राजस्थान के किस जिले में रेल मार्ग नहीं है - raajasthaan ke kis jile mein rel maarg nahin hai

भारतीय रेल

भाप के ईजंन का आविष्कार जेम्स वाट(James Watt) ने किया।

रेलवे ईजंन का आविष्कार जार्ज स्टीवेशन(George Stephenson) ने किया।

विश्व में प्रथम आधुनिक ट्रेन(पहले डिब्बे पशुओं के द्वारा खिंचे जाते थे) ब्रिटेन में मेनचेस्टर(Manchester) से लीवरपुर(Liverpool) के मध्य 1826 में चलाई गई ।

राजस्थान के किस जिले में रेल मार्ग नहीं है - raajasthaan ke kis jile mein rel maarg nahin hai

भारत में रेलमार्गो का निर्माण 1850 में लाॅर्ड डलहौजी के कार्यकाल में आरम्भ हुआ।

भारत में पहली ट्रेन 1853 में बोरीबंदर(मुंबई) से थाणे(34 किमी.) के मध्य चलाई गई।

भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा व विश्व का दुसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।

रेलवे संघ सूची का विषय है।

1925 में एटंवर्थ कमेटी की सिफारिश पर रेल बजट को आम बजट से अलग किया गया।

विश्व का सबसे प्राचीन चालु ईंजन फेयरी क्वीन है।

राजस्थान के किस जिले में रेल मार्ग नहीं है - raajasthaan ke kis jile mein rel maarg nahin hai

भारतीय रेलवे के 50 साल बाद तक भी ट्रैन के डब्बो में शौचालय की व्यवस्था नहीं थी ।

भारतीय रेल के दो मुख्‍य खंड हैं . भाड़ा वाहन और सवारी। भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्‍व जुटाता है जबकि शेष सवारी यातायात से आता है।

भारतीय रेलवे के 17 क्षेत्र(जोन) 68 रेलमंडल(डिवीजन) है।

नागपुर जो की मध्य ,भारत में स्तिथ है , में डायमंड क्रासिंग है । यंहा से ट्रैन चारो दिशाओ में अर्थात पूर्व , पश्चिम , उत्तर और दक्षिण को और जाती है ।

ट्रैन से पंखो और अन्य विद्युत उपकरणों की चोरी को रोकने के लिए टरेन में विद्युत सप्लाई 110 वाल्ट पे की जाती है । क्यूंकि घरो में चलने वाले सभी विद्युत उपकरण 220 वाल्ट के होते हैं ।

राजस्थान में प्रथम ट्रेन आगरा फोर्ट से बंदीकुई के मध्य 1874 में चलाई गई।

राजस्थान में रेलवे के 2 जोन(उपरे, पमरे) व 5 मंडल(जयपुर,अजमेर, बीकानेर, जोधपुर, कोटा) है।

1 अक्टूबर 2002 को उत्तर पश्चिम रेलवे (उपरे) की स्थापना हुई। इसका मुख्यालय जयपुर है। इसके अन्तर्गत 4 मंडल - जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर आते हैं।

1 अप्रैल 2003 को पश्चिम मध्य रेलवे (पमरे) की स्थापना हुई। इसका मुख्यालय जबलपुर है। इसके अन्तर्गत राजस्थान का एक मंडल - कोटा आता है।

पश्चिमी क्षेत्रीय रेलवे प्रशिक्षण केन्द्र - उदयपुर

यह एशिया का सबसे बड़ा माॅडल कक्ष है।

रेलवे गति परिक्षण व प्रशिक्षण केन्द्र - बाड़मेर।

एशिया का मिटर गेज का सबसे बड़ा यार्ड - फुलेरा(जयपुर)।

राजस्थान में बांसवाड़ा में रेलमार्ग नहीं है।

राजस्थान में धौलपुर में नैरोगेज है।

राजस्थान में पहली रेलवे बस - मेड़ता सिटी में 1994 में चलाई।

स्वतंत्रता से पहले नीजी ट्रेन रखने वाली रियासतें - बीकानेर, जोधपुर।

मैट्रो का जनक/ मैट्रो मेन - ई. श्रीधरन।

1965 भारत - पाक युद्ध के दौरान उदयपुर के रेलचालक दुर्गाशंकर पालीवाल को राष्ट्रपति द्वारा वीरचक्र दिया गया।

रेलमार्ग की दृष्टि से राजस्थान का स्थान - 12 वां।

भवानी मंडी रेलवे स्टेशन राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच स्तिथ है ।

पहली वंदे भारत एक्‍सप्रेस इस साल फरवरी में दिल्‍ली और वाराणसी के बीच शुरू हुई थी।

दूसरी वंदे भारत एक्‍सप्रेस दिल्ली और कटरा के बीच शुरू हुई।

नई दिल्‍ली-लुधियाना इंटरसिटी एक्‍सप्रैस का नाम बदलकर सरबत दा भला रखा गया है।

लखनऊ-नई दिल्‍ली तेजस एक्‍सप्रैस देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन है।

पूरा खर्च केंद्र से करवाने की अपील
बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद कनकमल कटारा ने केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर कई वर्षों से बंद पड़ी डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना का समस्त खर्चा केन्द्र सरकार द्वारा वहन करने और रेल मार्ग के काम को तत्काल प्रभाव से फिर से शुरू करवाने का आग्रह किया है। सांसद कटारा ने कहा कि आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव माना रहा है तब पर इस महत्वाकांक्षी योजना को फिर से शुरू करने की घोषणा कर इस पिछड़े आदिवासी इलाके के लोगों के वर्षों पुराने सपने को पूरा किया जाना चाहिए।

कटारा ने रेल मंत्री से आग्रह किया कि जब राजस्थान सरकार इस रेल परियोजना के लिए अपनी आधी हिस्सा राशि देने से इंकार कर रही है ऐसे में केन्द्र सरकार को आगे बढ़कर इस अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के वंचित लोगों की सुविधा के लिए परियोजना का पूरा खर्च स्वयं वहन करने आगे आना चाहिए।

आदिवासी बाहुल्य मेरे संसदीय क्षेत्र बांसवाडा डूंगरपुर में रेल सुविधा हेतु क्षेत्र के लोगों द्वारा हमेशा उठाई जाने वाली मांगों को लेकर आज मा. केंद्रीय रेल मंत्री श्री @AshwiniVaishnaw जी से मुलाकात की।

रेल संबंधी मांगों को गंभीरता से सुनने के लिए मा. रेल मंत्री जी का आभार। pic.twitter.com/Lh73dPFyMA

— kanakmal Katara (@Kanakmalbjp) July 29, 2021

डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना, फैक्ट फ़ाइल-

- वर्ष 2010-11 के रेल बजट में हुई थी परियोजना की घोषणा, वर्ष 2017 तक किया जाना था पूरा
- केंद्र और राजस्थान सरकार की पचास-पचास प्रतिशत भागीदारी हुई थी सुनिश्चित
- राजस्थान सरकार ने शुरुआत में अपनी हिस्से की राशि दी, लेकिन बाद में भागीदारी से इंकार कर दिया
- परियोजना का कार्य कई वर्षों से बंद है, जबकि 192 किलोमीटर लम्बाई वाली इस परियोजना के लिए 175.56 हेक्टयर भूमि का अधिग्रहण सहित 185 करोड़ रु के काम कराए जा चुके है।
- परियोजना का काम रुकने से लागत व्यय वर्ष प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है
- शुरू में इसकी मूल अनुमानित लागत 2082.74 करोड़ रुपए थी, वर्ष 2016-17 में इसकी अनुमानित लागत 3450 करोड़ रुपए हुई, और अब इसकी अनुमानित लागत 4262 करोड़ रुपए आंकी जा रही है।

रेल परियोजना पूरी हुई, तो ये संभावित फायदे
डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना के तहत रेल लाइन बनने से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात का एक बड़ा आदिवासी अंचल एक ओर जहां दिल्ली मुम्बई रेल मार्ग स्थित रतलाम जंक्शन से जुड़ जायेगा, तो वहीं दूसरी और हिम्मतनगर अहमदाबाद के माध्यम से मुम्बई और पूरे दक्षिण भारत से भी जुड़ सकेगा। इससे बड़ी संख्या में रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में आने जाने वाले इस जनजाति इलाके के लोगों जिनमें व्यापार, उद्योग-धंधों, अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों,पर्यटन आदि के साथ साथ सामरिक दृष्टि से भी सुरक्षित रेल मार्ग विकसित हो सकेगा।

राजस्थान के कौन से जिले में रेल लाइन नहीं है?

राजस्थान के सुदूर दक्षिणी भाग में स्थित उदयपुर संभाग का बांसवाड़ा जिला आजादी के 75 वर्षों के बाद भी रेल सुविधाओं से वंचित है। नौबत ये है कि ज़िले के किसी भी कोने से रेल नहीं गुजरती।

कौन से जिले में रेलवे स्टेशन नहीं है?

भारत के 29 राज्यों में से, सिक्किम केवल एक रेलवे लाइन के बिना एक है राज्य में एक पंक्ति विकसित करने की कई योजनाएं हुई हैं। सेवोक से रेंजो तक की एक पंक्ति प्रगति पर है।

कौन राज्य रेल मार्ग से नहीं जुड़ा है?

सिक्किम एकमात्र पूर्वोत्तर राज्य है जो रेल नेटवर्क से जुड़ा नहीं है।

राजस्थान में सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन कौन सा है?

जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन - विकिपीडिया