मन में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न ही न हो इसके लिए आप क्या करेंगे? - man mein eershya ka bhaav utpann hee na ho isake lie aap kya karenge?

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चाहे आप उसको मुस्कान से छुपाने की कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें, ईर्ष्या (envy) ऐसी चीज़ नहीं है जो अपने आप ही समाप्त हो जायेगी। वह समय के साथ बढ़ती हुयी, नियंत्रण से बाहर होकर घातक जलन (jealousy) और यहाँ तक कि अवसाद का रूप भी ले सकती है। तो इससे पहले कि ईर्ष्या पूरी तरह से आपको खा जाये, उसे नियंत्रित करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? दूसरों से स्वयं की तुलना करने से बचना सीख सकते हैं, जो भी आपके पास है उसके लिए और अधिक कृतज्ञ होना सीख सकते हैं, अपना दृष्टिकोण बदलने के लिए तरीकों का अभ्यास कर सकते हैं ताकि इससे पहले कि ईर्ष्या पूरी तरह से हावी हो जाये, उस पर नियंत्रण किया जा सके। ईर्ष्या से छुटकारा पाने की विधियों के संबंध में जानने के लिए आगे पढ़िये।

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    ईर्ष्या (envy) और जलन (jealousy) में अंतर जानिए: ईर्ष्या और जलन एक ही चीज़ नहीं है, मगर अक्सर इन दोनों में भ्रम हो जाता है। ईर्ष्या और जलन के बीच के अंतर को जान लेना महत्वपूर्ण है ताकि आपको पता चल सके कि आप कौन सी भावना महसूस कर रहे हैं। जलन (jealousy) उस चीज़ के प्रति प्रतिक्रिया है जो आपके पास उपलब्ध किसी चीज़ खोने के भय से सम्बद्ध है। ईर्ष्या (envy) उस चीज़ के प्रति आपकी प्रतिक्रिया है जो आपको लगता है कि आपके पास नहीं है।[१]

    • जैसे कि, जलन आप तब महसूस करते हैं जब आप अपनी गर्लफ्रेंड को किसी और व्यक्ति के साथ घूमते फिरते देखते हैं। ईर्ष्या वह है जो कि आप तब महसूस करते हैं जब आप अपने मित्र को नई स्पोर्ट्स कार में घूमते हुये देखते हैं।

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    सोचिए कि ईर्ष्या आपको कैसे हानि पहुंचाती है: ईर्ष्या ने कैसे आपके जीवन को नकारात्मक तरीके से प्रभावित किया है? शायद कोई लम्बा रिलेशन केवल इसलिए समाप्ति की कगार पर पहुँच गया, क्योंकि आप अपने मित्र के लिए प्रसन्नता का ढोंग भी नहीं कर पा रही हैं, इसलिए उसकी फोन काल्स से बच रही हैं। शायद आप अपने एक्स (Ex) का फेसबुक पेज पागलों की तरह देख कर उसकी और मंगेतर की तसवीरों को घूरती रहती हैं। शायद आपको अपनी मित्र के फोटोग्राफी ब्लॉग पढ़ने से घृणा है, क्योंकि आप चाहती हैं कि काश आपमें भी उसके जितनी कलात्मक क्षमता होती। यह सभी, इस बात के उदाहरण हैं कि कैसे ईर्ष्या आपकी उस ऊर्जा को सोख लेती है जिसे कुछ सकारात्मक करने में व्यय किया जा सकता था। ईर्ष्या आपको निम्नलिखित तरीकों से हानि पहुंचा सकती है: [२]

    • आपके समय का अपव्यय
    • आपके विचारों का क्षरण
    • आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक सम्बन्धों का विनाश
    • आपके व्यक्तित्व को उलझाना
    • नकारात्मकता उत्पन्न करना

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    ईर्ष्या के कारणों को पहचानिए: इससे पहले कि आप अपनी नकारात्मकता को रचनात्मक रूप से सुलझा पाएँ, आपको यह जानना होगा कि उसका कारण क्या है। यदि आपको अपने मित्र की नई स्पोर्ट्स कार से ईर्ष्या हो रही है, तो कुछ समय निकाल कर उन कारणों की पड़ताल करिए जिनसे आपको ईर्ष्या होनी शुरू हुई है। ईर्ष्या से निबटने से पहले, स्वयं से प्रश्न पूछ कर ईर्ष्या के कारणों को पहचानिए।[३]

    • उदाहरण के लिए, क्या आप इसलिए ईर्ष्यालु हैं क्योंकि आप वैसी ही कार चाहते हैं जैसी कि उसके पास है? या आप इसलिए ईर्ष्यालु हैं क्योंकि उसकी क्षमता इतनी महंगी चीज़ खरीदने की है?

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    अपनी भावनाओ के संबंध में लिख डालिए: लिख डालना अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की और नकारात्मक मनोभावों से निबटने की एक उत्तम विधि है। ईर्ष्या के संबंध में लिखने से आप उसको भली भांति समझ पाएंगे और उससे निबटना शुरू कर पाएंगे। सबसे पहले ईर्ष्या के कारणों को लिखने से शुरुआत करिए। अपनी ईर्ष्या के स्त्रोत को यथासंभव विस्तार से लिखिए। यह जानने का प्रयास करिए कि आप इस व्यक्ति से ईर्ष्यालु क्यों हैं।[४]

    • जैसे कि, शायद आप अपने मित्र के नई स्पोर्ट्स कार चलाने के संबंध में और उससे आपको कैसा लगा, इस बारे में लिखें। उस समय आपकी मनोदशा कैसी थी? जब उसने कार रोकी तब आपने कैसा महसूस किया? आपने क्या करना/ कहना चाहा? आपने वास्तव में क्या किया/ कहा? जब वह चला गया तब आपको कैसा लगा? अब आपको उस संबंध में सोच कर कैसा लगता है? आप क्या महसूस करना चाहेंगे?

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    अपनी ईर्ष्यालु भावनाओं के संबंध में किसी मित्र से बातें करने का विचार करिए: किसी सहयोग करने वाले मित्र अथवा संबंधी को यह बताने से कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, आपको अच्छा लगेगा और आपको अपनी भावनाओं के प्रदर्शन में भी सहायता मिलेगी। किसी ऐसे व्यक्ति को चुनिये जो उस व्यक्ति से कम जुड़ा हुआ हो, जिससे आप ईर्ष्या कर रहे हैं। साथ ही, ऐसे व्यक्ति का चयन सुनिश्चित करिए जो आपका समर्थन करता हो और जो आपकी बात सुन सके। किसी ऐसे व्यक्ति का चयन, जो आपकी भावनाओं का निरादर करे और आपको ठीक से समर्थन भी न दे आपको और भी बुरी स्थिति में डाल देगा।

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    यदि आप अपनी ईर्ष्या से स्वयं पार नहीं पा सकते हों तो किसी चिकित्सक की मदद लीजिये: कुछ लोगों के लिए तो ईर्ष्या उनके दैनिक जीवन और प्रसन्नता में भी हस्तक्षेप करने लगती है। बिना किसी सहायता के, अपनी ईर्ष्या को समझ पाना और उन भावनाओं से निबटने की सर्वश्रेष्ठ विधियों को जान पाना कठिन होता है। एक प्रोफेशनल मनो-चिकित्सक आपको उन भावनाओं को समझने में और उनसे पार पाने में आपकी सहायता कर सकता है।

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    स्वयं को इतनी निर्दयता से आंकना बंद करिए: जब आप किसी से ईर्ष्या करते हैं तब अक्सर ही वह आपकी व्यक्तिगत कमी से प्रारम्भ होती है। आपका ध्यान इस पर होता है कि कैसे किसी को वह कैरियर, साथी, संपत्ति, या बुद्धिमता मिल गई है जो आप चाहते थे, और ये ही इच्छाएँ आपकी कमियों के रूप में आपके मन में जड़ जमा कर बैठ जाती हैं। एक बार प्रयास करिए कि आप अपना आकलन इतनी निर्दयता से न करें और तब आप अपनी परिस्थितियों को दूसरों की परिस्थितियों से इतना प्रतिकूल मानने को तैयार नहीं होंगे।[५]

    • जैसे कि, आप शायद अपने मित्र के शानदार कैरियर से ईर्ष्या कर रहे हैं, जो कि उत्थान पर पहुँच चुका है, जबकि आपका अभी शुरू ही हुआ है। स्वयं के साथ थोड़ा धीरज धरने का प्रयास करिए - यदि आप इसी प्रकार से परिश्रम करते रहे तो आपको भी स्पॉट-लाइट में आने का अवसर मिलेगा।
    • ईर्ष्या सामान्यतया आकलन की आदत से पैदा होती है - यह सोच कर कि "यह" "उससे" बेहतर है आप अपने निर्णय उन चीजों के आधार पर लेते हैं, जो आपके पास नहीं होती हैं। यह सोचने के स्थान पर कि कुछ गुणों का होना अच्छा है और कुछ का नहीं, कुछ अधिक खुले दिमाग का बनने का प्रयास करिए।

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    स्वयं को और जिस व्यक्ति से आप ईर्ष्या करते हैं, उसे क्षमा करिए: क्षमा, ईर्ष्या से पार पाने का महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि किसी की सफलता पर कुढ़ना केवल आपको ही भारी पड़ेगा।[६] एक अभ्यास जो आपको ईर्ष्या से निबटने में मदद कर सकता है, वह है कि आप उस व्यक्ति को, जिससे आप ईर्ष्यालु हैं (निश्चय ही, उनकी उपस्थिति में नहीं), और स्वयं को भी, क्षमा करने की घोषणा कर दें। बस एक पल निकालिए जब आप अकेले हों और तब अपनी क्षमा को शब्द दे दीजिये।

    • याद रखिए कि आप दूसरे व्यक्ति को किसी गलती के लिए क्षमा नहीं कर रहे हैं। आप उनकी परिस्थिति को उनके दृष्टिकोण से देखने का चयन कर रहे हैं। उनका दृष्टिकोण पहचानने से, आप उनके गौरव और उपलब्धियों के साथ संवेदनशीलता के साथ समानुभूति कर सकते हैं।
    • जैसे कि, आप ऐसा कुछ कह सकते हैं, "मुझे, शेरॉन पर, अपने कैरियर में इतनी सफलता प्राप्त करने के लिए गर्व है। और मैं स्वयं को सफलता की राह पर उसके पीछे रहने के लिए क्षमा करता हूँ।"

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    अपनी ईर्ष्या को सराहना में बदल दीजिये: ईर्ष्या से छुटकारा पाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जो आपके पास है, आप उसकी, और जो उस व्यक्ति ने अर्जित किया है जिससे आप ईर्ष्या करते हैं, उसकी सराहना करें।[७] अपना दृष्टिकोण बदलने और ईर्ष्या से छुटकारा पाने की एक विधि है कि आप दूसरों की उपलब्धियों और भाग्य की सराहना करने का तरीका खोजें। उस व्यक्ति के प्रति, उन उपलब्धियों और प्राप्तियों के लिए, जिनके कारण आप ईर्ष्यालु हो गए हैं, प्रसन्नता की भावना विकसित करने का प्रयास करिए। जैसे कि, उस मित्र के लिए, जो स्पोर्ट्स कार जुटा सकता है, प्रसन्न होने का प्रयास करिए, और ईर्ष्या को सराहना में बदल डालिए।

    • ज़ोरदार शब्दों में की गई प्रशंसा, शायद आपकी मदद कर सके। जैसे कि, आप अपने मित्र से कह सकते हैं, "नई कार के लिए बधाई! मैं आपके लिए और आपकी सफलता से वास्तव में बहुत प्रसन्न हूँ।"

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    अपनी ईर्ष्या का एक लक्ष्य निर्धारित करने के लिए उपयोग करिए: जब एक बार आपने अपनी ईर्ष्या का कारण पहचान लिया है, तब आप उसे सकारात्मक रूप दे कर, जैसे कि एक लक्ष्य निर्धारित कर, उससे रचनात्मक ढंग से निबट सकते हैं। अपनी ईर्ष्या का उपयोग एक वास्तविक, प्राप्य लक्ष्य बना देने से आप अपनी नकारात्मक भावनाओं में घिरे रहने से बचेंगे और स्वयं को अपने जीवन की कुछ चीजों को सुधार पाने में सक्षम समझेंगे।

    • जैसे कि, यदि आप अपने मित्र की नई स्पोर्ट्स कार से ईर्ष्यालु हैं क्योंकि आप चाहते हैं कि काश आपको भी इतनी आर्थिक स्वतन्त्रता होती कि आप भी वैसी कोई चीज़ जुटा सकते, तब अधिक धन के अर्जन और/ या बचत को अपना लक्ष्य बना लीजिये।
    • बड़े बड़े लक्ष्यों को छोटे छोटे, मापने योग्य लक्ष्यों में तोड़ लीजिये। जैसे कि, यदि आपका लक्ष्य अधिक धन के अर्जन और/ या बचत है तब आपका एक छोटा लक्ष्य हो सकता है कि आप कोई अधिक वेतन वाली नौकरी खोजें या अपने तत्कालीन कार्य में ही आगे बढ्ने के अवसर ढूंढें। अन्य छोटा लक्ष्य हो सकता है, प्रति सप्ताह 1000 रुपये बचाने का।

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    जीवन में सफलता को स्वयं परिभाषित करिए: क्या आप स्वयं का तथा अन्य लोगों का आकलन, दूसरे लोगों द्वारा प्रतिपादित, सफलता के सतही अर्थों के आधार पर कर रहे हैं? सफलता का अर्थ, निश्चय ही, केवल बड़ा घर, दो कारें, शानदार नौकरी या अतुलनीय सौन्दर्य-जिसके कारण लोग मुड़, मुड़ कर देखने लगें, नहीं है। सफलता का अर्थ है कि "आपके लिए" जीवन में सर्वश्रेष्ठ क्या है, और उसीको पूरी तरह से जिया जाना। यदि आप समाज के सफलता के मानदंडों के संबंध में कम चिंता करेंगे, और आपको प्रतिदिन क्या करने में अच्छा लगता है, उस पर ध्यान देंगे तब आप दूसरों से तुलना के चक्कर में उतना नहीं पड़ेंगे।[८]

    • याद रखिए कि जीवन में दूसरों से भिन्न स्तर पर होने में कुछ गलत नहीं है। जैसे कि, केवल इसलिए कि आपके पास वैसी नौकरी या साथी नहीं है, जैसी उस व्यक्ति के पास है जिससे आप ईर्ष्या करते हैं, आप में कुछ कमी है। जीवन, उन कोष्ठकों की श्रंखला नहीं है जिनमें हमें, प्रसन्नता पाने की राह में, चिन्ह लगाते जाना हो। हर कोई अलग राह पर चलता है और किसी की भी राह किसी दूसरे से अधिक अर्थपूर्ण या बेहतर नहीं होती है।

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    समझ लीजिये कि आपको पूरी कहानी पता ही नहीं है: ऐसा लग सकता है कि किसी के पास सब कुछ है - शानदार बॉयफ्रेंड, बढ़िया बाल, शरीफ़ और वह सब आप जो भी कहें। तब भी कहानी में और भी, बहुत कुछ होता है क्योंकि किसी का भी जीवन सम्पूर्ण होना तो असंभव है। यदि ऐसा लगता है कि किसी के पास वह सब कुछ है जो आप चाहते हैं, तब संभावना है कि आपके पास भी ऐसा कुछ होगा जो "वे" चाहते होंगे। लोगों को उच्चासन पर बैठा कर, यह सोच कर अपने दाँत मत पीसो कि वे तो पैदा ही भाग्यशाली हुये थे। आपको पता नहीं है कि उनकी कमज़ोरियाँ क्या हैं - आखिरकार, अधिकांश लोग अपनी कमियाँ छुपाने में माहिर होते हैं - मगर आप निश्चिंत रहिए कि वे हैं तो सही।

    • इस तथ्य पर चिंतन, कि सभी के पास संघर्ष हैं, आवश्यकताएँ हैं, या इच्छाएँ हैं, आपको यह याद दिलाने लिए काफी है कि सभी लोग एक ही नाव पर सवार हैं। व्यक्ति की कमियाँ क्या हैं, इस की खोजबीन करने की आवश्यकता नहीं है! निश्चित ही जानिए कि कुछ तो ऐसा है जिसे आप देख नहीं पा रहे हैं। अपनी ईर्ष्या के विचारों को किनारे रखिए और स्वयं पर ध्यान दीजिये।

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    याद रखिए कि दूसरों की सफलता आपकी सफलता पर प्रभाव नहीं डालती है। मान लीजिये कि आपका कोई परिचित प्रतिदिन दौड़ना प्रारम्भ कर देता है, उसका वज़न 10 किलो कम हो जाता है और उसने अपना पहला मैरथॉन भी पूरा किया है। निश्चय ही, यह उस व्यक्ति की महत्वपूर्ण उपलब्धि है, मगर आपको भी तो कोई यही सब करने से रोक तो नहीं रहा है! जीवन में, आपकी सफलता किसी और पर तो आधारित है नहीं। चाहे प्यार पाना हो, बढ़िया नौकरी पाना हो या और भी कुछ जो आप चाहते हों, आप उसे पा सकते हैं, उसका किसी और की सफलता से कुछ लेना देना नहीं है।

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    अपनी प्रतिभा और आस्तियों पर ध्यान दीजिये: अब जब आपने दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर दिया है, तब अब देखते हैं कि आपके पास क्या क्या है। अपनी ऊर्जा को अपने अच्छे गुणों पर लगाइये, ताकि आपमें और आपके कर्मों में उत्तरोत्तर वृद्धि हो सके। जब आपका पूरा ध्यान वाद्य यंत्र पर गीत निकालने पर होगा या शानदार शोध प्रबंध लिखने पर होगा तब दूसरे लोग क्या कर रहे हैं आपको उसकी चिंता करने का समय ही नहीं मिलेगा।

    • जब भी आपको लगे कि आपका ध्यान, आपके पास क्या कुछ नहीं है कि ओर भटकने लगे, तब सप्रयास यह सोचिए कि क्या क्या आपके पास "है"। हर बार, जब भी ईर्ष्या की लहरें उठें, आप यही करिए। यदि आप अपने विचारों को भटकने नहीं देंगे, और उसके स्थान पर इस पर ध्यान लगाएंगे कि आप क्यों इतने विशेष और अच्छे हैं, आपमें कहीं अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होना शुरू हो जाएगा।
    • जान लीजिये कि सबके पास वह सब नहीं है, जो आपके पास है - वास्तव में, आपका कौशल और आस्तियां शायद दूसरों की ईर्ष्या का कारण हो सकती हैं।

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    अपने प्रियजनों के लिए कृतज्ञ रहिए: उन लोगों की कल्पना करिए जो आपके लिए चिंतित रहते हैं और आपके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, और सोचिए कि आप उनके लिए क्या करते हैं। जो आपके जीवन को संपूर्णता प्रदान करते हैं, उन पर ध्यान देना, ईर्ष्या की भावनाओं को हटा फेंकने की एक सकारात्मक विधि है। यह सोचने के स्थान पर कि आपके जीवन में कुछ कमी है, जो लोग आपके जीवन में हैं, उनके लिए कृतज्ञ रहिए। कृतज्ञता बहुत कुछ विचारशीलता की तरह है। इसका अर्थ है वर्तमान पर ध्यान देना और अपने विचारों को, कमियों के स्थान पर, जो कुछ भी उपलब्ध है, उसकी ओर निर्देशित करना।

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    जो भी बदल सकते हैं, उसको बदल डालिए, और जो नहीं बदल सकते हैं, उसको स्वीकार कर लीजिये: यह जानना महत्वपूर्ण है कि आप क्या बदल सकते हैं और क्या कुछ आपके नियंत्रण के परे है। पहले वाले को सुधारने में अपनी ऊर्जा लगाइए और बाद वाले पर अपना समय बर्बाद मत करिए, क्योंकि उसके संबंध में आप कुछ नहीं कर सकते हैं। यदि आप उन चीजों की चिंता करेंगे जिनके संबंध में आप कुछ कर ही नहीं सकते हैं, तब तो आप अत्यंत नकारात्मक भावनाओं वाले व्यक्ति हो जाएँगे, और शायद अवसादग्रस्त भी। आपके पास व्यतीत करने के लिए सीमित समय ही उपलब्ध है और आप उसे ऐसी किसी चीज़ पर बर्बाद नहीं करना चाहेंगे, जिसे टस से मस भी न किया जा सके।

    • जैसे कि, यदि आप चाहते हों कि आपके पास भी वैसी ही संगीत प्रतिभा हो जैसी उसकी है, और आप संगीतकार – गीतकार से अधिक कुछ भी न बनना चाहते हों, तो जो आप बनना चाहते हैं उसका प्रयास करिए। संगीत बनाने में अपनी जान लगा दीजिये, ध्वनि शिक्षा प्राप्त करिए, जब भी संभव हो तब लोगों के बीच कार्यक्रम प्रस्तुत करिए - जो भी कर सकते हों करिए। यदि आपको लगता हो कि आपमें संगीत की दुनिया में कुछ कर दिखाने की क्षमता है या आप संगीत के संबंध में इतने दीवाने हैं कि अपना पूरा जीवन गाने बजाने में ही व्यतीत करना चाहते हैं, तो किसी को भी अपने रास्ते में मत आने दीजिये।
    • दूसरी ओर, जीवन में कुछ ऐसी चीज़ें भी होती हैं जो कठिन परिश्रम और मजबूत इच्छाशक्ति से प्रभावित नहीं होती हैं। यदि आप अपने मित्र की पत्नी से प्रेम कर रहे हैं, मगर उनका वैवाहिक जीवन सुखद है, तब तो आपको मानना ही पड़ेगा कि कि कुछ चीज़ें आप बदल नहीं सकते हैं। इससे पहले, कि आपकी ईर्ष्या भयावह नकारात्मकता में परिवर्तित हो जाये, स्वीकृति की स्थिति में पहुँच जाना महत्वपूर्ण है।

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    कृतज्ञ लोगों के बीच समय बिताइये: यदि आपके मित्र ऐसे हैं जो सदैव ही नौकरियों की, साथियों और बच्चों की तुलना करते रहते हैं, जो भी अपने पास है उसकी शिकायत करते रहते हैं और जिनके पास वह सब है उनकी भर्त्सना करते रहते हैं, तब तो शायद आप नए लोगों के साथ समय बिताना चाहेंगे। यदि आप ऐसे लोगों के साथ काफी समय बिताएँगे, जो अपने पास उपलब्ध चीजों के लिए कृतज्ञ नहीं हैं, तब अंततोगत्वा आपकी भावनाएँ भी, वैसी ही हो जाएंगी। ऐसे लोगों के आस पास रहिए जो संतुष्ट हों - आपको चिढ़ाने वाली संतुष्टि नहीं, मगर कम से कम इतने खुश कि वे दूसरे लोगों को कोसें नहीं और सदैव शिकायत न करते हों। ऐसे मित्र खोजिए जो आलोचनात्मक न हों, दयालु और महरबान हों और तब आप भी अपने और दूसरों के संबंध में वैसे ही सोचने लगेंगे।

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    कृतज्ञता डायरी (gratitude diary) प्रारम्भ करिए: अगर बहुत समय से आपने जीवन की अच्छाइयों के संबंध में सोचा नहीं है, तो कागज और कलम लीजिये और उनको लिखना शुरू कर दीजिये। कृतज्ञता डायरी, दृष्टिकोण बदलने की दिशा में और जो भी आपके पास है उसके लियी आभारी होने के लिए, एक महत्वपूर्ण तरीका है। यदि डायरी लिखना आपको पसंद नहीं है, तो आप एक विडियो ब्लॉग (जिसे vblog भी कहा जाता है) या स्केचबुक में तस्वीरें बनाना भी शुरू करने के संबंध में विचार कर सकते हैं। चूंकि ईर्ष्या, आपके अनुसार, आपकी कमियों के संदर्भ में है, अतः कुछ समय और ऊर्जा स्वयं को यह याद दिलाने के लिए लगाइए, कि आपके पास क्या क्या है।[९] आपकी डायरी के लिए यहाँ पर कुछ सुझाव हैं:

    • आपके कौशल
    • आपके प्रिय लक्षण
    • आपका घनिष्ठतम मित्र
    • आपका कुत्ता
    • आपका प्रिय भोजन
    • चीज़ें जिनसे आपको हंसी आ सकती है
    • स्मृतियाँ जो आपके चेहरे पर मुस्कान ला देती हैं
    • भविष्य में होने वाले वे आयोजन, जिनकी आपको प्रतीक्षा है
    • आपकी प्रिय वस्तुएँ जो आपके पास हैं
    • आपकी उपलब्धियां

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    किसी एक दिन केवल सकारात्मक चीजों पर ध्यान केन्द्रित करिए: यदि आप एक ईर्ष्यालु व्यक्ति हैं और स्वयं से ही मतलब रखते हैं, तब आपको इस तरकीब की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। परंतु, यदि ईर्ष्या आपके व्यक्तित्व पर पूरी तरह से हावी हो गई है और आप जितना चाहते हैं उससे कहीं अधिक नकारात्मक हो चुके हैं, तब एक पूरा दिन बिना शिकायत किए व्यतीत करने का प्रयास करिए। ऐसा नहीं है कि आप सदैव ही ऐसा कर पाएंगे - मगर एक दिन बिना शिकायत किए रहने से आपको पता चलेगा कि कितनी अधिक बार आप नकारात्मक कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलते हैं। यदि आप देखते हैं कि दिन के अधिकांश भाग में आप चुप ही रहते हैं, तब तो यह अनुभव स्वयं में ही बहुत कुछ कह देता है।

    • यदि आप ऐसी कोशिश करते है, तो "सभी" शिकायतें सीमा से बाहर हैं - यहाँ तक कि स्वयं के संबंध में शिकायतें भी। अपने को नीचा नहीं दिखाना है, स्वयं को किसी और की तुलना में कम नहीं आंकना है और न ही चाहना है कि काश चीज़ें कुछ फ़र्क होतीं।
    • शायद आपको एहसास होगा कि आपकी शिकायत करने की आदत से आपके आस पास वालों पर भी असर पड़ता है। जिसे ग्लास सदैव आधा खाली ही दिखता है उसके आस पास रहने में किसी को भी मज़ा नहीं आता है। मनोभाव बदलने के नतीजे के तौर पर सम्बन्धों मे सुधार भी संभव है।

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    एक सप्ताह के लिए नकारात्मक निवेशों से दूर रहिए: "नकारात्मक निवेश" का अर्थ है ऐसी हर चीज़ जो आपकी ईर्ष्या को बढ़ावा देती है और आपको वह सब चाहने के लिए प्रेरित करती है जो कि या तो आपके पास है नहीं या आप पा नहीं सकते हैं। वह जितना अधिक आपको सनकी बनाती है, वह आपके मानसिकता के लिए उतना ही घातक होता है, इसलिए एक सप्ताह तक उसके बिना रहने का प्रयास करके देखिये कि क्या आप बेहतर महसूस करते हैं। यह नकारात्मक निवेश के कुछ उदाहरण हैं:

    • विज्ञापन। जैसे कि, यदि आप लगातार उन कपड़ों के विज्ञापन देखते हैं जिन्हें आप खरीद नहीं सकते हैं, तो आपको उन सभी से ईर्ष्या होगी जो अच्छे कपड़े पहनते हैं। ये विज्ञापन आपकी ईर्ष्या को और भी भयानक बना रहे हैं। आपको, एक सप्ताह के लिए, शायद टी वी देखना बंद करना चाहिए और फ़ैशन पत्रिकाओं के स्थान पर कोई उपन्यास पढ़ना चाहिए।
    • सोशल मीडिया। यदि आपको "विनीत" शेखीबाजों को फेसबुक पर देख कर चिढ़ होती है, तब आप अकेले नहीं हैं। वास्तव में, अध्ययनों से पता चला है कि फेसबुक के उपयोग से ईर्ष्या में वृद्धि होती है।[१०] यदि आपको फेसबुक या दूसरे सोशल मीडिया पर अक्सर नज़रें गड़ाए रहने की आदत है, तो उसे कम से कम एक सप्ताह के लिए छोड़ दीजिये।

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    स्वयं को याद दिलाइये कि नियंत्रण आपका है: यदि आपको अक्सर लोगों के पास होने वाली चीजों से ईर्ष्या होती है तो स्वयं को याद दिलाइये कि आप भी उन चीजों को "ले सकते" हैं, मगर आपने उनको नहीं लेना "चुना" है। जैसे कि, आपको वास्तव में एक डिज़ाइनर पोशाक की चाह थी, आप क्रेडिट कार्ड से, साख के आधार पर, खूब सारा उधार ले सकती हैं मगर आप ऐसा नहीं करती हैं क्योंकि आप अपनी साख को मूल्यवान समझती हैं। यदि आप अपने लिए कोई प्रबुद्ध विकल्प चुन रही हैं (जैसे कि क्रेडिट कार्ड उधार से बचने का) तब आपको उन निर्णयों पर गर्व होना चाहिए।[११]

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    प्रतिदिन पाँच लोगों की प्रशंसा करिए: प्रयास करिए कि प्रतिदिन पाँच नए व्यक्ति हों, ताकि आप उन्हीं लोगों की बार बार प्रशंसा न करते रहें। प्रत्येक व्यक्ति की प्रशंसा ऐसी चीज़ के संबंध में करिए जिसकी आप वास्तव में सराहना करना चाहते हों - आसान राह मत चुनिये और किसी बहुत ही छिछली चीज़ की प्रशंसा मत कर बैठिए। समय निकाल कर, आप वास्तव में व्यक्ति की जो चीज़ पसंद करते हों, उसकी ज़ोरदार तारीफ करना, आपकी मनःस्थिति को सकारात्मक बने रहने में सहायता करेगा। आप को अपनी दूसरों से तुलना करने की चिंता भी नहीं रहेगी।

    • शोधों से पता चला है कि आप जिस व्यक्ति से ईर्ष्या करते हैं, उसकी प्रशंसा करने से आप लाभान्वित हो सकते हैं। वह तरीके ढूंढिए जिससे आप उस व्यक्ति की, जिससे आप ईर्ष्या करते हैं, के कठोर परिश्रम और आपकी दृष्टि में मूल्यवान गुणों की प्रशंसा कर सकें।[१२]

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    स्वेच्छा से अपनी सेवा समर्पित करिए: यदि आप, जो कुछ भी आपके पास नहीं है उसके विचारों से स्वयं को अलग नहीं कर पा रहे हैं, तब कुछ समय ऐसे लोगों की सेवा के लिए निकालिए, जिनके पास कुछ भी नहीं है। कभी कभी हम ऐसी मानसिक लीक में पड़ जाते हैं जिससे हमारे लिए यह समझना असंभव सा हो जाता है कि हम कितने सुखी हैं। अपने आप को वास्तविकता की एक ख़ुराक देने के लिए, एक दिन के लिए स्वेच्छा से अपनी सेवाएँ किसी वृद्धाश्रम, अस्पताल, पशु शरण गृह आदि में समर्पित करिए।[१३] बाद में अपने अनुभव पर चिंतन करिए। दूसरों की मदद करने से आप जान पाएंगे कि आप वास्तव में कितने समृद्ध हैं और विश्व को देने के लिए आपके पास कितनी सकारात्मक ऊर्जा है।

सलाह

  • भरसक अपनी तुलना दूसरों से करने की तीव्र इच्छा से बचिए। अपना ध्यान दूसरे व्यक्तियों की तरह बनने पर नहीं वरन, स्वयं को सुधारने पर केन्द्रित करिए।
  • आत्म निंदा के स्थान पर, स्वयं को सुधारने के लिए, ईर्ष्या को एक सुअवसर जैसा समझने का प्रयास करिए।

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ईर्ष्या से बचने का उपाय क्या है?

जलन और ईर्ष्याभाव से बचने 7 तरीके.
जलन और ईर्ष्‍या की भावना 1/8. जलन या ईर्ष्याभाव प्राकृतिक है। ... .
भावनाओं के प्रति सचेत होना 2/8. ... .
ईर्ष्या करने की बजाय उसे स्वीकारो 3/8. ... .
तुलना और प्रतिस्पर्धा के बीच फर्क समझें 4/8. ... .
दूसरों की मदद लें 5/8. ... .
अपनी खासियतें गिनें 6/8. ... .
चलो जाने भी दो 7/8. ... .
प्यार है उपचार 8/8..

मन में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न ही ना हो इसके लिए आप क्या क्या करेंगे कोई चार वाक्य लिखिए?

मन में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न ही ना हो, इसके लिए हमारा मन किसी विशेष लक्ष्य से पूर्ण होना चाहिए। जिसमें, किसी और क्षेत्र के बारे में सोचने या चर्चा करने के लिए फिज़ूल समय ना हो। ऐसी, स्थिति में हमारा मन केवल हमारे लक्ष्य पर केंद्रित होना चाहिए।

अपने मन से इच्छा का भाव निकालने के लिए क्या करना चाहिए?

अपने मन से ईर्ष्या का भाव निकालने के लिए हमें स्पर्धा का भाव लाकर अपने कर्त्तव्य में गति लाना चाहिए । मानसिक अनुशासन अपमे में लाकर . फालतु बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए तथा यह हमें पता लगाना चाहिए कि किस अभाव के कारण हममें ईर्ष्या का उदय हुआ । उसकी पूर्ति इस स्पर्धा से कर ईर्ष्या से दूर हो सकते हैं।

हमें दूसरों से ईर्ष्या क्यों नहीं करनी चाहिए?

ईर्ष्या एक ऐसा शब्द है जो मानव के खुद के जीवन को तो तहस-नहस करता है औरों के जीवन में भी खलबली मचाता है। यदि आप किसी को सुख या खुशी नहीं दे सकते तो कम से कम दूसरों के सुख और खुशी देखकर जलिए मत।