मकर संक्रांति का पूजा कैसे होता है? - makar sankraanti ka pooja kaise hota hai?

पटनाः Makar Sankranti Pooja Vidhi: मकर संक्रांति का पर्व बिहार सहित पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. आस्था का यह लोक पर्व समरसता और संस्कृति के साथ सरलता का प्रतीक है. इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होता है, जो नवीनता लेकर आता है. मकर संक्रांति के मौके पर विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. 2022 में Makar Sankranti 14 और 15 जनवरी को मनाई जा रही है. इसे पूजन और स्नान-दान की मकर संक्रांति कहा जा रहा है. 

व्रत और दान की संक्रांति
पूजन और व्रत की संक्रांति 14 जनवरी को है और, 15 जनवरी को दान-पुण्य की संक्रांति है. बिहार में इस दिन गंगा स्नान की परंपर है. इसके अलावा दिन की शुरुआत भी गंगा दर्शन से की जाती है. मान्यता है कि देवी गंगा ने इसी दिन कई पितरों को स्वर्ग का मार्ग दिखाया था. इसी के साथ देवताओं ने भी गंगा स्नान किया था. इसलिए बिहार में आज के दिन गंगा स्नान के लिए भीड़ उमड़ती है. 

इसके अलावा कैसे करें मकर संक्रांति का पूजन जानिए यहां.

मकर संक्रांति पूजन विधि
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के दिन प्रातः काल स्नान करें. मुमकिन तो तो गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करें. ऐसा मुमकिन न हो तो स्नान के पानी में ही गंगाजल डालकर उससे स्नान कर लें. भगवान विष्णु का पूजन करें. स्तोत्र का पाठ करें. फिर सूर्य भगवान को नमस्कार कर तिल सहित जल अर्पण करें. फिर शुद्ध घी, कंबल, तिल, गुड़, लड्डू, खिचड़ी, सहित भोजन का ज़रुरतमंदों को दान करें.

यह है शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी या तीर्थ किनारे किया गया दान सौ गुना फल दायक होता है. सूर्य की संक्रांति पर आने के 8 घटी या 16 घटी तक पुण्य दान करना चाहिए. इस साल भगवान भास्कर सूर्य देव दिन मे 2:28PM पर आ रहे हैं. अतः इस दिन पुण्य काल दान आदि 2:28 से 5:17 PM तक विशेष शुभ मुहूर्त है. इसी दिन यानी 14 जनवरी से सूर्य देव उत्तरायण मे प्रवेश करते हैं. अतः इस दिन से मांगलिक कार्यक्रम शादी विवाह या यज्ञोपवीत मुंडन एवम मंदिर निर्माण, प्राण-प्रतिष्ठा, आदि कार्यक्रम प्रारंभ हो जाते हैं.

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मकर संक्राति व्रत कैसे करें ये है पूरी पूजा विधि और पूजा के मंत्र

मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा की पूजा की जाती है। उनके लिए व्रत रखा जाता है और दिनभर श्रद्धा के अनुसार दान दिया जाता है। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होता है इसलिए इन सब चीजों का महत्व और बढ़ जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन तीर्थ या गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे करने वाले को मोक्ष भी मिलता है। इसके अलावा संक्रांति पर्व पर पितरों का ध्यान करना चाहिए और उनके निमित्त तर्पण जरूर करना चाहिए।

मकर संक्रांति पर पूजा करने के लिए भी एक विशेष मंत्र होता है।

  • मकर संक्रांति व्रत और पूजा की विधि -

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के पानी में तिल मिलाकर नहाएं। 

इसके बाद लाल कपड़े पहनें और दाहिने हाथ में जल लेकर पूरे दिन बिना नमक खाए व्रत करने का संकल्प लें।

इसके बाद व्रत के साथ दिन में श्रद्धा और आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करने का भी संकल्प लें।

फिर सूर्य देव को तांबे के लोटे में शुद्ध जल चढ़ाएं। इस जल में लाल फूल, लाल चंदन, तिल और थोड़ा-सा गुड़ मिलाएं। 

सूर्य को जल चढ़ाते हुए तांबे के बर्तन में जल गिराए। तांबे के बर्तन में इकट्ठा किया जल मदार के पौधे में डाल दें।

  • जल चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें - 
  • ऊं घृणि सूर्यआदित्याय नम:   
     

इसके बाद नीचे दिए मंत्रों से सूर्य देव की स्तुति करें और सूर्य देवता को नमस्कार करें - 

  • ऊं सूर्याय नम:
  • ऊं आदित्याय नम:
  • ऊं सप्तार्चिषे नम:
  • ऊं सवित्रे नम: ,  
  • ऊं मार्तण्डाय नम: , 
  • ऊं विष्णवे नम:
  • ऊं भास्कराय नम:
  • ऊं भानवे नम:
  • ऊं मरिचये नम:

इस बार सूर्य 14 जनवरी की रात्रि में मकर में प्रवेश करेगा इस मान से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होने लगता है इसलिए इसे उत्तरायण का पर्व भी कहते हैं। मकर संक्रांति सूर्य पूजा, ऋतु परिवर्तन और फसल का त्योहार है। आओ जानते हैं कि इस दिन कैसे करें पूजा, कैसे रखें व्रत और जानिए पूजा के शुभ मंत्र एवं मुहूर्त।

मकर संक्रांति के दिन कैसे करें व्रत :- मकर संक्रांति के दिन जब तक पूजा करने के बाद गाय और गरीबों को दान नहीं दिया जाता तब तक व्रत रखना चाहिए। इस दिन पूजा के बाद तिल और गुड़ की मिठाइयां बांटते हैं।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त :-

- दिल्ली टाइम के अनुसार सुबह 7:15 पर सूर्योदय होगा और शाम 5:46 पर सूर्यास्त होगा।

- अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:09 से प्रारंभ होकर 12:52 तक रहेगा।

- विजय मुहूर्त दोपहर 02:16 से प्रारंभ होकर 02:58 तक रहेगा।

- गोधूलि मुहूर्त 05:43 से प्रारंभ होकर 06:10 तक रहेगा।

मकर संक्रांति की पूजा कैसे करें : मकर संक्रांति पर सूर्यदेव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इसलिए इस दिन दोनों की पूजा होती है। शनि महाराज की काले तिल और सरसों के तेल से पूजा करते हैं और सूर्यदेव को अर्घ्‍य देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्रीकृष्‍ण की पूजा का भी विधान है। तिल और जल से उनकी पूजा करते हैं।

स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने आराध्य देव की आराधना करें। श्रीहरि विष्णु, लक्ष्मी, श्रीकृष्ण या सूर्यदेव के चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। मूर्ति है तो स्नान कराएं। अब चित्र के समक्ष धूप, दीप लगाएं। फिर सूर्यदेव के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल आदि लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। षोडष तरीके से पूजा करने के बाद आरती करें और पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। सूर्यदेव को मकर संक्रांति पर खिचड़ी, गुड़ और तिल का भोग लगाएं। अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।

मकर संक्रांति का पूजा कैसे होता है? - makar sankraanti ka pooja kaise hota hai?

मकर संक्रांति पर पूजा का शुभ मंत्र:-

1.ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

सूर्य को अर्घ्‍य देना | Surya ko arghya dena ke fayde : मकर संक्रांति को सूर्य को अर्घ्‍य देने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल चंदन, रोली, लाल कनेर के पुष्प, अक्षत और गुड़ डालकर अर्घ्य देने से सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा कार्य करने के प्रति आत्मविश्वास जागृत होता है। सूर्य पिता का कारक है और जिस तरह पिता के होने से व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है उसी तरह सूर्य की शीतल रश्मियां जल के साथ जब ह्रदयस्थल पर पड़ती है तो दिल मजबूत होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह हर तरह की सेहत प्रदान करता है।

अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें-

'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।

अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार)

' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय।

मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार)

तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें। अपने स्थान पर ही तीन बार घुम कर परिक्रमा करें। आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।

मकर संक्रांति पर घर पर पूजा कैसे करें?

ऐसे करें घर पर मकर संकांति पूजा भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवान को तिल, गुड़, नमक, हल्दी, फूल, पीले फूल, हल्दी, चावल भेट करें। घी का दीप जलाएं और पूजन करें। इसके बाद सूर्यदेव को जल में गुड़ तिल मिलाकर अर्घ्य दें। पीपल को जल दें, जल में काले तिल, गुड़ जरूर डालें।

मकर संक्रांति वाले दिन क्या करना चाहिए?

मकर संक्रांति को प्रमुख तौर पर खिचड़ी का पर्व माना जाता है और इस दिन खिचड़ी का दान करने का विशेष महत्‍व भी माना गया है। इस दिन चावल और उड़द की काली दाल का दान खिचड़ी के रूप में किया जाता है। उड़द का संबंध शनि देव से माना जाता है और इसका दान करने से शनि दोष दूर होते हैं। वहीं चावल को अक्षय अनाज माना जाता है।

मकर संक्रांति में क्या नहीं करना चाहिए?

मकर संक्रांति के दिन ये कार्य न करें (Makar sankranti ke din ye kaam na karen):.
पुण्यकाल में दंत मंजन करना।.
अपशब्द या कटु वचन बोलना।.
फसल या वृक्ष काटना।.
सहवास करना।.
गाय या भैंस का दूध निकालना।.
तामसिक भोजन करना। ... .
शराब, सिगरेट, गुटका या किसी भी प्रकार का नशा करना।.
काले कपड़े पहनना।.

मकर संक्रांति में लोग क्या करते हैं?

इस दिन सूर्य की पूजा के बाद पंतगबाजी का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को उत्तर प्रदेश में खिचड़ी पर्व कहते हैं। इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान को सर्वोत्तम माना गया है। सुबह गंगा में स्नान कर लोग सूर्य को अर्घ्य देते हैं और दान-पुण्य करते हैं