वामीरो को लगातार रोते देखकर तताँरा को क्या हुआ? - vaameero ko lagaataar rote dekhakar tataanra ko kya hua?

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Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा Class 10 Hindi Sparsh NCERT Notes

अंदमान निकोबार का अंतिम दक्षिणी द्वीप लिटिल अंदमान है। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप कार-निकोबार है। यह लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। एक पौराणिक जनश्रुति के अनुसार ये दोनों द्वीप समूह पहले एक ही थे। इनके विभक्त होने की लोककथा आज भी प्रचलित है। यह लोककथा तताँरा-वामीरो प्रेम पर आधारित है|

लेखक परिचय

लीलाधर मंडलोई का जन्म 1954 को जन्माष्टमी के दिन छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे से गाँव गुढ़ी में हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा भोपाल और रायपुर में हुई। प्रसारण की उच्च शिक्षा के लिए 1987 में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ट्रस्ट, लंदन की ओर से आमंत्रित किये गए। इन दिनों प्रसार भारती दूरदर्शन के महानिदेशक का कार्यभार संभाल रहे हैं।

तताँरा-वामीरो कथा Class 10 Sparsh Hindi Explanation Summary

जब ये दोनों द्वीप एक ही थे, उस समय वहाँ एक सुंदर-सा गाँव था। वहाँ तताँरा नाम का सुंदर एवं शक्तिशाली युवक रहता था। वह एक नेक और मददगार व्यक्ति था। वह समयानुसार सबकी सहायता करता था। उसके पास एक लकड़ी की तलवार थी, जिसे वह सदैव अपनी कमर में बाँधे रहता। लोगों का मानना था कि भले ही वह तलवार लकड़ी की है लेकिन उसमें अद्भुत दैवीय शक्ति है। वह न तो इस तलवार का कभी प्रयोग करता और न ही उसे कभी अपने से अलग करता।

एक दिन तताँरा घूमने निकल पड़ा। समुद्र किनारे टहलते हुए तताँरा को बहुत मधुर गीत गूँजता सुनाई पड़ा। गायन इतना प्रभावी था कि वह सुध-बुध खोने लगा और उसी ओर चल दिया। वहाँ उसने एक युवती को देखा जो ढलती शाम के सौंदर्य में बेसुध समुद्र को निहारते हुए शृंगार गीत गा रही थी। तताँरा को देखकर वह चुप हो गई । तताँरा ने पूछा कि गीत क्यों रोक दिया? तुम पुनः गीत गाओ । तताँरा इसी तरह उससे विनम्र प्रार्थना करता रहा। युवती उसे देखकर चौंक गई। वह इस प्रकार असंगत प्रश्न पूछने का कारण पूछने लगी। तताँरा को अपनी गलती का अहसास हो गया। उसने युवती से क्षमा माँगी। उसका नाम पूछा। युवती ने अपना नाम वामीरो बताया। तताँरा को वह युवती बहुत पसंद आई। तताँरा ने अपना परिचय दिया और कहा कि वह कल यहीं उसकी प्रतीक्षा करेगा।

वामीरो घर पहुँचकर तताँरा को बार-बार याद करने लगी। अंदर ही अंदर बेचैनी का अनुभव करने लगी। उसने तताँरा के विषय में अनेक कहानियाँ सुन रखी थीं, पर वही तताँरा आज उसके समक्ष एक अलग रूप में खड़ा था। वह नवीन कल्पनाएँ सँजोने लगी। पर दूसरे गाँव के युवक के साथ विवाह संबंध स्थापित करना असंभव था। किसी तरह रात बीत गई। दोनों ही व्याकुल थे। वे नव-मिलन की प्रतीक्षा कर रहे थे।

तताँरा सायं होते ही समुद्री चट्टान पर खड़ा वामीरो की प्रतीक्षा करने लगा। ऐसी बेचैनी उसने अपने शांत और गंभीर जीवन में पहले कभी अनुभव नहीं की थी। उसे वामीरो के आने की आशा बहुत कम थी। तभी अचानक नारियल के झुरमुटों में उसे वामीरो दिखाई दी। उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। दोनों एक-दूसरे को शब्दहीन खड़े निहारते रहे। सूर्यास्त हो चुका था और अँधेरा बढ़ने लगा। तभी वो सचेत हुई और अपने घर की तरफ दौड़ी। तताँरा चुपचाप वहीं खड़ा रहा। दोनों नियमित रूप से मिलने लगे| तताँरा व वामीरो का मूक प्रेम लपाती गाँव के कुछ युवकों को पता चल गया और उन्होंने गाँव के सभी लोगों को बता दिया। उन्हें समझाया गया कि उनका मिलना संभव नहीं किंतु वे नहीं माने।

कुछ समय बाद पासा गाँव में ‘पशु-पर्व’ का आयोजन हुआ। वर्ष में एक बार होने वाले इस आयोजन में सभी गाँवों के लोग पासा में एकत्रित हुए। पशु-पर्व में हृष्ट-पुष्ट पशुओं के प्रदर्शन के अतिरिक्त पशुओं से युवकों की शक्ति परीक्षा प्रतियोगिता भी होती है। बाद में नृत्य-संगीत और भोजन का आयोजन होता है। तताँरा व्याकुल होकर वामीरो को ढूँढ़ने लगा। नारियल के झुंड के एक पेड़ के पीछे उसे वामीरो दिखाई दे गई। तताँरा को देखकर वह फूट-फूट कर रोने लगी। तताँरा विह्वल हो गया। वामीरो के रुदन स्वर को सुनकर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को देखकर आग बबूला हो उठी। उसने तताँरा को तरह-तरह के वचन कहकर अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे। तताँरा के लिए यह सब असहनीय हो गया। उसे गाँव की परंपरा पर क्रोध आ रहा था।

उधर वामीरो लगातार रोये जा रही थी। तताँरा का क्रोध लगातार बढ़ता गया। उसका हाथ अपनी तलवार पर गया और उसने तलवार निकाल ली। अपने क्रोध को शांत करने के लिए उसने तलवार को धरती में घोंप दिया और पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचते-खींचते दूर तक पहुँच गया। चारों और सन्नाटा छा गया। लोगों ने देखा कि तलवार की जहाँ-जहाँ लकीर खिंची थी, वहाँ से धरती फटने लगी। तताँरा क्रोध में द्वीप के अंतिम सिरे तक धरती को काटता चला गया । वह जैसे ही अंतिम छोर पर पहुँचा तो पूरा द्वीप दो टुकड़ों में विभक्त हो गया था। दुर्भाग्य से तताँरा और वामीरो अलग-अलग हिस्सों में रह गए। तताँरा को जब होश आया तो उसने देखा कि उसकी तरफ का द्वीप समुद्र में धँसना शुरू हो गया था। उसने छलाँग लगाकर दूसरा सिरा थामना चाहा, पर ऐसा न कर पाया। वह वामीरो-वामीरो चिल्लाता हुआ समुद्र की सतह की ओर फिसल गया। उधर वामीरो भी तताँरा-तताँरा पुकार रही थी।

तताँरा लहूलुहान चुका था| वह अचेत हो गया। बहता हुआ तताँरा कहाँ पहुँचा, बाद में उसका क्या हुआ, कोई नहीं जानता। वामीरो पागल हो गई। वह हर समय तताँरा को खोजती हुई उसी जगह पहुँच जाती और घंटों बैठी रहती । उसने खाना-पीना छोड़ दिया। लोगों ने उसे ढूँढ़ने की बहुत कोशिश की किंतु कोई सुराग नहीं मिला। आज तताँरा -वामीरो नहीं हैं, परंतु दोनों की प्रेम-कथा अंदमान निकोबार के प्रत्येक घर में सुनाई जाती है। निकोबारियों का विचार है कि तताँरा की तलवार से कार -निकोबार का जो दूसरा टुकड़ा हुआ वह लिटिल अंदमान ही है । तताँरा और वामीरो के इस बलिदान के बाद एक सुखद परिवर्तन यह हुआ कि निकोबार के लोग दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे।

शब्दार्थ

श्रृंखला – कम्र, आदिम – प्रारम्भिक, विभक्त – बँटा हुआ, लोककथा – जन-समाज में प्रचलित कथा, आत्मीय – अपना, बयार – शीतल मंद हवा, तंद्रा -ऊँघ, चैतन्य – चेतना, विकल – बैचैन, अन्यमनस्कता – जिसका चित्त कहीं और हो, निनिर्मेष – बिना पलक झपकाये, अचम्भित – चकित, निश्चल – स्थिर, शमन – शांत करना|

वामीरो को देखकर तताँरा खुश क्यों हो गया?

Answer: निकोबार के लोग तताँरा को उसके आत्मीय स्वभाव के कारण पसन्द करते थे, उससे बेहद प्रेम करते थे। वह नेक ईमानदार और साहसी था। वह मुसीबत के समय भाग भागकर सबकी मदद करता था।

वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब?

Solution : वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से यह जवाब दिया “पहले बताओ। तुम कौन हो, इस तरह मुझे घूरने और इस असंगत प्रश्न का कारण? अपने गाँव के अलावा किसी और गाँव के युवक के प्रश्नों का उत्तर देने को मैं बाध्य नहीं। यह तुम भी जानते हो।"

तताँरा बार बार वामीरो की आँखों के सामने क्यों आ जाता था?

परन्तु यह आसान नहीं लग रहा था क्योकि तताँरा बार -बार उसकी आँखों के सामने आ रहा था जैसे वह बिना पलकों को झपकाए उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो। तताँरा दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया था जहाँ उसने वामीरो को आने के लिए कहा थावामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था

वामीरो का तताँरा पर क्रोध करने का क्या कारण था?

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए: प्रश्न 1: जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा। उत्तर: तताँरा बहुत गुस्से में था क्योंकि उसे लगने लगा था कि गाँव वाले उसकी और वामीरो की शादी नहीं होने देंगे। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था