर पर नहीं पूछा जाएगा कि आप क्यों उसके रो पड़ने का इंतजार करते हैं ? रघुवीर सहाय कविता व्याख्याफिर हम पर्दे पर दिखलाएँगे व्याख्या :- कवि कहता है कि हम टेलीविजन कैमरे के समक्ष अनेक प्रश्न पूछकर शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति को रुला देंगे।उसके बाद हम दूरदर्शन के बड़े पर्दे पर उसे रोते हुए अपाहिज व्यक्ति की आँसुओं से भरी हुई आँखों की बहुत बड़ी तस्वीर दर्शकों के सामने प्रस्तुत करेंगे। कवि का अभिप्राय है कि टेलीविजन कैमरे वाले अपने कार्यक्रम की सफलता के लिए किसी अपाहिज व्यक्ति को अनेकों दफ़ा रुलाकर दर्शकों के समक्ष दिखाते हैं। अपाहिज व्यक्ति की आँसूओं से भरी आँखों के साथ-साथ उसके होठों पर आई बेचैनी को भी बड़ी से बड़ी तस्वीर द्वारा दिखलाएंगे ताकि दर्शकगण उसक शारीरिक कमजोरी की पीड़ा, वेदना को समझ सके तथा महसूस कर सके। 12th कविता व्याख्याएक और कोशिश व्याख्या :- कवि कहता है कि टेलीविजन कैमरे के सामने कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले बार-बार अपाहिज को दिखाते हैं। वे दर्शकों से आग्रह करते हैं कि आप धैर्य रखिए हम एक और प्रयास करके आपके समक्ष अपाहिज की पीड़ा को दिखाएंगे। वे कहते हैं कि हम इस तरह से इस अपाहिज की वेदना का चित्र दिखाएंगे जिससे की आप दर्शक तथा वह अपाहिज दोनों एक साथ रोने लग जाए। कवि का कहने का अर्थ यह है कि यह दूरदर्शन वाले बार-बार किसी अपाहिज की पीड़ा को दिखाकर दर्शकों को भी रुला देना चाहते हैं या वह अपाहिज भी ऐसा चाहता है कि बार-बार उसकी दुर्बलता को दर्शकों के समक्ष दिखाया जाए। उसके बाद दूरदर्शन वाले पर्दे पर समय की कीमत का बहाना बनाकर उस दृश्य को वही रोक देना चाहेंगे। इस कार्यक्रम के बंद होते ही हम दर्शकगण भी हंसने-मुस्कुराने लगेंगे। कवि कहता है कि दूरदर्शन पर यह बताया जाता है आप सभी सामाजिक भावना के उद्देश्य से परिपूर्ण कार्यक्रम देख रहे थे। लेकिन किन्ही कारणों से-थोड़ी कमी रह गई जिसे हम पूरा नहीं दिखा पाए। फिर वे धन्यवाद बोल कर अपने कार्यक्रम को समाप्त कर लेंगे। ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता भावार्थ/सारांशइस कविता में कवि बताता है कि किस तरह से एक कमजोर व्यक्ति का कैमरे के सामने मज़ाक बनाया जा रहा है। इस काव्य में हम शब्द का प्रयोग दूरदर्शन वालों के लिए हुआ है तथा वे स्वयं को ताकतवर एवं सामर्थ्यवान बता रहें है। किन्तु वास्तविक अर्थों में वे दुर्बल है क्योकिं वे एक कमजोर इंसान की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहें है। अपने से दुर्बल एवं कमजोर को सताने वाला व्यक्ति किस तरह से शक्तिशाली हो सकता है ? यह सवाल कवि ने पाठकों के लिए छोड़ दिया है। कैमरे में बंद अपाहिज कविता का मूल उद्देश्य क्या है?कैमरे में बंद अपाहिज कविता का मूलभाव -
इस कविता मे कवि ने शारीरिक चुनौती को झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा के साथ – साथ दूर- संचार माध्यमों के चरित्र को भी रेखांकित किया गया है । किसी की पीड़ा को दर्शक वर्ग तक पहुंचाने वाले व्यक्ति को उस पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील होने और दूसरे को संवेदनशील बनाने का दावेदार होना चाहिए ।
कैमरे में बंद अपाहिज क्या है?प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह, भाग-2' में संकलित 'कैमरे में बंद अपाहिज' शीर्षक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता रघुवीर सहाय हैं। इस कविता में कवि ने मीडिया की संवेदनहीनता का चित्रण किया है। कवि का कहना है कि मीडिया के लोग किसी-न-किसी तरह से दूसरे के दुख को भी व्यापार का माध्यम बना लेते हैं।
कैमरे में बंद अपाहिज कविता से क्या प्रेरणा मिलती है?उत्तर: यह कविता मानवीय करुणा तो प्रस्तुत करती ही है साथ ही इस कविता में उन लोगों की बनावटी करुणा का वर्णन भी मिलता है जो दुख दरिद्रता को बेचकर यश प्राप्त करना चाहते हैं। एक अपाहिज व्यक्ति के साथ झूठी सहानुभूति जताकर उसकी करुणा का सौदा करना चाहते हैं। एक अपाहिज की करुणा को पैसे के लिए टी.
कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी किसकी कविता है?रघुवीर सहाय कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं-आपकी समझ से इनका क्या औचित्य है? हमारी समझ से इनका औचित्य यह है कि ये कथन टेलीविजन कार्यक्रम के संचालक के छद्म रूप को उजागर करते हैं। ये सामने वाले व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार बुलवाने का प्रयास करते हैं।
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