संसाधन नियोजन क्या है संसाधन नियोजन के तीन चरण दीजिए? - sansaadhan niyojan kya hai sansaadhan niyojan ke teen charan deejie?

सतत पोषणीय विकास: जब विकास होने के क्रम में पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे और भविष्य की जरूरतों की अनदेखी न हो तो ऐसे विकास को सतत पोषणीय विकास कहते हैं।

संसाधनों के सही इस्तेमाल और सतत पोषणीय विकास के मुद्दे पर 1992 में रियो डे जेनेरो में अर्थ समिट का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में एक सौ राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए थे। वे सभी एजेंडा 21 पर सहमत हुए थे। इस एजेंडा का मुख्य मुद्दा था सतत पोषणीय विकास और संसाधन का सही इस्तेमाल। इस एजेंडा मे समान हितों, पारस्परिक जरूरतों और सम्मिलित जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए विश्व सहयोग की बात की गई है ताकि पर्यावरण की क्षति, गरीबी और रोगों से मुकाबला किया जा सके।

संसाधन नियोजन:

संसाधन नियोजन के द्वारा हम संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत में संसाधनों का वितरण समुचित नहीं है। ऐसे में संसाधन नियोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। कई राज्यों के पास प्रचुर मात्रा में खनिज तो अन्य संसाधनों का अभाव है। झारखंड में खनिजों के प्रचुर भंडार हैं लेकिन वहाँ पेय जल और अन्य सुविधाओं का अभाव है। मेघालय में जल की कोई कमी नहीं है लेकिन वहाँ अन्य संसाधनों का अभाव है। इसलिए इन क्षेत्रों का सही विकास नहीं हो पाया है। ऐसे में होने वाली समस्या को हम संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल से ही कम कर सकते हैं।

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संसाधन नियोजन में तीन चरण शामिल है संसाधनों की सूची तैयार करने जाने की उनकी एक टेबल बनाना विकास की उपलब्धता के संदर्भ में मूल्यांकन और संसाधन नियोजन संसाधनों की उचित या विवेकपूर्ण उपयोग के तकनीकी कौशल यानी कि संसाधन जो भी आपके पास है उसको किस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है कि टेक्निक से माल किया जा रहा है वह उसका भी एक अधिनियम बनाया गया है

sansadhan niyojan mein teen charan shaamil hai sansadhano ki suchi taiyar karne jaane ki unki ek table banana vikas ki upalabdhata ke sandarbh mein mulyankan aur sansadhan niyojan sansadhano ki uchit ya vivekpurn upyog ke takniki kaushal yani ki sansadhan jo bhi aapke paas hai usko kis tarike se istemal kiya ja raha hai ki technique se maal kiya ja raha hai vaah uska bhi ek adhiniyam banaya gaya hai

संसाधन नियोजन में तीन चरण शामिल है संसाधनों की सूची तैयार करने जाने की उनकी एक टेबल बनाना

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संसाधन नियोजन क्या है संसाधन नियोजन के तीन चरण दीजिए? - sansaadhan niyojan kya hai sansaadhan niyojan ke teen charan deejie?
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संसाधन नियोजन क्या है संसाधन नियोजन के तीन चरण दीजिए? - sansaadhan niyojan kya hai sansaadhan niyojan ke teen charan deejie?

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अध्याय : 1. संसाधन एवं विकास

परिभाषा : यह ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा संसाधको का सदउपयोग किया जाता हे।
संसाधन नियोजन की ज़रूरत :
1. ज्यादातर संसाधनों की आपूर्ति सीमित है।
2. देश में संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता है।
3. संसाधनों का अत्याधिक उपयोग पर्यावरण में प्रदूषण को बढ़ाता है।
4. संसाधनों का नियोजन आत्मनिर्भर होने के लिए ज़रूरी है।
5. देश का विकास संसाधनों के सदउपयोग से होता है।
आवश्यकता : संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए नियोजन एक सर्वमान्य रणनीति है। इसलिए भारत जैसे देश में जहाँ संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता है, यह और भी महत्वपूर्ण है। यहाँ ऐसे प्रदेश भी हैं जहाँ एक तरह के संसाधनों की प्रचंरता है, परंतु दूसरे तरह के संसाधनों की कमी हैं। कुछ ऐसे प्रदेश भी हैं जो संसाधनों की उपलब्धता के संदर्भ में आत्मनिर्भर हैं और कुछ ऐसे भी प्रदेश हैं जहाँ महत्वपूर्ण संसाधनों की अत्यधिक कमी है। इसलिए राष्ट्रीय, प्रांतीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर संतुलित संसाधन नियोजन की आवश्यकता है।


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अध्याय : 1. संसाधन एवं विकास

संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें निम्नलिखित सोपान हैं :
1. देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्राीय सर्वेक्षण, मानचित्रा बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।
2. संसाधन विकास योजनाएँ लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।
3. संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।
संसाधनों का संरक्षण : संसाधनों का विवेकहीन उपभोग और अति उपयोग के कारण कर्इ सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचाव के लिए विभिन्न स्तरों पर संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है।
आवश्यकता :
1. अधिकतर संसाधन अनवीकरण योग्य है, इसलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है।
2. देश का आर्थिक विकास काफी हद तक इन संसाधनों के सही प्रबन्ध पर निर्भर करता है।
3. संसाधनों का लापरवाही से उपयोग उन्हें समाप्त कर सकता है।
4. संसाधनों का अत्यधिक शोषण पर्यावरण को नष्ट कर सकता है।


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संसाधन नियोजन क्या है इसके चरण बताइए?

संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें निम्नलिखित सोपान हैं <br> (i) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक और मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।

संसाधन नियोजन क्या है संसाधन नियोजन क्यों आवश्यक है तीन कारण बताइए?

संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने के लिये संसाधन नियोजन जरूरी है। भारत जैसे देश में संसाधन नियोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जहाँ संसाधनों का वितरण समुचित नहीं है। उदाहरण के लिए झारखंड में प्रचुर मात्रा में खनिज है लेकिन पेय जल और अन्य सुविधाएँ नहीं हैं।

संसाधन नियोजन से क्या?

संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल ही संसाधन नियोजन में निहित है। भारत जैसे देश में; जहाँ संसाधनों का समुचित वितरण नहीं है; संसाधन नियोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उदाहरण के लिए, कई राज्यों के पास खनिजों के प्रचुर भंडार हैं लेकिन अन्य संसाधनों की कमी है।

संसाधन नियोजन के कितने स्तर होते हैं?

इसलिए राष्ट्रीय, प्रांतीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर संतुलित संसाधन नियोजन की आवश्यकता है।