रक्त को साफ करने में कौन सा कार्य करता है? - rakt ko saaph karane mein kaun sa kaary karata hai?

ऊतकों तक ऑक्‍सीजन, पोषक तत्‍व और हार्मोंस ले जाने का काम करने वाला रक्‍त बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। शरीर के ठीक तरह से कार्य करने के लिए खून बहुत जरूरी होता है और यदि यह खून दूषित हो जाए तो कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं जन्‍म लेने लगती हैं। उचित शारीरिक क्रियाओं के लिए खून का साफ और विषाक्‍त पदार्थों से रति होना आवश्‍यक है।

​खून साफ करने के घरेलू उपचार

रक्त को साफ करने में कौन सा कार्य करता है? - rakt ko saaph karane mein kaun sa kaary karata hai?

किडनी और लिवर प्रमुख तौर पर खून को साफ करने के लिए जिम्‍मेदार होते हैं। कुछ घरेलू उपायों की मदद से खून को साफ किया जा सकता है। जैविक प्रक्रियाओं या किसी बीमारी के कारण खून में मौजूद विषाक्‍त को निकालने में घरेलू उपचार मददगार साबित होते हैं। आइए जानते हैं खून साफ करने के घरेलू उपायों के बारे में।

​नींबू का रस

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नींबू का रस खून और पाचन मार्ग को साफ कर सकता है। ये एसिडिक होता है और पीएच लेवल में बदलाव ला सकता है। ये खून से विषाक्‍त पदार्थों को साफ करने में उपयोगी है। रोज सुबह खाली पेट नींबू पानी पीने से शरीर से विषाक्‍त पदार्थ साफ हो जाते हैं। एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर नाश्‍ते से पहले पीएं।

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​नीम से खून को साफ कैसे करें

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नीम के कई स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक लाभ होते हैं। ये एंटीबैक्‍टीरियल, संक्रामक-रोधी और फंगल-रोधी गुण रखती है। नीम खून को साफ बनाए रखने में मदद करती है। त्‍वचा और इम्‍युनिटी बढ़ाने में भी नीम लाभकारी होती है। तुलसी की पांच से छह पत्तियां लें और उन्‍हें मसल कर अपने भोजन में डाल लें। आप एक कप गर्म पानी में आठ तुलसी की पत्तियां डालकर चाय भी तैयार कर सकते हैं।

​खून साफ करने के लिए उपाय है हल्‍दी का दूध

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एक गिलास गर्म दूध में दो चम्‍मच हल्‍दी डालें। रात को सोने से पहले एक महीने तक हल्‍दी वाला दूध पीने से खून साफ होता है। हल्‍दी में करक्‍यूमिन नामक तत्‍व होता है जाे एंटीऑक्‍सीडेंट गुण रखता है। खून को साफ करने के तरीके में हल्‍दी सबसे उत्तम उपाय है।

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​खून साफ करने का तरीका है धनिया पत्ती

रक्त को साफ करने में कौन सा कार्य करता है? - rakt ko saaph karane mein kaun sa kaary karata hai?

धनिया पत्ती का एक गुच्‍छा लें और उसे दो गिलास पानी में 10 मिनट तक उबालें। उबलने के बाद बचे हुए पानी को छान लें और स्‍टोर कर के फ्रिज में रख दें। आपको एक महीने तक इस पानी का सेवन करना है। आप चाहें तो सुबह खाली पेट भी इस पानी को पी सकते हैं।

​एप्‍पल सिडर विनेगर और बेकिंग सोडा

रक्त को साफ करने में कौन सा कार्य करता है? - rakt ko saaph karane mein kaun sa kaary karata hai?

ये दोनों चीजें मिलकर शरीर के पीएच स्‍तर को संतुलित रखने में मदद करती हैं। रोज सुबह खाली पेट दो चम्‍मच एप्‍पल सिडर विनेगर में आधा चम्‍मच बेकिंग सोडा मिलाएं। कुछ सेकंड बाद इस मिश्रण में झाग आने लगते हैं। तब इसे एक गिलास पानी में मिलाकर तुरंत पी लें। हाई ब्‍लड प्रेशर के मरीज डॉक्‍टर की सलाह पर ही ऐसा करें।

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​खून साफ करने के लिए क्या खाएं

रक्त को साफ करने में कौन सा कार्य करता है? - rakt ko saaph karane mein kaun sa kaary karata hai?

आप अपने आहार में ब्‍लूबैरी, ब्रोकली, चुकंदर और गुड़ भी शामिल करें। ब्रोकली विटामिन सी, ओमेगा 3 फैटी एसिड, कैल्शियम, पोटाशियम और फास्‍फोरस से भरपूर होती है। वहीं चुकंदर में एंटीऑक्‍सीडेंट मौजूद होते हैं। गुड़ शरीर से खून के थक्‍कों को हटाकर उसे साफ करता है।

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रक्त को साफ करने में कौन सा कार्य करता है? - rakt ko saaph karane mein kaun sa kaary karata hai?

मानव शरीर में लहू का संचरण
लाल - शुद्ध लहू
नीला - अशु्द्ध लहू

लहू या रुधिर या खून(Blood) एक शारीरिक तरल (द्रव) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कणिका, श्वेत रक्त कणिका और प्लैटलैट्स। लाल रक्त कणिका श्वसन अंगों से आक्सीजन ले कर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पता (अनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वैत रक्त कणिका हानीकारक तत्वों तथा बिमारी पैदा करने वाले जिवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं।

मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर लहू विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएं तिल्ली में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती।

मनुष्यों में लहू ही सबसे आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। एटीजंस से लहू को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है और रक्तदान करते समय इसी का ध्यान रखा जाता है। महत्वपूर्ण एटीजंस को दो भागों में बांटा गया है। पहला ए, बी, ओ तथा दूसरा आर-एच व एच-आर। जिन लोगों का रक्त जिस एटीजंस वाला होता है उसे उसी एटीजंस वाला रक्त देते हैं। जिन पर कोई एटीजंस नहीं होता उनका ग्रुप "ओ" कहलाता है। जिनके रक्त कण पर आर-एच एटीजंस पाया जाता है वे आर-एच पाजिटिव और जिनपर नहीं पाया जाता वे आर-एच नेगेटिव कहलाते हैं। ओ-वर्ग वाले व्यक्ति को सर्वदाता तथा एबी वाले को सर्वग्राही कहा जाता है। परन्तु एबी रक्त वाले को एबी रक्त ही दिया जाता है। जहां स्वस्थ व्यक्ति का रक्त किसी की जान बचा सकता है, वहीं रोगी, अस्वस्थ व्यक्ति का खून किसी के लिये जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसीलिए खून लेने-देने में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। लहू का pH मान 7.4 होता है

कार्य

  • ऊतकों को आक्सीजन पहुँचाना।
  • पोषक तत्वों को ले जाना जैसे ग्लूकोस, अमीनो अम्ल और वसा अम्ल (रक्त में घुलना या प्लाज्मा प्रोटीन से जुडना जैसे- रक्त लिपिड)।
  • उत्सर्जी पदार्थों को बाहर करना जैसे- यूरिया कार्बन, डाई आक्साइड, लैक्टिक अम्ल आदि।
  • प्रतिरक्षात्मक कार्य।
  • संदेशवाहक का कार्य करना, इसके अन्तर्गत हार्मोन्स आदि के संदेश देना।
  • शरीर पी. एच नियंत्रित करना।
  • शरीर का ताप नियंत्रित करना।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • रक्तदान

सन्दर्भ[संपादित करें]