मुंह में सफेद दाने क्यों होते हैं? - munh mein saphed daane kyon hote hain?


कमजोर इम्यूनिटी मुख्य कारण
ओरल कैंडिडासिस फंगल इंफेक्शन कैंडिडा एल्वीकेन्स फंगस के कारण होता है। ये शरीर में मौजूद होता है। शरीर के नमी वाले स्थानों पर भी हो सकते हैं। डायबिटीज, टीबी, कैंसर, ऑटोइम्यून, एचआइवी-एड्स ग्रसित बीमारियों के मरीजों को हो सकते हैं। धूम्रपान करने वालों में ओरल थ्रस की समस्या अधिक होती है।
इलाज : एंटीफंगल दवाएं और मुंह में लगाने का लोशन (माउथ पेंट) देते हैं। 4 से 6 सप्ताह तक इलाज चलता है। कभी-कभी अधिक समय भी लग सकता है। इलाज बीच में छोडऩे से दिक्कत हो सकती है। सुबह-शाम ब्रश व जीभ साफ करें। कृत्रिम दांत हैं तो सोते समय निकाल दें। डैंचर सही से फिट होना चाहिए। चीनी और चीनी प्रोडक्ट कम लें। इससे कैंडिडा फंगस तेजी से ग्रो करते हैं। मुंह में ऐसे पैच दिखते हैं तो चिकित्सक से परामर्श लें।


जंकफूड बढ़ाते दिक्कत
फंगल इंफेक्शन होने पर खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हाई प्रोटीन, मिनरल और विटामिन्स डाइट लेनी चाहिए। ड्राई फ्रूट्स, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां भरपूर मात्रा में खानी चाहिए। फास्ट और जंक फूड खाने से बचना चाहिए। इससे समस्या बढ़ती है। इसमें कई बार मरीज खुद से एंटीबायोटिक दवाइयां ले लेता है जोकि सही नहीं है। इससे फंगस नहीं मरते हैं बल्कि शरीर के अच्छे बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। शरीर पहले अधिक कमजोर हो जाता है।
डॉ. रामसिंह मीना, वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ

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मुंह में तीन सेंटीमीटर अंगुली डालकर कर सकते हैं कैंसर की पहचान

मुंह में सफेद दाने क्यों होते हैं? - munh mein saphed daane kyon hote hain?

जमशेदपुर. दिल्ली के डॉ. चिंतामणि ने कहा कि आपको मुंह का कैंसर है या नहीं, इसकी पहचान आप स्वयं कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने मुंह में तीन अंगुली डालनी होगी। अगर आपका मुंह तीन सेंटीमीटर तक खुले यानी मुंह में तीन उंगली घुस जाए, तो समझिए की आपको कैंसर की संभावना नहीं के बराबर है। ठीक इसके उलट, अगर तीन अंगुली मुंह में नहीं घुसे, तो कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। अब मोबाइल से भी इस बीमारी की जांच की जा सकती है। मोबाइल से आप अपने मुंह के अंदर की तस्वीर ले लें। यदि मुंह के अंदर लाल, सफेद व काला दाग तस्वीर में दिखे है, तो समझिए कुछ गड़बड़ है। इसके बाद आप शीघ्र डॉक्टरी सलाह लें। अगर दाग नहीं है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। डॉ चिंतामणि टीएमएच के डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी की ओर से आयोजित क्लिनिकल सर्जरी अपडेट-2015 में शामिल होने शुक्रवार को शहर आए थे। डॉ चिंतामणि ने टीएमएच में भास्कर संवाददाता से विशेष बातचीत करते हुए उक्त बातें कहीं।

क्यों होता है मुंह का कैंसर

1. गुटखा- तंबाकू खाने से तथा स्मोकिंग करने से
2. ओरल सेक्स करने से
3. अनुवांशिक कारण से
क्या है मुंह कैंसर के प्रारंभिक लक्षण
1. मुंह का तीन सेंटीमीटर तक नहीं खुलना
2. मुंह के अंदर लाल, काला व सफेद दाग होना
3. आवाज में परिवर्तन

मोबाइल के ज्यादा उपयोग से भी होता है कैंसर
डॉ चिंतामणि ने कहा कि अगर कोई आदमी एक दिन में औसतन डेढ़ घंटा से अधिक मोबाइल का उपयोग करता है, तो उसमें हेड-नेक कैंसर की संभावना अधिक होती है। डॉ चिंतामणि के अनुसार नए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि रेडिएशन से कैंसर का खतरा अधिक होता है। इसी कारण मोबाइल टावर के आसपास रहने वाले लोग भी कैंसर मरीज बन रहे हैं।

मुंह का घाव ठीक नहीं हो रहा, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें

झारखंड-बिहार के इकलौते एफआरसीए के एक्जामिनर डॉ चिंतामणि ने कहा कि मुंह के अंदर कोई घाव अगर ठीक नहीं हो रहा है, तो तुरंत ईएनटी के डॉक्टर से जांच कराएं। मुंह के अंदर लाल दाग सबसे खतरनाक होता है। सामान्यतः: इसे प्री कैंसर माना जाता है। अगर मुंह के अंदर का दाग काला से लाल या सफेद से लाल हो रहा है, तो इसे कैंसर का शुरुआती दौर माना जाता है। इस दौर तक बीमारी का इलाज आसानी से संभव है। इलाज के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है। डॉ चिंतामणि ने कहा कि इस तरह के मामलों में मरीज पहले डेंटिस्ट के पास चले जाते हैं और जांच वगैरह में एक दो सप्ताह से अधिक समय गंवा देते हैं। इससे आसानी से ठीक होने वाला कैंसर बाद में जानलेवा हो जाता है।

झारखंड-बिहार में ज्यादा मामले

डॉ चिंतामणि ने कहा कि पूरी दुनिया में मुंह का कैंसर सबसे ज्यादा झारखंड, बिहार और ओड़िशा में होता है। क्योंकि यहां लोगों की जिंदगी ही तंबाकू से शुरू होती है। इन प्रदेशों में मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू है। उन्होंने कहा कि तंबाकू छुड़ाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ-साथ मीडिया को भी आगे आकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

जब भी आप बीमार पड़ते हैं तो डॉक्टर सबसे पहले आपकी जीभ देखते हैं क्योंकि जीभ के रंग से बहुत सी बीमारियों के बारे में पता लगाया जा सकता है. जीभ का काम सिर्फ खाने के स्वाद का एहसास कराना ही नहीं होता बल्कि इससे हमारे स्वास्थ के बारे में भी कई बातें पता चल जाती हैं. वैसे तो जीभ का कलर हल्का गुलाबी होता है लेकिन कई बार जीभ पर व्हाइट स्पॉट्स भी नजर आते हैं. 

जीभ पर व्हाइट स्पॉट्स दिखना काफी आम होता है लेकिन कभी-कभी यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. जिन लोगों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है, उनकी जीभ पर भी कई बार सफेद धब्बे देखने को मिलते हैं. आइए जानते हैं जीभ में व्हाइट स्पॉट्स के क्या कारण होते हैं?

डेंटल ट्रॉमा- अगर आपके दांत नुकीले हैं और आप बार-बार दांतों से अपनी जीभ काट लेते हैं तो इससे टिशू एक मोटी प्रोटेक्टिव लेयर ग्रो कर सकते हैं. आमतौर पर इन स्पॉट्स में कोई दर्द नहीं होता लेकिन अगर डेंटल ट्रॉमा काफी ज्यादा इंटेंस है तो इससे आपके मुंह में अल्सर की समस्या भी हो सकती है.

ट्रीटमेंट- अगर आपको ट्रॉमा के चलते जीभ में व्हाइट स्पॉट्स नजर आ रहे हैं तो इसके लिए सबसे पहले जीभ की चोट को ठीक करना जरूरी है. 

- सबसे पहले डॉक्टर के पास जाएं और अपने नुकीले दांतों को सही करवाएं.

- जीभ चबाने की अपनी आदत को छोड़ें.

कैंडीडायसिस या थ्रस- इसे ओरल कैंडिडायसिस भी कहा जाता है. यह एक इंफेक्शन है जो कैंडिडा फंगस के कारण होता है. यह इंफेक्शन आपके मुंह के अलावा शरीर के बाकी हिस्सों में भी हो सकता है. स्मोक करने वाले, ड्राई माउथ से परेशान और व्हाइट स्पॉट के कारण भी यह इंफेक्शन हो सकता है. साथ ही जिन लोगों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है, उन लोगों में यह इंफेक्शन होने का खतरा काफी ज्यादा होता है. इस इंफेक्शन के कारण आपकी पूरी जीभ में कहीं भी व्हाइट स्पॉट हो सकते हैं. खासकर, अगर आपको HIV/AIDS या कैंसर है तो यह इंफेक्शन होने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है. 

जीभ में व्हाइट स्पॉट्स के अलावा ये भी हैं ओरल थ्रश के कुछ लक्षण-

- गले में खराश
- रेडनेस
- स्वाद में कमी
- बार-बार मुंह का सूखना

जियोग्राफिक टंग- जियोग्राफिक टंग एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी जीभ के किनारों पर बहुत छोटे-छोटे दाने निकलने आते हैं. इन दानों में काफी दर्द और जलन का एहसास होता है. साथ ही जीभ पर रेड पैच पड़ते हैं जो नक्शे की शेप में नजर आते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति को खाना निगलने में काफी ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है. 

इस समस्या के पीछे का एक कारण फैमिली हिस्ट्री हो सकती है. यह समस्या खतरनाक नहीं होती है. कई लोगों में जियोग्राफिक टंग के कोई लक्षण नहीं दिखते. यह समस्या होने पर कुछ तीखा खाने पर जलन का एहसास होता है.

लाइकेन प्लानस- यह बेहद ही आम समस्या है, जिसके कारण मुंह में सूजन और जलन का एहसास होता है. स्किन पर लाइकेन प्लानस के कारण रैशेज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. वहीं मुंह में इसकी वजह से जलन और दर्द होता है. लाइकेन प्लानस की समस्या होने पर जीभ और गालों पर आपको रेशे जैसे व्हाइट पैच देखने को मिल सकते हैं. यह समस्या उन मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में देखने को मिलती है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है.

इनसे भी बढ़ सकती है लाइकेन प्लानस की समस्या: 

- मेडिकेशन
- इंफेक्शन
- एलर्जी
- मुंह में घाव बनना
- स्ट्रेस

मुंह के अंदर कहीं भी हो सकती है लाइकेन प्लानस की समस्या जैसे- 

- जीभ
- गालों के अंदर
- मसूड़ो में
- मुंह के ऊपरी हिस्से में

प्री कैंसर और कैंसर- जीभ में होने वाले व्हाइट स्पॉट्स का एक बड़ा कारण प्री-कैंसर या कैंसर की समस्या हो सकती है. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा जीभ पर पाया जाने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है, जिसके कारण जीभ में सफेद धब्बे हो सकते हैं. ये हैं इसके लक्षण:

- अल्सर की तरह दिखने वाले घाव
- घावों में से आसानी से खून निकलना

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मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या है?

मुंह के कैंसर के लक्षण.
होंठ या मुंह का घाव जो ठीक न हो रहा हो।.
मुंह के अंदर सफेद या लाल रंग के पैच नजर आना।.
दांतों में कमजोरी।.
मुंह के अंदर गांठ जैसा अनुभव होना, इसमें होने वाला दर्द।.
निगलने में कठिनाई या दर्द।.
मुंह से अक्सर बदबू आते रहने की समस्या।.

कैंसर के छाले कैसे होते हैं?

कैंसर की शुरुआत मुंह के अंदर सफेद छाले या छोटे से घाव से होती है. लंबे समय तक अगर मुंह के भीतर सफेद धब्बा, घाव, छाला रहता है, तो आगे चलकर यह मुंह का कैंसर बन जाता है. -मुंह से दुर्गंध, आवाज बदलना, आवाज बैठ जाना, कुछ निगलने में तकलीफ, लार का अधिक या ब्लड के साथ आना, ये भी मुंह के कैंसर के लक्षण हैं.

मुंह के अंदर सफेद दाने क्यों होते हैं?

जीभ या मुंह के तल पर सफेद या भूरे रंग के पैच को ल्यूकोप्लाकिया कहा जाता है। यह पैच मुंह के श्लेष्म झिल्ली की पुरानी जलन के कारण बनता है। यह जलन के प्रति मुंह की प्रतिक्रिया है। ल्यूकोप्लाकिया किसी व्यक्ति के गाल के अंदर विकसित हो सकता है।

मुंह के अंदर दाने कैसे ठीक करें?

छालों का उपचार कैसे करें.
कुल्ला मुंह के छालों को कम करने में बेहद असरदार होता है। ... .
एक कप पानी में एक चम्मच धनिया पाउडर मिलाकर उबालें। ... .
मुंह के छालों को ठीक करने के लिए आप शहद का उपयोग भी कर सकते हैं। ... .
पान में इस्तेमाल होने वाला कत्था मुंह के छालों के लिए बहुत फायदेमंद है। ... .
तुलसी भी मुंह के छालों से निजात दिलाती है।.