इससे पहले कि आप सर्वनाम के अर्थ को जानें, हम आपको पुरुष के बारे में बताना चाहेगें। इससे आपको अनुवाद करने अथवा अर्थ समझने में परेशानी नहीं होगी। Show
जैसा कि आप जानते हैं, संस्कृत में तीन वचन (एकवचन, द्विवचन तथा बहुवचन) होते हैं। वैसे ही, पुरुष भी तीन प्रकार के होते हैं। यहाँ पुरुष का अर्थ पुँल्लिङ्ग से नहीं है। संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा है जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा है।[5] आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गए हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। संस्कृत आमतौर पर कई पुरानी इंडो-आर्यन किस्मों को जोड़ती है। इनमें से सबसे पुरातन ऋग्वेद में पाया जाने वाला वैदिक संस्कृत है, जो 3000 ईसा पूर्व और 2000 ईसा पूर्व के बीच रचित 1,028 भजनों का एक संग्रह है, जो इंडो-आर्यन जनजातियों द्वारा आज के उत्तरी अफगानिस्तान और उत्तरी भारत में अफगानिस्तान से पूर्व की ओर पलायन करते हैं। वैदिक संस्कृत ने उपमहाद्वीप की प्राचीन प्राचीन भाषाओं के साथ बातचीत की, नए पौधों और जानवरों के नामों को अवशोषित किया। भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में संस्कृत को भी सम्मिलित किया गया है। यह उत्तराखण्ड की द्वितीय राजभाषा है। आकाशवाणी और दूरदर्शन से संस्कृत में समाचार प्रसारित किए जाते हैं। कतिपय वर्षों से डी. डी. न्यूज (DD News) द्वारा वार्तावली नामक अर्धहोरावधि का संस्कृत-कार्यक्रम भी प्रसारित किया जा रहा है, जो हिन्दी चलचित्र गीतों के संस्कृतानुवाद, सरल-संस्कृत-शिक्षण, संस्कृत-वार्ता और महापुरुषों की संस्कृत जीवनवृत्तियों, सुभाषित-रत्नों आदि के कारण अनुदिन लोकप्रियता को प्राप्त हो रहा है। संस्कृत भाषा का वैश्विक विस्तृति : ३०० ईसापूर्व से लेकर १८०० ई तक की कालावधि में रचित संस्कृत ग्रन्थ एवं संस्कृत अभिलेखों की प्राप्ति के क्षेत्र संस्कृत का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान समय में प्राप्त सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ ॠग्वेद है जो कम से कम ढाई हजार ईसापूर्व की रचना है। संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है। बहुत प्राचीन काल से ही अनेक व्याकरणाचार्यों ने संस्कृत व्याकरण पर बहुत कुछ लिखा है। किन्तु पाणिनि का संस्कृत व्याकरण पर किया गया कार्य सबसे प्रसिद्ध है। उनका अष्टाध्यायी किसी भी भाषा के व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द-रूप बनाये जाते हैं, जो व्याकरणिक अर्थ प्रदान करते हैं। अधिकांश शब्द-रूप मूलशब्द के अन्त में प्रत्यय लगाकर बनाये जाते हैं। इस तरह ये कहा जा सकता है कि संस्कृत एक बहिर्मुखी-अन्त-श्लिष्टयोगात्मक भाषा है। संस्कृत के व्याकरण को वागीश शास्त्री ने वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान किया है। संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी लिपि के साथ इसका विशेष संबंध है। देवनागरी लिपि वास्तव में संस्कृत के लिए ही बनी है, इसलिए इसमें हर एक चिह्न के लिए एक और केवल एक ही ध्वनि है। देवनागरी में १३ स्वर और ३३ व्यंजन हैं। देवनागरी से रोमन लिपि में लिप्यन्तरण के लिए दो पद्धतियाँ अधिक प्रचलित हैं : IAST और ITRANS. शून्य, एक या अधिक व्यंजनों और एक स्वर के मेल से एक अक्षर बनता है। चित्र:संस्कृत वाक्यांश.pngसंस्कृत, क्षेत्रीय लिपियों में लिखी जाती रही है। ये स्वर संस्कृत के लिए दिए गए हैं। हिन्दी में इनके उच्चारण थोड़े भिन्न होते हैं। संस्कृत में ऐ दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है। इसी तरह औ "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है। इसके अलावा निम्नलिखित वर्ण भी स्वर माने जाते हैं :
जब कोई स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है। स्वर के न होने को हलन्त् अथवा विराम से दर्शाया जाता है। जैसे कि क् ख् ग् घ्। स्पर्शअघोषघोषनासिक्यअल्पप्राणमहाप्राणअल्पप्राणमहाप्राणकण्ठ्यक / kə /k; अंग्रेजी: skipख / khə / kh; अंग्रेजी: catग / gə / g; अंग्रेजी: gameघ / gɦə / gh; महाप्राण /g/ङ / ŋə / n; अंग्रेजी: ringतालव्यच / cə / or / tʃə / ch; अंग्रेजी: chatछ / chə / or /tʃhə/ chh; महाप्राण /c/ज / ɟə / or / dʒə / j; अंग्रेजी: jamझ / ɟɦə / or / dʒɦə / jh; महाप्राण /ɟ/ञ / ɲə / n; अंग्रेजी: finchमूर्धन्यट / ʈə / t; अमेरिकी अंग्रेजी:: hurtingठ / ʈhə / th; महाप्राण /ʈ/ड / ɖə / d; अमेरिकी अंग्रेजी:: murderढ / ɖɦə / dh; महाप्राण /ɖ/ण / ɳə / n; अमेरिकी अंग्रेज़ी:: hunterदन्त्यत / t̪ə / t; स्पैनिश: tomateथ / t̪hə / th; महाप्राण /t̪/द / d̪ə / d; स्पैनिश: dondeध / d̪ɦə / dh; महाप्राण /d̪/न / nə / n; अंग्रेज़ी: nameओष्ठ्यप / pə / p; अंग्रेज़ी: spinफ / phə / ph; अंग्रेज़ी: pitब / bə / b; अंग्रेज़ी: boneभ / bɦə / bh; महाप्राण /b/म / mə / m; अंग्रेज़ी: mineटिप्पणी
संस्कृत भाषा की विशेषताएँ[संपादित करें]
भारत और विश्व के लिए संस्कृत का महत्त्व[संपादित करें]
संस्कृत का अन्य भाषाओं पर प्रभाव[संपादित करें]संस्कृत भाषा के शब्द मूलत रूप से सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं में हैं। सभी भारतीय भाषाओं में एकता की रक्षा संस्कृत के माध्यम से ही हो सकती है। मलयालम, कन्नड और तेलुगु आदि दक्षिणात्य भाषाएं संस्कृत से बहुत प्रभावित हैं। यहाँ तक कि तमिल में भी संस्कृत के हजारों शब्द भरे पड़े हैं और मध्यकाल में संस्कृत का तमिल पर गहरा प्रभव पड़ा।[12] विश्व की अनेकानेक भाषाओं पर संस्कृत ने गहरा प्रभाव डाला है।[13] संस्कृत भारोपीय भाषा परिवर में आती है और इस परिवार की भाषाओं से भी संस्कृत में बहुत सी समानता है। वैदिक संस्कृत और अवेस्ता (प्राचीन इरानी) में बहुत समानता है। भारत के पड़ोसी देशों की भाषाएँ सिंहल, नेपाली, म्यांमार भाषा, थाई भाषा, ख्मेर[14] संस्कृत से प्रभावित हैं। बौद्ध धर्म का चीन ज्यों-ज्यों प्रसार हुआ वैसे वैसे पहली शताब्दी से दसवीं शताब्दी तक सैकड़ों संस्कृत ग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद हुआ। इससे संस्कृत के हजरों शब्द चीनी भाषा में गए।[15] उत्तरी-पश्चिमी तिब्बत में तो अज से १००० वर्ष पहले तक संस्कृत की संस्कृति थी और वहाँ गान्धारी भाषा का प्रचलन था। [16] तत्सम-तद्भव-समान-शब्दसंस्कृत शब्दहिन्दीमलयालमकन्नडतेलुगुग्रीकलैटिनअंग्रेजीजर्मनफ़ारसी मातृमाताअम्मामातेरमदर्मुटेरमादर पितृ/पितरपिताअच्चन्पातेरफ़ाथर्फ़ाटेरदुहितृबेटीदाह्तर्भ्रातृ/भ्रातरभाईब्रदर्ब्रुडेरपत्तनम्पत्तनपट्टणम्टाउनवैधुर्यम्विधुरवैडूर्यम्वैडूर्यम्विजोवर्सप्तन्सातसेप्तम्सेव्हेन्ज़ीबेनअष्टौआठहोक्तोओक्तोऐय्ट्आख़्टनवन्नौहेणेअनोवेम्नायन्नोएनद्वारम्द्वारदोर्टोरनालिकेरःनारियलनाळिकेरम्कोकोस्नुस्ससमसमान sameतात=पिता Dadअहम् I amस्मार्तSmartपंडित पंडित/विशेषज्ञ Pundit देश, काल और विविधता की दृष्टि से संस्कृत साहित्य अत्यन्त विशाल है। इसे मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है- वैदिक साहित्य तथा शास्त्रीय साहित्य । आज से तीन-चार हजार वर्ष पहले रचित वैदिक साहित्य उपलब्ध होता है। इनके अतिरिक्त रसविद्या, तंत्र साहित्य, वैमानिक शास्त्र तथा अन्यान्य विषयों पर संस्कृत में ग्रन्थ रचे गये जिनमें से कुछ आज भी उपलब्ध हैं। शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार[संपादित करें]भारत के संविधान में संस्कृत आठवीं अनुसूची में सम्मिलित अन्य भाषाओं के साथ विराजमान है। त्रिभाषा सूत्र के अन्तर्गत संस्कृत भी आती है। हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली संस्कृत से निर्मित है। भारत तथा अन्य देशों के कुछ संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची नीचे दी गयी है- (देखें, भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची) संस्कृत के अन्य दो नाम कौन कौन से हैं?यह प्रथम तीन वेदों से भिन्न तथा गृह्य और सामाजिक कार्यकलापों से संबंधित है। संस्कृत भाषा के दो रूप माने जाते हैं वैदिक या छांदस और लौकिक। चार वेद संहिताओं की भाषा ही वैदिक या छांदस कहलाती है। इसके बाद के ग्रंथों को लौकिक कहा गया है।
संस्कृत में 3 को क्या कहा जाता है?संस्कृत में गिनती. One) एकः. Two) द्वितीयः. Three) त्रयः. Four) चत्वारः. Five) पञ्च. Six) षट्. Seven) सप्त. Eight) अष्ट. संस्कृत का पिता कौन है?वैयाकरण, आधुनिक संस्कृत के पिता। पाणिनि (७०० ई॰पू॰) संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के गान्धार में हुआ था।
संस्कृत में तीन कैसे लिखते हैं?1 Se 10 Tak Sanskrit Mein Ginti - Masculine/ पुलिंग. एकः - One (एक). द्वौ - Two (दो). त्रयः - Three (तीन). चत्वारः - Four (चार). पंच - Five (पांच). षट् - Six (छः). सप्त - Seven (सात). अष्ट/अष्टौ - Eight (आठ). |