सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आंदोलन से कैसे अलग था? - savinay avagya aandolan asahayog aandolan se kaise alag tha?

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आंदोलन आंदोलन करने के लिए कहा गया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया शराब की दुकानों की एक्टिंग की गई विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई अनेक स्थानों पर व्यापारियों ने जो विदेशी चीजों का जो है व्यापार करना शुरू किया और विदेशी व्यापार में पैसा लगाने के निकाल कर दिया और वकीलों ने जो है मुकदमे लड़ने बंद कर दिए विद्यार्थियों ने स्कूल और कॉलेज जाना छोड़ दिया उसने आंदोलनों से निवेशक कर कानूनों का उल्लंघन करने के लिए जो हम किया गया और देशवासियों ने नमक कानून तोड़ा और कामों में तैनात कर्मचारी तथा देने लगे जंगलों में रहने वाले लोग वन कानून का उल्लंघन करने लगे

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इसे सुनेंरोकेंब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चलाये गए जन आन्दोलन में से एक था। कुछ विशिष्ट प्रकार के ग़ैर-क़ानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को झुका देना था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य केंद्र क्या था?

इसे सुनेंरोकेंनई दिल्ली: दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है जो सन् 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी थी. नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने 24 दिनों तक रोज औसतन 16 से 19 किलोमीटर पैदल यात्रा की.

सविनय अवज्ञा आंदोलन कब आरंभ हुआ?

आधुनिक भारत का इतिहास : सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 (Civil Disobedience Movement in Hindi)

नामसविनय अवज्ञा आंदोलनसविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू हुआ था6 अप्रैल 1930सविनय अवज्ञा आंदोलन किसके नेतृत्व में हुआ थामहात्मा गाँधीसविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणआमजन में अंग्रेजों के प्रति रोष

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सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वर्गों और समूह ने क्या हिस्सा लिया?

इसे सुनेंरोकेंविभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया लेकिन हरेक की अपनी-अपनी आकांक्षाएँ थीं। सभी ने स्वराज के आह्वान को स्वीकार तो किया लेकिन उनके लिए उसके अर्थ अलग-अलग थे। आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंसमुद्र के पानी के वाष्पीकरण के बाद बने नमक को उठाकर गाँधीजी ने सरकारी कानून को तोड़ा। नमक के उत्पादन पर सरकार का एकाधिकार था, इसलिए किसी के लिए भी नमक बनाना गैर-कानूनी था। नमक कानून को तोड़ने के बाद सारे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंदूसरा, जहाँ असहयोग एवं ‘निष्क्रिय निषिद्धता’ का आह्वान करता है, वहीं ‘अवज्ञा’ सक्रिय रूप नियमों को तोड़ना है, आदेशों का उल्लंघन करना है। अतः इस रूप में ‘अवज्ञा’ असहयोग से अधिक ‘विद्रोही’ क्रिया है। गांधी जी ने ‘अवज्ञा’ को ‘सविनय’ करने का निर्देश इस ‘विद्रोही’ को अहिंसात्मक तरीके से प्रकट करने के लिये ही दिया था।

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सविनय अवज्ञा आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंनवयुवकों ने शिक्षा संस्थाओं को छोड़ दिया। सरकारी कर्मचारियों ने नौकरियाँ छोड़ दीं। स्त्रियों ने शराब की दुकानों पर धरने दिये। जैसे-जैसे आन्दोलन का विस्तार हुआ, सरकार ने दमन तीव्रता से किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन किन परिस्थितियों में प्रारंभ किया गया इसका क्या प्रभाव पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: 12 मार्च, 1930 को गाँधीजी ने अपने 79 कार्यकर्ताओं के साथ साबरमती आश्रम से समुद्र तट पर स्थित दांडी की ओर कूच किया। 6 अप्रैल,1930 को प्रातः काल के बाद महात्मा गाँधी ने समुद्र तट पर नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया। यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत हुई।

27 1930 में महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का निर्णय कैसे किया स्पष्ट कीजिए 5?

इसे सुनेंरोकेंCivil Disobedience Movement का इतिहास उस समय गरीब लोगों को कर ( tax ) के कारण अधिक नुकसान हुआ करता था। इसलिए गांधी जी ने निश्चय किया कि अब वह नमक के ऊपर का कानून तोड़ेंगे। महात्मा गांधी और उनके साथ 78 अनुयायियों ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से था तट तक 390 किलोमीटर तक चल कर नमक का कानून तोड़ा था।

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सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू हुआ?

इसे सुनेंरोकेंभारत में अंग्रेजों के शासन काल के वक्‍त नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया था. नमक जीवन के लिए जरूरी चीज होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलवाने हेतु ये सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया था.

सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आंदोलन से कैसे भिन्न है?

उत्तर :

  • इस आंदोलन में कानून की अवज्ञा को मुख्य हथियार के रूप में प्रयोग किया गया जबकि असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य उपनिवेशी शासन से असहयोग था।
  • इस आंदोलन के दौरान कांग्रेस सांगठनिक तौर पर अधिक सशक्त थी, जिससे आंदोलन को मजबूत नेतृत्व मिला।

इसे सुनेंरोकेंइस आंदोलन की शुरुआत गांधी जी के दांडी मार्च यात्रा से हुई थी। गांधीजी तथा साबरमती आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने 12 मार्च,1930 से अहमदाबाद से 241 मील की दूरी पर स्थित एक गांव के लिए यात्रा प्रारंभ कर दी। यात्रा प्रारंभ होने के बाद यह 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंच गए थे वहां पहुंचने के बाद उन्होंने नमक कानून को तोड़ा।

असहयोग आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन से कैसे अलग है?

उत्तर :.
इस आंदोलन में कानून की अवज्ञा को मुख्य हथियार के रूप में प्रयोग किया गया जबकि असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य उपनिवेशी शासन से असहयोग था।.
इस आंदोलन के दौरान कांग्रेस सांगठनिक तौर पर अधिक सशक्त थी, जिससे आंदोलन को मजबूत नेतृत्व मिला।.

असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन में मुख्य अंतर क्या था *?

A) सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वराज था, जबकि असहयोग आंदोलन का उद्देश्य स्वराज था। B) सविनय अवज्ञा आंदोलन की तुलना में असहयोग आंदोलन के दौरान मुस्लिम भागीदारी अपेक्षाकृत कम थी।

असहयोग आन्दोलन तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत कब की गई?

गाँधी जी ने आन्दोलन को हिंसात्मक होने से बचाने और सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से डांडी यात्रा के द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। यह 1930 से 1934 ई. तक चला।

सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है सविनय अवज्ञा आंदोलन में महात्मा गांधी की क्या भूमिका थी?

सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement in Hindi) प्रारंभ करने का उद्देश्य यह था कि गांधीजी चाहते थे कि, सरकार विनिमय की दर को घटाए, पूर्ण नशा बंदी लागू हो, नमक कर समाप्त हो, भू राजस्व कम हो, गुप्तचर विभाग पर नियंत्रण स्थापित हो, कपड़ों का आयात कम हो आदि।