महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

कबड्डी

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

विवरण 'कबड्डी' भारत की गलियों, मोहल्लों तथा गाँवों में सर्वाधिक खेला जाने वाला युवाओं का खेल है। भारत के साथ ही पड़ोसी देशों में भी कबड्डी बड़े पैमाने पर खेली जाती है।
उपनाम 'हु-तू-तू' (पश्चिमी भारत), 'चेडु-गुडु' (दक्षिण भारत), 'हा-दो -दो' (बांग्लादेश), 'गुड्डु' (श्रीलंका) तथा 'थीचुब' (थाईलैंण्ड)।
दल के सदस्य प्रत्येक पक्ष में खिलाड़ियों की संख्या बारह रहती है। एक साथ मैदान में सात खिलाड़ी उतरते हैं।
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन 1936 (बर्लिन ओलिंपिक)
मैदान का आकार पुरुषों के लिए- 121/2 मी. X 10 मी.; स्त्रियों के लिए- 11 मी. X 8 मी.
अन्य जानकारी किसी कारणवश मैच न होने की दशा में मैच पुन: खेला जाएगा। दोबारा किसी और दिन खेले जाने वाले मैच में दूसरे खिलाड़ी बदले भी जा सकते हैं। परंतु यदि मैच उसी दिन खेला जाए तो उसमें वही खिलाड़ी खेलेंगे जो पहले खेले थे।

कबड्डी (अंग्रेज़ी:Kabaddi) एक सामूहिक खेल है, जो प्रमुख रूप से भारत में खेला जाता है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण भारत में चेडु-गुडु और पूरब में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। भारत के साथ पड़ोसी देशों में भी कबड्डी बड़े पैमाने पर खेली जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में इसके अलग-अलग नाम हैं। पश्चिमी भारत में हु-तू-तू, पूर्वी भारत और बांग्लादेश में हा-दो -दो; दक्षिण भारत में चेडु-गुडु; श्रीलंका में गुड्डु और थाईलैंण्ड में थीचुब। यद्यपि यह खेल थोड़ी भिन्नता के साथ खेला जाता है, पर शत्रु क्षेत्र में आक्रमण का मूलतंत्र सभी में समान रहता है। इस खेल में एक खिलाड़ी विरोधी दल के पाले (क्षेत्र) में 'कबड्डी,कबड्डी' या 'हु-तू-तू' दोहराया जाता है, विरोधी दल के खिलाड़ियों को छूने के प्रयास में तेज़ी से घूमता है और वापस अपने पाले (क्षेत्र) में आ जाता है; यह सभी एक ही सांस में और विरोधियों की गिरफ़्त से बचकर होना चाहिए।

इतिहास

यद्यपि कोई औपचारिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, पर इस खेल का उद्भव प्रागैतिहासिक काल से माना जा सकता है, जब मनुष्य में आत्मरक्षा या शिकार के लिए प्रतिवर्ती क्रियाएँ विकसित हुईं। इस बात का उल्लेख एक ताम्रपत्र में है कि भगवान कृष्ण और उनके साथियों द्वारा कबड्डी से मिलता-जुलता एक खेल खेला जाता था। महाभारत में कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान एक रोचक प्रसंग में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु, को शत्रु के चक्रव्यूह को भेदने के लिए कहा गया। प्रत्येक चक्र कौरवों सात युद्ध वीरों से सुसज्जित था। यद्यपि अभिमन्यु व्यूह को भेदने में सफल हो गए, मगर वह बाहर आने में असमर्थ रहे। ऋषि-मुनियों द्वारा चलाए जा रहे गुरुकुलों में भी कबड्डी खेली जाती थी, जहाँ शिष्य शारीरिक व्यायाम के लिए इसे खेलते थे। [1]

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

पहली प्रतियोगिता

20वीं सदी के पहले दो दशकों में महाराष्ट्र के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने कबड्डी के खेल को औपचारिकता व लोकप्रियता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1918 में कुछ सामान्य नियम बनाए गए और कुछ प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। लेकिन कबड्डी के नियमों के औपचारिक गठन और प्रकाशन का ऐतिहासिक क़दम सन् 1923 में भारतीय ओलिंपिक संघ के तत्वावधान में उठाया गया। इस स्वदेशी खेल का पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन एक खेल संगठन, हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल ने 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में किया। में पहली प्रतियोगिता कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के टाला बगीचे में आयोजित की गई। 1950 में भारतीय कबड्डी महासंघ की स्थापना हुई। पुरुषों के लिए पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता 1952 में मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में आयोजित की गई, जबकि महिलाओं की पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता 1955 में कलकत्ता में हुई।

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

लगभग 1938 1972 ग़ैर व्यावसायिक कबड्डी संघ (एमेच्योर कबड्डी फ़ेडरेशन) की स्थापना हुई और प्रतिप्रयोगिताएँ शुरू की गईं। 1974 में भारतीय दल ने खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए बांग्लादेश का दौरा किया। 1978 में बांग्लादेश के दल ने भारत के विरुद्ध टेस्ट श्रृंखला खेलने के लिए यहाँ का दौरा किया। दक्षिण एशिया क्षेत्र में इस खेल के विकास का महत्त्वपूर्ण मोड़ था, एशियाई ग़ैर व्यावसायिक कबड्डी संघ (एशियन एमेच्योर कबड्डी फ़ेडरेशन) की स्थापना। पहली एशियाई कबड्डी प्रतियोगिता 1980 में कलकत्ता में आयोजित की गई। 1982 में नई दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में कबड्डी का प्रदर्शन किया गया। 1985 से इसे दक्षिण एशियाई संघीय खेलों में शामिल कर लिया गया। 1990 में बीजिंग में हुए एशियाई खेलों में कबड्डी ने एक प्रतियोगी खेल के रूप में पदार्पण किया।

खेल का मैदान

खेल का मैदान समतल तथा नर्म होता है। यह मिट्टी, खाद या बुरादे का होता है। पुरुषों के लिए मैदान का आकार 121/2 मी X 10 मी होता है। केन्द्रीय रेखा इसे दो समान भागों में बाँटती है। प्रत्येक भाग 10 मी X 61/4 मी. होता है। स्त्रियों तथा जूनियर्स के लिए मैदान का नाप 11 मी. X 8 मी. होता है। मैदान के दोनों ओर एक मीटर चौड़ी पट्टी होगी जिसे लॉबी कहते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में केन्द्रीय रेखा से तीन मीटर दूर उसके समानांतर मैदान की पूरी चौड़ाई के बराबर रेखाएं खीची जाती है। इन रेखाओं को बॉक रेखाएं कहते हैं। केन्द्रीय रेखा स्पष्ट रुप से अंकित की जानी चाहिए। केन्द्रीय रेखा तथा अन्य रेखाओं की अधिकतम चौड़ाई 5 सैंटीमीटर या 2" होनी चाहिए। साइड रेखा और अंत रेखा के बाहर की ओर 4 मीटर स्थान खुला छोड़ना आवश्यक है। बैठने का ब्लॉक अंत रेखा से दो मीटर दूर होता है। पुरुषों के लिए बैठने का ब्लॉक अंत रेखा से जूनियर्स के लिए 2 मीटर X 6 मीटर होता है।

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

सामान तथा पोशाक

खिलाड़ी की पोशाक, बनियान और निक्कर होती है। इसके नीचे जांघिया या लंगोट होता है। खिलाड़ी कपड़े के जूते तथा जुराब पहन सकते है तथा बनियान भी पहन सकते हैं। बनियान के आगे पीछे नम्बर लिखा हुआ होना चाहिए। बैल्ट सेफ्टी पिन और अंगूठियों की आज्ञा नहीं है तथा नाख़ून कटे होने चाहिए।

खेल के नियम

स्मरणीय तथ्य

पुरुषों के लिए कबड्डी के मैदान का आकार 121/2 मी. X 10 मी.
महिलाओं तथा जूनियर्स के लिए मैदान का आकार 11 मी. X 8 मी.
छोटे लड़कों और लड़कियों के लिए मैदान का आकार 91/2 मी. X 61/2 मी.
प्रकोष्ठ की चौड़ाई 1 मी.
बाक रेखाओं से केन्द्रीय रेखा की दूरी 31/4 मी.
केन्द्रीय रेखा तथा अन्य रेखाओं की चौड़ाई 5 सैंटीमीटर
पुरुषों के लिए बैठने के ब्लॉक का आकार 1 मी. X 8 मी.
महिलाओं व जूनियर्स के लिए बैठने के ब्लॉक का आकार 1 मी. X 6 मी.
प्रत्येक टीम में खिलाड़ियों की संख्या (बाहर) 12 (बारह)
मैच में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की संख्या 7 (सात)
पुरुषों के लिए मैच का समय 20-20 मिनट की दो पारी
स्त्रियों और जूनियर्स के लिए मैच का समय 15-15 मिनट की दो पारी
मध्यांतर का समय 5 मिनट

  • टॉस जीतने वाली टीम या तो अपनी पसन्द का क्षेत्र ले सकती है या पहले आक्रमण करने का अवसर प्राप्त कर सकती है। मध्यान्तर के पश्चात् क्षेत्र या कोर्ट बदल लिए जाते हैं।
  • खेल के दौरान मैदान से बाहर जाने वाला खिलाड़ी आउट हो जाएगा।
  • खिलाड़ी आऊट हो जाता है-
  1. यदि किसी खिलाड़ी के शरीर का कोई भी भाग मैदान की सीमा के बाहर के भाग को स्पर्श कर ले।
  2. संघर्ष करते समय खिलाड़ी आउट नहीं होगा यदि उसके शरीर का कोई अंग या तो सीधे मैदान को छुए या उस खिलाड़ी को छुए जो सीमा के अन्दर है ।
  • संघर्ष आरम्भ होने पर लॉबी का क्षेत्र भी मैदान में सम्मिलित माना जाता है। संघर्ष की समाप्ति पर वे खिलाड़ी जो संघर्ष में सम्मिलित थे, लॉबी से होते हुए अपने क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं।
  • आक्रमण खिलाड़ी 'कबड्डी' शब्द का लगातार उच्चारण करता रहेगा। यदि वह ऐसा नहीं करता तो अम्पायर उसे अपने क्षेत्र में वापिस जाने का और विपक्षी खिलाड़ी को आक्रमण करने का आदेश दे सकता है। इस स्थिति में उस खिलाड़ी का पीछा नहीं किया जाएगा।
  • आक्रमण खिलाड़ी 'कबड्डी' शब्द बोलते हुए विपक्षी कोर्ट में प्रविष्ट होना चाहिए। यदि वह विपक्षी के कोर्ट में प्रविष्ट होने के पश्चात् कबड्डी शब्द का उच्चारण करता है तो अम्पायर उसे वापिस भेज देगा और विपक्षी खिलाड़ी को आक्रमण का अवसर दिया जाएगा। इस स्थिति में आक्रामक खिलाड़ी का पीछा नहीं किया जाएगा।
  • खेल के अंत तक प्रत्येक पक्ष अपने आक्रामक बारी-बारी से भेजता रहेगा।
  • यदि विपक्षियों द्वारा पकड़ा हुआ कोई आक्रामक उन से बच कर अपने कोर्ट में सुरक्षित पहुँच जाता है तो उसका पीछा नहीं किया जाएगा।
  • एक बारी में केवल एक ही आक्रामक विपक्षी कोर्ट में जाएगा। यदि एक साथ एक से अधिक आक्रामक विपक्षी कोर्ट में जाते है तो निर्णायक या अम्पायर उन्हें वापस जाने का आदेश देगा और उनकी बारी समाप्त कर दी जाएगी। इन आक्रामकों द्वारा छुए गए विपक्षी आउट माने जाएंगे। विपक्षी इन आक्रामकों का पीछा नहीं करेंगे।
  • जो भी पक्ष एक समय में एक से अधिक खिलाड़ी विपक्षी कोर्ट में भेजता है उसे चेतावनी दी जाएगी। यदि चेतावनी देने के पश्चात् भी वह ऐसा करता है तो पहले आक्रामक के अतिरिक्त शेष सभी को आउट किया जाएगा।
  • यदि कोई आक्रामक विपक्षी कोर्ट में सांस तोड़ देता है तो उसे आउट माना जाएगा।
  • किसी आक्रामक के पकड़े जाने पर विपक्षी खिलाड़ी जानबूझ कर उसका मुँह बन्द करके सांस रोकने या चोट लगने वाले ढंग से पकड़ने कैंची या अनुचित साधनों का प्रयोग नहीं करेंगे। ऐसा किए जाने पर अम्पायर उस आक्रामक को अपने क्षेत्र में सुरक्षित लौटा हुआ घोषित करेगा।
  • कोई भी आक्रामक या विपक्षी एक दूसरे को सीमा से बाहर धक्का नहीं मारेगा। जो पहले धक्का देगा उसे आउट घोषित किया जाएगा। यदि धक्का मार कर आक्रामक को सीमा से बाहर निकाला जाता है तो उसे अपने कोर्ट में सुरक्षित लौटा हुआ घोषित किया जाएगा।
  • जब तक आक्रामक विपक्षी कोर्ट में रहेगा तब तक कोई भी विपक्षी खिलाड़ी केन्द्रीय रेखा से पार आक्रामक के अंग को शरीर के किसी भाग से नहीं छूएगा। यदि वह ऐसा करता है तो उसे आउट घोषित किया जाएगा।

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

कबड्डी में विपक्षी खिलाड़ी संघर्ष करते हुए

  • यदि कोई आक्रामक बिना अपनी बारी के जाता है तो अम्पायर उसे वापिस लौटने का आदेश देगा। यदि बार-बार ऐसा करता है तो उसके पक्ष को एक बार चेतावनी देने के पश्चात् विपक्षियों को एक अंक दे दिया जाएगा।
  • नये नियमों के अनुसार बाहर से पकड़ कर पानी पीना फाऊल नहीं है।
  • जब एक दल विपक्षी दल के सभी खिलाड़ियों को निष्कासित करने में सफल हो जाए तो उन्हें 'लोना' मिलता है। 'लोना' के दो अंक अतिरिक्त होते हैं। उसके पश्चात् खेल पुन: शुरू होगा।
  • आक्रामक को यदि अपने पक्ष के खिलाड़ी द्वारा विपक्षी के प्रति चेतावनी दी जाती है तो उसके विरुद्ध 1 अंक दिया जाएगा।
  • किसी भी आक्रामक या विपक्षी को कमर या हाथ पांव के अतिरिक्त शरीर के किसी भाग से नहीं पकड़ सकता। इस नियम का उल्लंघन करने वाला आउट घोषित किया जाएगा।
  • खेल के दौरान यदि एक या दो खिलाड़ी रह जाएं तथा विरोधी दल का कप्तान अपनी टीम को खेल में लाने के लिए उन्हें आऊट घोषित कर दे तो विपक्षियों को घोषणा से पहले शेष खिलाड़ियों की संख्या के बराबर अंकों के अतिरिक्त 'लोना' के दो अंक और प्राप्त होंगे।
  • विपक्षी के आउट होने पर आउट खिलाड़ी उसी क्रम में जीवित किया जाएगा जिसमें वह आउट हुआ है।
  • खिलाड़ियों के साथ भी मैच आरम्भ किया जा सकता है परंतु जब 5 खिलाड़ी आउट हो जाएं तो हम पूरा 'लोना' अर्थात् 5+2 (खिलाड़ियों 1-5 अंक और 2 अंक लोने के) अंक देते हैं। जब खिलाड़ी आ जाएं तो वे टीम में डाले जा सकते हैं।

मैच के नियम

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

रात्रि में कबड्डी मैच का एक दृश्य, मुंबई

  • प्रत्येक पक्ष में खिलाड़ियों की संख्या बारह होगी। एक साथ मैदान में सात खिलाड़ी उतरेंगे।
  • खेल की अवधि पुरुषों के लिए 20 मिनट तथा स्त्रियों व जूनियरों के लिए 15 मिनट की दो अवधियाँ होगी। इन दोनों अवधियों के बीच 5 मिनट का मध्यांतर होगा।
  • प्रत्येक आउट होने वाले विपक्षी के लिए दूसरे पक्ष को एक अंक मिलेगा। 'लोना' प्राप्त करने वाले पक्ष को दो अंक मिलेंगें।
  • खेल की समाप्ति पर सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाले पक्ष को विजयी घोषित किया जाता है।
  • (i) ग्रन्थि होने पर पाँच-पाँच मिनट की दो अतिरिक्त अवधियों के लिए खेल होगा। इन अवधियों में खेल दूसरे अर्द्धक के अंत वाले खिलाड़ी जारी रखेंगे।

(ii) यदि 50 मिनट के खेल के पश्चात् टाई हो तो वह टीम जीतेगी जिसने पहले अंक प्राप्त किया हो।

  • लोना

जब एक टीम के सारे खिलाड़ी आउट हो जाएं तो विरोधी टीम को 2 अंक अधिक मिलते हैं। उसको हम लोना कहते हैं। प्रतियोगिता निम्नलिखित दो प्रकार के होती हैं।

  1. नाक आउट- इसमें जो टीम हार जाती है, वह टीम प्रतियोगिता से बाहर हो जाती है।
  2. लीग- इसमें यदि कोई टीम हार जाती है, वह टीम बाहर नहीं होगी। उसे अपने ग्रुप के सारे मैच खेलने पड़ते हैं। जो टीम मैच जीतती है उसे दो अंक दिये जाते हैं। मैच बराबर होने पर दोनों टीमों को एक एक अंक दिया जाएगा। हारने वाली टीम को शून्य अंक मिलेगा। यदि दोनों टीमों का मैच बराबर रहता है और अतिरिक्त समय भी दिया जाता है या जिस टीम ने खेल आरम्भ होने से पहले अंक लिया होगा वह विजेता घोषित की जाएगी। यदि दोनों टीमों का स्कोर शून्य है तो जिस टीम ने टॉस जीता हो वह विजेता घोषित की जाएगी।
  • किसी कारणवश मैच न होने की दशा में मैच पुन: खेला जाएगा। दोबारा किसी और दिन खेल जाने वाले मैच में दूसरे खिलाड़ी बदले भी जा सकते हैं। परंतु यदि मैच उसी दिन खेला जाए तो उसमें वही खिलाड़ी खेलेंगे जो पहले खेले थे।

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

कबड्डी का आनन्द लेते ग्रामीण

  • यदि किसी खिलाड़ी को चोट लग जाए तो उस पक्ष का कप्तान 'समय आराम' पुकारेगा, परंतु समय आराम की अवधि दो मिनट से अधिक नहीं होगी तथा चोट लगने वाला खिलाड़ी बदला जा सकता है। खेल की दूसरी पारी शुरू होने से पहले दो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं। खेल शुरू होने के समय एक दो से या कम से कम खिलाड़ियों से भी खेल शुरू हो सकता है। जो खिलाड़ी खेल शुरू होने के समय उपस्थित नहीं होते खेल के दौरान किसी भी समय मिल सकते हैं। रैफरी को सूचित करना ज़रुरी है। यदि चोट गम्भीर हो तो उसकी जगह दूसरा खिलाड़ी खेल सकता है।
  • किसी भी टीम में पाँच खिलाड़ियों से कम होने की दशा में शुरू किया जा सकता है, परंतु-
  1. टीम के सभी खिलाड़ी आउट होने पर अनुपस्थित खिलाड़ी भी आउट हो जाएंगे और विपक्षी टीम को 'लोना' दिया जाएंगा।
  2. यदि अनुपस्थित खिलाड़ी आ जाएं तो वे रैफरी की आज्ञा से खेल में भाग ले सकते हैं।
  3. अनुपस्थित खिलाड़ी के स्थानापन्न कभी भी लिए जा सकते हैं। परंतु जब वे इस प्रकार लिए जाते हैं तो मैच के अंत तक किसी भी खिलाड़ी को बदला नहीं जा सकता।
  4. मैच पुन: खेले जाने पर किसी भी खिलाड़ी को बदला नहीं जा सकता।
  • खेल के दौरान कप्तान या नेता के अतिरिक्त कोई भी खिलाड़ी अनुदेश न देगा। कप्तान अपने अर्द्धक में ही अनुदेश दे सकता है।
  • यदि खिलाड़ी कबड्डी शब्द का उच्चारण ठीक प्रकार से नहीं करता तथा रैफरी द्वारा एक बार चेतावनी दिए जाने पर वह बार-बार ऐसा करता है तो दूसरी टीम को एक प्वाइंट दे दिया जाएगा परंतु वह खिलाड़ी बैठेगा नहीं।
  • यदि कोई खिलाड़ी आक्रमण करने जा रहा है और उस टीम का कोच या अधिकारी ऐसा करता है तो रैफरी दूसरी टीम को विरुद्ध एक प्वाइंट अंक दे देगा।

अधिकारी और निर्णायक

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

  • रैफरी- एक
  • अम्पायर- दो
  • रेखा निरीक्षक- दो
  • स्कोरर- एक

अधिकारी के अधिकार

  • आम तौर पर निर्णायक का निर्णय अंतिम होगा। विशेष दशाओं में रैफरी इसे बदल भी सकता है भले ही दोनों अम्पायरों में मतभेद हो।
  • निर्णेता किसी भी खिलाड़ी को त्रुटि करने पर चेतावनी दे सकता है, उसके विरुद्ध अंक दे सकता है या मैच के लिए अयोग्य घोषित कर सकता है ये त्रुटियाँ इस प्रकार की हो सकती हैं।
  • निर्णय के बारे में अधिकारियों को बार-बार कहना-
  1. अधिकारियों को अपमानजनक शब्द कहना,
  2. अधिकारियों के प्रतिअभद्र व्यवहार करना या उनके निर्णय को प्रभावित करने के लिए प्रक्रिया,
  3. विपक्षी को अपमानजनक बातें कहना।

त्रुटियाँ

  • आक्रामक का मुँह बन्द करके या गला दबा कर उसकी सांस तोड़ने की कोशिश करना।
  • हिंसात्मक ढंग का प्रयोग।
  • कैंची मार कर आक्रामक को पकड़ना।
  • आक्रामक भेजने में पाँच सैकिंड से अधिक समय लगाना।
  • मैदान के बारे खिलाड़ी या कोच द्वारा कोचिंग देना। इस नियम के उल्लंघन पर अम्पायर अंक दे सकता है।
  • जान-बूझ कर बालों से या कपड़े से पकड़ना फाऊल है।
  • जान-बूझ कर आक्रामक को धक्का देना फाऊल है।

समाचार

22 अक्टूबर, 2016

भारत ने कबड्डी विश्व कप जीता

महाराष्ट्र में कबड्डी किस अन्य नाम से जानी जाती है? - mahaaraashtr mein kabaddee kis any naam se jaanee jaatee hai?

विश्व विजेता भारतीय कबड्डी टीम

अहमदाबाद के द एरेना बाय ट्रांसस्टेरिडया में खेले गए कबड्डी विश्वकप के फाइनल में शनिवार 22 अक्टूबर, 2016 को मेजबान भारत ने ईरान को नौ अंकों के अंतर से हराकर खिताब पर क़ब्ज़ा जमाया। मौजूदा चैम्पियन भारत ने ईरान को 38-29 से मात देते हुए लगातार तीसरी बार खिताब अपने नाम किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीम इंडिया को जीत पर बधाई दी। भारत की जीत के हीरो दिग्गज रेडर अजय ठाकुर रहे। अजय ने पहले हाफ तक पीछे चल रही भारत को लगातार सफल रेड डालते हुए न सिर्फ बराबरी दिलाई, बल्कि अहम समय पर भारत को मजबूत किया। उन्होंने कुल 12 अंक हासिल किए। एक समय ईरान ने अपने मज़बूत डिफेंस और ज़ोरदार हमले के दम पर मध्यांतर तक 18-13 की बढ़त बना ली थी। दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में तब सन्नाटा पसरा हुआ था। ईरान के अबुल फ़ज़ल, मेराज शेख़ और ग़ुलाम अब्बास अपने रेड पर लगातार प्वाइंट अर्जित कर भारत पर दबाव बना रहे थे। लेकिन जैसे ही दूसरा हॉफ शुरू हुआ, अजय ठाकुर ने ईरान के मिराज़ को आउट कर भारत भेजा और भारतीय खेमे में नया जोश पैदा किया। इसके बाद भारतीय टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारत ने दो बार ईरान को ऑल आउट किया।

समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें

  • बीबीसी हिन्दी
  • आईबीएन ख़बर
  • नवभारत टाइम्स
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत ज्ञानकोश भाग -1 पृष्ठ संख्या-296

संबंधित लेख

देखें  वार्ता  बदलें

खेल
खेल

हॉकी · क्रिकेट · फ़ुटबॉल · बिलियर्ड्स · बास्केटबॉल · कबड्डी · खो-खो · टेबल टेनिस · बैडमिंटन · स्नूकर · वृषभ युद्ध · गॉल्फ़ · तैराकी · फ़ॉर्मूला वन · टेनिस · एथलेटिक्स · सुडोकू · पोलो · वाटर पोलो · चक्रक्षेपण · मुक्केबाज़ी · कार्फ़बॉल · आइस हॉकी · शतरंज · रग्बी फ़ुटबॉल · जूडो · भारोत्तोलन

राष्ट्रमंडल खेल

राष्ट्रमंडल खेलों के शुभंकर · राष्ट्रमंडल खेल 2010 · राष्ट्रमंडल खेल 2018 · राष्ट्रमंडल खेल 2022

ओलम्पिक खेल

ओलम्पिक 2012 · ओलम्पिक 2016

पैरालंपिक खेल

ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक, 2020

महिला क्रिकेट विश्व कप

महिला क्रिकेट विश्व कप 2017

शुभंकर

केयानो · मटिल्डा · स्कॉटी · पैरी

प्राचीन खेल

अक्षक्रीड़ा · अश्वधावन · असिक्रीड़ा

अन्य

खेल शब्दावली · राष्ट्रमंडल खेल 2010 की उपलब्धियाँ

महाराष्ट्र में कबड्डी को किस नाम से जाना जाता है?

इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे दक्षिण में गुडु-गुडु, बंगाल में डो–डो और महाराष्ट्र में हू-तू-तू के नाम से जाना जाता है। कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के नियमानुसार कबड्डी का एक ही रूप मान्य है। इस खेल को हू-तू-तू नाम महाराष्ट्र ने दिया, जहां धावा बोलने वाला (रेडर) अभी भी हू-तू-तू का प्रयोग करता है।

भारत में कबड्डी का पुराना नाम क्या है?

कबड्डी को अलग-अलग जगह पर कई नामों से जाना जाता है. इसका नाम कबड्डी मुख्य तौर पर उत्तर भारत में रखा गया. इसे दक्षिण भारत में चेडुगुडु के नाम से जानते हैं. हालांकि इसका कबड्डी नाम बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो गया है.

कबड्डी खेल के मैदान को किस नाम से जानते हैं?

कबड्डी खेलने के मैदान को हम किस नाम से जानते हैं? उत्तर: कबड्डी खेलने के मैदान को हम कबड्डी कोर्ट अर्थात् पाला नाम से जानते हैं

कबड्डी खेल का जन्म किस देश में हुआ?

प्रो कबड्डी लीग के ईरानी प्लेयर मेराज शेख का कहना है कि उनके होमटाउन सिस्तान में इस खेल का जन्म लगभग 5000 साल पहले हुआ था. ESPN से बातचीत में वो कहते हैं कि ईरान इस खेल की असली जन्मभूमि है ना कि भारत और इसका जिक्र कई पुरानी किताबों में भी किया गया है.