Show लौह अयस्क से लोहे का निष्कर्षण प्रस्तुत अध्याय के अंतर्गत समझाया गया है। लोहे का निष्कर्षणलोहे के निम्न अयस्क होते हैं। लोहे का निष्कर्षण वात्या भट्टी द्वारा किया जाता है। आयरन का निष्कर्षण, हेमेटाइट अयस्क द्वारा निम्न विधियों से किया जाता है। 1. सांद्रण 2. चुंबकीय पृथक्करण 3. सांद्रित अयस्क का भर्जन अथवा निस्तापन 4. धातु ऑक्साइड का अपचयन (प्रगलन) ढलवां लोहायह लोहे का सबसे कम शुद्ध रूप होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 3% पायी जाती है। एवं अन्य धातुएं जैसे – सिलिकॉन, फास्फोरस तथा सल्फर आदि अल्प मात्रा में अशुद्धि के रूप में पायी जाती हैं। पिटवां लोहायह लोहे का सबसे शुद्धतम रूप होता है इसमें कार्बन की मात्रा 0.5% से भी कम पायी जाती है। ए इस्पातयह एक मिश्रधातु होती है इसमें कार्बन की मात्रा 0.1-1.5% होती है एवं इसमें अल्प मात्रा में सल्फर और फास्फोरस भी पायी जाती है। पिटवां लोहे का निर्माणयह लोहे का सबसे शुद्धतम रूप होता है कच्चे अथवा ढलवां लोहे से पिटवां लोहे को एक विशेष प्रक्रम द्वारा प्राप्त किया जाता है। जिसे पडलिंग प्रक्रम कहते हैं। C + Fe2O3 \longrightarrow 2FeO + 2CO इस प्राप्त धातु की एक लुगदी बन जाती है जो गेंदों के रूप में परिवर्तित हो जाती है। इन गेंदों को हथौड़े से पीटते हैं जिससे इनमें विद्यमान धातुमल बाहर निकल जाता है और अंत में प्राप्त लोहे का सबसे शुद्धतम रूप होता है इसे ही पिटवा लोहा कहते हैं। आयरन (लोहे) के उपयोग1. रेलवे स्लीपर्स, स्टॉव, नलों के पाइप आदि ढलाऊ चीजें बनाने में ढलवां लोहे का प्रयोग किया जाता है। अध्याय : 1. धातु एवं अधातुहेमेटाइट से लोहे का निष्कर्षण 1. अयस्क का उपचार : व्यस्क के बड़े-बड़े टुण्ड़ों को छोटे-छोटे टूकड़ों में तोड़ा जाता है। तत्पश्चात् जल के साथ धोकर क्ले, रेत तथा अन्य अतिरिक्त अशुद्धियों को हटाया जाता है। इस प्रकार अयस्क वात्याभट्टी में उपचार के लिए तैयार हो जाता हैं। इस प्रकार प्राप्त लोहा स्पॉन्ज लोहा कहलाता है (ii) 1273 K क्षेत्रा में सिलिका, धातुमल में परिवर्तित होती है। (iii) 1573 K क्षेत्रा में स्पॉन्ज लोहा पिघलता है तथा कार्बन, फॉस्फोरस, सिलिका आदि घुलती हैं। धातुमल भी संगलित होता है। गलित पदार्थ भट्टी के आधार पर इकट्ठा हो जाता हैं। धातुमल इस पर तैरता रहता है। गलित लोहा को आवश्यकतानुसार निकाल लिया जाता हैं। यह लोहा, ढलवा लोहा कहलाता हैं। चूने पत्थर का कार्य : चूने पत्थर, बिना बुझे चूने में विघटित होता है CaCO3 → CaO + CO2 बिना बुझा चूना, अशुद्धियों जैसे- रेत के साथ जुड़कर एक गलित धातुमल (कैल्शियम सिलिकेट) बनाता है। CaO + SiO2 → CaSiO3 धातुमल, गलित लोहे की सतह पर तैरता है। इसे समान्तरालों पर छिद्र द्वारा बाहर निकाल लिया जाता है। धातुमल के रूप में कैल्शियम सिलिकेट निर्माण के द्वारा केवल अवांछित सिलिका ही हटार्इ नहीं जाती बल्कि लोहों को भी ऑक्सीकृत से बचाया जाता है। नवीनतम लेख और ब्लॉग
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Sample Papers For Class X & XII लोहा निष्कर्षण कैसे किया जाता है?लोहे का निष्कर्षण वात्या भट्टी द्वारा किया जाता है। आयरन का निष्कर्षण, हेमेटाइट अयस्क द्वारा निम्न विधियों से किया जाता है। अधिकांश हेमेटाइट अयस्क के सांद्रण की आवश्यकता नहीं होती है। चूंकि अयस्कों से 20 – 55% के बीच ही लोहा प्राप्त हो जाता है।
हेमेटाइट से लोहे Fe का निष्कर्षण कैसे करेंगे?(i) आवेश को 873 K क्षेत्रा तक कम किया जाता है। जिससे आयरन ऑक्साइड़, कॉक के जलने से बनी कार्बन मोनोऑक्साइड़ गैस के बढ़ने के साथ-साथ अपचयित होता जाता है। (ii) 1273 K क्षेत्रा में सिलिका, धातुमल में परिवर्तित होती है। (iii) 1573 K क्षेत्रा में स्पॉन्ज लोहा पिघलता है तथा कार्बन, फॉस्फोरस, सिलिका आदि घुलती हैं।
लोहे का सांद्रण कैसे किया जाता है?Solution : अयस्क का सांद्रण - अयस्क के सांद्रण हेतु गुरुत्वीय पृथक्करण विधि प्रयोग में लाते हैं । <br> (ii) ऑक्साइड का धातु में अपचयन - अपचयन के लिये प्रगलन विधि प्रयोग में लाया जाता हैं यह वात्याभट्टी व्दारा होता हैं ।
लोहा का निर्माण कैसे होता है?वात्या भट्ठी से कच्चा लोहा ही निकलता है। वस्तुतः 'कच्चा लोहा' लौह, कार्बन, सिलिकन, मैंगनीज, फॉस्फोरस और गंधक की मिश्रधातु है। यह एक माध्यमिक उत्पाद है जिसकी और प्रसंस्करण करके अन्य उत्पाद बनाये जाते हैं। अन्य चीजें बनाने के लिए यह एक 'कच्चा माल' है इसी से इसका 'पिग आइरन' नाम पड़ा है।
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