खजुराहो की मूर्तियां कहां स्थित है - khajuraaho kee moortiyaan kahaan sthit hai

Disclaimer- This traveling content is published for educational purpose खजुराहो में जब पहुंचे तो कई अरमानो पर पानी फिर गया । यहा...


खजुराहो की मूर्तियां कहां स्थित है - khajuraaho kee moortiyaan kahaan sthit hai

Disclaimer- This traveling content is published for educational purpose


खजुराहो में जब पहुंचे तो कई अरमानो पर पानी फिर गया । यहां के लिये दो दिन थे जिसमें से एक दिन तो लगभग पूरा ही निकल गया बारिश और सफर में । बाकी बचे दूसरे दिन में दो जगहो का मन बनाकर आये थे । एक रने फाल और दूसरा पांडव फाल । पांडव फाल तो जिस बस में हम आ रहे थे उसी में रास्ते में पडा पर हम उतर नही पाये बारिश की वजह से । यहां आकर हमने मंदिरो में इस समय जाना सही नही समझा तो आसपास घूमने की बात की पर यहां के लोगो की बात सुनकर होश फाख्ता हो गये । यहां हमें बताया गया कि रने फाल भी धुंआधार की तरह इस समय नदी से ज्यादा कुछ नही है तो वो जो आप कैनयान देखने की सोच रहे हो उसे तो भूल ही जाओ । आप यहां सुरक्षित रह लो और कल निकल जाओ वही काफी समझना क्योंकि यहां कल की बारिश में खजुराहो की सडको पर दो से तीन फिट पानी था और नदी नाले सब उफने हुए हैं । बहुत मकान गिर चुके हैं । आटो वालो ने भी साफ मना कर दिया तो हमारे पास एक ही चारा था कि खजुराहो के मंदिर तो देख ही लें ।

पोस्ट पढने से पहले — माफ कीजिये मै इस पोस्ट को अश्लील तो नही कह सकता क्योेंकि ये सब हमारे ही देश में मंदिरो पर उकेरी गयी प्रतिमाऐें हैं । इन्हे कैसे लिया जाये ये व्यक्ति के अपने नजरिये पर निर्भर करता है । ये हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है और अब भी है पर फिर भी महिलायें और बच्चे या जो एतराज मानते हों उनके लिये दूर रहना श्रेयस्कर है । 


अगले दिन सुबह सोकर उठे तो बारिश ने कहर मचाया हुआ था । पूरी रात से बारिश एक मिनट के लिये भी बंद नही हुई थी । होटल के कमरे में मैने पहली बार देखा कि पांच सितारा में कुछ सुविधायें तो ऐसी होती ही हैं जिनके लिये वो ज्यादा पैसा लेते हैं । हम तो रात गुजारने की सोच रखने वाले हैं पर जो यहां रूकते हैं उनके लिये पैसे का मोल भी मिलता है । बाथरूम में हर तरह के छोटे बडे अलग अलग तौलिये रखे थे । बाथ टब लगा था , चाय पीने का मन हो तो इलैकिट्रक केतली और दूध पाउडर से लेकर पत्ती तक सब सामान लगा हुआ था । होटल में स्वीमिंग पूल भी था और उसको केन्द्र में लेकर चारो ओर कमरे बनाये हुए थे । जोहड में भी कूद जाने वाले कमल भाई कहां रूकने वाले थे पर बारिश ने इनके पैरो में भी बेडियां बांध रखी थी ।


 सुबह भूख लगी तो कमल भाई ने बताया कि नाश्ता फ्री है और दबाके करना है । मेरे साथ दबा के वाली स्थिति नही है क्योंकि ना तो मै बहुत ज्यादा खाता हूं और ना ही खा सकता हूं । मुझे थोडी थोडी देर बाद भूख लगती है कुतरने की आदत ज्यादा है । नाश्ते के लियेपहुंचे तो देखकर लगा कि ये नाश्ता थोडे है ये तो भोजन से भी बढकर है । हर चीज थी वहां , फल खाने वाले के लिये फल , दूध गर्म और ठंडा , ब्रेड , टोस्ट , ढोकला और भी पता नही कितने आइटम । घर आकर मेरे साले से चर्चा हुई तो उसने बताया कि जीजाजी ये नाश्ते में जितना भी सामान रखते हैं अगर वो बच जाये तो फेंक देते हैं । अपने होटल के स्टाफ या किसी गरीब भूखे को नही देते क्योंकि ये उनकी पालिसी के खिलाफ है । मेरे साले ने होटल मैनेजमैंट किया है और काम भी किया है इसलिये उसे पता होगा । अपन तो शादी में भी नाश्ते के दो चार अच्छे और मीठे आइटम चखे और काम खत्म । उसके बाद चाहे अगले ने 356 आइटम बनवायें हो पर उससे अपने को क्या । तो खैर फल और टोस्ट लेकर मेरा काम समाप्त हुआ पर कमल भाई ने बोला कि बैठे रहो और खाते रहो । बारिश लगातार जारी थी और हमें होटल 12 बजे तक खाली करना था इसलिये बाहर भी जाकर क्या करना था सो बैठे रहे । मन बहुत परेशान था कि इस मौसम में हम यहां पर क्यों आये । 12 बजे हमने होटल से विदा ली और 800 रूपये के अलावा एक पैसा अलग से खर्च नही किया । आटो से पश्चिमी मंदिर समूह पहुंचे तो बारिश हल्की हो गयी थी । मंदिर समूह के बाहर ही छतरी किराये पर मिल रही थी । मैने कहा कि आप देख चुके हो तो मुझे भी खजुराहो की मूर्तियां दिखाईये कमल भाई ने बोला कि मै पहले भी मंदिर देख चुका हूं इसलिये मेरी कोई रूचि नही है आप देख आओ मै बाहर मिलता हूं ।


मैने टिकट लिया और छतरी किराये पर ली और चल पडा पश्चिमी मंदिर समूह देखने के लिये अकेला । पर चित्र तो आप देखते ही चल रहे हैं तब तक मै आपको खजुराहो के बारे मेें बता देता हूं । खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा या खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था । यहां का इतिहास 1000 से ज्यादा साल पुराना बताते हैं । कहा जाता है कि यहां पर खजूर के पेडो की अधिकता हुआ करती थी इसलिये अपभ्रंश होते होते इसका नाम खजुराहो पड गया । यहां पर हिंदू और जैन मंदिरो के बहुत सारे समूह हैं जो कि पूरे खजुराहो और आसपास में भी फैले हुए हैं । यहां की विशेषता मुडे हुए पत्थरो से बने मंदिरो का होना भी है जिसे देखने के लिये दूर दूर से लोग आते हैं । मध्यकाल के सर्वश्रेष्ठ स्मारके के रूप में भी इन्हे जाना जाता है । फिर भी ज्यादा प्रसिद्धि इन मंदिरो की यहां पर कामुक और संभोग की मूर्तियो के कारण है ।


ये शहर चंदेल राजाओ की राजधानी रहा है जिसके संस्थापक चन्द्रवर्मन थे । चंदेल राजा मुख्य रूप से राजपूत थे पर अपने आप को चंद्रवंशी मानते थे । दसवी से बारहवी शताब्दी तक शासन करने वाले इन राजाओ ने ही इन मंदिर समूहो का निर्माण कराया । निर्माण में संभोग और कामुक मूर्तियो का निर्माण कयों किया गया इस पर कई मत हैं जिस पर आगे चर्चा करेंगें । चंदेल राजाओ के अपने को चंद्रवंशी मानने का कारण क्या था उसके बारे में एक जनश्रुति है । कहा जाता है कि कवि चंदरबरदायी ने पृथ्वीराज रासो के महोबा खंड में इसका बखान किया है । उन्होने लिखा कि काशी के राजपंडित की पुत्री हेमवती बहुत ही खूबसूरत थी । उसकी सुंदरता के चर्चे भी चारो ओर थे । ऐसे में जब एक चांदनी रात में हेमवती कमल पुष्पो से भरे हुए तालाब में नहाने के लिये उतरी तो उसकी सुंदरता देखकर चंद्रमा उस के रूप पर मोहित हो गया और हेमवती को पाने के लिये मानव के रूप में आकर उसका हरण कर लिया । 

विश्व प्रसिद्ध खजुराहो मूर्तिकला कहाँ स्थित है?

खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।

खजुराहो की मूर्तियां क्यों बनाई गई थी?

-कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। -वे काफी उत्तेजित रहते थे। इसी कारण खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं।

खजुराहो में किसकी मूर्ति है?

भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में उनके बैकुंठ रूप में दर्शन होते हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर काफी संख्या में मूर्तियां हैं। इनमें अनेक मैथुन दृश्य भी हैं।

खजुराहो कौन से राज्य में स्थित है?

खजुराहो स्मारक समूह जो कि एक हिन्दू और जैन धर्म के स्मारकों का एक समूह है जिसके स्मारक भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में देखने को मिलते है। ये स्मारक दक्षिण-पूर्व झांसीसे लगभग १७५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्मारक समूह यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र गिना जाता है।