सभी पर्व त्योहारों पर तताँरा को क्यों आमंत्रित किया जाता था? - sabhee parv tyohaaron par tataanra ko kyon aamantrit kiya jaata tha?

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Class 10 Hindi तताँरा-वामीरो कथा Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर :
तताँरा-वामीरो अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की कथा है।

प्रश्न 2.
वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई?
उत्तर :
वामीरो जब गा रही थी, तो अचानक समुद्र में ऊँची लहर उठी और उसे पूरी तरह भिगो गई। यह देखकर वह हड़बड़ा गई और हड़बड़ाहट में गाना भूल गई।

सभी पर्व त्योहारों पर तताँरा को क्यों आमंत्रित किया जाता था? - sabhee parv tyohaaron par tataanra ko kyon aamantrit kiya jaata tha?

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर :
तताँरा ने वामीरो से गाना पूरा करने और अगले दिन पुनः उसी स्थान पर आने की याचना की।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर
गाँव की रीति के अनुसार विवाह के लिए वर और वधू का एक ही गाँव का होना आवश्यक था। दूसरे गाँव में विवाह करना :
अनुचित था।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर :
क्रोध में तताँरा ने कार-निकोबार द्वीप समूह को दो भागों में विभक्त कर दिया।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए – 

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर :
तताँरा लकड़ी की एक तलवार को सदैव अपनी कमर से बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में अद्भुत दैवीय-शक्ति थी। वे सोचते थे कि तताँरा अपने सभी साहसिक कारनामों को इसी तलवार के कारण ही कर पाता है।

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प्रश्न 2.
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर :
तताँरा के गीत को पूरा करने के आग्रह पर वामीरो ने उसे बड़ी बेरुखी से उत्तर दिया। उसने तताँरा से कहा कि पहले वह अपना परिचय दे और बताए कि वह उसे क्यों घूर रहा है। उसे उससे ऐसा असंगत प्रश्न भी नहीं पूछना चाहिए, क्योंकि गाँव की रीति के अनुसार वह अपने गाँव के युवक अतिरिक्त किसी अन्य गाँव के युवक के प्रश्न का उत्तर देने के लिए भी बाध्य नहीं है।

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर :
तताँरा-वामीरो एक-दूसरे से प्रेम करते थे, किंतु गाँव की रीति के अनुसार उनका विवाह नहीं हो सकता था। तताँरा ने क्रोध में आकर पूरे द्वीप समूह को दो भागों में विभाजित कर दिया। इसमें तताँरा की मृत्यु हो गयी और वामीरो भी उसके प्रेम में पागल होने के बाद मर गई। उन दोनों की त्यागमयी मृत्यु के बाद निकोबार के लोग दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध करने लगे।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर :
तताँरा एक सुंदर और शक्तिशाली युवक था। वह नेक और मददगार था। दूसरों की सहायता करना वह अपना परम कर्तव्य समझता था। वह मुसीबत में प्रत्येक व्यक्ति की सहायता करने के लिए तैयार रहता था। उसकी इन्हीं विशेषताओं के कारण निकोबार के लोग तताँरा को पसंद करते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 1.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र के किनारे टहलने के लिए गया। वह सूर्यास्त का समय था। सूर्य डूबने ही वाला था। समुद्र से आने वाली ठंडी हवा बहुत अच्छी लग रही थी। पक्षियों की मधुर चहचहाहट धीरे-धीरे सुनाई दे रही थी। सूर्य की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र के पानी में बहुत आकर्षक लग रही थीं। डूबता हुआ सूर्य ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो देखते-ही-देखते वह क्षितिज के नीचे समा जाएगा।

तताँरा ऐसे प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहा था कि तभी उसे एक मधुर गीत गूंजता हुआ सुनाई दिया। गीत की आवाज़ अत्यंत मधुर और मोहक थी। ऐसा प्रतीत होता था, मानो वह गीत बहता हुआ उसकी ओर ही आ रहा हो। उस गीत के बीच-बीच में लहरों का संगीत उसकी मधुरता को और भी बढ़ाने वाला था।

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प्रश्न 2.
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर :
निकोबारी इस दवीप समूह के विभक्त होने का कारण एक प्रेम कथा को मानते हैं। यह कथा तताँरा-वामीरो की है। तताँरा पासा गाँव का रहने वाला सुंदर नवयुवक था। वह साहसी, नेक और मददगार था। वामीरो समीप के गाँव लपाती की रहने वाली थी। दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे, किंतु गाँव की परंपरा के अनुसार उनका विवाह नहीं हो सका।

एक दिन तताँरा और वामीरो को लोगों ने भला बुरा कहा। वामीरो जोर-जोर से रोने लगी। तताँरा इसे सहन नहीं कर सका। उसने क्रोध में भरकर अपनी तलवार को धरती में गाड़ दिया और पूरी शक्ति से अपनी ओर खींचता चला गया। उसने जहाँ-जहाँ से तलवार से काटा, वह सारा हिस्सा अलग होता चला गया। इस प्रकार निकोबार द्वीप समूह दो टुकड़ों में विभक्त हो गया।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर :
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा। वह हर समय उसी के ख्यालों में डूबा रहता। उसका हृदय व्यथित रहने लगा। उसके मन में एक विचित्र-सी बेचैनी रहती। सदैव सबकी मदद के लिए तैयार रहने वाला तताँरा अब केवल वामीरो के बारे में सोचता रहता। वह बार-बार उससे मिलने की इच्छा करता। शक्तिशाली, शांत और गंभीर तताँरा अब चंचल-सा रहने लगा। उसे वामीरों के बिना एक-एक पल पहाड़-सा भारी प्रतीत होता। वामीरो से मिलने के बाद तताँरा का जीवन पूरी तरह बदल गया था।

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प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर :
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए अस्त्र-शस्त्र चलाने संबंधी आयोजन तथा पशु-पर्व किए जाते थे। पशु-पर्व जैसे आयोजनों में पशुओं की शक्ति का प्रदर्शन किया जाता था। इसके अतिरिक्त युवकों व पशुओं के बीच में भी शक्ति-प्रदर्शन होता था। इस तरह के आयोजन में भोजन, नृत्य और संगीत की व्यवस्था भी की जाती थी।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
तताँरा-वामीरो कथा के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उन्हें टूट जाना चाहिए।
उत्तर :
प्रत्येक समाज अपने जीवन को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए कुछ रूढ़ियों और परंपराओं का पालन करता है। समय के साथ-साथ इन रूढ़ियों और परंपराओं में परिवर्तन होना जरूरी है। यदि इनमें परिवर्तन न हो, तो ये रूढ़ियाँ बंधन बन जाती हैं। तब इनका निर्वाह करना बोझ के समान लगता है। नई पीढ़ी विकास चाहती है। ये रूढ़ियाँ तब विकास में भी बाधक बनती हैं। स्वतंत्र विचारों वाली पीढ़ी इसे स्वीकार नहीं कर पाती। यदि हम फिर भी इन रूढ़ियों और परंपराओं से चिपके रहे, तो हमारी आने वाली पीढ़ी का विकास रुकता है। बोझ बनी इन रूढ़ियों से न तो विकास हो सकता है और न ही स्वच्छ जीवनयापन। ऐसे में इन रूढ़ियों का टूट जाना ही अच्छा होता है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर :
इन पंक्तियों में लेखक ने तताँरा के मनोभावों को व्यक्त किया है। तताँरा वामीरो से प्रेम करता है और उससे विवाह भी करना चाहता है, परंतु वामीरो का परिवार इसे पसंद नहीं करता। ‘पशु-पर्व’ पर आयोजित मेले में वामीरो की माता तताँरा को वामीरो के साथ देखकर आग-बबूला हो उठती है और उसे अपमानित करती है। गाँव के अन्य लोग भी तताँरा का विरोध करने लगते हैं। इस पर तताँरा क्रोध से भर उठता है, परंतु किसी पर क्रोध करने की बजाय वह अपनी तलवार को पूरा जोर लगाकर धरती में घोंप देता है और फिर उसे खींचने लगता है।

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प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर :
यहाँ लेखक ने वामीरो की प्रतीक्षा करते तताँरा की बेचैनी को स्पष्ट किया है। वह समुद्री चट्टान पर वामीरो की प्रतीक्षा में खड़ा था। उसे वामीरो के आने की बहुत कम आशा थी, फिर भी वह उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। वामीरो की आने की आशा सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य की किरणों के समान थी। जिस प्रकार सूर्यास्त में सूर्य की किरणें धीरे-धीरे समाप्त हो रही थीं, उसी प्रकार वामीरो के वहाँ आने की आशा किसी भी समय समाप्त हो सकती थी।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
उत्तर
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए गए कोष्ठक में (✓) का चिह्न लगाकर बताएँ कि वह वाक्य किस प्रकार का है (क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया ? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम ? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर :
(क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (विधानवाचक)
(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया? (प्रश्नवाचक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (विधानवाचक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम? (प्रश्नवाचक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (विधानवाचक)

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना।
उत्तर :
(क) सुध-बुध खोना-जब मैंने पहली बार ताजमहल देखा, तो उसकी सुंदरता देखकर मैं अपनी सुध-बुध खो बैठा।
(ख) बाट जोहना-किसी की बाट जोहना अत्यंत कठिन कार्य है।
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना-सुरेश के जिले में प्रथम आने की बात सुनकर उसके पिता की खुशी का ठिकाना न रहा।
(घ) आग बबूला होना-रमेश ने जब चोरी की, तो उसकी माँ आग बबूला हो उठी।
(ङ) आवाज़ उठाना-हमें भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-

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उत्तर :
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प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए
………. + आकर्षक = ………
………. + ज्ञात = ……….
………. + कोमल = ………
……….. + होश = …………
………. + घटना = ………..
उत्तर :
अति + आकर्षक = अत्याकर्षक
अ + ज्ञात = अज्ञात
सु + कोमल = सुकोमल
बे + होश = बेहोश
दुर् + घटना = दुर्घटना

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए –
(क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। (मिश्र वाक्य)
(ख) फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
(ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य)
(घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)
उत्तर :
(क) जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ।
(ख) फिर तेज़ कदमों से चली और तताँरा के सामने आकर ठिठक गई।
(ग) वामीरो कुछ सचेत होकर घर की तरफ़ दौड़ी।
(घ) उसने तताँरा को देखा और वह फूटकर रोने लगी।
(ङ) यह रीति थी कि दोनों को एक ही एक गाँव का होना आवश्यक था।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए –
(क) पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी। (‘अन्य’ के अर्थ में)
(ग) एक आकृति कुछ साफ़ हुई … कुछ और … कुछ और … (क्रमश: धीरे-धीरे के अर्थ में)
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)
(ङ) वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (‘अधिकता’ के अर्थ में)
(च) उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (‘निकटता’ के अर्थ में)
उत्तर :
विद्यार्थी इसे ध्यानपूर्वक समझें।

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प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
भय, मधुर, सभ्य, मूक, तरल, उपस्थिति, सुखद।
उत्तर :

  • भय = निर्भय
  • सभ्य = असभ्य
  • तरल = ठोस
  • सुखद = दुखद
  • मधुर = कहु
  • मूक = वाचाल
  • उपस्थिति = अनुपस्थिति

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
समुद्र, आँख, दिन, अँधेरा, मुक्त।
उत्तर :

  • समुद्र = सागर, जलधि
  • दिन = दिवस, वासर
  • मुक्त = स्वतंत्र, आजाद
  • आँख = नयन, नेत्र
  • अँधेरा =अंधकार, तम

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
किंकर्तव्यविमूढ़, विह्वल, भयाकुल, याचक, आकंठ।
उत्तर :

  • किंकर्तव्यविमूढ़ – सचिन सड़क पर हुई दुर्घटना को देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया।
  • भयाकुल – अचानक सामने आए शेर को देखकर राम भयाकुल हो उठा।
  • विह्वल – कई दिनों के बाद अपने पुत्र से मिलकर माँ भाव-विह्वल हो उठी।
  • याचक – याचक को कभी खाली नहीं लौटाना चाहिए।
  • आकंठ – वह संगीत की महफिल में जाकर संगीत के सुरों में आकंठ डूब गया।

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प्रश्न 10.
“किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुज़रने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर :
वाक्य में दिन के लिए आँचरहित, ठंडा और ऊबाऊ विशेषणों का प्रयोग किया गया है। दिन के लिए तीन अन्य विशेषण हैं-गर्म दिन, शानदार दिन, मुसीबत भरा दिन।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है? वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।

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इसी प्रकार बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए।

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उत्तर :
आँखें केंद्रित करना = अपने लक्ष्य पर आँखें केंद्रित करके आगे बढ़ते रहना चाहिए।
नज़र पड़ना = घर आते ही कमरे में रखे नए फूलदान पर अचानक मेरी नज़र पड़ी।
ताकना = इधर-उधर ताकना बुरी बात है।
घूरना = तुम मुझे इस प्रकार घूरना छोड़ दो, वरना अच्छा नहीं होगा।
निहारना = प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना बहुत अच्छा लगता है।
निर्निमेष ताकना = बगीचे में लगा गुलाब का फूल इतना आकर्षक था कि मैं उसे निर्निमेष ताकता रह गया। इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग निम्नलिखित हैं –
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प्रश्न 12.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए –
(क) श्याम का बड़ा भाई रमेश कल आया था। (संज्ञा पदबंध):
(ख) सुनीता परिश्रमी और होशियार लड़की है। (विशेषण पदबंध)
(ग) अरुणिमा धीरे-धीरे चलते हुए वहाँ जा पहुंची। (क्रियाविशेषण पदबंध)
(घ) आयुष सुरभि का चुटकुला सुनकर हँसता रहा। (क्रिया पदबंध)
ऊपर दिए गए वाक्य (क) में रेखांकित अंश में कई पद हैं जो एक पद संज्ञा का काम कर रहे हैं। वाक्य (ख) में तीन पद मिलकर विशेषण पद का काम कर रहे हैं। वाक्य (ग) और (घ) में कई पद मिलकर क्रमशः क्रिया-विशेषण और क्रिया का काम कर रहे हैं।
ध्वनियों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाता है; जैसे –
‘पेड़ों पर पक्षी चहचहा रहे थे।’ वाक्य में पेड़ों’ शब्द पद है क्योंकि इसमें अनेक व्याकरणिक बिंदु जुड़ जाते हैं।
कई पदों के योग से बने वाक्यांश को जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते हैं। पदबंध वाक्य का एक अंश होता है।
पदबंध मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं –

  • संज्ञा पदबंध
  • क्रिया पदबंध
  • विशेषण पदबंध
  • क्रियाविशेषण पदबंध।

वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए –
(क) उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
(ख) तताँरा को मानो कुछ होश आया।
(ग) वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
(घ) तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
(ङ) उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं।
उत्तर :
(क) विशेषण पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) क्रिया-विशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
(ङ) विशेषण पदबंध

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योग्यता विस्तार –

प्रश्न :
1. पुस्तकालय में उपलब्ध विभिन्न प्रदेशों की लोककथाओं का अध्ययन कीजिए।
2. भारत के नक्शे में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की पहचान कीजिए और उसकी भौगोलिक स्थिति के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
3. अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की प्रमुख जनजातियों की विशेषताओं का अध्ययन पुस्तकालय की सहायता से कीजिए।
4. दिसंबर 2004 में आए सुनामी का इस द्वीपसमूह पर क्या प्रभाव पड़ा? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
अपने घर-परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से कुछ लोककथाओं को सुनिए। उन कथाओं को अपने शब्दों में कक्षा में सुनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi तताँरा-वामीरो कथा Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न – 

प्रश्न 1.
‘तताँरा-वामीरो कथा’ किस क्षेत्र से संबंधित है? इसके पीछे लोगों का क्या विश्वास है?
उत्तर :
‘तताँरा-वामीरो कथा’ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की कथा है। यह एक लोककथा है, जो तताँरा नामक युवक और वामीरो नामक युवती की प्रेम-कथा पर आधारित है। इस लोककथा के पीछे निकोबारियों का विश्वास है कि इन दो प्रेमियों के कारण ही वर्तमान के लिटिल अंडमान और कार-निकोबार अलग हुए थे। इससे पहले ये दोनों द्वीप एक ही थे। इस बात की प्रमाणित करने के लिए एक कहानी के रूप में इस मान्यता को प्रस्तुत किया गया है।

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प्रश्न 2.
तताँरा के व्यक्तित्व का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर :
तताँरा पासा गाँव का रहने वाला सुंदर और शक्तिशाली युवक था। वह नेक और मददगार था। दूसरों की सहायता के लिए वह सदा तैयार रहता था। वह केवल अपने गाँववालों की ही नहीं, अपितु समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था। वह अत्यंत चर्चित और आदरणीय था। उसके आत्मीय स्वभाव के कारण सभी उसे पसंद करते थे। वह अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ कमर में लकड़ी की एक तलवार बाँधे रखता था, जो उसे अन्य लोगों से विशिष्ट बनाती थी। लोगों का मत था कि उसकी तलवार में दैवीय शक्ति थी।

प्रश्न 3.
तताँरा को लोग दैवीय-शक्ति से संपन्न व्यक्ति क्यों मानते थे?
उत्तर :
तताँरा को लोग दैवीय-शक्ति से संपन्न व्यक्ति मानते थे, क्योंकि उसके पास लड़की से बनी एक तलवार थी। लोगों का विश्वास था कि उस तलवार में दैवीय शक्ति है। तताँरा उस तलवार को सदैव अपने साथ रखता था। वह उसे अपनी कमर से बाँधकर रखता था। वह उस तलवार का प्रयोग अत्याचार को मिटाने तथा समाज को रूढ़ियों और बंधनों से मुक्त करने के लिए करता था। कहानी के अंत में अपनी तलवार से द्वीप के दो टुकड़े करके तताँरा इस धारणा को सही सिद्ध करता है।

प्रश्न 4.
तताँरा को क्रोध क्यों आया? उसने क्रोध में आने के बाद क्या किया?
उत्तर :
तताँरा और वामीरो का प्रेम अपनी बुलंदी पर था। शीघ्र ही यह प्रेम जगजाहिर हो गया। इसी प्रेम के कारण गाँववालों ने तताँरा को अपमानित भी कर दिया। यही अपमान का घूट तताँरा के क्रोध का कारण बना। उसने अपनी लकड़ी की तलवार निकाली और अपने क्रोध को शांत करने के लिए तलवार से निकोबार की धरती को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया। इसके बाद से ही निकोबार द्वीप दो भागों में विभाजित हो गया।

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प्रश्न 5.
तताँरा द्वारा धरती के दो टुकड़े करने से वह लोगों को क्या संदेश देना चाहता था?
उत्तर :
द्वीप के दो टुकड़े करके तताँरा लोगों को समझाना चाहता था कि वे अपने पुराने रूढ़िवादी विचारों से बाहर निकल आएँ। अपनी तंग मानसिकता को दूर करके एक अच्छे समाज की नींव रखें। यदि वे पुरानी रूढ़ियों और बंधनों को ऐसे ही मानते रहे, तो न उनका विकास होगा और न ही समाज या देश का विकास होगा। अत: लोगों को अपनी सोच को सही रखकर उसमें सुधार लाना होगा। यह शायद उसके प्रयास का ही फल था कि बाद में द्वीप के लोगों ने अपनी पुरानी परपंरा को समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 6.
तताँरा और वामीरो की मृत्यु किस प्रकार की थी? इसके बाद क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर :
तताँरा और वामीरो की मुत्यु त्यागमयी थी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए सुंदर सपने छोड़कर जाने वाली मृत्यु थी, वह समाज तथा लोगों को उनका घृणित रूप दिखाने वाली मृत्यु थी। उनकी इस त्यागमयी मृत्यु के बाद एक सुखद परिवर्तन यह आया कि निकोबार के लोग अब दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे। उनकी तंग मानसिकता में सुधार आने लगा था।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
तताँरा समुद्र के किनारे क्या देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठा?
उत्तर :
तताँरा जब समुद्र के किनारे टहल रहा था, तो उसने एक मधुर गीत सुना। वह उस दिशा में चल पड़ा, जहाँ से गीत का स्वर आ रहा था। वहाँ उसने वामीरो को देखा, जो अत्यंत सुंदर थी। उसके अनुपम सौंदर्य को देखकर तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा। वह वामीरो के रूप सौंदर्य के जादू में डूब गया।

सभी पर्व त्योहारों पर तताँरा को क्यों आमंत्रित किया जाता था? - sabhee parv tyohaaron par tataanra ko kyon aamantrit kiya jaata tha?

प्रश्न 2.
तताँरा को गाँव की किस परंपरा पर क्षोभ हो रहा था?
उत्तर :
तताँरा वामीरो से प्रेम करता था और वामीरो भी उससे विवाह करना चाहती थी। गाँव की यह परंपरा थी कि लड़का और लड़की को एक ही गाँव का होना चाहिए, तभी विवाह संभव था। तताँरा पासा गाँव का रहने वाला था और वामीरो लपाती गाँव की थी। इस कारण से उन दोनों का विवाह संभव नहीं था। तताँरा को विवाह की इसी निषेध परंपरा पर क्षोभ था।

प्रश्न 3.
वामीरो की माँ को क्या अपमानजनक लगा और उसने क्या किया?
उत्तर :
वामीरो और उसकी माँ पासा गाँव में आयोजित ‘पशु-पर्व’ में आईं। वामीरो ने जैसे ही तताँरा को देखा, तो वह रोने लगी। तताँरा किंकर्तव्यविमूढ़ वहाँ खड़ा रहा। वामीरो की माँ ने जब वामीरो का रुदन स्वर सुना, तो वह वहाँ पहुँची और आग-बबूला हो उठी। गाँववालों की उपस्थिति में वामीरो को तताँरा के साथ खड़े देखना उसे अपमानजनक लगा। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया।

प्रश्न 5.
लीलाधर मंडलोई की भाषा-शैली का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
लीलाधर मंडलोई मूल रूप से एक कवि हैं। इनकी भाषा-शैली अत्यंत सहज, सरल तथा सरस है। इनकी भाषा में लयात्मकता, प्रवाहात्मकता और रोचकता विद्यमान रहती है। ‘तताँरा-वामीरो कथा’ में उन्होंने तत्सम, तद्भव, देशज आदि शब्दों का सुंदर मिश्रण किया है। इन्होंने पाठ में उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी खूब प्रयोग किया है।

तताँरा-वामीरो कथा Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-श्री लीलाधर मंडलोई का जन्म सन 1954 में छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे-से गाँव । गुढ़ी में हुआ था। इनका जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा भोपाल और रायपुर में हुई थी। सन 1987 में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ट्रस्ट, लंदन ने इन्हें प्रसारण की उच्च शिक्षा के लिए वहाँ आमंत्रित किया। प्रसारण के क्षेत्र में इनका विशेष योगदान रहा है। वर्तमान में ये प्रसार भारती दूरदर्शन के महानिदेशक का कार्यभार सँभाल रहे हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।

रचनाएँ – लीलाधर मंडलोई वास्तव में कवि हैं। इनकी कविताएँ छत्तीसगढ़ अंचल से संबंधित हैं। इनकी कविताओं में वहाँ की बोली की मिठास के साथ-साथ वहाँ के जन-जीवन का सजीव चित्रण है। इनका कवि मन इन्हें सदैव लोककथा, लोकगीत, यात्रा-वृत्तांत, डायरी और रिपोर्ताज जैसे भिन्न-भिन्न विधाओं के लेखन की ओर प्रवृत्त करता रहा है। अंदमान-निकोबार द्वीप समूह की जनजातियों पर लिखा इनका गद्य अपने आप में एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भी है। इनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज़, देखा-अनदेखा और काला पानी।

भाषा-शैली – मंडलोई जी की भाषा-शैली अत्यंत सरल और सहज है। भाषा में प्रवाहात्मकता, लयात्मकता और रोचकता सदैव विद्यमान रहती है। प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा-वामीरो कथा’ में उन्होंने तत्सम, तद्भव, देशज आदि शब्दों का सुंदर मिश्रण किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी सुंदर प्रयोग किया है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा अधिक प्रभावशाली हो गई है। इन्होंने अनेक मुहावरों जैसे-सुध-बुध खोना, बाट जोहना, खुशी का ठिकाना न रहना, आग बबूला होना, आवाज़ उठाना आदि का अच्छा प्रयोग किया है। मंडलोई जी की शैली वर्णनात्मक है। कहीं-कहीं उन्होंने संवादात्मक शैली का प्रयोग किया है, जिसमें नाटकीयता का पुट विद्यमान है।

सभी पर्व त्योहारों पर तताँरा को क्यों आमंत्रित किया जाता था? - sabhee parv tyohaaron par tataanra ko kyon aamantrit kiya jaata tha?

पाठ का सार –

प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा-वामीरो कथा’ अंदमान-निकोबार द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप की लोककथा पर आधारित है। यह ‘तताँरा’ नामक युवक और ‘वामीरो’ नामक युवती की प्रेमकथा है। तताँरा और वामीरो को आज भी इस द्वीप के निवासी गर्व और श्रद्धा से याद करते हैं। प्राचीनकाल में लिटिल अंडमान और कार-निकोबार द्वीप समूह आपस में जुड़े हुए थे। वहाँ पासा नामक गाँव में तताँरा नाम का एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहता था। वह बहुत ही नेक और मददगार था। सबकी सहायता करना वह अपना कर्तव्य समझता था।

सभी उसे बहुत पसंद करते थे। उसके आत्मीय स्वभाव के कारण आस-पास के गाँववाले भी उसे पर्व-त्योहारों पर विशेष रूप से आमंत्रित करते थे। तताँरा का व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक था। वह अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ अपनी कमर में सदैव एक लकड़ी की तलवार बाँधे रखता था। लोगों का विचार था कि उसकी लकड़ी की तलवार में दैवीय शक्ति थी। एक दिन तताँरा सूर्यास्त के समय समुद्र के किनारे विचारमग्न बैठा था। तभी उसे पास ही मधुर गीत गूंजता सुनाई दिया। वह उस गीत के मधुर स्वरों में डूब गया। जैसे ही उसकी तंद्रा टूटी, वह उस गीत को गाने वाले को देखने के लिए व्याकुल हो उठा।

अंतत: उसकी नज़र एक युवती पर पड़ी, जो उस शृंगार गीत को गा रही थी। तताँरा उस युवती के अप्रतिम सौंदर्य को देखकर उसमें डूब गया। वह अपनी सुध-बुध खो बैठा और बार-बार उसे उस गीत को पूरा करने का आग्रह करने लगा। युवती ने उससे उसका परिचय पूछा, किंतु तताँरा विचलित होने के कारण कुछ नहीं बता पाया। तताँरा ने उस युवती का नाम पूछा, तो उसने अपना नाम वामीरो बताया और कहा कि वह लपाती गाँव में रहती है। यह कहकर वह चली गई। तताँरा उसे आवाजें लगाकर अपने बारे में बताता रहा और अगले दिन पुनः उसी चट्टान पर आने का आग्रह करता रहा। वामीरो नहीं रुकी और तताँरा उसे जाते हुए निहारता रहा। वामीरो जब घर पहुंची, तो वह भी तताँरा को बार-बार याद करने लगी। उसने अपने लिए जैसे जीवन साथी की कल्पना की थी, तताँरा वैसा ही था।

साथ ही वह यह भी जानती थी कि दूसरे गाँव के युवक के साथ वैवाहिक संबंध होना गाँव की परंपरा के विरुद्ध था। अत: उसने तताँरा को भुलाना ही उचित समझा, किंतु तताँरा की छवि बार-बार उसकी आँखों के आगे नाचती रही। उधर तताँरा सायंकाल होते ही समुद्री चट्टान पर खडा वामीरो की प्रतीक्षा करने लगा। ऐसी बेचैनी उसने अपने शांत और गंभीर जीवन में पहले कभी अनुभव नहीं की थी। उसे वामीरो के आने की आशा बहुत कम थी। बार-बार वह लपाती गाँव से आने वाले रास्ते की ओर देखता। तभी अचानक नारियल के झुरमुटों में उसे वामीरो दिखाई दी।

उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। वे दोनों देर तक एक-दूसरे को निहारते शब्दहीन खड़े रहे। सूर्यास्त हो चुका था और अँधेरा बढ़ने लगा। तभी वामीरो सचेत हुई और अपने घर की तरफ़ दौड़ी। तताँरा चुपचाप वहीं खड़ा रहा। तताँरा और वामीरो प्रतिदिन इसी प्रकार मिलते। धीरे-धीरे उनका यह मूक प्रेम लपाती गाँव के कुछ युवकों को पता चल गया और उन्होंने गाँव के सभी लोगों को बता दिया। तताँरा और वामीरो को बहुत समझाने का प्रयास किया गया, क्योंकि अलग-अलग गाँव के होने के कारण उनका विवाह संभव नहीं था; किंतु वे नहीं माने। कुछ समय बाद तताँरा के पासा गाँव में ‘पशु-पर्व’ का आयोजन हुआ।

वर्ष में एक बार होने वाले इस आयोजन में सभी गांवों के लोग पासा में एकत्रित हुए। तताँरा की आँखें तो केवल वामीरो को ढूँढ रही थीं। तभी उसे वामीरो दिखाई दी। वामीरो तताँरा को देखते ही फूट-फूटकर रोने लगी। वामीरो की माँ को अनेक लोगों की उपस्थिति में तताँरा के पास खड़ी वामीरो का रोना : अपमानजनक लगा। वह क्रोधित हो उठी और उसने तताँरा को अनेक तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरुद्ध आवाजें उठाने लगे। तताँरा के लिए यह सब असहनीय हो गया।

उसे गाँव की परंपरा पर क्रोध आ रहा था और अपनी असहायता पर खीझ होने लगी। उधर वामीरो लगातार रोये जा रही थी। तताँरा का क्रोध लगातार बढ़ता गया। उसका हाथ अपनी तलवार पर गया और उसने तलवार निकाल ली। अपने क्रोध को शांत करने के लिए उसने तलवार को धरती में घोंप दिया और पूरी ताकत से अपनी तरफ़ खींचते-खींचते दूर तक पहुँच गया। चारों ओर सन्नाटा छा गया। लोगों ने देखा कि तलवार की जहाँ-जहाँ लकीर खिंची थी, वहाँ से धरती फटने लगी। तताँरा क्रोध में द्वीप आरंभ हो गया था। उसने छलाँग लगाकर दूसरा सिरा थामना चाहा, किंतु ऐसा न कर पाया और वामीरो-वामीरो चिल्लाता हुआ समुद्र की सतह की ओर फिसल गया।

उधर वामीरो भी तताँरा-तताँरा पुकार रही थी। अंतत: तताँरा लहूलुहान होकर गिर पड़ा और पानी में बह गया। वामीरो उसके गम में पागल हो गई। उसने खाना-पीना छोड़ दिया और तताँरा को खोजती घंटों उस जगह पर बैठी रहती। कुछ समय पश्चात वामीरो भी अचानक कहीं चली गई। लोगों ने उसे ढूँढने का प्रयास किया, किंतु उसका कहीं पता नहीं चला। लेखक कहता है कि तताँरा और वामीरो की यह प्रेम-कथा अंडमान-निकोबार के प्रत्येक घर में सुनाई जाती है। निकोबारियों का विचार है कि तताँरा की तलवार से कार-निकोबार का जो दूसरा टुकड़ा हुआ, वह लिटिल अंडमान ही है। तताँरा और वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद एक सखद परिवर्तन यह हआ कि निकोबार के लोग दसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे।

सभी पर्व त्योहारों पर तताँरा को क्यों आमंत्रित किया जाता था? - sabhee parv tyohaaron par tataanra ko kyon aamantrit kiya jaata tha?

किठिन शब्दों के अर्थ :

लिटिल – छोटा, श्रृंखला – क्रम, आदिम – प्रारंभिक, विभक्त – बँटा हुआ, विभाजित, लोककथा – जन-समाज में प्रचलित कथा, मददगार – मदद करने वाला, तत्पर – तैयार, आत्मीय – अपना, चर्चित – प्रसिद्ध, आकर्षक – मोहक, साहसिक कारनामा – साहसपूर्ण कार्य, विलक्षण – असाधारण, क्षितिज – जहाँ धरती और आकाश मिलते दिखाई दें, अथक – बिना थके, बयार – शीतल-मंद वाय, शनै:-शनै: – धीरे-धीरे, प्रबल – तेज, तंद्रा – एकाग्रता, चैतन्य – चेतना, सजग, विकल – बेचैन, व्याकुल, निःशब्द – बिना बोले, संचार – उत्पन्न होना, असंगत – अनुचित, बाध्य – मजबूर, अप्रतिम – अतुलनीय, आकंठ – पूर्णरूप से,

सम्मोहित – ना – चिढ़ना, अन्यमनस्कता – जिसका चित्त कहीं और हो, बलिष्ठ – शक्तिशाली, निर्निमेष – जिसमें पलक न झपकी जाए/बिना पलक झपकाए, श्रेयस्कर – उचित, सही, मूक – मौन, रीति – परंपरा, अचंभित – चकित, किंकर्तव्यविमूढ़ – असमंजस, रोमांचित – पुलकित, निश्चल – स्थिर, भयाकुल – भय से बेचैन, अफ़वाह – उड़ती खबर, उफनना – उबलना, अचेत – बेहोश, निषेध परंपरा – वह परंपरा जिस पर रोक लगी हो, शमन – शांत करना, घोंपना – गाड़ना, फँसाना, दरार – रेखा की तरह का लंबा छिद्र जो फटने के कारण पड़ जाता है, सुराग – प्रमाण, सुखद परिवर्तन – सुख देने वाला बदलाव।

सभी पर्व त्योहारों पर ततांरा को क्यों आमंत्रित किया जाता था?

वह सदैव दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। द्वीपवासियों की सेवा करना वह अपना कर्तव्य समझता था। अपने त्यागमयी स्वभाव के कारण वह सभी के आदर का पात्र था। इसी कारण उसे पर्व-त्योहारों में विशेष रूप से बुलाया जाता था

तताँरा समुद्र तट पर क्यों आया था?

तताँरा गुस्से से इसलिये भर उठा क्योंकि वामीरो की माँ उसका अपमान कर रही थी। वह नहीं चाहता था कि उसके कारण वामीरो को और कोई दुःख मिले। उसे गाँव की रीति पर छोभ था,वहीं अपनी असमर्थता पर खीझ थी। दिनभर परिश्रम करने के कारण तताँरा थक गया था ।

तताँरा क्यों आशंकित था?

वामीरो जब घर जाने लगी तो तताँरा ने उससे कल फिर आने का अनुरोध किया। अगले दिन तताँरा सूर्य ढलने से पहले ही चट्टान पर आ गया और बेचैनी से वामीरो के आने की प्रतीक्षा करने लगा। उसको मन आशंकित तो था पर आशा की एक किरण भी थी जों समुद्र तल पर डूबती किरणों की भाँति डूब सकती थी अर्थात् वामीरो के न आने से वह आशा टूट भी सकती थी।

तताँरा का मन कार्यक्रम में क्यों नहीं लग रहा था?

तताँरा का मन इन में से किसी भी कार्यक्रम में नहीं लग रहा था। उसकी परेशान आँखे तो वामीरों को ढूंढने में व्यस्त थी। जब तताँरा ने वामीरो को देखा तो उसकी आँखें नमी से भरी थी और उसके होंठ डर कर काँप रहे थे।