राजा की बेटियां कहानी राजा जब खुश होता तो क्या करता है?राजा की बेटियां कहानी Show
एक राजा था उसकी आदत थी कि जब वो खुश होता तो , अपने दरबार में सबको बुलाया करता और उनसे सवाल पूछता। जिसका जवाब सही या राजा को पसंद आता उसको राजा मुंह मांगा इनाम देता । राजा ने जब अपनी बेटियों से सवाल पूछा तो क्या हुआ?राजा की चार बेटियां थीं एक दिन सभा में राजा ने अपनी बेटियों को भी बुलाया और उनसे सवाल पूछा । पहली बेटी से पूछा तुम किसका दिया खती हो , किसका दिया पहनती हो । पहली बेटी ने जवाब दिया , में आपका दिया खाती हूं और आपका दिया पहनती ही । राजा ने चारों बेटियों से यही सवाल पूछा तीनों ने एक सा जवाब दिया , लेकिन सबसे छोटी बेटी ने जवाब में कहा , में भगवान का दिया खाती ही और उन्ही का दिया पहनती हूं। जब छोटी राजकुमारी ने कहा कि उसे सब कुछ भगवान दिया तो राजा ने क्या किया?राजा को छोटी बेटी का जवाब पसंद नहीं आया तो उसने उसे सजा सुनाई। राजा ने छोटी बेटी को जंगल में छोड़ दिया और कहा तुम आज से मेरे लिए मर गई । छोटी बेटी ने इस सज़ा को भी अपनी किस्मत ही मानकर कोई ऐतराज नहीं किया और कोई शिकायत भी नहीं की। राजकुमारी कहां गई?छोटी बेटी जंगल में भटकने लगी और अंधेरा होने लगा चलते – चलते बहुत दूर तक चली गई तो आगे जाकर उसे एक छोटी सी झोपड़ी दिखी। उस झोपडी के पास एक बकरी बंधी हुई थी और अंदर एक बूढ़ी औरत थी छोटी राजकुमारी अंदर गई तो बूढ़ी औरत बहुत बीमार थी और खास भी रही थी । छोटी राजकुमारी ने उस बूढ़ी औरत की सेवा की ओर उसकी बकरी को भी घास खिलाती और दूध दुहती थोड़ा राजकुमारी पिती थोड़ा बूढ़ी औरत को देती और थोड़ा सोते समय बाहर दरवाजे पर रखती कि कोई भूका जानवर आय तो अपनी भूक मिटा ले। कौन आता है और क्या होता है?एक सांप आता और दूध पीता पीने के बाद वो सांप एक चमकता पत्थर छोड़ जाता। इसी तरह राजकुमारी रोज रात को दूध रखती और सांप रोज दूध पीने के बाद एक चमकीला पत्थर छोड़ता । अब राजकुमारी के पास बहुत सारे पत्थर हो गए थे तो राजकुमारी ने अपने लिए एक महल बनवाया और बहुत सी चीजें बनवाई जिससे और भी लोग आकर रहे ओर काम करके अपना घर चलाए। अब वो राजकुमारी इतनी मशहूर हो गई थी! उसके पिता तक ये खबर गई कि जंगल के बीचोंबीच एक राज्य बसा है! और वह की रानी बहुत अच्छी और दयालु है! राजा ने जब सुना कि जंगल में एक महल बसा है तो क्या हुआ?राजा को पता नहीं था कि जिस रानी की वो बड़ाई सुन रहा है वो उसकी छोटी बेटी है! उन राजा ने उस रानी से मिलने का पैगाम भेजा! रानी ने कहा ठीक है पर आप अपनी सभी बेटियों को लेके आना! राजा अपनी तीनों बेटियों के साथ रानी के महल पहुंचे! रानी ने बहुत सी अलग- अलग तरह के पकवान राजा और उनकी तीनों बेटियों के सामने पेश किया! वे राजा और उनकी बेटियों ने मेहमान नवाजी कि बहुत तारीफ की !अब राजा बोले कि खातिर दारी तो बहुत हुई पर अब जिससे मिलने आए हैं वो कब आएगी! उन्होंने एक दास से कहा अपनी रानी को बुलाओ हम उनसे मिलना चाहते है! दास अपनी रानी के पास गया और कहा, रानी जी मेहमान आपसे मिलना चाहते है! रानी आई और रानी को देख राजा एक दम दंग रह गए! और रानी से बोले , बेटी मैने तो सोचा कि तुम्हे अब तक जंगली जानवर कहा चुके होंगे और तुम मर चुकी होगी! रानी ने अपने पिता को सारी बात बताई कि कैसे उसने ये सब पाया! उसकी तीनों बहनों ने भी कहा कि काश हमने भी तुम्हारी तरह जवाब दिया होता! कि हम भगवान का दिया खाते है! अब राजा को भी ये बात समझ आई! कि कोई किसीको नहीं खिलाता और सभी अपने भाग्य का खाते है जो भगवान ने दिया है! राजा की बेटियां कहानीLatest funny viral English jokes – Redaam.in https://Bhooj.in एक राजा था । उसके चार बेटियाँ थीं । राजा ने सोचा कि इन चारों में से जो सबसे बुद्धिमती होगी, उसे ही अपना राजपाट सौंपेगा । इसका फैसला कैसे हो? वह सोचने लगा । अंत में उसे एक उपाय सूझ गया । उसने एक दि न चारों बेटियों को अपने पास बु लाया । सभी को गेहँू के सौ-सौ दाने दि ए और कहा, ‘‘इसे तुम अपने पास रखो, पाँच साल बाद मैं जब इन्हें माँगँूगा तब तु म सब मुझे वापस कर देना । ’’ गेहँू के दाने लेकर चारों बहनें अपने-अपने कमरे में लौट आईं । बड़ी बहन ने उन दानों को खिड़की के बाहर फेंक दिया । उसने सोचा, ‘आज से पाँच साल बाद पिता जी को गेहँू के इन दानों की याद रहेगी क्या ? और जो याद भी रहा तो क्या हुआ…, भंडार से लेकर दे दूँगी ।’ दूसरी बहन ने दानों को चाँदी की एक डि ब्बी में डालकर उसे मखमल के थैले में बंद करके सुरक्षा से अपनी संदूकची में डाल दिया । सोचा, ‘पाँच साल बाद जब पिता जी ये दाने माँगेंगे, तब उन्हें वापस कर दूँगी ।’ तीसरी बहन बस सोचती रही कि इसका क्या करूँ । चौथी और छोटी बहन तनिक बच्ची थी । शरारतें करना उसे बहुत पसंद था । उसे गेहँू के भुने दाने भी बहुत पसंद थे । उसने
दानों को भुनवाकर खा डाला और खेल में मग्न हो गई । पहले तो उसने भी अपनी दूसरी बहनों की तरह ही उन्हें सहेजकर रख देने की सोची, लेकि न वह ऐसा न कर सकी । दो-तीन दि नों तक वह सोचती रही, फिर उसने अपने कमरे की खिड़की के पीछेवाली जमीन में वे दाने बो दि ए । समय पर अंकुर फूटे । पौधे तैयार हुए, दाने नि कले । राजकुमारी ने तैयार फसल में से दाने नि काले और फि र से बो दिए । इस तरह पाँच वर्षों में उसके पास ढेर सारा गेहँू तैयार हो गया । पाँच साल बाद राजा ने फि र चारों बहनों को बु लाया और कहा- ‘‘आज से पाँच साल पहले मैंने तु म चारों को गेहँू के सौ-सौ दाने दिए थे और कहा था कि पाँच साल बाद मुझे वापस करना । कहाँ हैं वे दाने?’’ बड़ी राजकुमारी भंडार घर जाकर गेहँू के दाने ले आई और राजा को दे दिए । राजा ने पूछा, ‘‘क्या ये वही दाने हैं जो मैंने तुम्हें दिए थे ?’’ पहले तो राजकुमारीने ‘हाँ’ कह दिया । मगर राजा ने फिर कड़ककर पूछा, तब उसने सच्ची बात बता दी । दूसरी राजकुमारी अपनी संदूकची में से मखमल के खोलवाली डि ब्बी उठा लाई, जिसमें उसने गेहँू के दाने सहेजकर रखे थे । राजा ने उसे खोलकर देखा – दाने सड़ गए थे । तीसरी ने कहा – ‘‘मैं इसका उत्तर आपको अभी नहीं दँूगी, क्योंकि जवाब पाने के लिए आपको यहाँ से दूर जाना पड़ेगा और मैं वहाँ आपको कल ले चलँूगी ।’’ राजा ने अब चौथी और सबसे छोटी राजकुमारी से पूछा । उसने उसी बेपरवाही से जवाब दिया-‘‘उन दानों की कोई कीमत है पिता जी? वैसे तो ढेरों दाने भंडार में पड़े हैं । आप तो जानते हैं न, मुझे गेहँू के भुने दाने बहुत अच्छे लगते हैं, सो मैं उन्हें भुनवाकर खा गई । आप भी पिताजी, किन-किन चक्करों में पड़ जाते हैं।’’ सभी के उत्तर से राजा को बड़ी निराशा हुई । चारों में से अब उसे केवल तीसरी बेटी से ही थोड़ी उम्मीद थी । दूसरे दिन तीसरी राजकुमारी राजा के पास आई । उसने कहा- ‘‘चलिए पिता जी, आपको मैं दि खाऊँ कि गेहँू के वे दाने कहाँ हैं ?’’ राजा रथ पर सवार हो गया । रथ महल, नगर पार करके खेत की तरफ बढ़ चला । राजा ने पूछा, ‘‘आखिर कहाँ रख छोड़े हैं तु मने वे सौ दाने ? इन सौ दानों के लि ए तु म मुझे कहाँ-कहाँ के चक्कर लगवाओगी ?’’ तब तक रथ एक बड़े-से हरे-भरे खेत के सामने आकर रुक गया । राजा ने देखा – सामने बहुत बड़े खेत में गेहँू की फसल थी । उसकी बालियाँ हवा में झूम रही थीं, जैसे राजा को कोई खुशी भरा गीत सुना रही हों । राजा ने हैरानी से राजकुमारी की ओर देखा । राजकुमारी ने कहा- ‘‘पिता जी, ये हैं वे सौ दाने, जो आज लाखों-लाख दानों के रूप में आपके सामने हैं । मैंने उन सौ दानों को बोकर इतनी अधिक फसल तैयार की है ।’’ राजा ने उसे गले लगा लिया और कहा- ‘‘अब मैं निश्चिंत हो गया । तुम ही मेरे राज्य की सच्ची उत्तराधिकारी हो ।’’ (१) उत्तर लिखो ःगेहूँ के दानों का चारों बहनों ने किया- (२) उचित घटनाक्रम लगाकर वाक् फिर से लिखो ः
8th Std Hindi | Varis Kon (वारिस कौन?) with explanation And QA(३) सही विकल्प चुनकर वाक् फिर से लिखो ः
8th Std Hindi | Varis Kon (वारिस कौन?) with explanation And QA(4) परिणाम लिखो ः
उत्तर – सौ दानों को बोकर इतनी अधिक फसल तैयार की है ।
उत्तर – सभी के उत्तर से राजा को बड़ी निराशा हुई ।
उत्तर – दाने सड़ गए थे ।
उत्तर – तब उसने सच्ची बात बता दी । राजा ने चारों बेटियों को अपने पास बुलाया यह वाक्य कौन से काल का है ?)?Answer. Answer: vartaman kaal athva bhut kaal.
राजा ने पूछा क्या ये वही दाने हैं जो मैंने तुम्हें दिए थे?राजा ने पूछा, ''क्या ये वही दाने हैं जो मैंने तुम्हें दिए थे ?'' पहले तो राजकुमारीने 'हाँ' कह दिया । मगर राजा ने फिर कड़ककर पूछा, तब उसने सच्ची बात बता दी । दूसरी राजकुमारी अपनी संदूकची में से मखमल के खोलवाली डि ब्बी उठा लाई, जिसमें उसने गेहँू के दाने सहेजकर रखे थे ।
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