नाटक किसे कहते है? नाटक का क्या अर्थ हैं {natak kise kahate hain}नाटक "नट" शब्द से निर्मित है जिसका आशय हैं--- सात्त्विक भावों का अभिनय। Show नाटक की परिभाषा {natak ki paribhasha}बाबू गुलाबराय के अनुसार " नाटक मे जीवन की अनुकृति को शब्दगत संकेतों मे संकुचित करके उसको सजीव पात्रों द्वारा एक चलते-फिरते सप्राण रूप में अंकित किया जाता है। हिन्दी नाटक का विकास क्रम {natak ka vikas}1. भारतेन्दु युगीन नाटक 1850 से 1900 ई. वास्तव मे इस काल मे ऐतिहासिक नाटकों की धूम रही। जयशंकर
प्रसाद जी के अतिरिक्त हरिकृष्ण प्रेमी, गोविन्द, वल्लभ पंत, सेठ गोविन्ददास आदि ने ऐतिहासिक नाटक लिखे। नाटक के तत्वपश्चात्य विद्वानों के मतानुसार नाटक के प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं--- नाटक के अभिनय से आप क्या समझते हैं?जब प्रसिद्ध या कल्पित कथा के आधार पर नाट्यकार द्वारा रचित रूपक में निर्दिष्ट संवाद और क्रिया के अनुसार नाट्यप्रयोक्ता द्वारा सिखाए जाने पर या स्वयं नट अपनी वाणी, शारीरिक चेष्टा, भावभंगी, मुखमुद्रा वेशभूषा के द्वारा दर्शकों को, शब्दों को शब्दों के भावों का प्रिज्ञान और रस की अनुभूति कराते हैं तब उस संपूर्ण समन्वित ...
अभिनेता से क्या तात्पर्य है?अभिनेता वह पुरुष कलाकार है जो एक चलचित्र या नाटक में किसी चरित्र का अभिनय करता है। अभिनेता परिकल्पना एवं दर्शक के बीच माध्यम का काम करता है। जो दी गयी भूमिका को किसी मंच (चलचित्र, नाटक, रेडियो ) द्वारा दर्शक के लिए प्रस्तुत करता है। अभिनय की कला का ज्ञान एवं अभिनेता के भाव प्रस्तुतीकरण को सार्थक बनाता है।
क्या नाटक में अभिनय करने वाले लोग हैं?अभिनय का सम्बन्ध अभिनेता से है। नाट्यशास्त्र में अभिनेता शब्द उपलब्ध नहीं है। यह अपेक्षाकृत आधुनिक शब्द है। भरत ने इसके लिये दो शब्दों का प्रचुरता से प्रयोग किया है- भरत और नट ।
अभिनय विधि क्या है?अभिनय विधि:-
इसमें किसी घटना या पाठ्यवस्तु को जीवित रुप में प्रदर्शित करके छात्रों की सृजनात्मक शक्तियों का विकास किया जा सकता है और इससे छात्रों को स्व-क्रिया द्वारा शिक्षा प्राप्त करने के पर्याप्त अवसर भी मिलते हैं। यह विधि छात्रों में आत्मविश्वास तथा आत्माभिव्यंजन की शक्तियों का विकास करती है।
|