मोहिनी एकादशी को क्या दान करना चाहिए? - mohinee ekaadashee ko kya daan karana chaahie?

आज निर्जली एकादशी है. निर्जला एकादशी का बहुत महत्व है क्योंकि इस एक एकादशी के व्रत से व्यक्ति को पूरे साल की 23 एकादशियों के पुण्य जितने फल की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी या भीमसेन एकादशी के नाम से जाना जाता हैं. इस व्रत से व्यक्ति को दीर्घायु और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.

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इस दिन बिना पानी पिए जरूरतमंद आदमी को हर हाल में शुद्ध पानी से भरा घड़ा दान करना चाहिए. व्रतधारी को आर्थिक, पारिवारिक, बीमारी, क्लेश आदि परेशानी से मुक्ति मिलती है. जिन लोगों ने व्रत रखा है वे ब्राह्मण को भोजन करवाकर जल से भरा कलश, फल, शक्कर, अनाज, वस्त्र, जूता, छतरी, पंखा आदि दान करें और फिर व्रत तोड़े.

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सुनें ये कथा
कथा है कि एक बार महर्षि व्यास से भीम ने कहा कि भगवन! युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुंती और द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत करते हैं. मुझसे भी व्रत रखने को कहते हैं, परंतु मैं तो बिना खाए रह नहीं सकता. मेरे उदर में तो वृक नामक अग्नि है. इसलिए चौबीस एकादशियों में निराहार रहना मेरे बस का नहीं. मुझे तो कोई ऐसा व्रत बताइए, जिसे करने में मुझे असुविधा न हो. स्वर्ग की प्राप्ति सुलभ हो.

तब व्यास जी ने कहा कि कुंतीनंदन, धर्म की यही विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता, वरन सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की सहज और लचीली व्यवस्था भी करता है. ज्येष्ठ मास में सूर्य के वृष या मिथुन राशि पर रहने पर शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एकादशी का तुम व्रत करो. इसे करने से तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल भी प्राप्त होगा और तुम इस लोक में सुख, यश प्राप्त कर मोक्ष-लाभ प्राप्त करोगे. केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुख में जल डाल सकते हो. इसके अलावा जल पीने से व्रत भंग हो जाता है. एकादशी को सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहिए.

भीम ने बड़े साहस के साथ निर्जला एकादशी का व्रत किया. द्वादशी को स्नान आदि कर भगवान केशव की पूजा कर व्रत सम्पन्न किया. इसी कारण इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है.

एकादशी का व्रत श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है. एकादशी के सभी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस​ दिन अगर आप व्रत नहीं रख सकते हैं, तो एक उपाय जरूर करें. इस उपाय से भी आपको नारायण की कृपा प्राप्त होगी और तमाम समस्याओं का अंत होगा.

वैशाख माह (Vaishakh Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी(Mohini Ekadashi) कहा जाता है. शास्त्रों में सभी एकादशी व्रत को मोक्षदायी माना गया है और श्रेष्ठ व्रतों में से एक कहा गया है. स्वयं श्रीकृष्ण ने पांडवों को तमाम पापों से मुक्ति पाने के लिए एकादशी व्रत का महत्व समझाया है. शास्त्रों में सभी एकादशी व्रत का अलग महत्व (Significance of Ekadashi) बताया गया है. माना जाता है कि मोहिनी एकादशी व्यक्ति को मोह माया के बंधन से छुटकारा दिलाती है और जन्म मरण के चक्र से मु​क्त करती है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का स्वरूप धारण किया था, इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाने लगा.

इस बार मोहिनी एकादशी का व्रत 12 मई 2022 दिन गुरुवार को रखा जाएगा. अगर आप इस एकादशी पर व्रत रख रहे हैं, तो व्रत से पहले इसके नियमों को जानना जरूरी है. अगर आपके घर में धन संबन्धी कोई समस्या है या आप अक्सर बीमारयों से जूझते रहते हैं, तो इस एकादशी पर एक महाउपाय जरूर करें. इससे आपकी समस्या दूर हो सकती है. यहां जानिए एकादशी का उपाय और नियम.

धन और आरोग्य दिलाता है ये उपाय

एकादशी के दिन सुबह उठकर स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा के स्थान की साफ सफाई करने के बादनारायण और माता लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करें. नारायण का विधि विधान से पूजन करें. उन्हें कुमकुम, हल्दी, चंदन, पुष्प, अक्षत, दक्षिणा, वस्त्र आदि अर्पित करें. धूप दीप जलाएं और भोग लगाएं. अब थोड़ा सा दूध लें और इसमें केसर मिलाएं और तुलसी का पत्ता डालें. इसे माता लक्ष्मी और नारायण को अर्पित करें. इसके बाद मोहिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें. अंत में आरती करके नारायण से अपनी समस्या कहें और इसे दूर करने की प्रार्थना करें. पूजा के बाद क्षमायाचना करें और उस दूध के प्रसाद को परिवार में वितरित करने के बाद पूरी श्रद्धा के साथ ग्रहण कर लें. इसके बाद ही कुछ अन्य चीज ग्रहण करें. इस तरह एकादशी के दिन करने से धन और आरोग्य की प्राप्ति होगी और आपकी मनोकामना प्रभु जरूर पूरी करेंगे.

एकादशी व्रत के नियम भी जानें

अगर एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं, तो आज बुधवार को सूर्यास्त के बाद से इसके नियम लागू हो जाएंगे क्योंकि ये नियम दशमी की शाम से लागू होकर द्वादशी की सुबह तक चलते हैं.

दशमी की शाम को सूर्यास्त से पहले भोजन ग्रहण करें और भोजन सात्विक लें. प्याज लहसुन आदि का प्रयोग न करें.

एकादशी के दिन जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद क्षमतानुसार निराहार या फलाहार लेकर व्रत रखें और विधिविधान से पूजन करें.

रात में जागरण करके भगवान के भजन आदि करें. द्वादशी के दिन यानी शुक्रवार की सुबह स्नान आदि के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं. उसे क्षमतानुसार दान और दक्षिणा दें और आशीर्वाद लें. इसके बाद ही भोजन ग्रहण करके व्रत पारण करें.

एकादशी व्रत के दौरान दाढ़ी, मूंछ या नाखून आदि नहीं काटने चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

किसी की चुगली न करें और न ही किसी के दिल को ठेस पहुंचाएं. नारायण के भक्त हैं तो हर नर में नारायण को देखने की आदत डालें.

एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि बुधवार 11 मई 2022 शाम 07:31 बजे से शुरू होगी और गुरुवार, 12 मई 2022 शाम 06:51 मिनट बजे तक रहेगी. 12 मई को एकादशी व्रत रखा जाएगा और 13 मई को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाएगा.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारितहैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

मोहिनी एकादशी में क्या दान करना चाहिए?

मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करें और तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। इसके अलावा तुलसी की कम ये कम 11 बार परिक्रमा जरूर करें। पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। इस दिन दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करें और पीले फल, पीले वस्‍त्र और पीले अन्‍न का दान करें।

एकादशी के दिन क्या दान देना चाहिए?

एकादशी पर किया दान हजार गायो के दान के समान माना जाता है. इस दिन गरीबों को भोजन कराना या फिर अन्न(चावल, शक्कर, दाल, आटा) का दान देना शुभ फलदायी होता है. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

मोहिनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?

Mohini Ekadashi 2022 : मोहिनी एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में विशेष माना गया है..
पति और पत्नी को आपस में वाद विवाद नहीं करना चाहिए..
मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए..
क्रोध नहीं करना चाहिए..
भाषा को दूषित नहीं करना चाहिए..
हर प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए..
लोभ न करें..
झूठ न बोलें..

मोहिनी एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए?

इस पावन दिन सात्विक भोजन करना चाहिएएकादशी के दिन मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन पहले भगवान को भोग लगाएं, उसके बाद ही भोजन ग्रहण करें। एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए