सिरमौर प्रजामंडल का गठन कब हुआ? - siramaur prajaamandal ka gathan kab hua?

हाइलाइट्स

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  • डॉ. परमार 18 साल तक मुख्यमंत्री रहे

  • निधन के बाद अकाउंट में सिर्फ 563 रुपए थे

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. चुनावी जंग का ऐलान हो चुका है. तारीख तय हो चुकी है. सियासी दल अपने रणबांकुरों को तैयार करने लगे हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश की सियासी इतिहास को खंगालना लाजिमी है. सबसे पहले हम हिमाचल प्रदेश की नींव रखने वाले पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार की कहानी जानेंगे. वाईएस परमार की ईमानदारी की चर्चा आज भी होती है. आज भी पहाड़ी लोग उनको याद करते हैं. चलिए हिमाचल प्रदेश की तकदीर लिखने वाले यशवंत सिंह परमार की कहानी जानते हैं.

यशवंत सिंह परमार का बचपन-
यशवंत परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को सिरमौर के चन्हालग में हुआ था. परमार का गांव काफी पिछड़ा था. लेकिन यशवंत परमार बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनकी प्रारंभिक पढ़ाई-लिखाई गांव में ही हुई. परमार ने नाहन से 10वीं की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद यशवंत सिंह की पढ़ाई लखनऊ और लाहौर में हुई. साल 1926 में लाहौर से बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की. उन्होंने लखनऊ में एमए और एलएलबी की. इतना ही नहीं, परमार ने लखनऊ में ही रहकर पीएचडी की और हिमाचल विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लॉ की हासिल की.

सिरमौर रियासत के जज बने-
यशवंत सिंह परमार साल 1930 में सिरमौर रियासत के न्यायाधीश बने. साल 1937 तक रियासत के न्यायाधीश के तौर पर काम किया. इसके बाद जिला व सत्र न्यायाधीश बन गए. परमार प्रजा मंडल आंदोलन के क्रांतिकारियों के हक में फैसले देने लगे. इससे रियासत के राजा नाखुश हुए. इसके बाद यशवंत सिंह परमार ने जज के पद से इस्तीफा दे दिया.

हिमाचल को राज्य का दर्जा दिलाया-
साल 1939 में प्रजा मंडल की स्थापना की गई और शिमला हिल स्टेट्स प्रजा मंडल का गठन किया गया. 25 जनवरी 1948 को शिमला के गंज बाजार में प्रजा मंडल का सम्मेलन हुआ. इसमें यशवंत परमार की मुख्य भूमिका रही. इसमें बहुमत से पास हुआ कि पहाड़ी क्षेत्रों में रियासतें नहीं होनी चाहिए. इस बैठक में पहाड़ियों के लिए अलग राज्य की मांग की गई. सोलन की बैठक में पहाड़ी राज्य को हिमाचल नाम दिया गया. कुछ नेता हिमाचल को पंजाब में मिलाना चाहते थे. लेकिन यशवंत सिंह परमार ने ऐसा नहीं होने दिया. परमार ने पंजाब के कांगड़ा और शिमला के कुछ हिस्सों को हिमाचल में शामिल करा दिया. काफी संघर्ष के बाद  25 जनवरी 1971 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्ज देने का ऐलान किया.

18 साल मुख्यमंत्री रहे यशवंत सिंह परमार-
हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार 18 साल तक सीएम रहे. सबसे पहले 3 मार्च 1952 से अक्टूबर 1956 तक डॉ. परमार मुख्यमंत्री बने. इसके बाद साल 1956 में हिमाचल केंद्रशासित प्रदेश बना तो परमार सांसद बन गए. इसके बाद जब विधानसभा का गठन हुआ तो साल 1963 में एक बार फिर डॉ. परमार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने. साल 1967 में यशवंत परमार तीसरी बार मुख्यमंत्री. साल 1977 में डॉ. परमार ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. 
डॉ. परमार 8 मार्च 1952 को पहली बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 31 अक्टूबर 1952 तक इस पद पर रहे. इसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया. जब राष्ट्रपति शासन हटा तो 1 जुलाई 1963 को फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद साल 1977 तक लगातार डॉ. परमार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद डॉ. परमार ने खुद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

बस से घर गए डॉ. परमार-
डॉ. यशवंत सिंह परमार तीन बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. आज भी हिमाचल प्रदेश में उनकी ईमानदारी की चर्चा होती है. बताया जाता है कि जब डॉ. परमार ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया तो सरकारी गाड़ी छोड़ दी और पैदल ही शिमला बस स्टैंड के लिए निकल पड़े. डॉ. परमार ने शिमला बस स्टैंड से बस पकड़ी और सिरमौर रवाना हो गए. 

निधन पर अकाउंट में सिर्फ 563 रुपए-
डॉ. परमार इतने ईमानदार थे कि जब उनका निधन हुआ तो उनके अकाउंट में सिर्फ 563.30 रुपए थे. डॉ. परमार 18 साल मुख्यमंत्री रहे. लेकिन उन्होंने अपना घर तक नहीं बनवाया. उनके पास कोई गाड़ी भी नहीं थी. 

हिमाचल की बदल दी तस्वीर-
हिमाचल प्रदेश को निर्माण का श्रेय डॉ. परमार को जाता है. डॉ. परमार ने हिमाचल प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया. यशवंत परमार सड़कों को पहाड़ की भाग्य रेखा कहते थे. डॉ. परमार की वजह से ही हिमाचल प्रदेश में धारा 118 लागू हुई. इसके तहत बाहरी राज्यों के लोगों को यहां जमीन खरीदने की मनाही है. डॉ. परमान पर्यावरण प्रेमी थे. वो लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करते थे, ताकि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में हरियाली बने रहे. इसके लिए उन्होंने सोलन के नौणी में विश्वविद्यालय भी बनवाया. 

किताबों के शौकीन थे डॉ. परमार-
डॉ. परमार किताब पढ़ने और लिखने के शौकीन थे. उन्होंने 'द सोशल एंड इक्नॉमिक बैक ग्राउंड ऑफ द हिमालयन पॉलिएड्री' किताबी लिखी. इसके अलावा डॉ. परमार ने हिमाचल प्रदेश केस फॉर स्टेटहुड और हिमाचल प्रदेश प्रदेश एरिया एंड लेंगुएजिज नाम की शोध आधारित किताबें लिखी.

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सिरमौर प्रजामंडल का गठन कब हुआ? - siramaur prajaamandal ka gathan kab hua?


1. भाई दो ना पाई आंदोलन किस आंदोलन का विस्तार था ?उतर - सविनय अवज्ञा ( 1938 में ये आंदोलन शुरू किया था , हिमालयी रियासती प्रजामंडल द्वारा) ।

 2. हिमाचल प्रदेश के किस जिले से स्वतंत्रता सेनानी चौधरी शेरजंग , माठाराम , दिप राम व सुनहरी देवी संबंधित है ? उतर - सिरमौर 

3. अल्पकालीन सरकार 1948 के प्रथम अध्यक्ष कौन थे ?उतर - शिवानन्द रमौल 

4. गरली के किस सूद ट्रेडर्स ने शिमला में बाल भारत सभा की स्थापना की , जिसका एजेंडा क्रांतिकारी था ? उतर - दीनानाथ आंधी 

5. 1947 ई. में सर्वप्रथम किस व्यक्ति ने पहाड़ी राज्य के निर्माण की मांग की थी ?उतर - ठाकुर हजारा सिंह । 

6. 1 सितंबर , 1946 में " हिमाचल स्टेट रीजनल काउंसिल " की कॉन्फ्रेंस में किसे इसका अध्यक्ष चुना गया ?उतर - वाई. एस. परमार ।

7. 1927 ई. में स्थापित भारतीय राज्य कमेटी का चेयरमैन कौन था ? उतर - सर हरकोर्ट बटलर ।

8. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस शिमला शाखा कब बनी ?उतर - 1920 ई. में ।

9. 1947 ई. में रामपुर का हि. प्र. व भारत में विलय का आंदोलन किसने चलाया था ?उतर - अनु लाल ने ।

10. 1927 ई. में सुजानपुर टिहरा के ताल नामक स्थान पर आयोजित राजनैतिक सम्मेलन में कौन स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी के रूप में उभर कर आया ?उतर - बाबा कांशी राम ( बाबा कांशी राम को पहाड़ी गांधी का खिताब 1937 में गदडिवाला जनसभा में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था । उन्हें सरोजिनी नायडू ने ' पहाड़ी बुलबुल ' का खिताब दिया )11. पझौता सम्मेलन कब हुआ था ?उतर - 1944 में ( सिरमौर के पझौता में 1942 ई. में ये आंदोलन हुआ । यह भारत छोड़ो आंदोलन का भाग था )> आंदोलन के नेता लक्ष्मी सिंह , वैद्य सूरत सिंह , मियां चूचूं , बस्ती राम पहाड़ी थे । 12. Himalayan Hill States Regional Council के पहले अध्यक्ष कौन थे ?उतर - स्वामी पूर्णानंद > इसके सदस्य सदाराम चंदेल , पदम देव तथा मुकुंद लाल थे ।13. आजाद हिन्द फौज के मेजर दुर्गा मल को किस वर्ष दिल्ली के लाल किले में फांसी पर चढ़ाया गया ?उतर - 1944 ई. में । (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

14. सिरमौर रियासत प्रजामण्डल की स्थापना कब हुई ?उतर - 1934 में ।> 1939 ई. में सिरमौर प्रजामण्डल की स्थापना हुई थी ।

15. 1939 ई. में किसने धामी रियासत प्रजामंडल की स्थापना की ? उतर - भागमल सौठा 

16. 1939 में All India States People Conference का अध्यक्ष कौन था ?उतर - जवाहर लाल नेहरू ।

17. सुकेत सत्याग्रह 18 फरवरी , 1948 का नेतृत्व किसने किया था ? उतर - पंडित पदम देव 

18. सिरमौर प्रजामंडल (1939 ई.) के प्रथम अध्यक्ष कौन थे ?उतर - चौधरी शेरजंग। 

19. कुनिहार सत्याग्रह से किसका नाम जुड़ा है ?उतर - पंडित पदम देव ।

20. निम्नलिखित में से कौन पझौता सत्याग्रह से संबंधित नहीं था ?a). वैद्य सूरत सिंह  b). वाई एस परमार  c). आत्माराम  d). शिवानंद रमौलउतर - वाई एस परमार ।

✓ Key Points :

> 1933 ई. में लाहौर में कुल्लू पीपल लीग का गठन हुआ ।

> 1936 ई. में मंडी प्रजामण्डल की स्थापना हुई ।

> 1938 ई. में बाघल प्रजामण्डल का गठन हुआ ।

> 1939 ई. में कुनिहार प्रजामण्डल का गठन हुआ । 

> 1939 ई. में शिमला हिल स्टेट कॉन्फरेंस हुई ।

> चंबा पीपल डिफेंस लीग की 1932 ई. में लाहौर में स्थापना की गई ।

> चंबा सेवक संघ की 1936 ई. में चम्बा शहर में स्थापना की गई । 

> हिमालयी रियासती प्रजामंडल की स्थापना 1938 ई. में की गई ।

> धामी गोली कांड - 16 जुलाई , 1939 को हुआ ।

> पझौता आंदोलन सिरमौर के पझौता में 1942 ई. को हुआ ।

> कुनिहार संघर्ष 1920 में राणा हरदेव के विरूद्ध हुआ । 

> मण्डी षड्यंत्र 1914-15 ई. में गदर पार्टी के नेतृत्व में हुआ ।

सिरमौर प्रजा मण्डल की स्थापना कब हुई?

Q. सिरमौर रियासत प्रजा मण्डल की स्थापना किस वर्ष की गई थी? Answer: [D] 1934 ई.

सिरमौर रियासत के संस्थापक कौन थे?

शोभा रावन ( शुभंश प्रकाश ) ने 1195 ई . में राजबन को सिरमौर रियासत की राजधानी वना सिरमौर रियासत की स्थापना की ।

सिरमौर रियासत के संस्थान कौन थे?

उस समय से लेकर रजवाड़ाशाही के अंत तक सिरमौर रियासत में “प्रकाश” वंश का शासन रहा। मलही प्रकाश ने 1108 ईस्वी से 1117 ईस्वी तक शासन किया। वह धार्मिक और दानशील स्वभाव वाले व्यक्ति थे। उन्होंने गढ़वाल के श्रीनगर के राजा के साथ लड़ाई लड़ी और मालदा का किला जीत लिया।

पहला प्रजामंडल कब बना था?

प्रजामण्डल भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय रियासतों की जनता के संगठन थे। 1920 के दशक में प्रजामण्डलों की स्थापना तेजी से हुई। प्रजामण्डल का अर्थ है 'जनता का समूह'।