लहसुनिया रत्न कब पहना जाता है? - lahasuniya ratn kab pahana jaata hai?

हाइलाइट्स

लहसुनिया को हमेशा मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए.
लहसुनिया रत्न से कई असाध्य रोगों के इलाज में किया जाता है.

Lehsuniya Gem: रत्न शास्त्र के अनुसार पृथ्वी पर पाया जाने वाला हर रत्न किसी न किसी ग्रह से संबंधित होता है. रत्न शास्त्र मानता है कि इन रत्नों को पहनने से संबंधित ग्रहों की शुभता को कुंडली में बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा कुंडली में दूषित ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. इन्हीं रत्नों में से एक रत्न है लहसुनिया.

लहसुनिया रत्न को कैट्स आई भी बोला जाता है. इस रत्न का संबंध केतु ग्रह से होता है. लहसुनिया किसे पहनना चाहिए और इसे पहनने की क्या नियम हैं इसके बारे में हमें बता रहे हैं ज्योतिष एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

लहसुनिया रत्न के फायदे

केतु की अशुभ स्थितियां लहसुनिया को केतु का रत्न माना जाता है. इसलिए केतु के दुष्प्रभाव जानना जरूरी हैं. जिस व्यक्ति की कुंडली में केतु ख़राब स्थिति में होता है उस व्यक्ति के कार्यों में अस्थिरता, मन विचलित रहना, आर्थिक और मानसिक परेशानियां देखने को मिलती हैं. ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक लहसुनिया धारण करने से केतु के दुष्प्रभाव से छुटकारा पाया जा सकता है.

यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केतु शनि के साथ संलग्न भाव में है या पांचवें घर में हो तो यह अशुभ फल देने वाला होता है. इसके अलावा केतु शुक्र के साथ वृषभ, मिथुन राशि में कुंडली के किसी भी घर में बैठा हो तो भी यह अशुभ फल देता है. गोचर में केतु यदि चौथे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो ऐसे में व्यक्ति को लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है.

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किन रोगों में है उपयोगी

लहसुनिया रत्न का उपयोग कई प्रकार के असाध्य रोगों के इलाज में किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यदि किसी बच्चे को श्वास से संबंधित कोई बीमारी हो या फिर निमोनिया जैसी कोई बीमारी हो, तो ऐसे में उसे लहसुनिया रत्न पहनाया जा सकता है.


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लहसुनिया धारण करने की विधि

रत्न शास्त्र के अनुसार सवा रत्ती लहसुनिया, चांदी की अंगूठी या लॉकेट में शनिवार के दिन धारण किया जा सकता है. लहसुनिया को हमेशा मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए. एक अन्य मान्यता के अनुसार विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन 7, 8 या 12 रत्ती लहसुनिया मध्यम उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है. इस रत्न को पहनने से पहले इसे गंगाजल में अच्छी तरह से धो लें. इसके बाद इसे धूप-दीप दिखाकर केतु के मंत्र “ऊं क्लां क्लीं क्लूं स: केतवे स्वाहा:” का एक माला जाप करें.

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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion

FIRST PUBLISHED : August 02, 2022, 03:35 IST

रत्न शास्त्र अनुसार लहसुनिया रत्न का संबंध केतु ग्रह से माना जाता है। आइए जानते हैं धारण करने के लाभ और विधि…

Lehsunia Gemstone Benefits: रत्न शास्त्र में 9 प्रमुख रत्नों का वर्णन मिलता है। इन रत्नों का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। साथ ही इन रत्नों को पहनने से संबंधित ग्रहों की शुभता को कुंडली में बढ़ाया जा सकता है। हम बात करने जा रहे हैं लहसुनिया रत्न के बारे में, जिसका संबंध छाया ग्रह केतु से है। लहसुनिया रत्न को कैट्स आई भी बोला जाता है। आइए जानते हैं लहसुनिया को धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…

ये लोग कर सकते हैं धारण

वैदिक ज्योतिष मुताबिक वृषभ, मकर, तुला, कुंभ, मिथुन राशि के लोगों के लिए केतु से संबंधित रत्न धारण करना बहुत शुभ माना जाता है। वहीं जो लोग लहसुनिया पहनते हैं उन्हें कभी किसी की बुरी नजर नहीं लगती। साथ ही अगर जीवन में आर्थिक तंगी है तो लहसुनिया रत्न धारण करने से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। केतु ग्रह की जन्मकुंडली में अशुभ स्थिति से कार्यों में अस्थिरता, मन विचलित रहना, आर्थिक और मानसिक परेशानियां देखने को मिलती हैं। अगर ये परेशानी हो तो लहसुनिया धारण कर सकते हैं। यदि किसी बच्चे को श्वास से संबंधित कोई बीमारी हो या फिर निमोनिया जैसी कोई बीमारी हो, तो ऐसे में उसे लहसुनिया रत्न पहनाया जा सकता है।

लहसुनिया पहनने के लाभ

वैदिक ज्योतिष अनुसार लहसुनिया रत्न को पहनने से कारोबार, जॉब व आर्थिक तंगी से जूझ रहे व्यक्ति की परेशानियां दूर हो जाती है। अध्यात्म के मार्ग पर जाने वाले लोगों के लिए भी लहसुनिया रत्न बहुत लाभकारी होता है, इसको धारण करने से सांसारिक मोह छूटता है और व्यक्ति अध्यात्म व धर्म की राह पर चलने पड़ता है। साथ ही लहसुनिया मन को शांति प्रदान करता है और इसके प्रभाव से स्मरण शक्ति तेज होती है और व्यक्ति तनाव से दूर रहते हैं।  लहसुनिया रत्न धारण करने के बाद व्यापार में फंसा हुआ पैसा वापस मिल जाता है। साथ ही इस रत्न का असर से सुख-सुविधा के साधनों में वृद्धि होती है। यह रत्न आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है।

इस विधि से करें धारण

रत्न शास्त्र के अनुसार लहसुनिया रत्न को कम से कम 6 से सवा 7 रत्नी का धारण करना चाहिए। इसको अंगूठी या लॉकेट में धारण किया जा सकता है। साथ ही चांदी की धाथु में लहसुनिया पहनना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन इसको धारण किया जा सकता है। धारण करने से पहले से इसे गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से जरूर शुद्ध कर लें।

लहसुनिया कब पहनना चाहिए?

लहसुनिया धारण करने की विधि रत्न शास्त्र के अनुसार सवा रत्ती लहसुनिया, चांदी की अंगूठी या लॉकेट में शनिवार के दिन धारण किया जा सकता है. लहसुनिया को हमेशा मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए. एक अन्य मान्यता के अनुसार विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन 7, 8 या 12 रत्ती लहसुनिया मध्यम उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है.

लहसुनिया कौन पहन सकता है?

कुंडली में केतु की अंतर या महा दशा चल रही हो, तो लहसुनिया रत्न पहनना लाभकारी होगा। रत्न शास्त्र के अनुसार, वह लोग भी लहसुनिया रत्न को धारण कर सकते हैं जिनकी कुंडली में केतु प्रथम, तीसरे, चौथे, पांचवें, नौवें और दसवें भाव पर स्थित है। अगर कुंडली में केतु के साथ सूर्य है, तो वह भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।

लहसुनिया पत्थर पहनने से क्या होता है?

लहसुनिया धारण करने से केतु शांत रहते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रत्न पहनने से ना सिर्फ सकारात्मकता आती है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि का वास भी होता है. साथ ही, विशेष ग्रह के सभी दोष दूर होते हैं. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, अगर जन्मकुंडली में केतु की दशा हो तो लहसुनिया रत्न धारण करना शुभ होता है.

लहसुनिया कितने दिनों में असर दिखाता है?

रत्नों के परिणाम कितने दिन में दिखाई पड़ते हैं इसका विवरण इस प्रकार है। मोती 3 दिन माणिक्य 30 दिन मूंगा 21 दिन पन्ना 7 दिन पुखराज 15 दिन नीलम 2 दिन हीरा 22 दिन गोमेद 30 दिन लहसुनिया 30 दिन ज्योतिष में रत्न को किन उंगलियों में धारण करना चाहिए इस पर भी विवरण मिलता है।