न्यायिक समीक्षा
चर्चा में क्यों?हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने सेंट्रल विस्टा परियोजना (Central Vista project) को ऐसी विशिष्ट परियोजना मानने से इनकार कर दिया जिसके लिये बृहत्तर या व्यापक न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता हो। Show
प्रमुख बिंदु:न्यायिक समीक्षा:
न्यायिक समीक्षा के प्रकार:
न्यायिक समीक्षा का महत्त्व:
न्यायिक समीक्षा से संबंधित मुद्दे:
न्यायिक समीक्षा संबंधी संवैधानिक प्रावधान
आगे की राह
न्यायिक समीक्षा का सिद्धान्त हमारे संविधान में कहाँ से लिया गया है?भारतीय संविधान का अनुच्छेद 13 न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्रदान करता है और इसे भाग III में मौलिक अधिकारों में भी एक महत्वपूर्ण अधिकार के रूप में वर्णित किया गया है।
न्यायिक समीक्षा से क्या आशय है?न्यायिक समीक्षा का अर्थ है:– एक कानून या आदेश की समीक्षा और वैधता निर्धारित करने के लिए न्यायपालिका की शक्ति को प्रर्दशित करना। दूसरी ओर, न्यायिक सक्रियता इस बात को संदर्भित करती है कि न्यायिक शक्ति का उपयोग मुखर और लागू होने से क्या इसका लाभ बडे पैमाने पर सामान्य लोगों और समाज को मिला पा रहा है कि नहीं।
न्यायिक समीक्षा के सिद्धांत का अर्थ और आधार क्या है?न्यायिक समीक्षा विधायी अधिनियमों तथा कार्यपालिका के आदेशों की संवैधानिकता की जाँच करने हेतु न्यायपालिका की शक्ति है जो केंद्र एवं राज्य सरकारों पर लागू होती है। विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया: इसका अर्थ है कि विधायिका या संबंधित निकाय द्वारा अधिनियमित कानून तभी मान्य होता है जब सही प्रक्रिया का पालन किया गया हो।
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