Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह Textbook Exercise Questions and Answers. निबंध से वीर कुवर
सिंह प्रश्न उत्तर HBSE Vasant 7th Class प्रश्न 1. Class 7 Chapter 17 Hindi HBSE प्रश्न 2. वीर कुवर सिंह HBSE 7th Class प्रश्न 3. वीर कुवर सिंह Class 7 HBSE प्रश्न 4. 2. उदार : 3. स्वाभिमानी : वीर कुवर सिंह Class 7 Summary HBSE प्रश्न 5. निबंध से आगे वीर कुवर सिंह Question Answer HBSE 7th Class प्रश्न 1. तात्या टोपे : बहादुर शाह जफर : नाना साहब धुंधू पंत : प्रश्न 2. HBSE 7th Class Hindi वीर कुवर सिंह Important Questions and Answersअति लघुत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. लघुत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. 27 जुलाई, 1857 को कुंवर सिंह ने आरा पर विजय प्राप्त कर ली। सिपाहियों ने उन्हें फौजी सलामी दी। कुंवर सिंह बूढ़े हो चले थे, पर वे पूरी हिम्मत से युद्ध में जुटे रहे थे। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. वीर कुवर सिंह गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न 1. वीर कुँवर …………… भी पड़ा। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न: बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. कुंवर सिंह का जन्म किस राज्य में हुआ था? 2. कुंवर सिंह के पिता क्या थे? 3. कुंवर सिंह के पिता कैसे थे? 2. जगदीशपुर के ………….. बनाते थे। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न: बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. बसुरिया बाबा क्या थे? 2. किस स्थान को गुप्त बैठकों के लिए चुना गया? 3. मेला किसके क्रय-विक्रय के लिए विख्यात है? 3. दानापुर और ……………….. उड़ गए। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
2 कुंवर सिंह की सेना 13 अगस्त को अंग्रेजों से हार गई पर इस हार का कुंवर सिंह पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा। उनका आत्मबल नहीं टूटा। वे अगली योजना बनाने में जुट गए। बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. जगदीशपुर का पतन का कारण था 2. अंग्रेजों से परास्त होने पर कुंवर सिंह का आत्मबल 3. लखनऊ से कुंवर सिंह ने कहाँ प्रस्थान किया? 4. ‘वीरता’ में ‘ता’ क्या है? 4. स्वाधीनता सेनानी …………………….. प्रचलित हैं। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. कुंवर सिंह युद्धकला में कैसे थे? 2. अंग्रेजी सेनानायक क्या
समझने में असमर्थ थे? 3. ‘अंकित’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है? 4. ‘मौत के घाट उतारा’ का सही अर्थ है 5. वीर कुंवर ……………………… जाती है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
2 कुंवर सिंह के व्यक्तित्व में वीरता के अलावा उदारता एवं संवेदनशीलता के गुण विद्यमान थे।
4. वीर कुंवर सिंह की लोकप्रियता का पता उन गीतों से मिलता है जो बिहार की लोकभाषाओं में उनकी प्रशस्ति के रूप में गाए जाते हैं। बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. ‘सामाजिक’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है? 2. कुंवर सिंह की आर्थिक स्थिति कैसी थी? 3. कुंवर सिंह किस प्रकार के व्यक्ति थे? 4. कुंवर सिंह की प्रशस्ति का गायन किन में होता है? वीर कुवर सिंह Summary in Hindiवीर कुवर सिंह पाठ का सार 1857 के स्वतंत्रता सेनानियों में ठाकुर कुँवर सिंह का नाम उल्लेखनीय है। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ में भी उनके नाम का उल्लेख है। 1857 के सशस्त्र विद्रोह ने भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिलाकर रख दिया था। मार्च, 1857 में बैरकपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत करने पर 8 अप्रैल, 1857 को मंगल पांडे को फाँसी दे दी गई थी। 10 मई, 1857 को मेरठ में भारतीय सैनिकों ने दिल्ली ‘के सैनिकों के साथ मिलकर 11 मई को दिल्ली पर कब्जा कर लिया था और अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर को भारत का शासक घोषित कर दिया था। इस विद्रोह की आग दूर-दूर तक फैल गई। दिल्ली के अलावा कानपुर, लखनऊ, बरेली, बुंदेलखंड और आरा में भी भीषण युद्ध हुआ। इस विद्रोह में भाग लेने वाले प्रमुख नेता थे-नाना साहेब, तात्या टोपे, बख्त खान, अजीमुल्ला खाँ, रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, कुँवर सिंह, मौलवी अहमदुल्लाह, बहादुर खान और राव तुलाराम। भारत में सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने में इस आंदोलन की बड़ी भूमिका थी। वीर कुंवर सिंह के बचपन के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती। उनका जन्म बिहार में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में सन् 1782 में हुआ था। उनके पिता का नाम साहबजादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे। उनके पिता वीर एवं स्वाभिमानी तथा उदार स्वभाव के थे। उनके व्यक्तित्व का असर कुंवर सिंह पर भी पड़ा। कुँवर सिंह की शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई। उन्होंने हिंदी, संस्कृति एवं फारसी भाषाएँ सीखीं, पर उनका मन पढ़ाई की जगह घुड़सवारी, तलवारबाजी एवं कुश्ती में लगता था। पिता की मृत्यु के बाद 1827 में कुंवर अली ने रियासत की जिम्मेदारी संभाली। उन दिनों ब्रिटिश सरकार के अत्याचार चरम सीमा पर थे। कुंवर सिंह ने ब्रिटिश हकूमत से टक्कर लेने का निश्चय किया। जगदीशपुर के जंगलों में ‘बसुरिया बाबा’ नाम के एक सिद्ध संत रहते थे। उन्होंने कुंवर सिंह के मन में देशभक्ति और स्वाधीनता की भावना उत्पन्न की थी। उन्होंने अनेक स्थानों पर जाकर विद्रोह की योजनाएँ बनाईं। उन्होंने बिहार के सोनपुर मेले को अपनी गुप्त बैठकों की योजना के लिए चुना। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। 25 जुलाई, 1857 को दानापुर की सैनिक टुकड़ी ने विद्रोह कर दिया। सैनिक कुंवर सिंह का जयघोष करते हुए आरा पहुँच गए और वहाँ की जेल की सलाखें तोड़ दीं। कैदी आजाद हो गए। 27 जुलाई, 1857 को कुंवर सिंह ने आरा पर विजय प्राप्त की। आरा क्रांति का महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। जमींदारों ने अंग्रेजों का साथ दिया। अत: जगदीशपुर के पतन को रोका न जा सका। 13 अगस्त को जगदीशपुर में कुंवर सिंह की सेना हार गई, पर कुंवर सिंह का आत्मबल न टूटा। वे आगे की योजनाएँ बनाने में जुट गए। उन्होंने आजमगढ़ की ओर प्रस्थान किया। इससे अंग्रेजों के होश उड़ गए। अंग्रेजों और कुँवर सिंह के बीच घमासान युद्ध हुआ। उन्होंने 22 मार्च, 1858 को आजमगढ़ पर कब्जा कर लिया। वे 23 अप्रैल, 1858 को विजय पताका फहराते हुए जगदीशपुर पहुँच गए। लोगों ने विजय-उत्सव मनाते हुए यूनियन जैक को उतार कर अपना झंडा फहरा दिया। इसके तीन दिन बाद ही 26 अप्रैल, 1858 को यह वीर इस संसार से विदा हो गया। कुँवर सिंह युद्धकला में पूरी तरह कुशल थे। उन्हें छापामार युद्ध में महारत हासिल थी। 1857 में उन्होंने तलवार की जिस धार से अंग्रेजी सेना को मौत के घाट उतारा था, उसकी चमक आज तक भारतीय इतिहास के पृष्ठों पर अंकित है। कहा जाता है एक बार कुंवर सिंह को अपनी सेना के साथ गंगा पार करनी थी। अंग्रेजी सेना उनका पीछा कर रही थी। कँवर सिंह भी कम चतुर नहीं थे। उन्होंने अफवाह फैला दी कि वे अपनी सेना को बलिया के पास हाथियों पर चढ़ाकर पार कराएंगे। अंग्रेज सेनापति डगलस बलिया के गंगा-तट पर जा पहुँचा। कुँवर सिंह ने बलिया से सात मील दूर शिवराजपुर नामक स्थान पर सेना नावों से पार करा दी। डगलस मन मसोसकर रह गया। अंतिम नाव पर कुँवर सिंह थे। डगलस ने गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी। एक गोली उनके बाएँ हाथ की कलाई को भेदती निकल गई। कुंवर सिंह ने बाएँ हाथ को काटकर गंगा मैया को अर्पित कर दिया। वीर कुंवर सिंह ने अनेक सामाजिक काम भी किए। आरा स्कूल के लिए जमीन दान दी, स्कूल भवन का निर्माण कराया। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने पर भी वे गरीबों की सहायता करते थे। उन्होंने आरा-जगदीशपुर सड़क तथा आरा-बलिया सड़क का निर्माण भी कराया। उन्होंने अनेक कुएँ खुदवाए तथा तालाब बनवाए। वे एक संवेदनशील व्यक्ति थे। उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार मिलकर मनाए जाते थे। लोकगीतों में उनका गुणगान आज भी किया जाता है। वीर कुवर सिंह शब्दार्थ विद्रोह = बगावत (Revolt)। घोषित = घोषणा करना (Declared)। भीषण = भयंकर (Terrible)। निर्मित = बना हुआ (Constructed)। पारिवारिक = परिवार की (Family)। स्वाभिमानी = आत्मसम्मानी (Self respectful)। व्यवस्था = इंतजाम (Arrangement)। गुप्त = छिपा हुआ (Secret)। तत्पर = तैयार (Ready)। विजय = जीत (Victory)। पताका = झंडा (Flag)। रणकौशल = युद्ध कुशलता (Efficiency in war)। चतुर – होशियार (Clever)। जलाशय = तालाब (Pond)। संवेदनशील = संवेदना वाला (Sensitive)। शौर्य = वीरता (Bravery) कुंवर सिंह साहसी उदार और स्वाभिमानी व्यक्ति थे कैसे?उत्तर:- साहसी व्यक्ति – कुँवरसिंह का पूरा जीवन ही उनके साहसपूर्ण घटनाओं से भरा पड़ा है। परन्तु उनका अपनी घायल भुजा को स्वयं काटकर गंगा में समर्पित कर देना साहस का सबसे अद्वितीय उदहारण है। उदार व्यक्ति – कुँवरसिंह का व्यक्तित्व बड़ा ही उदार था। उनकी माली हालत अच्छी न होने के बावजूद वे निर्धनों की हमेशा सहायता करते थे।
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन कौन सी विशेषताओं ने आपको?वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है:. वीर कुंवर सिंह एक कुशल और दृढ़ निश्चयी योद्धा थे।. वे अत्यंत साहसी एवं वीर थे।. वे उदार एवं संवेदनशील व्यक्ति थे।. वे बहुत निडर थे।. वे सामाजिक कार्यकर्ता भी थे।. वे अत्यंत स्वाभिमानी भी थे।. वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन कौन सी वि शेषताओं नेआपको प्रभावि त कि या?1. वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया? उत्तर – वीर कुँवरसिंह बहादुर, साहसी, बुद्धिमान, चतुर, उदार, सांप्रदायिक सद्भाव व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इन्हीं विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया।
वीर कुंवर सिंह पाठ का संदेश क्या है?Solution : . वीर कुंवर सिंह. पाठ का उद्देश्य भारत के लोगों में राष्ट्रीय भावना जगाना है। कुंवर सिंह की देशभक्ति और वीरता का उल्लेख कर यह सन्देश दिया गया है कि यदि मनुष्य के मन में किसी कार्य को करने की दृढ़ इच्छा हो, तो उसके मार्ग में आने वाली कोई बाधा उसे विचलित नहीं कर सकती।
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