जिन देशों में लोकतंत्र वर्षों से मौजूद है वहाँ लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती है। लोकतंत्र के विस्तार का मतलब होता है कि देश के हर क्षेत्र में लोकतांत्रिक सरकार के मूलभूत सिद्धांतो को लागू करना तथा लोकतंत्र के प्रभाव को समाज के हर वर्ग और देश की हर संस्था तक पहुँचाना। लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती के कई उदाहरण हो सकते हैं, जैसे कि स्थानीय स्वशाषी निकायों को अधिक शक्ति प्रदान करना, संघ के हर इकाई को संघवाद के प्रभाव में लाना, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा से जोड़ना, आदि। Show लोकतंत्र के विस्तार का एक और मतलब यह है कि ऐसे फैसलों कि संख्या कम से कम हो जिन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया से परे हटकर लेना पड़े। आज भी हमारे देश में समाज में कई ऐसे वर्ग हैं जो मुख्यधारा से पूरी तरह से जुड़ नहीं पाये हैं। आज भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो भारत राष्ट्र की मुख्यधारा से कटे हुए हैं। ये सभी चुनौतियाँ लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती के उदाहरण हैं। हाल ही में भारत ने अपना 72वा गणतंत्र दिवश मनाया है। परन्तु दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के अराजकता ने देश के लोकतंत्र को चुनौतियाँ भी दी हैं। परिचय
लोकतंत्र का अर्थअंग्रेजी में लोकतंत्र शब्द को डेमोक्रेसी (Democracy) कहते है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक मूल शब्द 'डेमोस' तथा क्रेशिया से हुई है डेमोस का अर्थ है 'जन साधारण' और क्रेसी का अर्थ है 'शासन' , इस प्रकार लोकतंत्र का अर्थ जनता के शासन से है। लोकतंत्र का दार्शनिक आधार
भारत में लोकतंत्र की यात्रा
भारतीय लोकतंत्र के सम्मुख चुनौतियाँ :-यद्यपि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र ने कई आयामों को प्राप्त किया है परन्तु 26 जनवरी 2021 को लालकिले पर होने वाली अराजक घटनाओ ने यह स्पष्ट किया कि भारत में लोकतंत्र के सम्मुख अभी कई चुनौतियाँ हैं
निष्कर्षयह सत्य है कि भारत ने महान लोकतान्त्रिक उपलब्धियों को हासिल किया है परन्तु स्वतंत्रता के उपरांत जिन उच्च आदर्शों की स्थापना हमें इस देश व समाज में करनी चाहिए थी, हम आज ठीक उनकी विपरीत दिशा में जा रहे हैं और भ्रष्टाचार, दहेज, मानवीय घृणा, हिंसा, अश्लीलता और बलात्कार जैसी समस्या अब जीवन का भाग बनती जा रही हैं। परन्तु हमारा देश प्राचीन काल से ही कई समस्यो को हल करता आगे बढ़ रहा है वर्तमान में भारत सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है ऐसे में युवाओ को अपनी भागीदारी बढ़ाकार देश ,समाज तथा परिवार को लोकतंत्रिक करना होगा। क्या आतंकवाद लोकतंत्र के लिए चुनौती है कैसे?हिंसा किसी भी राजनीतिक व्यवस्था के लिए अच्छी नहीं होती है। लोकतंत्र में हिंसा या आतंक होने से राजनीतिक अस्थिरता एवं असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिससे लोकतांत्रिक काम-काज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः आतंकवाद लोकतंत्र के लिए चुनौती होता जा रहा है।
भारतीय लोकतंत्र की क्या स्थिति है?1947 की आजादी के बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इसके राष्ट्रवादी के आंदोलन कांग्रेस के नेतृत्व के तहत बनाया गया था। लोकसभा के सदस्यों का चुनाव हर 05 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। वर्तमान में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी मंत्रिपरिषद के मुखिया हैं, जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्र के मुखिया हैं।
स्वतंत्रता के बाद भारत की प्रमुख चुनौतियां कौन थी?स्वतंत्रता उपरांत भारत के समक्ष कई चुनौतियाँ विद्यमान थीं, जिनमें तीन प्रमुख चुनौतियाँ थीं- देश का एकीकरण, लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम करना और समावेशी विकास। इनमें देश के एकीकरण को प्राथमिकता प्रदान की गई लेकिन समस्या यह थी कि देश में विद्यमान देशी रियासतों का एकीकरण कैसे किया जाए?
लोकतंत्र के दो प्रमुख आधार क्या हैं?लोकतंत्र का सहभागिता सिद्धान्त (1) निर्णय लेने की प्रक्रिया का इस रूप में विकेन्द्रीकरण कि उन निर्णयों से प्रभावित होने वाले लोगों तक नीति निर्धारण किया जा सके। (2) नीति-निर्धारण में सामान्यजन की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी।
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