ख पक्षियों को सोने की कटोरी में रखा मैदा क्यों पसंद नहीं है? - kh pakshiyon ko sone kee katoree mein rakha maida kyon pasand nahin hai?

पाठ-1 ‘ हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कवि -शिवमंगल सिंह ‘ सुमन’

कवि परिचय

 शिवमंगल सिंह ‘ सुमन ‘ का जन्म सन् 1916 में उन्नाव  में हुआ था।   ग्वालियर विक्टोरियो कॉलेज से बी . ए . पास किया । बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एम . ए , और डी लिट् किया । कुछ समय तक इंदौर के राजकीय कॉलेज  में अध्यापक रहे । वे विक्रम विश्वविद्यालय , उज्जैन के कुलपति रह छात्र जीवन से ही वे अपने साहित्यिक कामों के लिए काफी लोकप्रिय रहे । वे अपनी प्रगतिशील कविता के लिए जाने जाते थे । उन्होंने मुख्यतः गीत लिखे और कविताएभा गीत – शैली में लिखी । शिवमंगल सिंह ‘ सुमन ‘ को प्रमुख रचनाएँ हैं – हिल्लो , जीवनगान , विंध्य हिमालय प्रलय – प्रलय . युग का गीत . विश्वास बढ़ता ही गया पर आँखें नहीं भरी , मिट्टी की बारात । शिवमंगल सिंह का निधन सन् 2002 में हुआ ।

कविता का सार

 प्रस्तुत कविता में कवि ने उड़ने वाले प्राणी मात्र की स्वतंत्र रहने की भावना को उन्मुक्त गगन में पक्षियों के माध्यम से व्यक्त किया है । इसमें आकाश में स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले पक्षी पिंजरे में सारी सुख – सुविधाओं के बावजूद भी स्वयं को स्वतंत्र रखने की कामना करते हैं । उन्हें गुलामी में रहकर सोने की कटोरी में मैदा खाने की . अपेक्षा स्वतंत्र रहकर नीम की कड़वी निबौरी खाना अधिक श्रेयस्कर लगता है । कवि ने स्वतंत्रता की कामना को गुलामी की वेदना के बीच बड़े सशक्त ढंग से प्रकट किया है । यह कवि की आजादी की कामना को दर्शाता है । यही इस कविता का मुख्य उद्देश्य है ।

         कविता

हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के

पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,

कनक-तीलियों से टकराकर

पुलकित पंख टूट जाऍंगे।

हम बहता जल पीनेवाले

मर जाएँगे भूखे-प्‍यासे,

कहीं भली है कटुक निबोरी

कनक-कटोरी की मैदा से,

स्‍वर्ण-श्रृंखला के बंधन में

अपनी गति, उड़ान सब भूले,

बस सपनों में देख रहे हैं

तरू की फुनगी पर के झूले।

ऐसे थे अरमान कि उड़ते

नील गगन की सीमा पाने,

लाल किरण-सी चोंचखोल

चुगते तारक-अनार के दाने।

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्‍न-भिन्‍न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं, तो

आकुल उड़ान में विघ्‍न न डालो।

शब्दार्थ

उन्मुक्त             आज़ाद  

स्वर्ण श्रृंखला     सोने की सलाखों से निर्मित पिंजरा

निबौरी             नीम के वृक्ष का फल       

पुलकित             कोमल

अरमान             घोसला

तरू                  वृक्ष

गगन      ‌          आकाश

कविता को अच्छी तरह समझने के लिए इस लिंक को देखे

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1 . पिंजरे में बंद पक्षियों का कहना है –

 ( क ) हम पिंजरे में खुश रहते हैं । ( ख ) हम पेड़ों पर रहना चाहते हैं । ( ग ) हम खुले आकाश में विचरण करने वाले हैं । ( घ ) हम उड़ना ही जीवन मानते हैं ।

 2 . पिंजरे में रहकर पक्षी क्या नहीं कर पाएंगे ?

 ( क ) गा नहीं पाएँगे । ( ख ) उड़ नहीं पाएंगे । ( ग ) कुछ खा नहीं पाएंगे । ( घ ) मन की भावनाएँ किसी को कह नहीं पाएंगे ।

3 . सोने का पिंजरा भी पक्षियों को क्यों नहीं भाता ?

 ( क ) वे तो खुले आकाश में उड़ना चाहते हैं । ( ख ) क्योंकि बंधन में उनकी स्वतंत्रता छिन जाती है । ( ग ) बंधकर रहना उनका स्वभाव नहीं । ( घ ) उपर्युक्त सभी

 4 . सोने के पिंजरे की सलाखों से टकरा – टकराकर क्या होगा ?

( क ) पिंजरा टूट जाएगा । ( ख ) पक्षी बाहर निकल जाएँगे । ( ग ) उनके कोमल पंख टूट जाएँगे । ( घ ) वे मन की सारी इच्छाएं पूरी कर लेंग

प्रश्न – अभ्यास

प्रश्न 1 . हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी बिगड़ने लगता है । पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?

 उत्तर – हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद इसलिए नहीं रहना चाहते क्योंकि उन्हें आजादी पसंद है

 प्रश्न 2 . पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन – कौन सी कीड़े मकोड़ों को खाकर किसानों के खेतों की रक्षा इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं ?

उत्तर – पक्षी उन्मुक्त रहकर नीले आसमान की सीमा काआ जसा पक्षी वातावरण की गंदगी को साफ करता है । नापने , अनारदाने रूपी तारों को अपनी चोंच से चगने तथा पक्षी पेड़ों में स्थित अपने घोसलों में अंडे देकर नये आकाश और पृथ्वी के मिलन – स्थल तक की उड़ान भरने पक्षियों को पैदा करते हैं । यदि वे कैद में रहे तो ऐसा की अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं । नहीं कर सकते

3.कवि पक्षियों के माध्यम से मनुष्य की किस भावना को दर्शाना चाहता है ?

( क ) परतंत्रता में सभी सुविधाएँ पाने की । ( ख ) ऊँचाइयों को छूने की । ( ग ) सदा स्वतंत्रता का जीवन जीने की । ( घ ) किसी के बंधन में रहने की ।

 कविता से आगे

 1.  बहुत से लोग पक्षी पालते हैं

 (ए) क्या पक्षियों का पालना उचित हैं या नहीं? अपने विचार लिखें।

 (बी) क्या आपके पास कोई पक्षी है  या कोई भी आपके ज्ञान में है? देखें कि किस तरह उसकी देखभाल की जाती होगी? लिखो।

 उत्तर: (ए) पिंजरों में पक्षियों को रखना उचित नहीं है क्योंकि यह अपने प्राकृतिक रुझानों को नष्ट करना शुरू कर देता है और प्रक्रिया की मंजूरी बिगड़ती शुरू हो जाती है।

(बी) मेरे ताऊ जी पक्षियों को  रखने का शौक था। एक दिन, एक स्वर्ग हमारे बगीचे में नीम के पेड़ से गिर गया है। ताऊ जी ने उसे लिया और उसे घर लाया और उसकी सेवा की। लेकिन वह पिंजरे में रुक गया। तोता का नाम सीताराम रखा। उन्हें पिंजरे और एक कटोरे में खाने के लिए नहीं लिया जाएगा, पानी एक कटोरे में एक कटोरे और पानी में रखा जाता है। शनि कभी एक विकल्प खाता रहा है। अगर प्यास पानी पीता है। सीताराम मिर्ची की बड़ी छूट थी। इस प्रकार, उन्हें देखने के लिए कहा गया था।

 प्रश्न 2 केवल पक्षियों को पिंजरे में बंद करके उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता , अपितु पर्यावरण परिचय भी प्रभावित होता है । इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए

( 1) यदि पक्षी कैद रहे तो नये पक्षियों का जन्म नहीं हो पाएगा

 ( ii ) पक्षियों का जीवन स्वच्छंद वातावरण में विचरण करने का होता है ।

( iii ) पक्षियों को कैद करके नहीं रखना चाहिए ।

( iv ) पक्षियों को कैद करके रखने से प्राकृतिक संतुलन पक्षी बिगड़ने लगता है ।

 ( v ) यदि पक्षियों को कैद करके रखा जाएगा तो पक्षियों की ( vi ) पक्षी जंगल में रहने वाले अनेक हानिकारक कीड़े मकोड़ों को खाकर किसानों के खेतों की रक्षा करते हैं ।

 ( vii ) कौआ जैसा पक्षी वातावरण की गंदगी को साफ करता है ।

 ( viii ) पक्षी पेड़ों में स्थित अपने घोसलों में अंडे देकर नये पक्षियों को पैदा करते हैं । यदि वे कैद में रहे तो ऐसा नहीं कर सकते ।

 ( ix ) पक्षियों का मधुर स्वर हमें तनाव और चिंता से दूर रखता है लेकिन घर के पालतू पक्षियों की बजाए प्रकृति में उनका सामूहिक स्वर अच्छा लगता है ।

( x ) पक्षी हमें जीवन की विविधता से परिचय कराते हैं ।

( xi ) पक्षी स्वतंत्रता प्रिय होते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1 . स्वर्ण – श्रृंखला और लाल किरण – सी में रेखांकित शब्द गुणवाचक विशेषण हैं । कविता से ढूँढकर इस प्रकार के तीन और उदाहरण लिखिए ।

प्रश्न 2 . ‘ भूखे – प्यासे ‘ में द्वंद्व समास है ।

 इन दोनों शब्दों के बीच लगे चिह्न को सामासिक चिह्न ( – ) कहते हैं । इस चिहन से ‘ और ‘ का संकत मिलताह जैसे – भूखे – प्यासे भूखे और प्यासे । इस प्रकार के दस अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए । 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विद्यार्थी स्वयं लिखें-

 प्रश्न 1 . क्या आपको लगता है कि मानव की वर्तमान जीवन – शैली और शहरीकरण से जुड़ी योजनाएँ पक्षियों जानकारी में के लिए घातक है ? पक्षियों से रहित वातावरण में – रेख अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है । इन समस्याओं से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए ? उक्त विषय पर अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 2 . यदि आपके घर के किसी स्थान पर किसी पक्षी ने अपना आवास बनाया है और किसी कारणवश आपको अपना घर बदलना पड रहा है तो आप उस पक्षी के लिए किस तरह के प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे ? लिखिए।

द्वारा : डॉ. शिवानी कन्नौजिया, टीजीटी -हिन्दी

केंद्रीय विद्यालय पोर्ट ट्रस्ट कोची

पक्षियों को सोने की कटोरी में रखा मैदा क्यों पसंद नहीं है?

इस पंक्ति में पक्षी कहता है कि पिंजरे में बंद रह कर सोने की कटोरी में मैदा खाने से अच्छा है की वह खुले आसमान के नीचे खुली हवा में रह कर कड़वी निबौरी खा ले। कहने का मतलब है पक्षियों को खुले आसमान में उड़ना पसन्द है न की पिंजरे में बंद रहना ,चाहे फिर वो सोने का ही क्यों न हो।

पक्षी को मैदा से भरी सोने की कटोरी से कड़वी निबौरी क्यों अच्छी लगती है?

Hi, चिड़िया को कड़वी निबोरी सोने की कटोरी में मिली मैदा से इसलिए अच्छी लगती है क्योंकि वह स्वतंत्र होती है। पिंजरे में उसको अच्छे पकवान अवश्य मिलते हैं परन्तु अपनी स्वतंत्रता की कीमत पर। उसको कैदी बनकर रहने से अच्छा स्वतंत्र रहकर कड़वी निबोरी खाना अच्छा लगता है।

सोने का पिंजरा भी पक्षियों को क्यों नहीं भाता है?

Answer: सोने का पिंजरा भी पक्षियों को इसलिए नहीं भाता क्योंकि पक्षी आज़ाद रहना चाहते हैं। आजादी से बड़ा सूख और कुछ नहीं है।

पक्षियों का सबसे प्रिय क्या होता है?

पक्षियों का सबसे प्रिय आजादी होता है ,क्योंकि वह किसी की अधीन में रहना नहीं चाहते हैं . वह आजादी में खुला आकाश में उड़ना चाहते हैं .